02-08-2019, 08:01 AM
सासु जी
ननदों की जुबान बंद करने का एक ही तरीका था की मैं गारी की बारिश फिर शुरू कर दूँ ,...
लेकिन तबतक जेठानी जी ने मुझे कान में इशारा किया ,
मैं अपनी सास को भी लपेटूँ , सास जी के कमेंट का इशारा भी यही था।
मैंने मुस्कराते हुए अपनी सासु जी का पहले तो पैर छुआ और माफ़ी मांग ली ,
" आपकी समधन की समधन को ,... "
और आगे की बात उन्होंने और बुआ सास ने पूरी की , एक साथ
" अरे नहीं सुनाया तो बुरा मानेंगी ,... "
और मैं चालू हो गयी ,
कामदानी दुपट्टा हमारा है , कामदानी दुपट्टा ,
एक किया दो किया साढ़े तीन किया ,
हमारी सासु जी ने , बुआ सासु जी जी , एक किया दो किया साढ़े तीन किया ,
हिन्दू * किया , तुर्क पठान किया , कोरी चमार किया
अरे नौ सौ पण्डे बनारस के , अरे नौ सौ गुंडे बनारस के
कामदानी दुपट्टा हमारा है , कामदानी दुपट्टा ,
एक किया दो किया साढ़े तीन किया ,
हमारी सासु जी ने , बुआ सासु जी जी , एक किया दो किया साढ़े तीन किया ,
हिन्दू * किया , तुर्क पठान किया , कोरी चमार किया
अरे नौ सौ छैले बनारस के , अरे नौ सौ यार आजमगढ़ के
( बनारस मेरा मायका था और आजमगढ़ ससुराल , और मैंने अपनी ननद , उस एलवल वाली गुड्डी को नहीं छोड़ा )
कामदानी दुपट्टा हमारा है , कामदानी दुपट्टा ,
एक किया दो किया साढ़े तीन किया ,
हमारी ननद छिनार ने , गुड्डी छिनार ने , एक किया दो किया साढ़े तीन किया ,
हिन्दू * किया , तुर्क पठान किया , कोरी चमार किया
अरे नौ सौ भंडुए कालीनगंज के ,
( कालीनगंज मेरे ससुराल की रंडियों का मुहल्ला था , और गारियों में ननदों को जरूर वहां से जोड़ा जाता था )
अरे नौ सौ ,... अरे गुड्डी छिनार ने , गुड्डी स्साली ने , अरे नौ सौ
( मेरी जेठानियाँ , गुड्डो मेरा साथ दे रही थीं , लेकिन मैं जान बूझ कर नौ सौ के बाद रुक जा रही थी। आखिर मेरी जेठानी ने पूछ ही लिया , नौ सौ क्या ,
और मैंने पूरा किया
अरे नौ सौ ,... अरे गुड्डी छिनार ने , गुड्डी स्साली ने , अरे नौ सौ गदहे एलवल के , अरे नौ सौ गदहे एलवल के ,
फिर तो वो हल्ला हुआ , सारी ननदों की लेकिन मंझली ननद और दुलारी बहुत खुश दुलारी बोली ,
अब मिली हैं छुटकी भौजी टक्कर की ,
असल में मेरी ननद जिस गली में रहती थीं , वहीँ ढेर सारे धोबी भी थे और गली केबाहर
दो चार गदहे हरदम बंधे रहते थे ,...
" बड़ी कैपसिटी है गुड्डी तेरी , गदहे भी , वो भी एक दो नहीं पूरे नहीं नौ सौ , ... "
एक मेरी जेठानी ने छेड़ा तो मेरी जेठानी ने जोड़ा
" अरे तो क्या हुआ उसके मोहल्ले के हैं तो उसके भाई ही लगेगे न
और हमारी तो सारी ननदें अपने भाइयों से फंसी रहती हैं ,... "
मेरी सास ने मेरी बुआ सास को दिखाते हुए मुझसे कहा ,
" एकदम बहु तुम्हारी ससुराल का रिवाज ही यही , सारी की सारी ननदें , अपनी बुआ सास को देख लो ,... "
मैं मुश्किल से मुस्कान दबा रही थी और गुड्डो ने फिर से ढोलक चालू कर दी थी मैं भी चालू हो गयी
और इस बार फिर मेरे निशाने पर सासू जी थीं , और बुआ सासू , ...
पर मैं अपनी चिकनी चमेली ननदों को कैसे छोड़ देती और फायदा मेरे मायके वालों का ,
मोती झलकै लाली बेसरिया में मोती झलके , अरे मोती झलकै लाली बेसरिया में मोती झलके,
अरे हमारे पापा जी आंगने में आये , अँगने में आये ,
अरे बैठन को , अरे बैठन को , ....
