02-08-2019, 10:35 AM
Update 31
रेशमा को मैं ने क्या बताया और क्यूँ बताया ,
मैं खुद कन्फ्यूज़ था कि मैं कर क्या रहा हूँ
क्या मैं रेशमा को पाना चाहता हूँ या फिर हमेशा के लिए कौना चाहता हूँ
रेशमा के साथ बिताए कुछ दिनो मे कभी लगता कि रेशमा के साथ सेक्स करूँ तो कभी लगता बस
उसको ख़ुसी दूं
कभी सेक्स का ख़याल आता तो कभी सेक्स मेरे दिमाग़ से निकल जाता
रेशमा के साथ इतनी अच्छी दोस्ती हो गयी कि मैं इस दोस्ती को खोना ही नही चाहता था
पर अब रेशमा क्या मेरे साथ दोस्ती रखेगी
मैं ने उसको ये भी बताया कि सच बताने के बाद वो मुझे शरीफ समझेगी और मेरे करीब आ
जाएगी
मेरे जवाब से उसके सवाल भी कन्फ्यूज़ हो गये होंगे
मैं तो पहले भी सो नही पाया और अब भी सो नही पा रहा था
रेशमा मेरे बारे में क्या सोचती है ये कल सुबह पता चलेगा , क्यूँ कि कल सुबह मैं उसको
जॉगिंग के लिए बुलाने नही जाउन्गा
क्या वो मेरा इंतज़ार करेंगी या मुझे बुलाने आएगी या मुझे भूल जाएगी
यही सोचेते सोचते सुबह हो गई
मेरे मोबाइल मे अलार्म बजने लगा , जॉगिंग का टाइम हो गया
पर मैं तैयार नही हुआ ,
मैं इस इंतज़ार मे था कि रेशमा मुझे खुद बुलाने आए , ऐसा हुआ तो समझूंगा कि वो मेरी दोस्त
है
पर टाइम बीतने लगा
ना रेशमा मुझे बुलाने आई और ना मैं उसके यहाँ गया
एक एक सेकेंड बड़ा दर्द दे रहा था
लगता कि अभी उठ कर जाउ और रेशमा से माफी माँग कर दोस्ती बनाए रखने की बात कहूँ
फिर लगता कि अब इस दोस्ती को प्यार का नाम मिलना चाहिए
इस दुविधा मे सूरज भी निकल गया
मैं अपने अपार्टमेंट के हॉल मे चक्कर लगाता गया
कभी बाल्कनी मे जाकर देखता कि रेशमा मुझे देखने आई कि नही
तो कभी रूम से बाहर आकर रेशमा के डोर के की होल से अंदर ज़ाकने का दिल करता पर डोर
से ही वापस आजाता
मुझे तो अब डर लग रहा था कि मैं कही रेशमा की वजह से देवदास ना बन जाउ
अगर ऐसे ही रेशमा के बारे में सोचता रहा तो मेरा फ्यूचर ब्लॅंक हो जाएगा
पर अब रेशमा को इतने जल्दी दिमाग़ से निकाल भी नही सकता था
पहले भी मैं रेशमा के बिना जीता था और अब भी जी सकता हूँ , मुश्किल होगा पर करना होगा
अगर कुछ ज़्यादा ही प्राब्लम हुई तो मैं कुछ दिनो के लिए अपने गाओं चला जाउन्गा
वहाँ माँ भाभी मेरी गर्लफ्रेंड के प्यार से रेशमा को भूल जाउन्गा
यही सोच कर मैं ऑफीस जाने को तैयार हो गया
आज तो टी और नाश्ता भी नही मिला
रोज रेशमा के हाथो की टी पीने की आदत पड़ गयी थी
रेशमा के हाथो के नाश्ते की याद आ रही थी
पर आज से वो टेस्टी नाश्ता बंद , बंद मतलब नंद
और मैं ऑफीस जाने के लिए अपने फ्लॅट से बाहर आ गया
जैसे मैं डोर को लॉक करके पलटा तो मुझे रेशमा दिखाई दी
रेशमा भी ऑफीस जा रही थी
रेशमा ने मुझे बुलाया ही नही ऑफीस जाने को
रोज तो साथ ही जाते थे , या फिर बता देते कि ऑफीस जा रहे है
पर रेशमा के ऐसे बिना बात किए जाने का क्या मतलब हो सकता है वो मैं समझ गया था
