02-08-2019, 09:05 AM
जुबैनी ने मान लिया। शहर में मुनादी की गई कि कल नूरुद्दीन की, जिसने मंत्री का खुलेआम अपमान किया था, अमुक स्थान पर गरदन काटी जाएगी। सुएखाकान उसे अत्यंत अपमानपूर्वक अंधे, बेजीन के घोड़े पर बिठा कर वधस्थल पर लाया। नूरुद्दीन ने कहा, बुड्ढे खबीस, तू मुझ निर्दोष को झूठ और छल से अपमानपूर्वक मरवा रहा है। मगर याद रखना कि भगवान निर्दोष व्यक्ति का खून बहानेवाले आदमी को कभी क्षमा नहीं करता। सूएखाकान दाँत पीस कर बोला, दुष्ट, तू इस तरह से मेरा सब लोगों के सामने अपमान कर रहा है? खैर, इसकी सजा क्या दी जाए। तुझे तो सबसे बड़ी सजा मिलनेवाली है।
नूरुद्दीन को महल से लगे एक बड़े मैदान में पहुँचा दिया गया जहाँ लोगों को आम जनता के सामने मारा जाता था। जल्लाद ने कहा, मुझे आपके पिता का जमाना याद है। मैं आपका सेवक हूँ किंतु इस समय मेरा कर्तव्य आपको मारना है। आपकी कुछ अंतिम इच्छा हो तो कहें। नूरुद्दीन ने कहा कि मुझे पानी पीना है। जल्लाद ने एक आदमी से पानी मँगाया और नूरुद्दीन पीने लगा।
सूएखाकान जल्लाद पर बिगड़ने लगा कि देर क्यों कर रहा है, तुरंत ही इसकी गरदन क्यों नहीं काट देता। जो लोग वहाँ मौजूद थे वे मंत्री की कठोरता पर उसे बुरा-भला कहने लगे किंतु उस पर कुछ प्रभाव न हुआ। जल्लाद ने देखा कि मंत्री नाराज हो रहा है तो उसने तलवार निकाली। वह वार करना ही चाहता था कि जुबैनी ने महल की खिड़की से सिर निकाल कर कहा, अभी इसे न मारो। मुझे दिखाई देता है एक बड़ी फौज चली आ रही है, पहले मालूम तो हो कि यह क्या मामला है। सूएखाकान चाहता था कि नूरुद्दीन जल्दी से जल्दी मारा जाए। उसने कहा, यह धूल तो उन लोगों के आने से उठी है जो इस पापी के मारने का तमाशा देखने आ रहे हैं। आप जल्लाद को आज्ञा दें कि वह तुरंत अपना काम करें। जुबैनी बोला, नहीं, यह सेना ही है। अभी जल्लाद हाथ रोके रहे। मैं पहले पता तो लगाऊँ कि कौन आ रहा है।
नूरुद्दीन को महल से लगे एक बड़े मैदान में पहुँचा दिया गया जहाँ लोगों को आम जनता के सामने मारा जाता था। जल्लाद ने कहा, मुझे आपके पिता का जमाना याद है। मैं आपका सेवक हूँ किंतु इस समय मेरा कर्तव्य आपको मारना है। आपकी कुछ अंतिम इच्छा हो तो कहें। नूरुद्दीन ने कहा कि मुझे पानी पीना है। जल्लाद ने एक आदमी से पानी मँगाया और नूरुद्दीन पीने लगा।
सूएखाकान जल्लाद पर बिगड़ने लगा कि देर क्यों कर रहा है, तुरंत ही इसकी गरदन क्यों नहीं काट देता। जो लोग वहाँ मौजूद थे वे मंत्री की कठोरता पर उसे बुरा-भला कहने लगे किंतु उस पर कुछ प्रभाव न हुआ। जल्लाद ने देखा कि मंत्री नाराज हो रहा है तो उसने तलवार निकाली। वह वार करना ही चाहता था कि जुबैनी ने महल की खिड़की से सिर निकाल कर कहा, अभी इसे न मारो। मुझे दिखाई देता है एक बड़ी फौज चली आ रही है, पहले मालूम तो हो कि यह क्या मामला है। सूएखाकान चाहता था कि नूरुद्दीन जल्दी से जल्दी मारा जाए। उसने कहा, यह धूल तो उन लोगों के आने से उठी है जो इस पापी के मारने का तमाशा देखने आ रहे हैं। आप जल्लाद को आज्ञा दें कि वह तुरंत अपना काम करें। जुबैनी बोला, नहीं, यह सेना ही है। अभी जल्लाद हाथ रोके रहे। मैं पहले पता तो लगाऊँ कि कौन आ रहा है।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.