बैठन को कुर्सी ,
पीने को पानी ,
खाने को खाना ,
अरे सोवन को , अरे संग सोवन को हमरे पापा जी के संग सोवन को
( सब लोग मेरे साथ गा रहे थे , रस ले ले कर , फिर मैं कुछ देर तक ,
सिर्फ गुड्डो की ढोलक ठनक रही थी , मैंने सासू जी की ओर देखा और गाने को आगे बढ़ाया )
अरे सोवन को , संग सोवन को मजा लूटन को , हमारी सासू जी राजी रे , अरे उनकी समधन रानी राजी रे ,
( खूब हो हो हुआ , मेरे सास एकदम खुश लेकिन उन्होंने अपनी ननद इनकी बुआ की ओर इशारा किया ,
मैंने गाना आगे बढ़ाया )
मोती झलकै लाली बेसरिया में मोती झलके , अरे मोती झलकै लाली बेसरिया में मोती झलके,
अरे हमारे फूफा जी जी आंगने में आये , अँगने में आये ,
अरे बैठन को , अरे बैठन को , ....
बैठन को कुर्सी ,
पीने को पानी ,
खाने को खाना ,
अरे सोवन को , अरे संग सोवन को हमरे फूफा के संग सोवन को
अरे सोवन को , संग सोवन को मजा लूटन को , हमारी बुआ सासू जी राजी रे , अरे उनकी समधन रानी राजी रे ,
( मंझली ननद मेरी बहुत मुस्करा रही थीं , जेठानी ने उनकी ओर इशारा किया और मैंने अपनी मंझली ननद को )
मोती झलकै लाली बेसरिया में मोती झलके , अरे मोती झलकै लाली बेसरिया में मोती झलके,
अरे हमारे जेठ जी जी आंगने में आये , अँगने में आये ,
अरे बैठन को , अरे बैठन को , ....
बैठन को कुर्सी ,
पीने को पानी ,
खाने को खाना ,
अरे सोवन को , अरे संग सोवन को हमरे जेठ जी के संग सोवन को
अरे सोवन को , संग सोवन को मजा लूटन को , हमारी मंझली ननदिया राजी रे ,
अरे सोवन को , संग सोवन को रात चिपकन को , टांग उठावन को , मंझली ननदिया राजी रे।
( क्यों सील अपने भइया से तोड़वा के गयी थी क्या , ... एक जेठानी ने मंझली ननद को जोर से चिढ़ाया।
गुड्डो दमदार ढोलक बजा रही थी , हम लोगों तो हमारी ननदों ने एक से एक ,
लेकिन गुड्डो बची हुयी थी ,
अभी तक सूखी , दुलारी ने मुझे उसकी ओर इशारा किया और मैंने उसको भी लपेट लिया )
मोती झलकै लाली बेसरिया में मोती झलके , अरे मोती झलकै लाली बेसरिया में मोती झलके,
अरे हमारे देवर जी जी आंगने में आये , अरे अनुज भइया अँगने में आये ,
अरे बैठन को , अरे बैठन को , ....
बैठन को कुर्सी ,
पीने को पानी ,
खाने को खाना ,
अरे सोवन को , अरे संग सोवन को हमरे देवर के के संग,अनुज भैय्या के संग सोवन को
अरे सोवन को , संग सोवन को जोबना लुटावन को , हमारी गुड्डो राजी रे ,
( वो खूब शर्मायी और अब नंदों को भी मौक़ा मिला गया , गुड्डी , उसकी सहेली , वही एलवल वाली खूब जोर से उसने चिढ़ाया , और मैने उसका नाम भी जोड़ दिया, और किसके साथ अपने सैंया के साथ )
मोती झलकै लाली बेसरिया में मोती झलके , अरे मोती झलकै लाली बेसरिया में मोती झलके,
अरे हमारे सैंया जी जी आंगने में आये , अँगने में आये ,
अरे बैठन को , अरे बैठन को , ....
बैठन को कुर्सी ,
पीने को पानी ,
खाने को खाना ,
अरे सोवन को , अरे संग सोवन को ह
अरे सोवन को , संग सोवन को मजा लूटन को ,
टांग उठावन को जांघ फैलावन को ,
अरे रोज चोदावन को , ...