रेशमा ने पलट कर मेरी तरफ देखा
उसकी आँखो मैं पढ़ ही नही पाया
अगर पढ़ पाता तो वो मेरी बाहों मे होती
रेशमा लिफ्ट का इंतज़ार कर रही थी
उसके वहाँ होने से मैं ने सीडियो के तरफ अपने पैर बढ़ाए
रेशमा छुपके मुझे देख रही थी ऐसा लग रहा था पर मैं ने ध्यान ही नही दिया
और सीडियो से नीचे जाने लगा
रेशमा को कैसा लगा होगा ये मैं सोच नही पाया
शायद वो चाहती हो कि मैं उसे बात करके एक बार माफी मांगू
पर अब बहुत हो गयी दोस्ती , अब दोस्ती नही प्यार होगा , और मैं कुछ भी ग़लत नही किया तो माफी
क्यू मांगू
रेशमा को ही पता था कि अब दोस्ती के लिए कोई जगह नही है
वो शादीशुदा थी
वो किसी की अमानत थी
वो धोका देने वालो मे से नही थी
पर उसका अकेलापन उसको धोका देने को कह रहा था
मैं गुस्से मे सीडियो से तेज नीचे आया या लिफ्ट स्लो नीचे आई पता नही , लेकिन फिर से हमारी नज़र
आपस मे टकराई
नज़र मिलते ही अपने आप एक दूसरे का नाम ज़ुबान पर आने वाला था कि हमारे पैर एक दूसरे से दूर
ले जाने लगे
रेशमा मुझे ऑफीस मे छोड़ देती थी लेकिन अब तो मुझे बस फिर ट्रेन का ईस्तमाल करना होगा
मैं बस स्टॉप पर खड़ा था जहाँ से मुझे रेशमा पिक करती थी
आज भी रेशमा अपनी कार यहीं से लेकर जाएगी
जैसे रेशमा को मैं बस स्टॉप पर खड़ा दिखा तो उसका पैर ब्रेक पर चला गया
रेशमा की कार रुक गयी
रेशमा की कार रुकते ही मैं खुश हुआ था
मैं अपना पैर उठाया कार तक जाने को कि रेशमा ने कार आगे ले ली
और मैं बस देखता रह गया और रेशमा मेरे आँख से ओझल हो गयी
रेशमा के चेहरे की हँसी गायब हो गयी थी
मेरे ना होने से उसका अकेलापन अब उसको फिर से खाने लग जाएगा
मैं रेशमा को बुला कर अपने ऑफीस के कामों पर ध्यान देने लगा
पर आज कही दिल नही लग रहा था
सोचा कि माला को कॉल करूँ
पर जैसे मोबाइल हाथ मे आया तो रेशमा और मेरी फोटो जो वॉलपेपर था वो मेरे सामने आ
गयी
रेशमा को देखते ही मैं उसी मे खो गया
रेशमा के साथ क्या हो रहा होगा पता नही
ऑफीस टाइम मे रेशमा के मेसेज आ जाते थे पर आज ऐसा कुछ नही हुआ
कभी लगता कि मैं ने खुद अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारी है
पर लगता कि मुझे रेशमा के साथ खेलने का क्या हक है
रेशमा एक पहेली सी बन गयी थी
उस पहेली को जितना सॉल्व करने का सोचता हूँ उतना उलझ जाता हूँ
रेशमा को मैं भूल पाउन्गा कि नही ये तो वक्त ही बताएगा
शायद मैं सोच सोच रहा था कि अब उसने आगे आकर बात करनी चाहिए
और रेशमा सोच रही होगी कि मैं उसको उसको इग्नोर कर रहा हूँ
पर ये मैं कर क्या रहा था
मेरे दिमाग़ मे रेशमा से दूर जाने ख़याल कैसे आया मुझे ही नही पता
रात गयी बात गयी इस रूल के हिसाब से मुझे रेशमा के साथ नयी शुरुआत करनी चाहिए थी
पर अब दोस्ती हो ही नही सकती
और अब मैं बस रेशमा के साथ सेक्स करना नही चाहता
रेशमा के दिल मे रहना चाहता हूँ
