रोहित बेड पर लेट गया, उसने तो चड्डी भी नहीं पहनी, बस एक हल्की चादर खीचकर अपने उपर डाल ली |बेड पर पसरते ही पिछले कुछ जादुई पल एक साथ उसके नजरो के सामने छा गए | कुछ देर के लिए रीमा के साथ बाथरूम में बिताये हर एक पल में खो गया | उसका मुर्छित लंड में फिर से हरकत होने लगी थी | तभी रीमा काफी बनाकर ले आई | रीमा के कमरे में कदम रखते ही रोहित की जैसे नीद टूटी | एक हल्की मुस्कराहट के साथ थैंक्यू बोलते हुए उसने काफी ली |
दोनों काफी पीने लगे | रीमा बार बार रोहित को देखकर मुस्कुराती और काफी सिप करने लगती |
रोहित ने आधी काफी ख़त्म करने के बाद रीमा को ऊपर ने नीचे तक जी भर के देखा जो सिर्फ एक पैंटी में उसके पास ही बेड पर बैठी थी | रीमा के खूबसूरत जिस्म को देखते ही रोहित के अन्दर की लालसा फिर जगने लगी | उसे महसूस हुआ की इतनी खूबसूरत रीमा को कम से कम एक बार तो और चोदना बनता है | उसका शायद मन नहीं भरा था | भरेगा भी कैसे इतनी हसीन मदमस्त जिस्म की औरत, जिसके जिस्म के हर कोने से मादकता टपकती हो, उससे बस फुट भर दूर बैठी थी | रोहित का क्या किसी भी मर्द का मन नहीं भरेगा | ऐसी औरत को तो हर मर्द रात भर चोदता रहना चाहेगा, बस चोदते ही रहना चाहेगा | तभी रोहित के विवेक ने उसे झकझोरा, नहीं अभी अभी तो उसने सेक्स किया है, अब फिर कैसे | दुसरे वो उसकी बीबी नहीं है | गनीमत तो ये है की रीमा ने मना नहीं किया और उसके मुसल लंड को झेल ले गयी | वरना कई औरते तो बीचे चुदाई से भाग खडी हुई | अब दोबारा रीमा से किस मुहँ से पूछु, नहीं नहीं अभी फिर से ठीक नहीं होगा | अभी उसकी चूत भी सूजी हुई है, नहीं अभी पूछने का मतलब है की मै स्वार्थी वासना का भूखा भेड़िया हूँ जिसे बस रीमा का जिस्म चाहिए | नहीं मुझे इस बारे में सोचना बंद कर देना चाहिए | आज के लिए इतना ही काफी था | सोचते सोचते काफी सिप करने लगा |
गरम काफी ने दर्द से टूटते रीमा के जिस्म को बड़ी राहत पहुचाई | काफी पीने के बाद वो काफी उर्जावान महसूस कर रही थी | रोहित की तरह ही रीमा भी अपनी उधेड़बुन में खोयी थी |
वो समझ नहीं पा रही थी की रोहित ने उसे कपड़े पहनने से क्यों रोका, क्या वो मुझे फिर से चोदना चाहता है या उसे बस मेरे बेपर्दा हुस्न का दीदार करना है | उसने रोका तो रोका, उसने क्यों रोहित की बात मान ली | उसने तो कभी रोहित के सामने अपना पल्लू तक नहीं सरकने दिया, आज उसे क्या हो गया, चुदाई के समय तो सभी नंगे होते है लेकिन उसके बाद तो कोई नंगा नहीं घूमता | फिर मैंने क्यों उसकी बात मान ली, मै क्यों नंगी बैठी हूँ | अब इसके बाद भी क्या मुझे कुछ चाहिए | हाय अब मुझे क्या चहिये ?? रोहित इतनी बेदर्दी से चोदा है, कि जिस्म का एक एक पुर्जा हिल गया है अब इसके बाद भी इस मुई चूत को, और क्या चाहिए , क्या चाहिए मेरे इस हवस के भूखे जिस्म को | ये जिस्म अब मेरा दुश्मन बनता जा रहा है | ये मुझे कही का नहीं छोड़ेगा | पता नहीं रोहित के दिमाग में क्या चल रहा है | मुझे उसके सामने नंगे होकर बैठे में शर्म भी नहीं आ रही | वो तो मर्द है उसको तो सब मर्दों की तरह औरत को नंगे देखने में ही मजा आएगा | मै क्यों उसके सामने नंगी बैठी हूँ, हाय जरा भी लाज शर्म नहीं आ रही मुझको, ऐसी तो नहीं थी तुम रीमा. तुम्हे क्या हो गया है.......................
रीमा को विचारो में खोया और हल्का सा परेशान देख रोहित ने का ध्यान रीमा की तरफ गया | रोहित भी इसी उधेड़बुन में था अब इसके आगे क्या ? कौन सा कदम बढ़ाऊ, न बढ़ाऊ ??????? कई सारे सवालो से घिरे रोहित को जब रीमा का ख्याल आया | अरे मै तो यू ही परेशान हूँ पहले ये तो पता चले रीमा के दिमाग में क्या चल रहा है, जैसा वो चाहेगी मै वैसा ही करूगां | हो सकता है उसके दिमाग में कुछ ऐसा ही चल रहा हो, या न भी चल रहा हो | औरते चुदाई को लेकर अलग तरह से सोचती है | उसके दिमाग में भी यही सब चल रहा है या कुछ और ये कैसे पता लगे |?
