02-08-2019, 09:03 AM
अब हुस्न अफरोज समझ गई कि यह बाग का मालिक स्वयं खलीफा है। उसे इस बात से बड़ा संतोष मिला कि किसी मछवाहे के हाथ नहीं दी गई। खलीफा ने उससे कहा, अब तो तुम्हें मालूम ही हो गया होगा कि मैं कौन हूँ। मैंने संसार भर में नूरुद्दीन से बढ़ कर बड़े दिलवाला कोई आदमी नहीं देखा जो केवल प्रशंसा करने पर अपनी सब से प्यारी चीज दे डाले। मैंने पत्र द्वारा उसे बसरा का हाकिम नियुक्त किया है। जब वह अपना काम सँभाल लेगा तो मैं तुम्हें भी उसके पास भेज दूँगा। तब तक तुम मेरे महल में रहोगी। यह सुन कर हुस्न अफरोज की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। खलीफा उसे ले कर महल में आया। दूसरे दिन उसने हुस्न अफरोज को अपनी रानी जुबैदा के हाथ में सौंपा और कहा कि इसका ख्याल रखना, यह बसरा के नए हाकिम नूरुद्दीन की स्त्री है और कुछ दिनों बाद इसे उसी के पास भेजना है।
इधर नूरुद्दीन एक जहाज में बैठ कर, जो उसी समय छूट रहा था, बसरा पहुँचा और अपने किसी मित्र या परिचित से मिले बगैर सीधे हाकिम जुबैनी के पास पहुँचा। वह उस समय मुकदमों के फैसले कर रहा था। नूरुद्दीन बेधड़क उसके पास पहुँचा और कहा, आपके पुराने मित्र ने यह पत्र आप के लिए दिया है। जुबैनी ने खलीफा की हस्तलिपि देख कर पत्र को चूमा और मंत्री सूएखाकान से उसे पढ़ने के लिए कहा। मंत्री ने पत्र देखा तो उसकी जान निकल गई। उसने प्रकाश में अच्छी तरह पत्र पढ़ने के बहाने बाहर आ कर खलीफा की मुहरवाला लिफाफे का भाग दाँतों से कुतर कर खा लिया। वापस दरबार में आ कर कहा कि इस पत्र में नूरुद्दीन को बसरा का हाकिम बनाने को लिखा है किंतु यह पत्र जाली मालूम होता है। उसने कहा, सरकार, मुझे ऐसा मालूम होता है कि नूरुद्दीन ने मुझसे और आपसे अपने अपमान का बदला लेने के लिए यह ढोंग रचा है। इसने खलीफा से हम लोगों की शिकायत जरूर की होगी किंतु खलीफा बच्चा तो है नहीं जो बहकावे में आ जाए। वह ज्यादा से ज्यादा यह लिखता कि इसे दंड न दो या कोई नौकरी दे दो। ऐसे निठल्ले आदमी को वह बसरे का हाकिम किस तरह बना देगा?
इधर नूरुद्दीन एक जहाज में बैठ कर, जो उसी समय छूट रहा था, बसरा पहुँचा और अपने किसी मित्र या परिचित से मिले बगैर सीधे हाकिम जुबैनी के पास पहुँचा। वह उस समय मुकदमों के फैसले कर रहा था। नूरुद्दीन बेधड़क उसके पास पहुँचा और कहा, आपके पुराने मित्र ने यह पत्र आप के लिए दिया है। जुबैनी ने खलीफा की हस्तलिपि देख कर पत्र को चूमा और मंत्री सूएखाकान से उसे पढ़ने के लिए कहा। मंत्री ने पत्र देखा तो उसकी जान निकल गई। उसने प्रकाश में अच्छी तरह पत्र पढ़ने के बहाने बाहर आ कर खलीफा की मुहरवाला लिफाफे का भाग दाँतों से कुतर कर खा लिया। वापस दरबार में आ कर कहा कि इस पत्र में नूरुद्दीन को बसरा का हाकिम बनाने को लिखा है किंतु यह पत्र जाली मालूम होता है। उसने कहा, सरकार, मुझे ऐसा मालूम होता है कि नूरुद्दीन ने मुझसे और आपसे अपने अपमान का बदला लेने के लिए यह ढोंग रचा है। इसने खलीफा से हम लोगों की शिकायत जरूर की होगी किंतु खलीफा बच्चा तो है नहीं जो बहकावे में आ जाए। वह ज्यादा से ज्यादा यह लिखता कि इसे दंड न दो या कोई नौकरी दे दो। ऐसे निठल्ले आदमी को वह बसरे का हाकिम किस तरह बना देगा?
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.