02-08-2019, 09:07 AM
हुआ यह था कि हुस्न अफरोज को अपनी मलिका के पास भेज कर खलीफा उसके और नूरुद्दीन के बारे में भूल गया था। दो-चार दिन बाद उसने अपने महल में एक दुखभरे गाने की आवाज सुनी।
उसे आश्चर्य हुआ कि इतना दुखी हो कर कौन गा रहा है। पुछवाया तो सेवकों ने बताया कि यह नूरुद्दीन की दासी है जिसे आपने आश्रय दिया था, वही नूरुद्दीन के वियोग में विरह-गीत गा रही है। मंत्री जाफर को बुला कर कहा, नूरुद्दीन के मामले में देर नहीं होनी चाहिए। तुम मेरी सनद और हुक्मनामा ले कर फौज के साथ खुद जाओ। अगर सूएखाकान ने दुरभिसंधि कर के नूरुद्दीन को मरवा डाला हो तो तुम फौरन उसे मरवा डालना। अगर नूरुद्दीन जिंदा हो तो तुरंत उसे और जुबैनी को मेरे पास ले आओ। मैं इस संबंध में सारे फरमान लिखवा कर देता हूँ।
नूरुद्दीन के सौभाग्य से जाफर ठीक उसी समय पहुँचा जब जल्लाद नूरुद्दीन को मारने ही वाला था। उसकी सेना नगर में आई तो लोगों ने सत्कारपूर्वक उसे रास्ता दिया। जाफर जुबैनी के दरबार में पहुँचा। जुबैनी उसके सम्मानार्थ अपने तख्त से उतर कर स्वागत के लिए दरवाजे तक आया। जाफर ने पूछा, नूरुद्दीन का क्या हाल है? उसे मरवा तो नहीं डाला? अगर वह जिंदा है तो उसे तुरंत मेरे सामने लाओ। नूरुद्दीन उसी तरह बँधा-बँधाया लाया गया। जाफर ने उसकी रस्सी खुलवाई और खलीफा का फरमान दिखा कर सूएखाकान को उसी रस्सी में बँधवाया।
उसे आश्चर्य हुआ कि इतना दुखी हो कर कौन गा रहा है। पुछवाया तो सेवकों ने बताया कि यह नूरुद्दीन की दासी है जिसे आपने आश्रय दिया था, वही नूरुद्दीन के वियोग में विरह-गीत गा रही है। मंत्री जाफर को बुला कर कहा, नूरुद्दीन के मामले में देर नहीं होनी चाहिए। तुम मेरी सनद और हुक्मनामा ले कर फौज के साथ खुद जाओ। अगर सूएखाकान ने दुरभिसंधि कर के नूरुद्दीन को मरवा डाला हो तो तुम फौरन उसे मरवा डालना। अगर नूरुद्दीन जिंदा हो तो तुरंत उसे और जुबैनी को मेरे पास ले आओ। मैं इस संबंध में सारे फरमान लिखवा कर देता हूँ।
नूरुद्दीन के सौभाग्य से जाफर ठीक उसी समय पहुँचा जब जल्लाद नूरुद्दीन को मारने ही वाला था। उसकी सेना नगर में आई तो लोगों ने सत्कारपूर्वक उसे रास्ता दिया। जाफर जुबैनी के दरबार में पहुँचा। जुबैनी उसके सम्मानार्थ अपने तख्त से उतर कर स्वागत के लिए दरवाजे तक आया। जाफर ने पूछा, नूरुद्दीन का क्या हाल है? उसे मरवा तो नहीं डाला? अगर वह जिंदा है तो उसे तुरंत मेरे सामने लाओ। नूरुद्दीन उसी तरह बँधा-बँधाया लाया गया। जाफर ने उसकी रस्सी खुलवाई और खलीफा का फरमान दिखा कर सूएखाकान को उसी रस्सी में बँधवाया।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.