कमरे के अन्दर पसरी एक लम्बी ख़ामोशी को तोड़ते हुए रोहित - रीमा डिअर क्या कुछ कुछ परेशान लग रही हो, कोई ऐसी बात जो तुम्हे परेशान कर रही हो तो मुझे बता सकती हो |
रीमा रोहित को कोई भी संकेत नहीं देना चाहती थी की उसके दिमाग में क्या चल रहा है - नहीं नहीं रोहित ऐसी कोई खास बात नहीं है, कॉलेज के एनुअल प्रोजेक्ट का अभी तक डिसिशन नहीं ले पायी हूँ उसी बारे में सोच रही थी |
रोहित भी मर्द औरत के गेम का पुराना खिलाडी था, उसने रीमा का मन भापने के लिए तीर छोड़ा - चल झूठी, सच क्यों नहीं कहती, हमारे बीच इतना सब कुछ हो गया है, अब तो कोई पर्दा नहीं है अब तो सच बोल दे झूठी कही की |
रीमा ने कोई जवाब नहीं दिया, उसे लगा अगर इसकी सफाई दी तो जरुर पकड़ी जाउंगी , इसलिए चुप रही |
रोहित - अच्छा मै गेस करता हूँ तुम बस हाँ न में सर हिलाना |
रीमा ने रोहित को अजीब बेपरवाह तरह से देखा और मन ही मन सोचने लगी - ये चाहता क्या है मुझसे, इसके सामने क्या मै रंडियों की तरह बाते करने लगु, कोई शर्म लिहाज नाम की कोई चीज है या नहीं | मै कोई रंडी थोड़े ही हूँ |
रोहित - गेस करू ?
रीमा ने चेहरे पर बेपरवाही बनाये रखी,ताकि रोहित को जरा सा भी अंदाजा न हो |
रीमा ने रोहित से नजरे मिला ली |
रोहित से सीधा ही तीर छोड़ दिया - तुम मेरे बारे में सोच रही हो न ?
रीमा सकपका गयी, उसे समझ नहीं आया कैसे रियेक्ट करे, ऐसा लगता था जैसे उसकी चोरी पकड़ी गयी हो | रीमा ने खुद को संभला - नहीं, नहीं, मतलब हाँ , मेरा मतलब है नहीं मै तुमारे बारे में.............|
रोहित ने बीच में ही उसकी बात काट दी - मैंने सिर्फ हाँ या न में जवाब माँगा था | तुम सफाई क्यों दे रही हो | कोई चोरी पकड़ी गयी है क्या ?
रीमा समझ गयी रोहित उसका मन टटोल रहा है, सकपकाई रीमा ने पलट कर उलटा सवाल कर दिया - तुम क्या सोच रहे थे बतावो |
रोहित को लगा यही शॉट मारने का मौका है - मै झूठा नहीं हूँ तुमारी तरह, सच बोलूगा, मै तो १०० टका बस तुमारे बारे में ही सोच रहा था | इतनी हसीन बेपर्दा अप्सरा होते हुए भी भला कोई सच्चा मर्द किसी और चीज के बारे में कैसे सोच सकता है | रोहित ने रीमा की आँखों में आँखों डालते हुए कहा |
रीमा शर्म से झेंप गयी | इसी बात का तो डर था उसे | वही बात रोहित ने सीधे बोल दी | पहले के मुकाबले रीमा रोहित से बहुत खुल चकी थी इसलिए अब उसे शर्म तो आई लेकिन हिचकिचाहट नहीं हुई और न ही किसी तरह की आत्मग्लानी हो रही थी | वो समझ गयी थी रोहित के दिमाग में जो कुछ चल रहा है उसी को लेकर चल रहा है | अब उसने क्या क्या सोच रखा उसके बारे में तो बस रोहित ही जानता था |
रोहित - हेल्लो तुम फिर से कही खो गयी, कॉलेज वाला प्रोजेक्ट परेशान कर रहा है, इतना कहते ही रोहित ने रीमा को अपनी तरफ खीच लिया |
रीमा ने प्रतिरोध किया और अपनी जगह से हिली भी नहीं | रोहित को ही उसकी तरफ खिसककर जाना पड़ा | रीमा ने वही बैठे बैठे खुद को ही समेट लिया |
रोहित- देखो मैंने तो तुम्हे अपने दिल की बात साफगोई से बता दी, अब तुम भी बता दो न ब्यूटीफुल डार्लिंग, सच में तुम बेपनाह खूबसूरत हो डिअर |
अपनी तारीफ सुनकर रीमा ने मुस्कुराना चाहा लेकिन कण्ट्रोल कर ले गयी |
रोहित ने रीमा के चेहरे कोई हाव भाव न देख - माई मोस्ट ब्यूटीफुल रीमा डार्लिंग , किस बात की झिझक है, कौन सी चीज है जो तुम्हे मुझसे अपने दिल की बात बताने से रोक रही है | अब तो हमारे लंड और चूत में भी दोस्ती हो गयी है, दोनों जमकर गपियाते है एक दुसरे से |
रीमा हंस पड़ी |
रोहित - ये हुए न बात |
