02-08-2019, 08:54 AM
बूढ़ा झूमता हुआ उठा और एक कोठरी खोल कर उसमें से बाँसुरी निकाल लाया। हुस्न अफरोज बाँसुरी बजाने लगी। खलीफा ने मंत्री से कहा, यह स्त्री तो बड़ी अच्छी बाँसुरी बजाती है। इस कारण मैंने इसका अपराध क्षमा किया और उसके कारण उसके साथी को भी। किंतु बूढ़े की हरकत प्रशासन की बात है और तुम्हारी जिम्मेदारी है, इसलिए तुम जरूर फाँसी पाओगे। मंत्री ने कहा, भगवान करता कि वह बुरा बजाती। खलीफा ने कहा, तुम यह बात क्यों कर रहे हो।
मंत्री बोला, अगर ऐसा होता तो यह दोनों मारे जाते और इन दोनों के साथ मरने में सुख मिलता। खलीफा इस चतुराई के उत्तर से हँस पड़ा।
हुस्न अफरोज ने बार-बारी से बाँसुरी और गले से वही राग निकाला तो खलीफा लोट-पोट हो गया। वह संगीत का अच्छा मर्मज्ञ था। उसने इस डर से कि जीने ही में कहीं उससे वाह-वाह न निकल जाए, मंत्री के साथ चुपचाप नीचे उतर आया और बोला, भाई, यह स्त्री तो गाने और बजाने दोनों में अद्वितीय है। हमारा दरबारी गवैया गाने- बजाने में विश्वविख्यात है किंतु इसके सामने वह अनाड़ी बच्चा मालूम होता है। मैं चाहता हूँ कि पास से जा कर इसका गायन-वादन सुनूँ किंतु मेरी समझ में नहीं आ रहा है कि यह बात कैसे हो।
मंत्री बोला, अगर ऐसा होता तो यह दोनों मारे जाते और इन दोनों के साथ मरने में सुख मिलता। खलीफा इस चतुराई के उत्तर से हँस पड़ा।
हुस्न अफरोज ने बार-बारी से बाँसुरी और गले से वही राग निकाला तो खलीफा लोट-पोट हो गया। वह संगीत का अच्छा मर्मज्ञ था। उसने इस डर से कि जीने ही में कहीं उससे वाह-वाह न निकल जाए, मंत्री के साथ चुपचाप नीचे उतर आया और बोला, भाई, यह स्त्री तो गाने और बजाने दोनों में अद्वितीय है। हमारा दरबारी गवैया गाने- बजाने में विश्वविख्यात है किंतु इसके सामने वह अनाड़ी बच्चा मालूम होता है। मैं चाहता हूँ कि पास से जा कर इसका गायन-वादन सुनूँ किंतु मेरी समझ में नहीं आ रहा है कि यह बात कैसे हो।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.