02-08-2019, 09:00 AM
मैं मेहँदी का पुत्र खलीफा हारूँ रशीद अपने चचेरे भाई जुबैनी को, जो बसरा का हाकिम है, यह आदेश देता हूँ कि इस पत्र को देखते ही मंत्री खाकान के पुत्र नूरुद्दीन को, जिसके हाथों यह पत्र जा रहा है, अपनी जगह बसरा का हाकिम बनाओ और शासन की कुरसी पर बिठाओ। इस आज्ञा का रंचमात्र भी उल्लंघन नहीं होना चाहिए। यह लिख कर खलीफा ने पत्र बंद किया और जाफर को दिया। उसने चुपचाप खलीफा की मुहर उस पर लगा दी। फिर वह पत्र नूरुद्दीन को दे दिया।
यह ज्ञात रहे कि खलीफा जिस समय मछली भूनने गया था उसी समय उसने मसरूर से कहा था कि मेरे लिए राजमहल से राजसी पोशाक ले आना। वह पोशाक आ गई थी। खलीफा ने यह भी कहा था कि तुम जीने पर प्रतीक्षा करना और जब मैं जीने के दरवाजे पर हाथ मारूँ तो तुम सिपाहियों के साथ पोशाक ले कर छत पर आ जाना।
इधर बूढ़ा दारोगा नशे की हालत में यह सब देख रहा था। नूरुद्दीन जब पत्र ले कर गया तो हुस्न अफरोज भी उसके पीछे रोती हुई जीने के दरवाजे तक गई और फिर लौट आई। दारोगा ने खलीफा से कहा, करीम, तू एक-दो कौड़ी का मछवाहा है। तेरी दो मछलियों का मूल्य दो-चार आने से अधिक नहीं। इनके बदले में तूने इतनी अशर्फियाँ और ऐसी सुंदर और गुणवंती दासी पाई। तू यह सब अकेले हजम नहीं कर सकेगा। इनमें से आधा मुझे दे दे वरना मैं तुझे बड़ी मुसीबत में फँसा दूँगा। खलीफा ने कहा, मुझे थैली में नहीं मालूम अशर्फियाँ हैं या कुछ और। चलो जो भी होगा आधा-आधा बाँट लेंगे। लेकिन तुम इस लौंडी में हिस्सा पाने की आशा छोड़ दो। यह मुझे मिली है और मैं इसे अपने पास रखूँगा। अब इसमें चाहे आप खुश हों या नाखुश।
यह ज्ञात रहे कि खलीफा जिस समय मछली भूनने गया था उसी समय उसने मसरूर से कहा था कि मेरे लिए राजमहल से राजसी पोशाक ले आना। वह पोशाक आ गई थी। खलीफा ने यह भी कहा था कि तुम जीने पर प्रतीक्षा करना और जब मैं जीने के दरवाजे पर हाथ मारूँ तो तुम सिपाहियों के साथ पोशाक ले कर छत पर आ जाना।
इधर बूढ़ा दारोगा नशे की हालत में यह सब देख रहा था। नूरुद्दीन जब पत्र ले कर गया तो हुस्न अफरोज भी उसके पीछे रोती हुई जीने के दरवाजे तक गई और फिर लौट आई। दारोगा ने खलीफा से कहा, करीम, तू एक-दो कौड़ी का मछवाहा है। तेरी दो मछलियों का मूल्य दो-चार आने से अधिक नहीं। इनके बदले में तूने इतनी अशर्फियाँ और ऐसी सुंदर और गुणवंती दासी पाई। तू यह सब अकेले हजम नहीं कर सकेगा। इनमें से आधा मुझे दे दे वरना मैं तुझे बड़ी मुसीबत में फँसा दूँगा। खलीफा ने कहा, मुझे थैली में नहीं मालूम अशर्फियाँ हैं या कुछ और। चलो जो भी होगा आधा-आधा बाँट लेंगे। लेकिन तुम इस लौंडी में हिस्सा पाने की आशा छोड़ दो। यह मुझे मिली है और मैं इसे अपने पास रखूँगा। अब इसमें चाहे आप खुश हों या नाखुश।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.