रोहित ने रीमा का हाथ थम लिया और उसके पास जाने लगा - जब हमारे लंड और चूत एक दुसरे से बाते कर सकते है, अपने डार्क से डार्क सीक्रेट शेयर कर सकते है तो हम क्यों नहीं | इतना कहकर एक हल्की चिकोटी काट ली, और उसके नंगे जिस्म के बिलकुल पास पंहुच गया | आपने एक हाथ से नंगी उसकी पीठ सहलाने लगा |
रीमा इतने सालो में अपने चेहरे के हावभाव छिपाना बखूबी जान गयी थी इसलिए उसके अन्दर की बात आजतक कोई जान नहीं पाया था | आज भी रीमा का वही स्किल रोहित के सामने पहाड़ बनकर खड़ा था | रोहित समझ ही नहीं पा रहा था की रीमा के अन्दर क्या चल रहा है वो रोहित के सामने पहेली बनकर कड़ी थी | रोहित भी हार मनाने वालो में से नहीं था |
उसने इमोशनल कार्ड खेलना शुरू किया |
रोहित - अच्छा ठीक है बाबा बस मेरे एक सवाल का जवाब दे दो फिर मै अपनी घर वापसी की तयारी शुरू करू | (उसका चेहरा अपने दोनों हाथो में लेते हुए, थोडा सा भावुक होकर) सीरियसली बताना, कैसा लग रहा है | सेक्स के बाद अच्छा फील कर रही हो, बुरा फील कर रही हो, आत्मग्लानी हो रही है, प्राउड फील कर रही हो, रिलैक्स फील कर रही जैसे बरसो का बोझ उतर गया, या अभी भी अन्दर तूफान उमड़ रहे है |
रीमा कैसे अपने दिल के भावो की बताये, उसने आज तक किसी को नहीं बताया अब कैसे बता दे ,उसने ये सब कभी नहीं किया था ये तो फिर रातो रात कैसे वो बदल जाएगी | है तो वही टिपिकल रीमा | उसने ख़मोशी बनाये रखी, और तिरछी कनखियों से एक बार रोहित को देखकर नजरे झुका ली |
रोहित - अच्छा चलो अपने प्रोजेक्ट के बारे में ही बताओ | लेकिन कुछ बोलो, खामोश मत रहो |
अब रीमा की ख़ामोशी पर रोहित को गुस्सा आने लगा - मेरी सांसे उखड़ गयी तुम्हे चोदने में, लंड छिल गया तुँमारी चूत का छेद नरम करने में और चूत की गहराई तक जाने में सर का पीसना पैर तक आ गया और तुम हो की एक शब्द बोलने में भी तुम्हे तकलीफ है |
रोहित रीमा को झटक के चला |
रीमा भी भावुकत से फट पड़ी - क्या चाहते हो रोहित ? मै तुमारे साथ रंडियों की तरह गन्दी गन्दी बाते करू | मुझसे नहीं होगा ये, मै रंडी नहीं हूँ | तुमने कहा कपडे मत पहनो, मैंने नहीं पहने, तुमने कहाँ काफी बनाकर लावो मै बनाकर लायी | बोलो अब और क्या चाहते हो | अभी भी कुछ करने को बचा है क्या ??????, सब कुछ तो कर चुके हो | क्या बाकि रह गया है, कुछ बाकि रह गया हो तो वो भी कर लो, मेरे रोकने से रुकोगे क्या ?
रोहित समझा गया चोट सही जगह लगी है - मैंने सिर्फ इतना पुछा था तुम्हे कैसा लगा ? तुम खुस हो | तुम संतुष्ट हो | तुम तृप्त हो | जिस चीज के लिए इतना तड़पी हो वो मिली या नहीं मिली |
रीमा भावुक हो गयी - एक दिन में इतना सब कुछ तो दे दिया है तुमने, क्या बोलू मै, मुझे नहीं पता मै तुमारे सवालो का क्या जवाब दूं | जो मिला है उसके लिए कोई शब्द नहीं होते, अगर होते भी होंगे तो मुझे नहीं पता | क्या जवाब दूं जिसके लिए मेरे पास शब्द ही नहीं है |
रोहित - ठीक है, तुम कंफ्यूज हो हमेशा की तरह | सिर्फ इतना बता दो तो फिर मै जाऊ या रुकू ? मै सिर्फ इसलिए पूछ रहा हूँ कि बाद में मत कहना की सब मर्द एक जैसे होते है, अपना काम निपटते ही औरत को भूल जाते है |
रीमा चुप रही | रोहित - अगर तुम्हे जरुरत है तो मै रुकू नहीं तो.................... ???
रीमा ने इस बार रोहित की बार पकड़ ली | वो समझ गयी अगर इसको जाना होता तो एक बार बोलकर चला गया होता | ये रुकना चाहता है लेकिन चाहता ये है मै बोलू रुकने के लिए | भावुक बैठी
रीमा के दिमाग में शरारत सूझी - मर्जी तुमारी, आये अपनी मर्जी से थे, तो जाने के लिए क्यों पूछ रहे हो | अगर इतना मन है रुकने का तो रुक क्यों नहीं जाते | मुझसे क्यों पूछ रहे हो ?