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रेशमा को मैं ने क्या बताया और क्यूँ बताया ,
मैं खुद कन्फ्यूज़ था कि मैं कर क्या रहा हूँ
क्या मैं रेशमा को पाना चाहता हूँ या फिर हमेशा के लिए कौना चाहता हूँ
रेशमा के साथ बिताए कुछ दिनो मे कभी लगता कि रेशमा के साथ सेक्स करूँ तो कभी लगता बस
उसको ख़ुसी दूं
कभी सेक्स का ख़याल आता तो कभी सेक्स मेरे दिमाग़ से निकल जाता
रेशमा के साथ इतनी अच्छी दोस्ती हो गयी कि मैं इस दोस्ती को खोना ही नही चाहता था
पर अब रेशमा क्या मेरे साथ दोस्ती रखेगी
मैं ने उसको ये भी बताया कि सच बताने के बाद वो मुझे शरीफ समझेगी और मेरे करीब आ
जाएगी
मेरे जवाब से उसके सवाल भी कन्फ्यूज़ हो गये होंगे
मैं तो पहले भी सो नही पाया और अब भी सो नही पा रहा था
रेशमा मेरे बारे में क्या सोचती है ये कल सुबह पता चलेगा , क्यूँ कि कल सुबह मैं उसको
जॉगिंग के लिए बुलाने नही जाउन्गा
क्या वो मेरा इंतज़ार करेंगी या मुझे बुलाने आएगी या मुझे भूल जाएगी
यही सोचेते सोचते सुबह हो गई
मेरे मोबाइल मे अलार्म बजने लगा , जॉगिंग का टाइम हो गया
पर मैं तैयार नही हुआ ,
मैं इस इंतज़ार मे था कि रेशमा मुझे खुद बुलाने आए , ऐसा हुआ तो समझूंगा कि वो मेरी दोस्त
है
पर टाइम बीतने लगा
ना रेशमा मुझे बुलाने आई और ना मैं उसके यहाँ गया
एक एक सेकेंड बड़ा दर्द दे रहा था
लगता कि अभी उठ कर जाउ और रेशमा से माफी माँग कर दोस्ती बनाए रखने की बात कहूँ
फिर लगता कि अब इस दोस्ती को प्यार का नाम मिलना चाहिए
इस दुविधा मे सूरज भी निकल गया
मैं अपने अपार्टमेंट के हॉल मे चक्कर लगाता गया
कभी बाल्कनी मे जाकर देखता कि रेशमा मुझे देखने आई कि नही
तो कभी रूम से बाहर आकर रेशमा के डोर के की होल से अंदर ज़ाकने का दिल करता पर डोर
से ही वापस आजाता
मुझे तो अब डर लग रहा था कि मैं कही रेशमा की वजह से देवदास ना बन जाउ
अगर ऐसे ही रेशमा के बारे में सोचता रहा तो मेरा फ्यूचर ब्लॅंक हो जाएगा
पर अब रेशमा को इतने जल्दी दिमाग़ से निकाल भी नही सकता था
पहले भी मैं रेशमा के बिना जीता था और अब भी जी सकता हूँ , मुश्किल होगा पर करना होगा
अगर कुछ ज़्यादा ही प्राब्लम हुई तो मैं कुछ दिनो के लिए अपने गाओं चला जाउन्गा
वहाँ माँ भाभी मेरी गर्लफ्रेंड के प्यार से रेशमा को भूल जाउन्गा
यही सोच कर मैं ऑफीस जाने को तैयार हो गया
आज तो टी और नाश्ता भी नही मिला
रोज रेशमा के हाथो की टी पीने की आदत पड़ गयी थी
रेशमा के हाथो के नाश्ते की याद आ रही थी
पर आज से वो टेस्टी नाश्ता बंद , बंद मतलब नंद
और मैं ऑफीस जाने के लिए अपने फ्लॅट से बाहर आ गया
जैसे मैं डोर को लॉक करके पलटा तो मुझे रेशमा दिखाई दी
रेशमा भी ऑफीस जा रही थी
रेशमा ने मुझे बुलाया ही नही ऑफीस जाने को
रोज तो साथ ही जाते थे , या फिर बता देते कि ऑफीस जा रहे है
पर रेशमा के ऐसे बिना बात किए जाने का क्या मतलब हो सकता है वो मैं समझ गया था