( सब लोग सांस रोके इन्तजार कर रहे थे , किसका लिफ़ाफा खुलेगा , और मैंने पत्ता खोल दिया )
अरे रोज चोदावन को , एलवल वाली , अरे गुड्डी ननदी , अरे गुड्डी छिनरो राजी रे , अरे संग सोवन
ये लाइन सारी जेठानियो ने मिलकर , गुड्डी को दिखाते छेड़ते हुए कम से कम दस बार गायी।
मेरी निगाह लेकिन सिर्फ अपनी सासू और जेठानी की ओर लगी थी ,
जेठानी तो मेरी बाकी रिश्ते की जेठानियों के साथ मिलकर ननदों की ऐसी की तैसी करने में लगी थीं ,
पर मेरी सास एकदम महा खुश , कभी मेरी ओर देखतीं तो कभी मोहल्ले की औरतों की ओर , ...
फिर मुझे देख कर , अपनी ननद , इनकी बुआ की ओर इशारा कर के बोलीं ,
" बहु , तुमने अपनी ननदों को तो हाल एकदम खुल्ल्मखुला , खोल खोल के सुनाया , ...
लेकिन मेरी ननद को ऐसे ही सूखे सूखे सस्ते में , अपने फूफ़ा के साथ सुला के , ...
अरे तेरी ससुराल में किसी ननद का काम एक दो चार यार से नहीं चलता ,... "
ननदों की जुबान बंद करने का एक ही तरीका था की मैं गारी की बारिश फिर शुरू कर दूँ ,...
लेकिन तबतक जेठानी जी ने मुझे कान में इशारा किया ,
मैं अपनी सास को भी लपेटूँ , सास जी के कमेंट का इशारा भी यही था।
मैंने मुस्कराते हुए अपनी सासु जी का पहले तो पैर छुआ और माफ़ी मांग ली ,
" आपकी समधन की समधन को ,... "
और आगे की बात उन्होंने और बुआ सास ने पूरी की , एक साथ
" अरे नहीं सुनाया तो बुरा मानेंगी ,... "
और मैं चालू हो गयी ,
कामदानी दुपट्टा हमारा है , कामदानी दुपट्टा ,
एक किया दो किया साढ़े तीन किया ,
हमारी सासु जी ने , बुआ सासु जी जी , एक किया दो किया साढ़े तीन किया ,
हिन्दू * किया , तुर्क पठान किया , कोरी चमार किया
अरे नौ सौ पण्डे बनारस के , अरे नौ सौ गुंडे बनारस के
कामदानी दुपट्टा हमारा है , कामदानी दुपट्टा ,
एक किया दो किया साढ़े तीन किया ,
हमारी सासु जी ने , बुआ सासु जी जी , एक किया दो किया साढ़े तीन किया ,
हिन्दू * किया , तुर्क पठान किया , कोरी चमार किया
अरे नौ सौ छैले बनारस के , अरे नौ सौ यार आजमगढ़ के
( बनारस मेरा मायका था और आजमगढ़ ससुराल , और मैंने अपनी ननद , उस एलवल वाली गुड्डी को नहीं छोड़ा )
कामदानी दुपट्टा हमारा है , कामदानी दुपट्टा ,
एक किया दो किया साढ़े तीन किया ,
हमारी ननद छिनार ने , गुड्डी छिनार ने , एक किया दो किया साढ़े तीन किया ,
हिन्दू * किया , तुर्क पठान किया , कोरी चमार किया
अरे नौ सौ भंडुए कालीनगंज के ,
( कालीनगंज मेरे ससुराल की रंडियों का मुहल्ला था , और गारियों में ननदों को जरूर वहां से जोड़ा जाता था )
अरे नौ सौ ,... अरे गुड्डी छिनार ने , गुड्डी स्साली ने , अरे नौ सौ
( मेरी जेठानियाँ , गुड्डो मेरा साथ दे रही थीं , लेकिन मैं जान बूझ कर नौ सौ के बाद रुक जा रही थी। आखिर मेरी जेठानी ने पूछ ही लिया , नौ सौ क्या ,
और मैंने पूरा किया
अरे नौ सौ ,... अरे गुड्डी छिनार ने , गुड्डी स्साली ने , अरे नौ सौ गदहे एलवल के , अरे नौ सौ गदहे एलवल के ,
फिर तो वो हल्ला हुआ , सारी ननदों की लेकिन मंझली ननद और दुलारी बहुत खुश दुलारी बोली ,
अब मिली हैं छुटकी भौजी टक्कर की ,
असल में मेरी ननद जिस गली में रहती थीं , वहीँ ढेर सारे धोबी भी थे और गली केबाहर
दो चार गदहे हरदम बंधे रहते थे ,...