रोहित - रुककर भी क्या करू, तुमने तो बाथरूम से निकलने के बाद मौन ब्रत रख लिया है | या तो तुम्हे चुदाई पसंद नहीं आई ..........|
रीमा रोहित की बात बीच में ही काटती हुई बोली - रोहित बार बार एक ही बात क्यों बुलवाना चाहते हो मुझसे, मै नहीं बोलूगी , तुम मर्दों को जब तक चीख चीख कर न बताया जाये तुम्हे कुछ पता ही चलता | जो तुमने मुहे आज दिया क्या वो तुम्हे मेरी आँखों में नहीं दिखता क्या ? तुम तो बड़े एक्सपर्ट बनते हो औरतो को |
रोहित ने अपने अन्दर के सारे किन्तु परन्तु किनारे रख दिए | रीमा के पास आ गया, अपना बाया हाथ रीमा की पतली नाजुक कमर में डाल उसको अपने तरफ खीच लिया और उसके ओंठो पर अपने ओठ रख दिए | दुसरे हाथ से रीमा के स्तन को मसलने लगा | उसे समझ आ गया था कि अगर कुछ करना है तो कर डालो लेकिन पूछो मत, रीमा को चूमना है चाटना है चोदना है तो चूम लो चाट लो चोद दो लेकिन पूछो मत |
बाथरूम से आने के बाद से रोहित का लंड तो कभी ठीक से मुरझाया ही नहीं था, क्योंकि उसके मन में रीमा को दोबारा चोदने की इक्षा बरक़रार थी और होनी भी चाहिए | इतनी खूबसूरत औरत को कोई एक बार चोद के थोड़े ही छोड़ देता है | ऐसी खूबसूरत औरत के लिए तो कई राते भी कम पड़ जाती है | बार बार चोदने का मन करता है और तब तक इक्षा नहीं भरती जब तक शरीर का एक एक पुर्जा जवाब न दे दे |
रीमा ने भी प्रतिरोध नहीं किया, शायद उसके मन में भी कही न कही ये इक्षा थी, लेकिन उसको लेकर वो निश्चित नहीं थी | वो कंफ्यूज थी अपनी लालसा और मन के बीच में | मन मना कर रहा था लेकिन लालसा उसे उसी ओर खीचे ले जा रही थी | उसका जिस्म तृप्त हो चूका था मन भी तृप्त था लेकिन शायद मन के किसी कोने और ज्यादा तृप्ति की अभिलाषा बाकि थी, शायद वो रीमा से कह रही थी आज मौका मिला है निकाल लो बरसो की कसर | खूबसूरत औरतो को न केवल भरपूर चुदाई चाहिए बल्कि भरपूर तृप्ति भी चाहिए, लेकिन इसको लेकर वो हमेशा कंफ्यूज भी रहती है | जब कोई कर डालता है तब उन्हें समझ में आता है अच्छा मुझे ये चाहिए था | रीमा चुदी थी और अच्छे से बुरी तरह चुदी थी लेकिन अन्दर से आत्मा से तृप्त नहीं थी | उसकी काम लालसा अभी जिन्दा थी और शायद वो अभी और वासना का हवस का नंगा खेल खेलना चाहती थी | अपनी हदों से ज्यादा आगे जाकर शायद खुद को ही आईना दिखाना चाहती थी कि देख रीमा तूने खुद को बरसो किस खोखले रुई के जाल में बांध कर खुद को रोके रखा, तू एक नकली जिंदगी जी रही थी | तेरी असली जिंदगी ये है जो आज तेरे सामने है, जो तू हमेशा बनने की कोशिश करती थी वो तेरी बनावटी जिंदगी थी | इन्ही खयालो में खोई रीमा की तन्द्रा तब टूटी जब रोहित ने उसे अपनी बांहों की गिरफ्त में ले लिया |
रोहित ने अपने हाथो की गिरफ्त को और कस दिया, उसके स्तन पर सख्ती और बढ़ा दी | हालाँकि थोड़ी देर पहले ही मसले जाने से उन पर की लालिमा बस अभी छटना ही शुरू हुई थी, रोहित ने फिर से उन्हें मसलना शुरू कर दिया | दोनों के ओठ एक में गुथाम्गुथा थे | सांसे गरम होने लगी और गरम होकर एक में घुलने लगी | रोहित के जिस्म पर एक भी कपड़ा नहीं था और रीमा बस पैंटी पहने हुए थी | रोहित उसे उठाकर रीमा की चूत के ऊपर के चिकने हिस्से, जहाँ के बाल उसने बना डाले थे उस पर हाथ फेरने लगा
रोहित का लंड तनने लगा उसमे खून का दौरान बढ़ने लगा | रोहित रीमा को चुमते चुमते बिस्तर पर झुकाता चला गया | रोहित का सख्त होता लंड रीमा की बायीं जांघ पर ठोकरे मारने लगा | रीमा ने भी रोहित की पीठ पर हाथ जमा दिए और रोहित के ओंठो को चूमने लगी | रोहित और रीमा ने पलती खाई, अब रीमा रोहित के ऊपर थी, उसके सुडौल ठोस स्तन रोहित के भारी ठोस सीने से रगड़ खा रहे थे | रोहित रीमा के सर से लेकर चुताड़ो तक सहला रहा था | रीमा रोहित से कुछ कह रही थी - रोहित ये जो हम कर रहे है क्या ये सही है, मतलब इस तरह से हमें ये सब करना चाहिए क्या ?
