02-08-2019, 08:28 AM
उस दिन से नूरुद्दीन ने यह नियम बना लिया कि अक्सर अपनी माँ के पास आता और हुस्न आफरोज से आँखों-आँखों में बातें करता। हुस्न अफरोज भी खाकान की पत्नी की आँख बचा कर नूरुद्दीन से प्रेमपूर्वक आँखें मिलाती और संकेत ही में अपने हृदय की अभिलाषा कहती। यह मौन दृष्टि-विनिमय कब तक छुपाता। नूरुद्दीन की माँ उसका इरादा समझ गई और उससे बोली, प्यारे बेटे, अब भगवान की दया से तुम जवान हो गए हो। अब तुम्हारे लिए उचित नहीं है कि स्त्रियों में अधिक बैठो। तुम दोपहर का भोजन कर के तुरंत बाहर मरदाने में चले जाया करो। नूरुद्दीन ने विवशता में यह मान लिया।
दो दिन बाद खाकान की पत्नी ने कुछ दासियों के साथ हुस्न अफरोज को हम्माम में भेजा। उन्होंने उसे गरम पानी से मल-मल कर नहलाया और फिर नए सुनहरे कपड़े पहनाए। जब वह खाकान की पत्नी के पास आई तो बुढ़िया उसे न पहचान सकी और बोली, बेटी, तुम कौन हो? कहाँ से आई हो? उसने हँस कर कहा, मैं आपकी दासी हुस्न अफरोज हूँ, केवल स्नान कर के आई हूँ। आपने जो दासियाँ मेरे साथ भेजी थीं वे भी कह रही थीं कि तुम स्नान के बाद इतनी अच्छी हो गई हो कि पहचानी नहीं जातीं। खाकान की पत्नी ने कहा, सचमुच तुम पहचानी नहीं जातीं। दासियों ने यह बात तुम्हारी खुशामद में नहीं कही थी। मैं भी तो तुम्हें नहीं पहचान सकी। अच्छा, यह बताओ कि हम्माम में अभी कुछ गरम पानी बचा है या तुमने सब खर्च कर डाला। मैंने भी बहुत दिन से नहीं नहाया है और नहा कर तरोताजा होना चाहती हूँ। हुस्न अफरोज ने कहा, जरूर नहाइए। अभी काफी गरम पानी हम्माम में मौजूद है।
दो दिन बाद खाकान की पत्नी ने कुछ दासियों के साथ हुस्न अफरोज को हम्माम में भेजा। उन्होंने उसे गरम पानी से मल-मल कर नहलाया और फिर नए सुनहरे कपड़े पहनाए। जब वह खाकान की पत्नी के पास आई तो बुढ़िया उसे न पहचान सकी और बोली, बेटी, तुम कौन हो? कहाँ से आई हो? उसने हँस कर कहा, मैं आपकी दासी हुस्न अफरोज हूँ, केवल स्नान कर के आई हूँ। आपने जो दासियाँ मेरे साथ भेजी थीं वे भी कह रही थीं कि तुम स्नान के बाद इतनी अच्छी हो गई हो कि पहचानी नहीं जातीं। खाकान की पत्नी ने कहा, सचमुच तुम पहचानी नहीं जातीं। दासियों ने यह बात तुम्हारी खुशामद में नहीं कही थी। मैं भी तो तुम्हें नहीं पहचान सकी। अच्छा, यह बताओ कि हम्माम में अभी कुछ गरम पानी बचा है या तुमने सब खर्च कर डाला। मैंने भी बहुत दिन से नहीं नहाया है और नहा कर तरोताजा होना चाहती हूँ। हुस्न अफरोज ने कहा, जरूर नहाइए। अभी काफी गरम पानी हम्माम में मौजूद है।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.