02-08-2019, 09:07 AM
जाफर उस दिन तो वहीं ठहरा। दूसरे दिन नूरुद्दीन, जुबैनी और बंदी अवस्था में सूएखाकान को ले कर बगदाद की ओर चल पड़ा। वहाँ पहुँचने पर उसने और जुबैनी ने खलीफा से सारी कहानी कही। खलीफा ने कहा, नूरुद्दीन, तुम पर भगवान की असीम कृपा है। जाफर को पहुँचने में थोड़ी भी देर हो जाती तो तुम मारे जाते। अब तुम अपने इस पुराने दुश्मन को अपने हाथ से मारो।
नूरुद्दीन ने खलीफा के सामने की भूमि को चूम कर कहा, सरकार, इसमें संदेह नहीं कि यह मेरा पुराना शत्रु है किंतु यह इतना बड़ा पापी है कि मैं इसके खून से अपने हाथ रँगना नहीं चाहता। आप मुझे इस बारे में माफी दें। खलीफा ने मुस्कुरा कर कहा, तुम सचमुच बड़े सुसंस्कृत आदमी हो। नहीं चाहते तो इसे न मारो। यह कह कर उसने जल्लाद को इशारा किया और जल्लाद ने तुरंत ही सूएखाकान का सिर उसके धड़ से अलग कर दिया। नूरुद्दीन को बसरा का हाकिम बनाने की बात पर वह बोला, सरकार, आप की बड़ी कृपा है किंतु मैं उस मनहूस शहर में नहीं जाना चाहता। मुझे अपने चरणों ही में रहने की अनुमति दीजिए।
खलीफा ने उसकी बात मान ली। उसे एक बड़ी जागीर और विशाल भवन दे कर अपना दरबारी बना लिया और हुस्न अफरोज को उसे दे दिया। खलीफा जुबैनी से भी नाराज था कि उसने पहली आज्ञा क्यों नहीं मानी। किंतु जाफर ने उसकी सिफारिश की कि इसी ने अंत समय में नूरुद्दीन की हत्या रुकवाई। अतएव खलीफा ने उसका पद उसे वापस दे दिया।
नूरुद्दीन ने खलीफा के सामने की भूमि को चूम कर कहा, सरकार, इसमें संदेह नहीं कि यह मेरा पुराना शत्रु है किंतु यह इतना बड़ा पापी है कि मैं इसके खून से अपने हाथ रँगना नहीं चाहता। आप मुझे इस बारे में माफी दें। खलीफा ने मुस्कुरा कर कहा, तुम सचमुच बड़े सुसंस्कृत आदमी हो। नहीं चाहते तो इसे न मारो। यह कह कर उसने जल्लाद को इशारा किया और जल्लाद ने तुरंत ही सूएखाकान का सिर उसके धड़ से अलग कर दिया। नूरुद्दीन को बसरा का हाकिम बनाने की बात पर वह बोला, सरकार, आप की बड़ी कृपा है किंतु मैं उस मनहूस शहर में नहीं जाना चाहता। मुझे अपने चरणों ही में रहने की अनुमति दीजिए।
खलीफा ने उसकी बात मान ली। उसे एक बड़ी जागीर और विशाल भवन दे कर अपना दरबारी बना लिया और हुस्न अफरोज को उसे दे दिया। खलीफा जुबैनी से भी नाराज था कि उसने पहली आज्ञा क्यों नहीं मानी। किंतु जाफर ने उसकी सिफारिश की कि इसी ने अंत समय में नूरुद्दीन की हत्या रुकवाई। अतएव खलीफा ने उसका पद उसे वापस दे दिया।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.