रोहित रीमा को सहलाता रहा - सोचो मत जो मन में आये कर डालो, सोचने वाले ही पछताते रहते है जिंदगी भर | तुम्हे अच्छा लग रहा है न |
रीमा - हूँ, लेकिन ये ठीक नहीं है |
रोहित इस समय कुछ भी सुनने के मूड में नहीं था, उसने रीमा को छुप कराने के लिए पलट कर अपने नीचे कर लिया और उसके ओठो को कसकर चूमने लगा | रीमा भी बराबर रोहित का साथ देने लगी | वो पहले से ही वासना की मदहोशी से मस्त थी | रोहित के ओंठो के गरम चुम्बन ने उसके अन्दर हवस की वासना की तरंग दौड़ा दी |
रोहित ने रीमा की कमर के नीचे से बायाँ हाथ निकालकर रीमा के स्तन को मसलना शुरू कर दिया | रीमा दर्द से सिसक उठी | रोहित को अपनी गलती का अहसास हुआ | रोहित समझ गया, उसके स्तन पर बने नाख़ून के निशान के कारन उसे दर्द हुआ होगा | रोहित असमंजस में पड़ गया, रीमा का बदन तो दुःख रहा है अब कैसे चुदाई होगी | ऐसे आगे बढ़ा तो ये तो दर्द से कराहती ही रहेगी | मै सिर्फ अपनी प्यास ही थोड़े बुझाने आया हूँ | अगर रीमा को मजा नहीं आएगा तो अकेला मै मजे लेकर क्या करूगां | कुछ देर तक रीमा का स्तन थामे सोचता रहा | फिर एकदम से रीमा से अगल होकर बेड से उठकर चला गया | रीमा कुछ समझ नहीं पाई और बिस्तर पर ही पसर गयी |
दोनों काफी पीने लगे | रीमा बार बार रोहित को देखकर मुस्कुराती और काफी सिप करने लगती |
रोहित ने आधी काफी ख़त्म करने के बाद रीमा को ऊपर ने नीचे तक जी भर के देखा जो सिर्फ एक पैंटी में उसके पास ही बेड पर बैठी थी | रीमा के खूबसूरत जिस्म को देखते ही रोहित के अन्दर की लालसा फिर जगने लगी | उसे महसूस हुआ की इतनी खूबसूरत रीमा को कम से कम एक बार तो और चोदना बनता है | उसका शायद मन नहीं भरा था | भरेगा भी कैसे इतनी हसीन मदमस्त जिस्म की औरत, जिसके जिस्म के हर कोने से मादकता टपकती हो, उससे बस फुट भर दूर बैठी थी | रोहित का क्या किसी भी मर्द का मन नहीं भरेगा | ऐसी औरत को तो हर मर्द रात भर चोदता रहना चाहेगा, बस चोदते ही रहना चाहेगा | तभी रोहित के विवेक ने उसे झकझोरा, नहीं अभी अभी तो उसने सेक्स किया है, अब फिर कैसे | दुसरे वो उसकी बीबी नहीं है | गनीमत तो ये है की रीमा ने मना नहीं किया और उसके मुसल लंड को झेल ले गयी | वरना कई औरते तो बीचे चुदाई से भाग खडी हुई | अब दोबारा रीमा से किस मुहँ से पूछु, नहीं नहीं अभी फिर से ठीक नहीं होगा | अभी उसकी चूत भी सूजी हुई है, नहीं अभी पूछने का मतलब है की मै स्वार्थी वासना का भूखा भेड़िया हूँ जिसे बस रीमा का जिस्म चाहिए | नहीं मुझे इस बारे में सोचना बंद कर देना चाहिए | आज के लिए इतना ही काफी था | सोचते सोचते काफी सिप करने लगा |
गरम काफी ने दर्द से टूटते रीमा के जिस्म को बड़ी राहत पहुचाई | काफी पीने के बाद वो काफी उर्जावान महसूस कर रही थी | रोहित की तरह ही रीमा भी अपनी उधेड़बुन में खोयी थी |
वो समझ नहीं पा रही थी की रोहित ने उसे कपड़े पहनने से क्यों रोका, क्या वो मुझे फिर से चोदना चाहता है या उसे बस मेरे बेपर्दा हुस्न का दीदार करना है | उसने रोका तो रोका, उसने क्यों रोहित की बात मान ली | उसने तो कभी रोहित के सामने अपना पल्लू तक नहीं सरकने दिया, आज उसे क्या हो गया, चुदाई के समय तो सभी नंगे होते है लेकिन उसके बाद तो कोई नंगा नहीं घूमता | फिर मैंने क्यों उसकी बात मान ली, मै क्यों नंगी बैठी हूँ | अब इसके बाद भी क्या मुझे कुछ चाहिए | हाय अब मुझे क्या चहिये ?? रोहित इतनी बेदर्दी से चोदा है, कि जिस्म का एक एक पुर्जा हिल गया है अब इसके बाद भी इस मुई चूत को, और क्या चाहिए , क्या चाहिए मेरे इस हवस के भूखे जिस्म को | ये जिस्म अब मेरा दुश्मन बनता जा रहा है | ये मुझे कही का नहीं छोड़ेगा | पता नहीं रोहित के दिमाग में क्या चल रहा है | मुझे उसके सामने नंगे होकर बैठे में शर्म भी नहीं आ रही | वो तो मर्द है उसको तो सब मर्दों की तरह औरत को नंगे देखने में ही मजा आएगा | मै क्यों उसके सामने नंगी बैठी हूँ, हाय जरा भी लाज शर्म नहीं आ रही मुझको, ऐसी तो नहीं थी तुम रीमा. तुम्हे क्या हो गया है.......................
रीमा को विचारो में खोया और हल्का सा परेशान देख रोहित ने का ध्यान रीमा की तरफ गया | रोहित भी इसी उधेड़बुन में था अब इसके आगे क्या ? कौन सा कदम बढ़ाऊ, न बढ़ाऊ ??????? कई सारे सवालो से घिरे रोहित को जब रीमा का ख्याल आया | अरे मै तो यू ही परेशान हूँ पहले ये तो पता चले रीमा के दिमाग में क्या चल रहा है, जैसा वो चाहेगी मै वैसा ही करूगां | हो सकता है उसके दिमाग में कुछ ऐसा ही चल रहा हो, या न भी चल रहा हो | औरते चुदाई को लेकर अलग तरह से सोचती है | उसके दिमाग में भी यही सब चल रहा है या कुछ और ये कैसे पता लगे |?
