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Adultery रीमा की दबी वासना
#64
दोनों पसीने से कई बार नहा चुके थे, रोहित अपने लंड को लंड रस से सनी चूत की गहराई में ठेल कर थका हुआ हाफता हुआ रीमा के ऊपर पसर गया और रीमा के नरम होंते स्तनों पर ही सर रखकर लेट गया | रीमा ने भी रोहित को बांहों में भर लिया और उसके बाल सहलाने लगी |
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 रीमा और रोहित दोनों की सांसे उखड़ी हुई थी, दोनों सांसो को काबू में करने लगे | रीमा अपनी चूत में वो अभी भी हलका कम्पन महसूस कर रही थी | रोहित का लंड रीमा की चूत के अन्दर ही सिकुड़ने लगा था | रीमा का पूरा शरीर इस तकलीफ भरी जोरदार चुदाई से  थक के चूर हो चूका था, उसकी कमर में हल्का हल्का दर्द भी हो रहा था | रीमा संतुष्ट थी तृप्त थी लेकिन उसे अजीब सा लग रह था, उसका देवर उसकी बांहों में पड़ा अपनी सांसे काबू में कर रहा था | उसने कभी सपने में भी सोचा नहीं था की वो अपने देवर से ही चुदेगी, उसकी वासना और हवस की पूर्ति उसका देवर करेगा | लेकिन अब उसकी हवस का पिटारा खुल चूका था, अब पीछे जाने का कोई मतलब नहीं रहा गया था | उसके देवर का मोटा लंड उसकी गीली चूत के अन्दर पड़ा हुआ, उसे लंड ही तो चाहिये था, चाहे आदमी का हो या बच्चे का, उसे खड़ा लंड चाहिए था  जो उसको चोद सके, जो उसकी चूत की गहराई तक जाकर उसकी चूत की दीवारों की मालिश कर सके, उसके औरतपन को लूट ले , उसके जिस्म को जीभर के भोगे सके, उसके स्तनों को जमकर निचोड़ सके, उसे उसके औरत का अहसास कराये, एक समपूर्ण औरत | उसके जिस्म की वासना को तृप्त करे, उसे एक तृप्त औरत का अहसास कराये | अब वो इस बात से इंकार नहीं कर सकती थी की वो एक औरत है और उसे अपनी वासना पूर्ति के लिए एक आदमी (लंड) की जरुरत है जो उसे चोद सके, उसे तृप्त कर सके, उसके जिस्म की भूख मिटा सके |

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 क्या वो जिंदगी के ऐसे दौर में पंहुच गयी जहाँ उसका अपनी कामनाओं, वासनाओं पर काबू नहीं रहा, क्या उसका शरीर उसके नियंत्रण से बाहर जा रहा है | क्या वो अपनी वासना और हवस की इस कदर गुलाम बन चुकी है की उसे न देवर के रिश्ते का कोई लिहाज रहा न उसके बेटे से | क्या उसके जीवन में नैतिकता के लिए अब कोई जगह नहीं बची है | क्या शरीर की हवस उसे तृप्त करना अब उसके जीवन लक्ष्य है, क्या वासना की आग मे तड़पते अपने बदन की आग बुझाना ही सबसे जरुरी है | क्या आने वाले दिनों में मै बिना लंड के रह पाउंगी | कही चुदाई मेरे जिस्म की ऐसी जरुरत तो नहीं बन जाएगी कि उसके लिए मै कोई भी हद पार कर जाऊ | क्या आने वाले दिनों में  रोहित और प्रियम के लंड मेरे जिस्म की जरुरत बन जायेगें, क्या मै उनके लंड की दासी बन जाउंगी | इतने सालो तक चुदाई के लिए तड़पी हूँ लेकिन क्या ये चुदाई अब मुझे अपना गुलाम तो नहीं बना लेगी |  मन में ऐसे न जाने कितने विचार आ जा रहे थे  | तभी उसने रोहित को अपना नरम हो चूका स्तन सहलाते चूसते देखा| उसकी तरफ देख कर हल्की स्माइल करी | रोहित स्तन के अलावा उसके बाकि शरीर पर भी हाथ फिरने लगा, उसका लम्बा मोटा लंड अब सिकुड़ कर धीरे धीरे चूत से खिसककर बाहर निकलने लगा था | रीमा तो चाहती थी की रोहित का लंड इसी तरह उसकी चूत की गहराई में घुसकर आराम फरमाता रहे, लेकिन ये संभव कहाँ था | रोहित के लंडरस और चूतरस से सने सिकुड़े लंड के निकलते ही रीमा की चिकनी सफाचट चूत से लंडरस और चूत रस का मिश्रण निकल कर बहने लगा | 

