02-08-2019, 09:36 PM
(This post was last modified: 30-11-2020, 12:58 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
घर का नाम
मम्मी उसे रगड़ते हुए उन्हें समझा रही ये तेरी मेल चूत है इसे एकदम मस्त रखना ,साफ़ सुथरी ,मुलायम और रोज ऊँगली डाल के अंदर तक वैसलीन ,.. क्या पता किस दिन इसका नंबर लग जाए , और फिर मैं चेक भी करती रहूंगी। जैसे तेरी बहन अपने चूत को मक्खन की तरह मुलायम रखती है न एकदम उसी तरह ,समझ गयी। "
उन्होंने जोर से हामी में सर हिलाया।
" यार इसका एक घर का नाम भी रख देते हैं न पुकारने का ,.. "
और मैंने भी हामी में सर हिलाया।
कुछ देर तक हम माँ बेटी राय मशविरा करते रहे ,फिर मैंने ही मॉम को राय दी ,
" मम्मी इन्ही से पूछ लेते हैं न "
और मम्मी ने इन्ही से पूछ लिया और सही भी किया ,आखिर उनका मुंह हम लोगों ने खोल तो दिया था न।
" हे बोल साल्ले , तुझे अपना माल , वो तेरी ममेरी बहन ,उसकी छोटी छोटी चूंचियां मस्त लगती हैं न ,"
" हाँ मम्मी ,"
मुस्करा के बोले वो।
" बोल दिलवा दूंगी तो चोदेगा न अपनी उस छिनार ममेरी बहन को "
मॉम ने फिर साफ़ किया।
" हाँ ,मम्मी एकदम चोदूगा। "
उन्होंने न सिर्फ जोर जोर से सर हिलाया बल्कि मुंह खोल के भी बोला।
" चीखे चिल्लायेगी ,चूतड़ पटकेगी , जबरदस्ती चोदना पडेगा ,एकदम कोरी चूत होगी उसकी। "
मम्मी एकदम पीछे पड़ गयी थीं कबूलवाने के।
" हाँ मम्मी चाहे जो कुछ करे ,बिन चोदे छोडूंगा नहीं उसको। "
अब वो एकदम मूड में आ गए थे।
मम्मी उन्हें छोड़ के मेरे पास आगयी और मुझसे बोलीं ,
" बस अब पक्का , इसका घर का नाम बहनचोद, हम तुम इसे घर। इसी नाम से बुलाएंगे। क्यों हैं न अच्छा नाम। "
जवाब उनकी ओर से मैंने दिया ,
" हाँ मम्मी एकदम मीठा सा नाम है , और सिर्फ अपने घर में ही नहीं इनके मायके में भी मैं तो इन्हें इसी नाम से बुलाऊंगी ,क्यों बहनचोद ठीक है न। "
मैंने उनसे बोला।
और गौने की दुल्हन की तरह वो झेंप गए।
मैंने क्रेयान उठाया और मोटा मोटा सुनहले ,लाल रंग से उनकी छाती पर लिख दिया 'बहनचोद ' और फिर उसे टैटूज़ के कलर से आलमोस्ट पक्का कर दिया।
लेकिन मम्मी का ध्यान एक बार फिर गोलकुंडा की तरफ चला गया था। सहलाते हुए बोलीं
" तेरी असली चीज तो यही है , तेरी माँ के भोंसडे और बहन की चूत से कम रसीला नहीं है ये "
और फिर उन्होंने उसमें ऊँगली घसेड़ने की नाकामयाब कोशिश की /
पास में एक टेबल पर ढेर सारी मोमबत्तिया रखी थीं ,हर साइज की ,हर मोटाई की।
मैं उनका इरादा समझ के झट से उनके पास गयी और कान में फुसफुसाया ,
कुछ देर में मेरी बात मान गयी और एक पतली सी मोमबत्ती , ( एक ऊँगली के बराबर मोटी रही होगी ) लेकर जबरदस्ती उनकी गांड में पेल दिया और बत्ती वाला हिस्सा बाहर था।
मम्मी ने एक लाइटर जलाया ,
" बोल माँ के भंडुए , जला दूँ ये मोमबत्ती "
वो बिचारे सिहर गए।
" तो सुन ,अगले आधे घण्टे तक ,बिना रुके अपने घर की सारी लड़कियों का नाम ले ले के ,सारी औरतों का ,तेरी बहने लगे , तेरी बुआ मौसी चाची लगें सब , ..."