कमरे के अन्दर पसरी एक लम्बी ख़ामोशी को तोड़ते हुए रोहित - रीमा डिअर क्या कुछ कुछ परेशान लग रही हो, कोई ऐसी बात जो तुम्हे परेशान कर रही हो तो मुझे बता सकती हो |
रीमा रोहित को कोई भी संकेत नहीं देना चाहती थी की उसके दिमाग में क्या चल रहा है - नहीं नहीं रोहित ऐसी कोई खास बात नहीं है, कॉलेज के एनुअल प्रोजेक्ट का अभी तक डिसिशन नहीं ले पायी हूँ उसी बारे में सोच रही थी |
रोहित भी मर्द औरत के गेम का पुराना खिलाडी था, उसने रीमा का मन भापने के लिए तीर छोड़ा - चल झूठी, सच क्यों नहीं कहती, हमारे बीच इतना सब कुछ हो गया है, अब तो कोई पर्दा नहीं है अब तो सच बोल दे झूठी कही की |
रीमा ने कोई जवाब नहीं दिया, उसे लगा अगर इसकी सफाई दी तो जरुर पकड़ी जाउंगी , इसलिए चुप रही |
रोहित - अच्छा मै गेस करता हूँ तुम बस हाँ न में सर हिलाना |
रीमा ने रोहित को अजीब बेपरवाह तरह से देखा और मन ही मन सोचने लगी - ये चाहता क्या है मुझसे, इसके सामने क्या मै रंडियों की तरह बाते करने लगु, कोई शर्म लिहाज नाम की कोई चीज है या नहीं | मै कोई रंडी थोड़े ही हूँ |
रोहित - गेस करू ?
रीमा ने चेहरे पर बेपरवाही बनाये रखी,ताकि रोहित को जरा सा भी अंदाजा न हो |
रीमा ने रोहित से नजरे मिला ली |
रोहित से सीधा ही तीर छोड़ दिया - तुम मेरे बारे में सोच रही हो न ?
रीमा सकपका गयी, उसे समझ नहीं आया कैसे रियेक्ट करे, ऐसा लगता था जैसे उसकी चोरी पकड़ी गयी हो | रीमा ने खुद को संभला - नहीं, नहीं, मतलब हाँ , मेरा मतलब है नहीं मै तुमारे बारे में.............|
रोहित ने बीच में ही उसकी बात काट दी - मैंने सिर्फ हाँ या न में जवाब माँगा था | तुम सफाई क्यों दे रही हो | कोई चोरी पकड़ी गयी है क्या ?
रीमा समझ गयी रोहित उसका मन टटोल रहा है, सकपकाई रीमा ने पलट कर उलटा सवाल कर दिया - तुम क्या सोच रहे थे बतावो |
रोहित को लगा यही शॉट मारने का मौका है - मै झूठा नहीं हूँ तुमारी तरह, सच बोलूगा, मै तो १०० टका बस तुमारे बारे में ही सोच रहा था | इतनी हसीन बेपर्दा अप्सरा होते हुए भी भला कोई सच्चा मर्द किसी और चीज के बारे में कैसे सोच सकता है | रोहित ने रीमा की आँखों में आँखों डालते हुए कहा |
रीमा शर्म से झेंप गयी | इसी बात का तो डर था उसे | वही बात रोहित ने सीधे बोल दी | पहले के मुकाबले रीमा रोहित से बहुत खुल चकी थी इसलिए अब उसे शर्म तो आई लेकिन हिचकिचाहट नहीं हुई और न ही किसी तरह की आत्मग्लानी हो रही थी | वो समझ गयी थी रोहित के दिमाग में जो कुछ चल रहा है उसी को लेकर चल रहा है | अब उसने क्या क्या सोच रखा उसके बारे में तो बस रोहित ही जानता था |
रोहित - हेल्लो तुम फिर से कही खो गयी, कॉलेज वाला प्रोजेक्ट परेशान कर रहा है, इतना कहते ही रोहित ने रीमा को अपनी तरफ खीच लिया |
रीमा ने प्रतिरोध किया और अपनी जगह से हिली भी नहीं | रोहित को ही उसकी तरफ खिसककर जाना पड़ा | रीमा ने वही बैठे बैठे खुद को ही समेट लिया |
रोहित- देखो मैंने तो तुम्हे अपने दिल की बात साफगोई से बता दी, अब तुम भी बता दो न ब्यूटीफुल डार्लिंग, सच में तुम बेपनाह खूबसूरत हो डिअर |
अपनी तारीफ सुनकर रीमा ने मुस्कुराना चाहा लेकिन कण्ट्रोल कर ले गयी |
रोहित ने रीमा के चेहरे कोई हाव भाव न देख - माई मोस्ट ब्यूटीफुल रीमा डार्लिंग , किस बात की झिझक है, कौन सी चीज है जो तुम्हे मुझसे अपने दिल की बात बताने से रोक रही है | अब तो हमारे लंड और चूत में भी दोस्ती हो गयी है, दोनों जमकर गपियाते है एक दुसरे से |
रीमा हंस पड़ी |
रोहित - ये हुए न बात |