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रीमा रोहित के लंड रस को बेकार नहीं जाने देना चाहती थी, इसलिए उसने झट से उठकर उसका सारा लंड रस चूत के अन्दर से निचोड़ हथेली पर रख लिए, और पी गयी | जब वो खडी होने के लिए उठी तो उसके पांवों में लड्खाहट थी और उसकी नाभि के नीचे हो रहे दर्द का उसको अहसाह हुआ | इसलिए फिर से बेड पर पसर गयी  और रोहित से लिपट लेट गयी | दोनों एक दूसरे को सहलाने लगे | 

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रोहित के लिए रीमा को चोदना किसी स्वर्ग की सैर से कम नहीं था | रोहित रीमा की नाभि में उंगली घुमाते हुए – मजा आया रीमा|
रीमा - हूँ |
रोहित - क्या हूँ?
रीमा खामोश रही, उसे नहीं समझ आ रहा था क्या बोले, उसे हल्की हल्की शर्म भी लग रही थी | वो वहां से उठकर जाना चाहती थी लेकिन रोहित की गिरफ्त से निकलने का बहाना नहीं मिल रहा था |
 
रोहित - रीमा कुछ बोलो न, मजा आया न, दम निकल गया मेरा, कुछ तो बोलो | रोहित ने एक चिकोटी काट ली |
रीमा - आऔऊऊऊऊउच, क्या कर रहे हो |
रोहित - जो पूछ रहा हूँ उसका जवाब दो न |
रीमा - ऊऊफ़ बाबा  क्या बोलू मै |
रोहित - कुछ भी जो तुमारा मन करे, कुछ सेक्सी सा, कुछ गन्दा सा, बतावो न इतने सालो बाद चुदकर मजा आया कि नहीं |
रीमा शिकायत करते हुए- छी छी.......... तुम्हे अभी भी उसी की पड़ी है, तुम मर्दों को औरतो के मुहँ से ये सब सुनने में बड़ा मजा आता है | .......................
थोड़ा रूककर बताने लगी - मुझे क्या खाक मजा आया, जान निकाल दी अपने मुसल लंड से बच्चेदानी पर ठोकर मार मार कर, अभी भी दर्द हो रहा है | इतना बड़ा लंड था पूरा का पूरा एक झटके में ही पेल देते थे |
रोहित - चुदाई में लंड ही पेलते है ?
रीमा - हाँ लंड ही पलते है लेकिन ऐसे .................... मुझे तो चुदाई के कारन किसी बात का होश ही नहीं था, ऊपर से मेरी कमर उठा कर भी चोद दिया, जो कुछ बची कुची चूत फ़ैलने खिचने से रह गयी थी उसको भी चीर के फैला दिया | भला ऐसे भी कोई चोदता है, मेरी नाभि तक तुमारा वो मुसल लंड  आ रहा था, मैंने महसूस किया है, मेरी चूत है कोई नरम मांस की सुरंग नहीं की अपना लंड पेलते ही जावो पेलते ही जावो | एक ही झटके में पूरा लंड चूत में पेल देते थे कलेजा मुहँ को आ जाता था | बच्चे दानी पर पक्का है सुजन आ गयी होगी, इतनी बेदर्दी से ठोकरे मारी है जान ही निकल जाती थी | अभी उठने को हुई, खड़ी भी न हो पाई | लगता है अगले दो तीन दिन तो ठीक से नहीं ही चल पाऊँगी | 
रोहित - ड्रामा क्यों करती हो, कुछ भी तो नहीं हुआ है | अभी देखना कैसे चूतड़ उछाल उछाल कर चलोगी |