" जिनकी अभी झांटे नहीं निकलना शुरू हुयी हैं वो भी , मेरे पास पूरी लिस्ट है , सब का नाम ले के "
मैंने भी जोड़ा।
" अपना नाम ले के ,अपनी ससुराल के मर्दों का नाम ले के , एक से एक गाली , और अगर रुके तो बस सोच ले , .... " मम्मी ने बोला ,और चूतड़ पर स्पैंकिंग चालु कर दी।
अगर किसी का नाम अवॉयड करने की वो कोशिश करते तो मैं बता देती और बोल भी देती ,
" ये मत सोच छोटी है तो चुदेगी नहीं , चोद चोद के बड़ी करवा दूंगी। "
आधी से ज्यादा रात बीत चुकी थी।
आधे घंटे से ज्यादा ही मम्मी ने उनसे गाली दिलाई ,चूतड़ पे हाथ जमाये ,
और फिर हम दोनों बिस्तर पर जाके बैठ गए , पास में ही।
दो घंटे से ऊपर हो गए थे उन्हें झूले में बंधे।
" इसकी बहुत सेवा कर दी हम दोनों ने अब इससे सेवा करवाते हैं। " मम्मी बोलीं
और मैंने भी हामी भर दी। बिचारे इतने देर से ,...
" चल बहनचोद तू भी क्या याद करेगा " और मम्मी ने उनके हाथ पैर खोल दिया।
हाँ उनका 'वो ' अभी भी बंधा था।
हाँ जब वो बिस्तर के पास आये तो बस उन्हें झुका के मम्मी ने एक बार फिर उनका हाथ उनके घुटने से बाँध दिया।
बड़ी रिक्वेस्ट की उन्होंने तो मम्मी ने अपना पैर उनकी और बढ़ाया ,
क्या मम्मी की सैंडल की चटाई की ,एकदम स्पिट क्लीन
मम्मी उसे रगड़ते हुए उन्हें समझा रही ये तेरी मेल चूत है इसे एकदम मस्त रखना ,साफ़ सुथरी ,मुलायम और रोज ऊँगली डाल के अंदर तक वैसलीन ,.. क्या पता किस दिन इसका नंबर लग जाए , और फिर मैं चेक भी करती रहूंगी। जैसे तेरी बहन अपने चूत को मक्खन की तरह मुलायम रखती है न एकदम उसी तरह ,समझ गयी। "
उन्होंने जोर से हामी में सर हिलाया।
" यार इसका एक घर का नाम भी रख देते हैं न पुकारने का ,.. "
और मैंने भी हामी में सर हिलाया।
कुछ देर तक हम माँ बेटी राय मशविरा करते रहे ,फिर मैंने ही मॉम को राय दी ,
" मम्मी इन्ही से पूछ लेते हैं न "
और मम्मी ने इन्ही से पूछ लिया और सही भी किया ,आखिर उनका मुंह हम लोगों ने खोल तो दिया था न।
" हे बोल साल्ले , तुझे अपना माल , वो तेरी ममेरी बहन ,उसकी छोटी छोटी चूंचियां मस्त लगती हैं न ,"
" हाँ मम्मी ,"
मुस्करा के बोले वो।
" बोल दिलवा दूंगी तो चोदेगा न अपनी उस छिनार ममेरी बहन को "
मॉम ने फिर साफ़ किया।
" हाँ ,मम्मी एकदम चोदूगा। "
उन्होंने न सिर्फ जोर जोर से सर हिलाया बल्कि मुंह खोल के भी बोला।
" चीखे चिल्लायेगी ,चूतड़ पटकेगी , जबरदस्ती चोदना पडेगा ,एकदम कोरी चूत होगी उसकी। "
मम्मी एकदम पीछे पड़ गयी थीं कबूलवाने के।
" हाँ मम्मी चाहे जो कुछ करे ,बिन चोदे छोडूंगा नहीं उसको। "
अब वो एकदम मूड में आ गए थे।
मम्मी उन्हें छोड़ के मेरे पास आगयी और मुझसे बोलीं ,