रेशमा ने पलट कर मेरी तरफ देखा
उसकी आँखो मैं पढ़ ही नही पाया
अगर पढ़ पाता तो वो मेरी बाहों मे होती
रेशमा लिफ्ट का इंतज़ार कर रही थी
उसके वहाँ होने से मैं ने सीडियो के तरफ अपने पैर बढ़ाए
रेशमा छुपके मुझे देख रही थी ऐसा लग रहा था पर मैं ने ध्यान ही नही दिया
और सीडियो से नीचे जाने लगा
रेशमा को कैसा लगा होगा ये मैं सोच नही पाया
शायद वो चाहती हो कि मैं उसे बात करके एक बार माफी मांगू
पर अब बहुत हो गयी दोस्ती , अब दोस्ती नही प्यार होगा , और मैं कुछ भी ग़लत नही किया तो माफी
क्यू मांगू
रेशमा को ही पता था कि अब दोस्ती के लिए कोई जगह नही है
वो शादीशुदा थी
वो किसी की अमानत थी
वो धोका देने वालो मे से नही थी
पर उसका अकेलापन उसको धोका देने को कह रहा था
मैं गुस्से मे सीडियो से तेज नीचे आया या लिफ्ट स्लो नीचे आई पता नही , लेकिन फिर से हमारी नज़र
आपस मे टकराई
नज़र मिलते ही अपने आप एक दूसरे का नाम ज़ुबान पर आने वाला था कि हमारे पैर एक दूसरे से दूर
ले जाने लगे
रेशमा मुझे ऑफीस मे छोड़ देती थी लेकिन अब तो मुझे बस फिर ट्रेन का ईस्तमाल करना होगा
मैं बस स्टॉप पर खड़ा था जहाँ से मुझे रेशमा पिक करती थी
आज भी रेशमा अपनी कार यहीं से लेकर जाएगी
जैसे रेशमा को मैं बस स्टॉप पर खड़ा दिखा तो उसका पैर ब्रेक पर चला गया
रेशमा की कार रुक गयी
रेशमा की कार रुकते ही मैं खुश हुआ था
मैं अपना पैर उठाया कार तक जाने को कि रेशमा ने कार आगे ले ली
और मैं बस देखता रह गया और रेशमा मेरे आँख से ओझल हो गयी
रेशमा के चेहरे की हँसी गायब हो गयी थी
मेरे ना होने से उसका अकेलापन अब उसको फिर से खाने लग जाएगा
मैं रेशमा को बुला कर अपने ऑफीस के कामों पर ध्यान देने लगा
पर आज कही दिल नही लग रहा था
सोचा कि माला को कॉल करूँ
पर जैसे मोबाइल हाथ मे आया तो रेशमा और मेरी फोटो जो वॉलपेपर था वो मेरे सामने आ
गयी
रेशमा को देखते ही मैं उसी मे खो गया
रेशमा के साथ क्या हो रहा होगा पता नही
ऑफीस टाइम मे रेशमा के मेसेज आ जाते थे पर आज ऐसा कुछ नही हुआ
कभी लगता कि मैं ने खुद अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारी है
पर लगता कि मुझे रेशमा के साथ खेलने का क्या हक है
रेशमा एक पहेली सी बन गयी थी
उस पहेली को जितना सॉल्व करने का सोचता हूँ उतना उलझ जाता हूँ
रेशमा को मैं भूल पाउन्गा कि नही ये तो वक्त ही बताएगा
शायद मैं सोच सोच रहा था कि अब उसने आगे आकर बात करनी चाहिए
और रेशमा सोच रही होगी कि मैं उसको उसको इग्नोर कर रहा हूँ
पर ये मैं कर क्या रहा था
मेरे दिमाग़ मे रेशमा से दूर जाने ख़याल कैसे आया मुझे ही नही पता
रात गयी बात गयी इस रूल के हिसाब से मुझे रेशमा के साथ नयी शुरुआत करनी चाहिए थी
पर अब दोस्ती हो ही नही सकती
और अब मैं बस रेशमा के साथ सेक्स करना नही चाहता
रेशमा के दिल मे रहना चाहता हूँ
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