रोहित ने रीमा का हाथ थम लिया और उसके पास जाने लगा - जब हमारे लंड और चूत एक दुसरे से बाते कर सकते है, अपने डार्क से डार्क सीक्रेट शेयर कर सकते है तो हम क्यों नहीं | इतना कहकर एक हल्की चिकोटी काट ली, और उसके नंगे जिस्म के बिलकुल पास पंहुच गया | आपने एक हाथ से नंगी उसकी पीठ सहलाने लगा |
रीमा इतने सालो में अपने चेहरे के हावभाव छिपाना बखूबी जान गयी थी इसलिए उसके अन्दर की बात आजतक कोई जान नहीं पाया था | आज भी रीमा का वही स्किल रोहित के सामने पहाड़ बनकर खड़ा था | रोहित समझ ही नहीं पा रहा था की रीमा के अन्दर क्या चल रहा है वो रोहित के सामने पहेली बनकर कड़ी थी | रोहित भी हार मनाने वालो में से नहीं था |
उसने इमोशनल कार्ड खेलना शुरू किया |
रोहित - अच्छा ठीक है बाबा बस मेरे एक सवाल का जवाब दे दो फिर मै अपनी घर वापसी की तयारी शुरू करू | (उसका चेहरा अपने दोनों हाथो में लेते हुए, थोडा सा भावुक होकर) सीरियसली बताना, कैसा लग रहा है | सेक्स के बाद अच्छा फील कर रही हो, बुरा फील कर रही हो, आत्मग्लानी हो रही है, प्राउड फील कर रही हो, रिलैक्स फील कर रही जैसे बरसो का बोझ उतर गया, या अभी भी अन्दर तूफान उमड़ रहे है |
रीमा कैसे अपने दिल के भावो की बताये, उसने आज तक किसी को नहीं बताया अब कैसे बता दे ,उसने ये सब कभी नहीं किया था ये तो फिर रातो रात कैसे वो बदल जाएगी | है तो वही टिपिकल रीमा | उसने ख़मोशी बनाये रखी, और तिरछी कनखियों से एक बार रोहित को देखकर नजरे झुका ली |
रोहित - अच्छा चलो अपने प्रोजेक्ट के बारे में ही बताओ | लेकिन कुछ बोलो, खामोश मत रहो |
अब रीमा की ख़ामोशी पर रोहित को गुस्सा आने लगा - मेरी सांसे उखड़ गयी तुम्हे चोदने में, लंड छिल गया तुँमारी चूत का छेद नरम करने में और चूत की गहराई तक जाने में सर का पीसना पैर तक आ गया और तुम हो की एक शब्द बोलने में भी तुम्हे तकलीफ है |
रोहित रीमा को झटक के चला |
रीमा भी भावुकत से फट पड़ी - क्या चाहते हो रोहित ? मै तुमारे साथ रंडियों की तरह गन्दी गन्दी बाते करू | मुझसे नहीं होगा ये, मै रंडी नहीं हूँ | तुमने कहा कपडे मत पहनो, मैंने नहीं पहने, तुमने कहाँ काफी बनाकर लावो मै बनाकर लायी | बोलो अब और क्या चाहते हो | अभी भी कुछ करने को बचा है क्या ??????, सब कुछ तो कर चुके हो | क्या बाकि रह गया है, कुछ बाकि रह गया हो तो वो भी कर लो, मेरे रोकने से रुकोगे क्या ?
रोहित समझा गया चोट सही जगह लगी है - मैंने सिर्फ इतना पुछा था तुम्हे कैसा लगा ? तुम खुस हो | तुम संतुष्ट हो | तुम तृप्त हो | जिस चीज के लिए इतना तड़पी हो वो मिली या नहीं मिली |
रीमा भावुक हो गयी - एक दिन में इतना सब कुछ तो दे दिया है तुमने, क्या बोलू मै, मुझे नहीं पता मै तुमारे सवालो का क्या जवाब दूं | जो मिला है उसके लिए कोई शब्द नहीं होते, अगर होते भी होंगे तो मुझे नहीं पता | क्या जवाब दूं जिसके लिए मेरे पास शब्द ही नहीं है |
रोहित - ठीक है, तुम कंफ्यूज हो हमेशा की तरह | सिर्फ इतना बता दो तो फिर मै जाऊ या रुकू ? मै सिर्फ इसलिए पूछ रहा हूँ कि बाद में मत कहना की सब मर्द एक जैसे होते है, अपना काम निपटते ही औरत को भूल जाते है |
रीमा चुप रही | रोहित - अगर तुम्हे जरुरत है तो मै रुकू नहीं तो.................... ???
रीमा ने इस बार रोहित की बार पकड़ ली | वो समझ गयी अगर इसको जाना होता तो एक बार बोलकर चला गया होता | ये रुकना चाहता है लेकिन चाहता ये है मै बोलू रुकने के लिए | भावुक बैठी
रीमा के दिमाग में शरारत सूझी - मर्जी तुमारी, आये अपनी मर्जी से थे, तो जाने के लिए क्यों पूछ रहे हो | अगर इतना मन है रुकने का तो रुक क्यों नहीं जाते | मुझसे क्यों पूछ रहे हो ?
