02-08-2019, 08:56 AM
खलीफा मछलियाँ ले गया तो हुस्न अफरोज को वे पसंद आईं। उसने दारोगा से कहा कि इन्हें भुनवा दीजिए तो मजा आ जाए। दारोगा ने हुक्म दिया, करीम, फौरन बावरचीखाने में जाओ और यह मछलियाँ भून लाओ। खलीफा बोला, बहुत अच्छा सरकार। यह कह कर नीचे आया और जाफर और मसरूर से कहा कि इन मछलियों को साफ कर के भूनना है। जाफर पाक-शास्त्र में निपुण था। चुनांचे तीनों बावरचीखाने में गए और तेल, मसाला आदि ढूँढ़ कर मछलियों को साफ कर के उन्हें अच्छी तरह प्रकार से भूना। उन्होंने कुछ नींबू भी काट कर मछली के टुकड़ों के साथ थालियों में सजा दिए और उन्हें ऊपर ले गए। उन तीनों ने स्वाद ले ले कर मछलियाँ खाईं क्योंकि जाफर ने बहुत स्वादिष्ट मछलियाँ बनाई थीं। हुस्न अफरोज ने कहा, वास्तव में मैंने जीवन में ऐसी स्वादिष्ट मछलियाँ नहीं खाई थीं। नूरुद्दीन को भी मछलियाँ पसंद आईं। फिर हुस्न अफरोज की प्रशंसा से उस पर और असर पड़ा। उसने अशर्फियों की थैली निकाली और मछवाहा बने हुए खलीफा को दे कर कहा, देखो भाई, मेरे पास जो कुछ था वह सब मैंने तुम्हें दे डाला। काश, तुम मेरे पास पहले आए होते जब मैं वास्तव में इनाम देने की हालत में था। तब तुम देखते कि में किस तरह खुश होने पर इनाम दिया करता हूँ। अभी जो मिला है उसी से संतोष करो।
खलीफा ने थैली खोली तो देखा कि उसमें चौबीस अशर्फियाँ हैं। उसे आश्चर्य हुआ कि यह कौन ऐसा मनचला है कि पकी हुई मछलियों के लिए चौबीस अशर्फियाँ दिए डाल रहा है। उसने कहा, मालिक, भगवान आप को युगों-युगों तक कुशलतापूर्वक और प्रसन्नतापूर्वक रखे। मैंने अपने सारे जीवन में आप जैसा दानवीर नहीं देखा। अब आप नाराज न हों तो एक निवेदन करूँ। मैंने आपकी सुंदरी साथिन के पास बाँसुरी रखी देखी है। मालूम होता है कि इसे बाँसुरी बजाने का शौक है। मुझे भी संगीत सुनना बहुत अच्छा लगता है। आप आज्ञा दें तो मैं भी दो मिनट बैठ कर इनकी वादन कला देख लूँ और फिर आप लोगों को आशीर्वाद देता हुआ अपने घर चला जाऊँ।
खलीफा ने थैली खोली तो देखा कि उसमें चौबीस अशर्फियाँ हैं। उसे आश्चर्य हुआ कि यह कौन ऐसा मनचला है कि पकी हुई मछलियों के लिए चौबीस अशर्फियाँ दिए डाल रहा है। उसने कहा, मालिक, भगवान आप को युगों-युगों तक कुशलतापूर्वक और प्रसन्नतापूर्वक रखे। मैंने अपने सारे जीवन में आप जैसा दानवीर नहीं देखा। अब आप नाराज न हों तो एक निवेदन करूँ। मैंने आपकी सुंदरी साथिन के पास बाँसुरी रखी देखी है। मालूम होता है कि इसे बाँसुरी बजाने का शौक है। मुझे भी संगीत सुनना बहुत अच्छा लगता है। आप आज्ञा दें तो मैं भी दो मिनट बैठ कर इनकी वादन कला देख लूँ और फिर आप लोगों को आशीर्वाद देता हुआ अपने घर चला जाऊँ।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.