02-08-2019, 09:01 AM
दारोगा नशे में तो था ही, तथाकथित मछवाहे की इस बात पर उसे इतना क्रोध आया कि उसने एक चीनी की तश्तरी फेंक कर खलीफा के सर पर मारी। खलीफा सिर टेढ़ा कर के चोट से बच गया और तश्तरी दीवार से टकरा कर टूट गई। दारोगा इस बात से और आगबबूला हुआ और रोशनी ले कर एक कोठरी में गया ताकि वहाँ से लकड़ी ला कर मछवाहे को मारे। इसी बीच खलीफा ने जीने के किवाड़ पर हाथ मारा। इस पर मसरूर और चार गुलाम छत पर आ गए। वहाँ एक छोटा सिंहासन भी पड़ा था। खलीफा राजसी वस्त्र पहन कर उस पर जा बैठा और उसके पीछे चारों गुलाम और बगल में एक ओर जाफर और दूसरी ओर मसरूर खड़े हो गए। बारहदरी की छत पर छोटा-मोटा दरबार लग गया।
उधर बूढ़ा एक मोटी लाठी ले कर आया और मछवाहे को ढूँढ़ने लगा। उसे मछवाहा न दिखाई दिया बल्कि खलीफा तख्त पर बैठा दिखाई दिया। वह आँखें मल-मल कर देखने लगा कि यह स्वप्न है या सत्य। कुछ क्षणों के बाद खलीफा बोला, बड़े मियाँ, क्या बात है? क्यों घबराहट में इधर-उधर देख रहे हो? अब बूढ़े ने पहचाना कि खलीफा ही मछवाहा बना हुआ था। वह उसके पाँवों पर गिर पड़ा और अपनी दाढ़ी खलीफा की जूतियों पर मल-मल कर अपने अपराध के लिए क्षमा माँगने लगा। खलीफा ने कहा, तुम्हारे एक नहीं, कई अपराध हैं। बाग को खुला छोड़ दिया, अजनबियों के साथ शराब पी, दूसरे को मिली चीज में हिस्सा बँटाने लगे और न मिलने पर मार-पीट पर उतारू हो गए। लेकिन मुझे तुम्हारे बुढ़ापे और तुम्हारे सारे जीवन के सदाचार का ख्याल है इसलिए मैं तुम्हारे सारे अपराध क्षमा करता हूँ। लेकिन आगे से होशियार रहना।
उधर बूढ़ा एक मोटी लाठी ले कर आया और मछवाहे को ढूँढ़ने लगा। उसे मछवाहा न दिखाई दिया बल्कि खलीफा तख्त पर बैठा दिखाई दिया। वह आँखें मल-मल कर देखने लगा कि यह स्वप्न है या सत्य। कुछ क्षणों के बाद खलीफा बोला, बड़े मियाँ, क्या बात है? क्यों घबराहट में इधर-उधर देख रहे हो? अब बूढ़े ने पहचाना कि खलीफा ही मछवाहा बना हुआ था। वह उसके पाँवों पर गिर पड़ा और अपनी दाढ़ी खलीफा की जूतियों पर मल-मल कर अपने अपराध के लिए क्षमा माँगने लगा। खलीफा ने कहा, तुम्हारे एक नहीं, कई अपराध हैं। बाग को खुला छोड़ दिया, अजनबियों के साथ शराब पी, दूसरे को मिली चीज में हिस्सा बँटाने लगे और न मिलने पर मार-पीट पर उतारू हो गए। लेकिन मुझे तुम्हारे बुढ़ापे और तुम्हारे सारे जीवन के सदाचार का ख्याल है इसलिए मैं तुम्हारे सारे अपराध क्षमा करता हूँ। लेकिन आगे से होशियार रहना।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.