रीमा - तुम्हें कैसे पता चलेगा, लंड घुसता तो मेरे अन्दर था न, मेरा जिस्म गरम था और मेरी चूत भी गरम थी इसलिए ले लिया पूरा लंड अपने अन्दर  लेकिन अब उसकी दीवारों में भी दर्द होना शुरू हो गया है |
रोहित सफाई देता हुआ – अरे तुम्ही ने तो कहा था हचक हचक के चोद दो, चूत की गहराई तक | मैंने चोद दिया |
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रीमा-हाँ मैंने कहा था ताकि तुम थोडा निश्चिन्त होकर चुदाई करो, इसका ये मतलब नहीं था की मेरी बच्चेदानी ठोकरे मार के सुजा दो |
रोहित- अब ठीक से नहीं चोदता तो शिकायत करती, की चोदने में कसर क्यों छोड़ दी | और अगर तुम्हे दर्द हो रहा था तो बोली क्यों नहीं|
रीमा –अब तुम्हे क्या डिस्टर्ब करते, तुम मन लगाकर मेरी नाजुक से चूत को ऐसे  चोद रहे थे, जैसे जिंदगी में आखिरी बार हो,  इसलिए मैंने सोचा मै ही दर्द बर्दाश्त कर लू |
रोहित- तो अब शिकायत क्यों कर रही हूँ |
रीमा- मुझे लगा तुम समझोगे, तुम मर्द बस एक ही बात को ठीक से समझते हो लंड को चूत में कैसे पेलना है और कैसे चूत को चोदना है बाकि कुछ तुमारे पल्ले पड़ता ही नहीं | तुम्हे औरत के जिस्म में उस छेद के अलावा और कुछ दिखाई ही नहीं देता | भरा पूरा हांड मांस का जिस्म होता है, जैसे तुमारा है वैसे मेरा है | फिर भी जैसे ही लंड से गरम लावा निकलता है तुम मर्दों की बुद्धि के दरवाजे बंद हो जाते है |
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रोहित हसने लगा-दर्द में ही तो मजा है, इतना पेल के इतनी अन्दर तक अगर तुमको न चोदता तो अभी भी तुम मेरा लंड हाथो मे लेकर सहला रही होती, तुमारी चुदास ख़तम नहीं होती|
रीमा – तुम सब मर्द एक जैसे होते हो, बस तुम्हे चूत से मतलब है औरत की, उसके नाजुक बदन की कोई परवाह ही नहीं, न ही उसकी भावनाओं की कोई क़द्र है | अपना पेट भर जाये, बस एक बार चोद लो फिर अगली चुदाई तक औरत जिन्दा है या मर गयी, कोई मतलब नहीं रहता  | रीमा  उसने करवट बदल ली | 

रोहित - ऐसा नहीं है |
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रोहित ने उसको पीछे से बांहों में भर लिया | उसका सिकुड़ा हुआ लंड रीमा के चुतड में छु रहा था | पता नहीं अब आगे क्या होने वाला था | रीमा रोहित की गिरफ्त से आजाद होकर उठकर नहाने के लिए जाने लगी | बेड से उठकर रीमा ने अपने आप को आईने में देखा, जितना वो सुबह से शाम तक सजी धजी थी सब रोहित ने लूट लिया , उसने अपनी छाती करीब को शीशे के करीब करते हुए, स्तनो पर  नाखूनों से बने निशान देखने लगी, फिर एक टांग ऊठा कर नीचे चूत देखने लगी, उसकी गुलाबी चूत गहरे लाल रंग की लालिमा लिए हुए थी, ये उस मोटे लंड से बुरी तरह कुचलने मसलने की कारन हुआ था | उसकी चूत में हल्की सी सुजन सी आ गयी थी, और ये  उसकी हवस की तृप्ति की ये एक छोटी सी कीमत थी |


