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मदन-मृणालिनी
#22
उसने तौलिए से होंठ साफ किए और बोला, 'खत लिखने में क्या बुराई है? कहानी लेखिका को कुछ तो उदार होना चाहिए।' कुशल ने अपनी टाँग से ट्रंक को थोड़ा सा सरका दिया और फिर वह ऐसे पैर हिलाने लगा, जैसे ट्रंक संयोग से छू गया हो। 'आप कोई और मकान देखिए।' तृप्ता ने कहा, 'चीजें रखने के लिए भी जगह नहीं है। सारी रात ट्रंक मेरी पीठ पर चुभता रहता है।' 'सोने से पहले ट्रंक को खाट के नीचे से निकाल दिया करो।' कुशल ने कहा। 'आप शेव क्यों नहीं बनाते?' 'शेव तो अब बन ही जायेगी।' कुशल रेजर को पानी के गिलास में घुमा रहा थ। जब साबुन उतर गया तो उसने कहा, 'सुब्बी तो अभी बिलकुल मासूम है।

मुझे समझ में नहीं आता कि तुम उसके बारे में उलटी-सीधी बातें क्यों सोचती रहती हो।' 'आपको बात का पता नहीं होता और...।' 'और क्या? खत लिखने में मुझे तो कोई बुराई नजर नहीं आती।' कुशल ने जान-बूझ कर तृप्ता से आँख नहीं मिलाई। तृप्ता को कुछ सोचते हुए पा उसने कहा, 'खत लिखने के अलावा भी कुछ करती हो, मैं सोच नहीं सकता। तुम इस बात को क्यों भूल जाती हो कि अक्सर लड़कियाँ डरपोक होती हैं।' 'आपको उसी दिन पता चलेगा, जब उसके भागने की खबर मिलेगी।' 'अगर सुब्बी ऐसी लड़की है, तो तुम उसके साथ सम्बन्ध क्यों रखे हो? 'मैं तो उसे समझाती रहती हूँ।'क्या समझाती रहती हो?'

कुशल के गाल पर एक कट आ गया। 'यही कि दर्शन खत लिखता है तो वह जवाब क्यों देती है?' कुशल ने तौलिए से गला साफ किया। दूसरे ही क्षण खून का एक और कतरा चमकने लगा। तृप्ता भाग कर डेटाल ले आई। रुई से उसके गाल पर लगाते हुए बोली, 'मैंने उसे यह भी समझाया है कि वह दर्शन से कहे कि जब तक वह उसके पिछले खत नहीं लौटाएगा, वह उससे बात नहीं करेगी।' कुशल ने कहकहा लगाया और बोला, 'तुम जरूर उसे फँसाओगी।' 'फँसाऊँगी कैसे?' 'उससे न तो खतों को नष्ट करते ही बनेगा और सँभाल कर रखेगी तो किसी वक्त भी राज खुल सकता है।' कुशल ने कहा। 'भाड़ में जाये सुब्बी और उसके खत।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: मदन-मृणालिनी - by neerathemall - 02-08-2019, 08:05 AM



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