02-08-2019, 08:46 AM
यह बाग खलीफा हारूँ रशीद का था। वह इसमें रात को सैर के लिए आया करता था। उस बाग में रात दिन मोमबत्तियाँ जला करती थीं। उसमें एक विशाल बारहदरी थी जो इतनी ऊँची थी कि उसकी छत पर होनेवाली रोशनी सारे नगर में दिखाई देती थी। उस बारहदरी में अस्सी द्वार थे जिनके किवाड़ बिल्लौर के बने हुए थे। बाग के रक्षक का नाम शेख इब्राहिम था। उसकी अनुमति के बगैर कोई आदमी बाग में प्रवेश नहीं कर पाता था। उस दिन वह थोड़ी देर के लिए बाग का दरवाजा खुला छोड़ कर बाहर चला गया था। फिर उसे कुछ देर लग गई।
संध्याकाल निकल आने पर शेख इब्राहीम आया तो देखा कि कुंड के समीप की दालान में दो व्यक्ति मुँह पर महीन चादरें डाले सो रहे हैं। उसे बड़ा क्रोध आया और उसने इरादा किया कि डंडा उठा कर दोनों को पीटे। फिर यह सोच कर रुक गया कि शायद ये परदेशी हों, बगैर सोचे-विचारे इन्हें दंड देना ठीक नहीं है। पहले इनसे पूछूँ कि ये यहाँ क्यों और कैसे आए। उसने दोनों के मुँह की चादरें हटाईं तो देखा कि एक से बढ़ कर एक सुंदर स्त्री पुरुष हैं। उसने नूरुद्दीन का पाँव हिला कर उसे जगाया। उसने जाग कर देखा कि एक सफेद दाढ़ीवाला बूढ़ा मौजूद है तो उसने फौरन उठ कर उसके हाथ चूमे और अदब से सलाम किया और बोला, पिताजी, मेरे लिए क्या आज्ञा है? रक्षक उसके विनय से प्रभावित हो कर बोला, बेटे, तुम कौन हो? कहाँ से आए हो? नूरुद्दीन ने कहा, हम लोग परदेशी हैं। हम यहाँ किसी को नहीं जानते। आप कृपया हमें रात भर यहाँ रहने की अनुमति दें, सवेरा होते ही हम चले जाएँगे।
संध्याकाल निकल आने पर शेख इब्राहीम आया तो देखा कि कुंड के समीप की दालान में दो व्यक्ति मुँह पर महीन चादरें डाले सो रहे हैं। उसे बड़ा क्रोध आया और उसने इरादा किया कि डंडा उठा कर दोनों को पीटे। फिर यह सोच कर रुक गया कि शायद ये परदेशी हों, बगैर सोचे-विचारे इन्हें दंड देना ठीक नहीं है। पहले इनसे पूछूँ कि ये यहाँ क्यों और कैसे आए। उसने दोनों के मुँह की चादरें हटाईं तो देखा कि एक से बढ़ कर एक सुंदर स्त्री पुरुष हैं। उसने नूरुद्दीन का पाँव हिला कर उसे जगाया। उसने जाग कर देखा कि एक सफेद दाढ़ीवाला बूढ़ा मौजूद है तो उसने फौरन उठ कर उसके हाथ चूमे और अदब से सलाम किया और बोला, पिताजी, मेरे लिए क्या आज्ञा है? रक्षक उसके विनय से प्रभावित हो कर बोला, बेटे, तुम कौन हो? कहाँ से आए हो? नूरुद्दीन ने कहा, हम लोग परदेशी हैं। हम यहाँ किसी को नहीं जानते। आप कृपया हमें रात भर यहाँ रहने की अनुमति दें, सवेरा होते ही हम चले जाएँगे।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.