" बस अब पक्का , इसका घर का नाम बहनचोद, हम तुम इसे घर। इसी नाम से बुलाएंगे। क्यों हैं न अच्छा नाम। "
जवाब उनकी ओर से मैंने दिया ,
" हाँ मम्मी एकदम मीठा सा नाम है , और सिर्फ अपने घर में ही नहीं इनके मायके में भी मैं तो इन्हें इसी नाम से बुलाऊंगी ,क्यों बहनचोद ठीक है न। "
मैंने उनसे बोला।
और गौने की दुल्हन की तरह वो झेंप गए।
मैंने क्रेयान उठाया और मोटा मोटा सुनहले ,लाल रंग से उनकी छाती पर लिख दिया 'बहनचोद ' और फिर उसे टैटूज़ के कलर से आलमोस्ट पक्का कर दिया।
लेकिन मम्मी का ध्यान एक बार फिर गोलकुंडा की तरफ चला गया था। सहलाते हुए बोलीं
" तेरी असली चीज तो यही है , तेरी माँ के भोंसडे और बहन की चूत से कम रसीला नहीं है ये "
और फिर उन्होंने उसमें ऊँगली घसेड़ने की नाकामयाब कोशिश की /
पास में एक टेबल पर ढेर सारी मोमबत्तिया रखी थीं ,हर साइज की ,हर मोटाई की।
मैं उनका इरादा समझ के झट से उनके पास गयी और कान में फुसफुसाया ,
कुछ देर में मेरी बात मान गयी और एक पतली सी मोमबत्ती , ( एक ऊँगली के बराबर मोटी रही होगी ) लेकर जबरदस्ती उनकी गांड में पेल दिया और बत्ती वाला हिस्सा बाहर था।
मम्मी ने एक लाइटर जलाया ,
" बोल माँ के भंडुए , जला दूँ ये मोमबत्ती "
वो बिचारे सिहर गए।
" तो सुन ,अगले आधे घण्टे तक ,बिना रुके अपने घर की सारी लड़कियों का नाम ले ले के ,सारी औरतों का ,तेरी बहने लगे , तेरी बुआ मौसी चाची लगें सब , ..."
" जिनकी अभी झांटे नहीं निकलना शुरू हुयी हैं वो भी , मेरे पास पूरी लिस्ट है , सब का नाम ले के "
मैंने भी जोड़ा।
" अपना नाम ले के ,अपनी ससुराल के मर्दों का नाम ले के , एक से एक गाली , और अगर रुके तो बस सोच ले , .... " मम्मी ने बोला ,और चूतड़ पर स्पैंकिंग चालु कर दी।
अगर किसी का नाम अवॉयड करने की वो कोशिश करते तो मैं बता देती और बोल भी देती ,
" ये मत सोच छोटी है तो चुदेगी नहीं , चोद चोद के बड़ी करवा दूंगी। "
आधी से ज्यादा रात बीत चुकी थी।
आधे घंटे से ज्यादा ही मम्मी ने उनसे गाली दिलाई ,चूतड़ पे हाथ जमाये ,
और फिर हम दोनों बिस्तर पर जाके बैठ गए , पास में ही।
दो घंटे से ऊपर हो गए थे उन्हें झूले में बंधे।
" इसकी बहुत सेवा कर दी हम दोनों ने अब इससे सेवा करवाते हैं। " मम्मी बोलीं
और मैंने भी हामी भर दी। बिचारे इतने देर से ,...
" चल बहनचोद तू भी क्या याद करेगा " और मम्मी ने उनके हाथ पैर खोल दिया।
हाँ उनका 'वो ' अभी भी बंधा था।
हाँ जब वो बिस्तर के पास आये तो बस उन्हें झुका के मम्मी ने एक बार फिर उनका हाथ उनके घुटने से बाँध दिया।
बड़ी रिक्वेस्ट की उन्होंने तो मम्मी ने अपना पैर उनकी और बढ़ाया ,
क्या मम्मी की सैंडल की चटाई की ,एकदम स्पिट क्लीन