रीमा और रोहित दोनों ही पसीने से नहा गए थे | बुरी तरह मसलने के कारन रीमा के सुडौल स्तन लाल हो गए थे उसके सपाट पेट पर भी लालिमा छाई हुई थी और चुताड़ो पर हाथो की छाप पड़ी हुई थी | चूत में हल्की सुजन थी | रीमा बुरी तरह पस्त हो चुकी थी, उसमे अब उठने चलने की दम नहीं बची थी | रोहित ने सहारा देकर रीमा को उठाया | रीमा शावर ने नीचे जाकर नहाने लगी और रोहित उसके नंगे गोरे बदन को  देखता रहा | रीमा बॉडी क्लीनर लगाकर नहाने लगी | रोहित एकटक उसके बदन  से फिसलती पानी की बुँदे या साबुन का झाग देख रहा था |   


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हथेलियों के जरा सा ज्यादा दबाव पड़ते ही रीमा सिसक उठती |फिर रीमा वैसे ही पानी से भीगी हुई बाथरूम से बेडरूम की तरफ चल दी | रीमा के जाते ही रोहित अपने कपड़े समेटने लगा और रीमा के पीछे पीछे हो लिया | रीमा के मटकते कुल्हे बलखाती कमर देख अन्दर तक दिल बाग़ बाग़ हो गया | 

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रीमा ने टॉवल से खुद को सुखाया और बेड पर धड़ाम होने ही जा रही थी की रोहित ने काफी मांग ली - रीमा अगर बना सकती तो एक कप काफी पिला दो | रीमा चुदाई से पस्त थी, लेकिन मन से पूरी तरह तृप्त और मस्त थी और उसका कारन भी रोहित ही था | इसलिए रोहित को इंकार नहीं कर सकी | रीमा पैंटी पहन चुकी थी और टॉप पहनने जा रही थी तभी रोहित ने उसका हाथ थम लिया - तुम ऐसे ही बला की खूबसूरत लग रही हो कपडे पहनने की किया जरुरत है | 
रीमा - हद है अब मै कपड़े भी न पहनू, नंगी घूमती रहू |
रोहित - इसमें अलग क्या है, मै भी नंगा ही हूँ | 
रोहित रीमा को सेक्सी नजरो से देखता हुआ रिक्वेस्ट करने लगा  - हम बस दो ही लोग तो है यहाँ, दो हम दोनों फिर जरुरत क्या है |
रीमा समझ गयी थी रोहित उसे नंगा ही देखना चाहता है बनावटी चिढ़न दिखाते हुए  - हाँ मुझे नंगा रखा चाहते हो तो तुम भी नंगे ही रहोगे वरना सोच लेना |
रोहित हँसते हुए - जैसा हुक्म मेरी मलिका | जब तक आपका हुक्म नहीं होगा मै कपड़ो को पहनना तो दूर हाथ भी नहीं लगाऊंगा |
रीमा - नौटंकी करवा लो बस |
इतना कहकर रोहित ने रीमा को बेड पर गिरा दिया और उसकी पैंटी उतारने की नाकाम कोशिश करने लगा | 
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रीमा उसे धक्का देती हुई उठी और किचन में चली गयी | रीमा हलके कदमो से अन्दर ही अन्दर मुस्कुराती हुई किचन में चली गयी | रोहित वहां तक देखता रहा, जहाँ तक उसके ठोस सुडौल चूतडो का उठना गिरना उसे दिखता रहा |
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RE: रीमा की दबी वासना - by vijayveg - 06-01-2019, 07:37 PM



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