02-08-2019, 08:49 AM
रक्षक ने कहा, मैं शरबत ला सकता हूँ लेकिन शरबत खाने के पहले पिया जाता है, बाद में नहीं। नूरुद्दीन बोला, आप ठीक कहते हैं लेकिन मेरा मतलब शरबत से नहीं था, अंगूरी शराब से था। उद्यान-रक्षक ने कहा, देखो इस्लाम में शराब हराम है। फिर मैं तो चार बार हज कर आया हूँ, मैं तो शराब पीना क्या उसे हाथ से भी नहीं छू सकता। बल्कि मैंने कभी शराब देखी भी नहीं है। नूरुद्दीन ने कहा, मैं एक तरकीब बताता हूँ। बाग की खाई के पास एक गधा बँधा है। उसे ले आइए। मैं रूमाल में एक अशर्फी बाँध कर उसकी पीठ पर रख दूँगा। आप उसे हाँकते हुए शराबखाने तक ले जाएँ और शराबखाने के मालिक को इशारे से अशर्फी दिखा दें। वह समझ जाएगा और अशर्फी ले कर शराब की मटकियाँ गधे पर लाद देगा। फिर आप गधे को यहाँ ले आएँ। यहाँ हम वे पात्र उतार लेंगे। आपको शराब छूने या मुँह से माँगने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी।
बूढ़े को इसमें कोई बुरी बात नहीं दिखाई दी। उसने वही किया जो नूरुद्दीन ने कहा था। गधे के वापस आने पर नूरुद्दीन ने मटकियाँ गधे से उतार कर रखीं और बूढ़े से कहा, आपने हम लोगों पर बड़ी कृपा की है, अब थोड़ी और दया कीजिए। दो-तीन गिलास और शराब के साथ खाने के लिए कुछ फल ले आइए। बाग के रक्षक दारोगा ने यह चीजें भी ला कर दीं और साफ कपड़ा जमीन पर बिछा कर उस पर फल काट कर तश्तरियों में रख दिए और गिलास भी। यह कर के वह कुछ दूर जा बैठा ताकि कहीं यह लोग मुझ से भी मदिरा पान के लिए न कहें।
बूढ़े को इसमें कोई बुरी बात नहीं दिखाई दी। उसने वही किया जो नूरुद्दीन ने कहा था। गधे के वापस आने पर नूरुद्दीन ने मटकियाँ गधे से उतार कर रखीं और बूढ़े से कहा, आपने हम लोगों पर बड़ी कृपा की है, अब थोड़ी और दया कीजिए। दो-तीन गिलास और शराब के साथ खाने के लिए कुछ फल ले आइए। बाग के रक्षक दारोगा ने यह चीजें भी ला कर दीं और साफ कपड़ा जमीन पर बिछा कर उस पर फल काट कर तश्तरियों में रख दिए और गिलास भी। यह कर के वह कुछ दूर जा बैठा ताकि कहीं यह लोग मुझ से भी मदिरा पान के लिए न कहें।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.