02-08-2019, 08:34 AM
पत्नी के समझाने से मंत्री को ढाँढ़स बँधा। उसका नूरुद्दीन पर उतना क्रोध न रहा किंतु वह उसे क्षमा भी नहीं कर सका। नूरुद्दीन अपने पिता से छुप कर रात के समय महल में आता और सुबह पिता के जागने के पहले बाहर चला जाता। फिर भी उसकी माँ को यह भय और चिंता लगी रहती थी कि कभी मंत्री ने नूरुद्दीन को देखा तो उसका क्रोध फिर भड़क उठेगा और वह उसे जरूर मार डालेगा। उसने एक दिन अपने पति से यह बात पूछी तो उसने कहा कि मैं पाऊँगा तो जरूर उसे मार डालूँगा। पत्नी ने कहा, देखो, वह तुम्हारा इकलौता बेटा है। जवानी में आदमी से भूल हो ही जाती है। उससे भी हो गई। रही यह बात कि उसे अपने अपराध की गंभीरता का पता चल जाए तो उसकी तरकीब मैं बताती हूँ। तुम उसे पकड़ लेना और मारने के लिए तलवार निकाल लेना। फिर मैं तुम्हारी खुशामद कर के उसे छुड़ा लूँगी। मंत्री को यह सुझाव पसंद आया।
दूसरे दिन सवेरे पत्नी के इशारे पर मंत्री ने दरवाजे पर जा कर नूरुद्दीन को धर दबोचा और तलवार निकाल कर उसे मारने के लिए उठाई। तभी उसकी पत्नी ने आ कर उसका हाथ पकड़ लिया और बोली, तुम इसे मारना ही चाहते हो तो पहले मुझे मार डालो। नूरुद्दीन ने भी गिड़गिड़ा कर प्राण-भिक्षा माँगी और कहा कि इतने-से कसूर पर आप मेरी जान लेंगे तो कयामत में खुदा को क्या जवाब देंगे? मंत्री ने तलवार फेंक कर कहा, तुम मेरे नहीं, अपनी माँ के पाँवों पर गिरो, उसी के कहने पर मैंने तुम्हें छोड़ा है। मैं तुम्हें हुस्न अफरोज भी देता हूँ लेकिन खबरदार उसके साथ ब्याहता का व्यवहार करना, दासी का नहीं। और उसे किसी दशा में न बेचना।
दूसरे दिन सवेरे पत्नी के इशारे पर मंत्री ने दरवाजे पर जा कर नूरुद्दीन को धर दबोचा और तलवार निकाल कर उसे मारने के लिए उठाई। तभी उसकी पत्नी ने आ कर उसका हाथ पकड़ लिया और बोली, तुम इसे मारना ही चाहते हो तो पहले मुझे मार डालो। नूरुद्दीन ने भी गिड़गिड़ा कर प्राण-भिक्षा माँगी और कहा कि इतने-से कसूर पर आप मेरी जान लेंगे तो कयामत में खुदा को क्या जवाब देंगे? मंत्री ने तलवार फेंक कर कहा, तुम मेरे नहीं, अपनी माँ के पाँवों पर गिरो, उसी के कहने पर मैंने तुम्हें छोड़ा है। मैं तुम्हें हुस्न अफरोज भी देता हूँ लेकिन खबरदार उसके साथ ब्याहता का व्यवहार करना, दासी का नहीं। और उसे किसी दशा में न बेचना।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.


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