02-08-2019, 08:42 AM
उसने नूरुद्दीन के एक कोड़ा मारना चाहा लेकिन नूरुद्दीन पहले से होशियार था। उसने कोड़े का वार बचा कर सूएखाकान का हाथ पकड़ कर उसे घोड़े से नीचे खींच लिया। अब दोनों में मल्लयुद्ध होने लगा। वजीर बूढ़ा था और नूरुद्दीन जवान। उसने वजीर को उठा-उठा कर कई बार जमीन पर पटका और खूब रगड़े दिए। बाजार के सारे लोग तमाशा देखने खड़े हो गए। चूँकि सभी सूएखाकान से नाराज थे इसलिए सभी चुपचाप उसकी दुर्दशा देखते रहे और किसी ने सूएखाकान की सहायता नहीं की। यहाँ तक कि जब वजीर के नौकर बचाने के लिए बढ़े तो वहाँ उपस्थित लोगों ने उन्हें यह कह कर रोक दिया, तुम लोग इन दोनों के बीच में न पड़ो। तुम्हें मालूम नहीं कि यह नौजवान भी मंत्री-पुत्र है, दिवंगत मंत्री खाकान का पुत्र है। इसलिए वे भी डर कर रुक गए।
नूरुद्दीन ने बूढ़े वजीर की दुर्गति कर दी। उसके शरीर से कई जगह खून निकल आया और उसके सारे वस्त्र और शरीर के सारे अंग खून और मिट्टी से सन गए और वह बेदम-सा हो कर एक ओर गिर रहा। नूरुद्दीन हुस्न अफरोज को ले कर अपने घर को चला गया। सूएखाकान वैसे ही लहू और मिट्टी से सने कपड़े और बदन ले कर हाकिम जुबैनी के पास पहुँचा। उसे वजीर को ऐसी दशा में देख कर आश्चर्य हुआ और वह बोला, तुम्हें किसने मारा? सूएखाकान ने हाथ जोड़ कर कहा, सरकार, पुराने मंत्री खाकान के बेटे नूरुद्दीन ने मेरी यह दुर्दशा की है। जुबैनी ने विस्तृत विवरण चाहा तो सूएखाकान ने कहा –
नूरुद्दीन ने बूढ़े वजीर की दुर्गति कर दी। उसके शरीर से कई जगह खून निकल आया और उसके सारे वस्त्र और शरीर के सारे अंग खून और मिट्टी से सन गए और वह बेदम-सा हो कर एक ओर गिर रहा। नूरुद्दीन हुस्न अफरोज को ले कर अपने घर को चला गया। सूएखाकान वैसे ही लहू और मिट्टी से सने कपड़े और बदन ले कर हाकिम जुबैनी के पास पहुँचा। उसे वजीर को ऐसी दशा में देख कर आश्चर्य हुआ और वह बोला, तुम्हें किसने मारा? सूएखाकान ने हाथ जोड़ कर कहा, सरकार, पुराने मंत्री खाकान के बेटे नूरुद्दीन ने मेरी यह दुर्दशा की है। जुबैनी ने विस्तृत विवरण चाहा तो सूएखाकान ने कहा –
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.