02-08-2019, 08:55 AM
मंत्री ने कहा, आपकी बात बिल्कुल ठीक है। अगर आप उन लोगों के सामने गए तो दारोगा आपको इन साधारण वस्त्रों में भी पहचान लेगा और डर के मारे ही मर जाएगा। और यह दोनों भी आप के डर से गाना-बजाना भूल जाएँगे। खलीफा ने कुछ सोच कर कहा, तुम मसरूर के साथ बाग में बैठो। मैं बाहर जा रहा हूँ। मेरे लौटने तक प्रतीक्षा करो।
खलीफा ने बाग से निकलते ही देखा कि एक मछवाहा चार-पाँच बड़ी-बड़ी मछलियाँ ले कर नदी की ओर से आ रहा है। खलीफा ने उसे रोक कर कहा कि मुझे दो अच्छी मछलियाँ बेच दो। मछवाहे ने खलीफा को साधारण वस्त्रों में भी पहचान लिया और डर के मारे काँपने लगा। खलीफा ने कहा, तुम डरो नहीं। मैं तुम्हें अच्छा इनाम दूँगा। लेकिन तुम मेरे यह कपड़े पहन लो और अपने कपड़े मुझे दे दो और चुपचाप घर चले जाओ। उसने ऐसा ही किया। खलीफा उसके कपड़े पहन कर दो बड़ी मछलियाँ ले कर बाग में आ गया।
जाफर और मसरूर उसे इस वेश में देख कर पहचान न सके। मंत्री ने समझा कि यह मछवाहा बेवक्त कुछ इनाम माँगने आया है। उसने झिड़क कर उससे भाग जाने के लिए कहा। इस पर खलीफा खिलखिला कर हँस पड़ा। अब मंत्री ने गौर से देखा तो उसे पहचान गया और क्षमा माँगने लगा कि आपको पहचान न पाने पर ऐसी भूल हुई। उसने कहा, जब मैं ही इस वेश में आपको पहचान नहीं सका तो और कोई क्या पहचानेगा। अब आप बेधड़क बारहदरी की छत पर जाएँ और जी भर कर उस सुंदरी का गाना सुनें।
खलीफा मछवाहे के वेश में और दो मछलियाँ लिए हुए ऊपर गया और दरवाजा खटखटाया। दारोगा ने पूछा, कौन है? खलीफा ने दरवाजा खोल कर बहुत झुक कर सलाम किया ताकि पहचाना न जाए। फिर वह बोला, मैं करीम मछवाहा हूँ। मैंने सुना है कि आपने अपने मित्रों की दावत की है। इसलिए मैं आपकी सेवा में दो बहुत ही उत्तम मछलियाँ लाया हूँ ताकि आप मेहमानों को भली भाँति संतुष्ट कर सकें। दारोगा ने नशे में खलीफा को बिल्कुल न पहचाना और बोला, तुम मछवाहे हो या चोर? रात में इस तरह घूमते हो? खैर, यहाँ आओ और दिखाओ कि क्या लाए हो।
खलीफा ने बाग से निकलते ही देखा कि एक मछवाहा चार-पाँच बड़ी-बड़ी मछलियाँ ले कर नदी की ओर से आ रहा है। खलीफा ने उसे रोक कर कहा कि मुझे दो अच्छी मछलियाँ बेच दो। मछवाहे ने खलीफा को साधारण वस्त्रों में भी पहचान लिया और डर के मारे काँपने लगा। खलीफा ने कहा, तुम डरो नहीं। मैं तुम्हें अच्छा इनाम दूँगा। लेकिन तुम मेरे यह कपड़े पहन लो और अपने कपड़े मुझे दे दो और चुपचाप घर चले जाओ। उसने ऐसा ही किया। खलीफा उसके कपड़े पहन कर दो बड़ी मछलियाँ ले कर बाग में आ गया।
जाफर और मसरूर उसे इस वेश में देख कर पहचान न सके। मंत्री ने समझा कि यह मछवाहा बेवक्त कुछ इनाम माँगने आया है। उसने झिड़क कर उससे भाग जाने के लिए कहा। इस पर खलीफा खिलखिला कर हँस पड़ा। अब मंत्री ने गौर से देखा तो उसे पहचान गया और क्षमा माँगने लगा कि आपको पहचान न पाने पर ऐसी भूल हुई। उसने कहा, जब मैं ही इस वेश में आपको पहचान नहीं सका तो और कोई क्या पहचानेगा। अब आप बेधड़क बारहदरी की छत पर जाएँ और जी भर कर उस सुंदरी का गाना सुनें।
खलीफा मछवाहे के वेश में और दो मछलियाँ लिए हुए ऊपर गया और दरवाजा खटखटाया। दारोगा ने पूछा, कौन है? खलीफा ने दरवाजा खोल कर बहुत झुक कर सलाम किया ताकि पहचाना न जाए। फिर वह बोला, मैं करीम मछवाहा हूँ। मैंने सुना है कि आपने अपने मित्रों की दावत की है। इसलिए मैं आपकी सेवा में दो बहुत ही उत्तम मछलियाँ लाया हूँ ताकि आप मेहमानों को भली भाँति संतुष्ट कर सकें। दारोगा ने नशे में खलीफा को बिल्कुल न पहचाना और बोला, तुम मछवाहे हो या चोर? रात में इस तरह घूमते हो? खैर, यहाँ आओ और दिखाओ कि क्या लाए हो।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.