02-08-2019, 08:32 AM
खाकान की पत्नी को सिर पीटते देख कर हुस्न अफरोज को आश्चर्य हुआ। उसने पूछा, मालकिन, ऐसी क्या बात हो गई? आप इतनी व्याकुल क्यों हैं। ऐसा क्या हुआ कि आप बगैर स्नान किए ही आ गईं। उसने दाँत पीस कर कहा, कमबख्त, तू मुझ से पूछती है कि क्या हुआ? तुझे नहीं मालूम है कि क्या हुआ? मैंने तुझे बताया नहीं था कि तू जुबैनी की सेवा के लिए खरीदी गई है? फिर तूने नूरुद्दीन को अपने पास क्यों आने दिया? हुस्न अफरोज ने कहा, मालकिन माँ, इसमें क्या गलती की है मैंने? यह ठीक है कि सरकार ने मुझे बताया था कि मैं हाकिम के लिए खरीदी गई हूँ किंतु इस समय आपके पुत्र ने मुझसे कहा था कि मेरे पिता ने तुम्हें मेरी सेवा में दे दिया है और तुम्हें बसरा के हाकिम के पास नहीं भजेंगे। अब जब मैं उनकी हो ही गई तो उन्हें क्यों रोकती? फिर सच्ची बात है कि उन्हें जब से देखा था मेरा मन उनसे मिलने को लालायित था। मैं खुद ही चाहती हूँ कि जीवन भर उनकी चरण सेवा करूँ और बसरा के हाकिम जुबैनी का कभी मुँह न देखूँ।
खाकान की पत्नी बोली, हृदय तो मेरा भी इसी में प्रसन्न होगा कि तू नूरुद्दीन के पास रहे। किंतु उस लड़के ने झूठ बोला है। मुझे तो डर यह है कि मंत्री जब यह सुनेंगे तो उसे मरवा डालेंगे। अब मैं रोऊँ नहीं तो क्या करूँ? इतने में मंत्री भी आ गया। उसने पत्नी से रोने का कारण पूछा।
मंत्री की पत्नी ने कहा, सच्ची बात छुपाने से कोई लाभ नहीं। मैं हम्माम में नहाने गई थी इसी बीच तुम्हारे इकलौते पुत्र ने यह कह कर इस लौंडी को खराब कर डाला कि तुमने वह लौंडी उसे दे दी थी। तुमने उसे लौंडी दी है या नहीं?
खाकान की पत्नी बोली, हृदय तो मेरा भी इसी में प्रसन्न होगा कि तू नूरुद्दीन के पास रहे। किंतु उस लड़के ने झूठ बोला है। मुझे तो डर यह है कि मंत्री जब यह सुनेंगे तो उसे मरवा डालेंगे। अब मैं रोऊँ नहीं तो क्या करूँ? इतने में मंत्री भी आ गया। उसने पत्नी से रोने का कारण पूछा।
मंत्री की पत्नी ने कहा, सच्ची बात छुपाने से कोई लाभ नहीं। मैं हम्माम में नहाने गई थी इसी बीच तुम्हारे इकलौते पुत्र ने यह कह कर इस लौंडी को खराब कर डाला कि तुमने वह लौंडी उसे दे दी थी। तुमने उसे लौंडी दी है या नहीं?
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