रोहित - रुककर भी क्या करू, तुमने तो बाथरूम से निकलने के बाद मौन ब्रत रख लिया है | या तो तुम्हे चुदाई पसंद नहीं आई ..........|
रीमा रोहित की बात बीच में ही काटती हुई बोली - रोहित बार बार एक ही बात क्यों बुलवाना चाहते हो मुझसे, मै नहीं बोलूगी , तुम मर्दों को जब तक चीख चीख कर न बताया जाये तुम्हे कुछ पता ही चलता | जो तुमने मुहे आज दिया क्या वो तुम्हे मेरी आँखों में नहीं दिखता क्या ? तुम तो बड़े एक्सपर्ट बनते हो औरतो को |
रोहित ने अपने अन्दर के सारे किन्तु परन्तु किनारे रख दिए | रीमा के पास आ गया, अपना बाया हाथ रीमा की पतली नाजुक कमर में डाल उसको अपने तरफ खीच लिया और उसके ओंठो पर अपने ओठ रख दिए | दुसरे हाथ से रीमा के स्तन को मसलने लगा | उसे समझ आ गया था कि अगर कुछ करना है तो कर डालो लेकिन पूछो मत, रीमा को चूमना है चाटना है चोदना है तो चूम लो चाट लो चोद दो लेकिन पूछो मत |
बाथरूम से आने के बाद से रोहित का लंड तो कभी ठीक से मुरझाया ही नहीं था, क्योंकि उसके मन में रीमा को दोबारा चोदने की इक्षा बरक़रार थी और होनी भी चाहिए | इतनी खूबसूरत औरत को कोई एक बार चोद के थोड़े ही छोड़ देता है | ऐसी खूबसूरत औरत के लिए तो कई राते भी कम पड़ जाती है | बार बार चोदने का मन करता है और तब तक इक्षा नहीं भरती जब तक शरीर का एक एक पुर्जा जवाब न दे दे |
रीमा ने भी प्रतिरोध नहीं किया, शायद उसके मन में भी कही न कही ये इक्षा थी, लेकिन उसको लेकर वो निश्चित नहीं थी | वो कंफ्यूज थी अपनी लालसा और मन के बीच में | मन मना कर रहा था लेकिन लालसा उसे उसी ओर खीचे ले जा रही थी | उसका जिस्म तृप्त हो चूका था मन भी तृप्त था लेकिन शायद मन के किसी कोने और ज्यादा तृप्ति की अभिलाषा बाकि थी, शायद वो रीमा से कह रही थी आज मौका मिला है निकाल लो बरसो की कसर | खूबसूरत औरतो को न केवल भरपूर चुदाई चाहिए बल्कि भरपूर तृप्ति भी चाहिए, लेकिन इसको लेकर वो हमेशा कंफ्यूज भी रहती है | जब कोई कर डालता है तब उन्हें समझ में आता है अच्छा मुझे ये चाहिए था | रीमा चुदी थी और अच्छे से बुरी तरह चुदी थी लेकिन अन्दर से आत्मा से तृप्त नहीं थी | उसकी काम लालसा अभी जिन्दा थी और शायद वो अभी और वासना का हवस का नंगा खेल खेलना चाहती थी | अपनी हदों से ज्यादा आगे जाकर शायद खुद को ही आईना दिखाना चाहती थी कि देख रीमा तूने खुद को बरसो किस खोखले रुई के जाल में बांध कर खुद को रोके रखा, तू एक नकली जिंदगी जी रही थी | तेरी असली जिंदगी ये है जो आज तेरे सामने है, जो तू हमेशा बनने की कोशिश करती थी वो तेरी बनावटी जिंदगी थी | इन्ही खयालो में खोई रीमा की तन्द्रा तब टूटी जब रोहित ने उसे अपनी बांहों की गिरफ्त में ले लिया |
रोहित ने अपने हाथो की गिरफ्त को और कस दिया, उसके स्तन पर सख्ती और बढ़ा दी | हालाँकि थोड़ी देर पहले ही मसले जाने से उन पर की लालिमा बस अभी छटना ही शुरू हुई थी, रोहित ने फिर से उन्हें मसलना शुरू कर दिया | दोनों के ओठ एक में गुथाम्गुथा थे | सांसे गरम होने लगी और गरम होकर एक में घुलने लगी | रोहित के जिस्म पर एक भी कपड़ा नहीं था और रीमा बस पैंटी पहने हुए थी | रोहित उसे उठाकर रीमा की चूत के ऊपर के चिकने हिस्से, जहाँ के बाल उसने बना डाले थे उस पर हाथ फेरने लगा
रोहित का लंड तनने लगा उसमे खून का दौरान बढ़ने लगा | रोहित रीमा को चुमते चुमते बिस्तर पर झुकाता चला गया | रोहित का सख्त होता लंड रीमा की बायीं जांघ पर ठोकरे मारने लगा | रीमा ने भी रोहित की पीठ पर हाथ जमा दिए और रोहित के ओंठो को चूमने लगी | रोहित और रीमा ने पलती खाई, अब रीमा रोहित के ऊपर थी, उसके सुडौल ठोस स्तन रोहित के भारी ठोस सीने से रगड़ खा रहे थे | रोहित रीमा के सर से लेकर चुताड़ो तक सहला रहा था | रीमा रोहित से कुछ कह रही थी - रोहित ये जो हम कर रहे है क्या ये सही है, मतलब इस तरह से हमें ये सब करना चाहिए क्या ?
रोहित रीमा को सहलाता रहा - सोचो मत जो मन में आये कर डालो, सोचने वाले ही पछताते रहते है जिंदगी भर | तुम्हे अच्छा लग रहा है न |
रीमा - हूँ, लेकिन ये ठीक नहीं है |
रोहित इस समय कुछ भी सुनने के मूड में नहीं था, उसने रीमा को छुप कराने के लिए पलट कर अपने नीचे कर लिया और उसके ओठो को कसकर चूमने लगा | रीमा भी बराबर रोहित का साथ देने लगी | वो पहले से ही वासना की मदहोशी से मस्त थी | रोहित के ओंठो के गरम चुम्बन ने उसके अन्दर हवस की वासना की तरंग दौड़ा दी |
रोहित ने रीमा की कमर के नीचे से बायाँ हाथ निकालकर रीमा के स्तन को मसलना शुरू कर दिया | रीमा दर्द से सिसक उठी | रोहित को अपनी गलती का अहसास हुआ | रोहित समझ गया, उसके स्तन पर बने नाख़ून के निशान के कारन उसे दर्द हुआ होगा | रोहित असमंजस में पड़ गया, रीमा का बदन तो दुःख रहा है अब कैसे चुदाई होगी | ऐसे आगे बढ़ा तो ये तो दर्द से कराहती ही रहेगी | मै सिर्फ अपनी प्यास ही थोड़े बुझाने आया हूँ | अगर रीमा को मजा नहीं आएगा तो अकेला मै मजे लेकर क्या करूगां | कुछ देर तक रीमा का स्तन थामे सोचता रहा | फिर एकदम से रीमा से अगल होकर बेड से उठकर चला गया | रीमा कुछ समझ नहीं पाई और बिस्तर पर ही पसर गयी |