02-08-2019, 08:30 AM
खाकान की पत्नी ने हम्माम में जाने से पहले दो दासियों को हुस्न अफरोज की रक्षा के लिए नियुक्त किया और कहा कि इस बीच अगर नूरुद्दीन आए और हुस्न अफरोज के पास जाने का प्रयत्न करें तो तुम उसे ऐसा न करने देना। यह कह कर वह हम्माम में चली गई और मल-मल कर नहाने लगी। संयोग से उसी समय नूरुद्दीन आ गया। उसने देखा कि माँ अभी हम्माम से देर तक नहीं निकलेगी, यह अच्छा मौका है। वह हुस्न अफरोज का हाथ पकड़ कर उसे एक कमरे में ले जाने लगा। दासियों ने उसे बहुत रोका लेकिन वह कहाँ माननेवाला था। उसने दोनों दासियों को धक्के देते हुए महल के बाहर निकाल दिया और खुद हुस्न अफरोज को ले कर कमरे में चला गया और द्वार अंदर से बंद कर लिया। हुस्न अफरोज तो स्वयं उस पर मुग्ध थी, दोनों ने प्रेम मिलन का खूब आनंद लूटा।
जिन दासियों को उसने धकिया कर निकाला था वे रोती-पीटती हम्माम के दरवाजे पर पहुँचीं और मालकिन का नाम ले कर गुहार करने लगीं। खाकान की पत्नी ने पूछा तो दोनों ने सारा हाल बताया। वह घबराहट के मारे काँपने लगी और बगैर नहाए ही अपने महल में आ गई। इतनी देर में नूरुद्दीन भोग-विलास कर के महल से बाहर जा चुका था।
जिन दासियों को उसने धकिया कर निकाला था वे रोती-पीटती हम्माम के दरवाजे पर पहुँचीं और मालकिन का नाम ले कर गुहार करने लगीं। खाकान की पत्नी ने पूछा तो दोनों ने सारा हाल बताया। वह घबराहट के मारे काँपने लगी और बगैर नहाए ही अपने महल में आ गई। इतनी देर में नूरुद्दीन भोग-विलास कर के महल से बाहर जा चुका था।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.