02-08-2019, 08:50 AM
जब दोनों को शराब पी कर नशा आ गया तो नूरुद्दीन ने हुस्न अफरोज से कहा कि हम लोग कितने भाग्यवान हैं कि इस निपट अनजाने शहर में भी हमें ऐसी सुंदर जगह ठहरने को मिली है। फिर वे दोनों गाने लगे। उनका गाना सुन कर दारोगा खुश हुआ और कुछ पास आ कर गाना सुनने लगा। नूरुद्दीन ने उससे कहा, दारोगा साहब, आप बहुत अच्छे आदमी हैं। आप भी हमारे इस आनंद में शामिल हो जाएँ। मैं आपकी प्रशंसा में कसीदा सुनाऊँगा। दारोगा ने हँस कर कहा, आप दोनों के आनंद से मुझे काफी आनंद आ रहा है, अब और आनंद क्या चाहिए। यह कह कर वह फिर दूर जा बैठा।
हुस्न अफरोज ने नूरुद्दीन से कहा, आप कहें तो में इस बूढ़े कर्मकांडी को भी शराब पिला दूँ।
उसने कहा, ऐसा हो जाए तो बड़ा मजा आएगा। हुस्न अफरोज बोली, आप उसे बुला कर अपने हाथ से शराब का गिलास दें। वह पी ले तो ठीक है वरना आप खुद उस गिलास को पी कर चारपाई पर लेट कर सोने का बहाना करना। फिर देखो मैं इसे किस तरह राह पर लाती हूँ। नूरुद्दीन ने यह मान लिया।
नूरुद्दीन ने दारोगा को आवाज दे कर कहा, बुजुर्गवार, यह अच्छा नहीं लगता कि आप जीने में बैठे रहें और हम यहाँ चाँदनी का आनंद लें। हम कोई जबरदस्ती तो आपको पिला नहीं देंगे। आप कृपया यहाँ आ कर इस सुंदरी के बगल में बैठें। बूढ़ा यह सुन कर खुश तो हुआ कि ऐसी सुंदरी के पास बैठने को मिलेगा किंतु प्रकटतः नाक-भौं चढ़ाता हुआ आया और हुस्न अफरोज के बगल में बैठ गया। नूरुद्दीन ने इशारा किया तो हुस्न अफरोज ने सुंदर गाना आरंभ किया। गाना खत्म होने पर नूरुद्दीन ने एक गिलास भर कर दारोगा को दिया और कहा कि अगर आप गाने से खुश हैं और इसका इनाम देना चाहते हैं तो यह गिलास तो पी ही लें।
हुस्न अफरोज ने नूरुद्दीन से कहा, आप कहें तो में इस बूढ़े कर्मकांडी को भी शराब पिला दूँ।
उसने कहा, ऐसा हो जाए तो बड़ा मजा आएगा। हुस्न अफरोज बोली, आप उसे बुला कर अपने हाथ से शराब का गिलास दें। वह पी ले तो ठीक है वरना आप खुद उस गिलास को पी कर चारपाई पर लेट कर सोने का बहाना करना। फिर देखो मैं इसे किस तरह राह पर लाती हूँ। नूरुद्दीन ने यह मान लिया।
नूरुद्दीन ने दारोगा को आवाज दे कर कहा, बुजुर्गवार, यह अच्छा नहीं लगता कि आप जीने में बैठे रहें और हम यहाँ चाँदनी का आनंद लें। हम कोई जबरदस्ती तो आपको पिला नहीं देंगे। आप कृपया यहाँ आ कर इस सुंदरी के बगल में बैठें। बूढ़ा यह सुन कर खुश तो हुआ कि ऐसी सुंदरी के पास बैठने को मिलेगा किंतु प्रकटतः नाक-भौं चढ़ाता हुआ आया और हुस्न अफरोज के बगल में बैठ गया। नूरुद्दीन ने इशारा किया तो हुस्न अफरोज ने सुंदर गाना आरंभ किया। गाना खत्म होने पर नूरुद्दीन ने एक गिलास भर कर दारोगा को दिया और कहा कि अगर आप गाने से खुश हैं और इसका इनाम देना चाहते हैं तो यह गिलास तो पी ही लें।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.