" बड़ी कैपसिटी है गुड्डी तेरी , गदहे भी , वो भी एक दो नहीं पूरे नहीं नौ सौ , ... "
एक मेरी जेठानी ने छेड़ा तो मेरी जेठानी ने जोड़ा
" अरे तो क्या हुआ उसके मोहल्ले के हैं तो उसके भाई ही लगेगे न
और हमारी तो सारी ननदें अपने भाइयों से फंसी रहती हैं ,... "
मेरी सास ने मेरी बुआ सास को दिखाते हुए मुझसे कहा ,
" एकदम बहु तुम्हारी ससुराल का रिवाज ही यही , सारी की सारी ननदें , अपनी बुआ सास को देख लो ,... "
मैं मुश्किल से मुस्कान दबा रही थी और गुड्डो ने फिर से ढोलक चालू कर दी थी मैं भी चालू हो गयी
और इस बार फिर मेरे निशाने पर सासू जी थीं , और बुआ सासू , ...
पर मैं अपनी चिकनी चमेली ननदों को कैसे छोड़ देती और फायदा मेरे मायके वालों का ,
मोती झलकै लाली बेसरिया में मोती झलके , अरे मोती झलकै लाली बेसरिया में मोती झलके,
अरे हमारे पापा जी आंगने में आये , अँगने में आये ,
अरे बैठन को , अरे बैठन को , ....
बैठन को कुर्सी ,
पीने को पानी ,
खाने को खाना ,
अरे सोवन को , अरे संग सोवन को हमरे पापा जी के संग सोवन को
( सब लोग मेरे साथ गा रहे थे , रस ले ले कर , फिर मैं कुछ देर तक ,
सिर्फ गुड्डो की ढोलक ठनक रही थी , मैंने सासू जी की ओर देखा और गाने को आगे बढ़ाया )
अरे सोवन को , संग सोवन को मजा लूटन को , हमारी सासू जी राजी रे , अरे उनकी समधन रानी राजी रे ,
( खूब हो हो हुआ , मेरे सास एकदम खुश लेकिन उन्होंने अपनी ननद इनकी बुआ की ओर इशारा किया ,
मैंने गाना आगे बढ़ाया )
मोती झलकै लाली बेसरिया में मोती झलके , अरे मोती झलकै लाली बेसरिया में मोती झलके,
अरे हमारे फूफा जी जी आंगने में आये , अँगने में आये ,
अरे बैठन को , अरे बैठन को , ....
बैठन को कुर्सी ,
पीने को पानी ,
खाने को खाना ,
अरे सोवन को , अरे संग सोवन को हमरे फूफा के संग सोवन को
अरे सोवन को , संग सोवन को मजा लूटन को , हमारी बुआ सासू जी राजी रे , अरे उनकी समधन रानी राजी रे ,
( मंझली ननद मेरी बहुत मुस्करा रही थीं , जेठानी ने उनकी ओर इशारा किया और मैंने अपनी मंझली ननद को )
मोती झलकै लाली बेसरिया में मोती झलके , अरे मोती झलकै लाली बेसरिया में मोती झलके,
अरे हमारे जेठ जी जी आंगने में आये , अँगने में आये ,
अरे बैठन को , अरे बैठन को , ....
बैठन को कुर्सी ,
पीने को पानी ,
खाने को खाना ,
अरे सोवन को , अरे संग सोवन को हमरे जेठ जी के संग सोवन को
अरे सोवन को , संग सोवन को मजा लूटन को , हमारी मंझली ननदिया राजी रे ,
अरे सोवन को , संग सोवन को रात चिपकन को , टांग उठावन को , मंझली ननदिया राजी रे।
( क्यों सील अपने भइया से तोड़वा के गयी थी क्या , ... एक जेठानी ने मंझली ननद को जोर से चिढ़ाया।
गुड्डो दमदार ढोलक बजा रही थी , हम लोगों तो हमारी ननदों ने एक से एक ,
लेकिन गुड्डो बची हुयी थी ,
अभी तक सूखी , दुलारी ने मुझे उसकी ओर इशारा किया और मैंने उसको भी लपेट लिया )
मोती झलकै लाली बेसरिया में मोती झलके , अरे मोती झलकै लाली बेसरिया में मोती झलके,
अरे हमारे देवर जी जी आंगने में आये , अरे अनुज भइया अँगने में आये ,
अरे बैठन को , अरे बैठन को , ....
बैठन को कुर्सी ,
पीने को पानी ,
खाने को खाना ,
अरे सोवन को , अरे संग सोवन को हमरे देवर के के संग,अनुज भैय्या के संग सोवन को
अरे सोवन को , संग सोवन को जोबना लुटावन को , हमारी गुड्डो राजी रे ,
( वो खूब शर्मायी और अब नंदों को भी मौक़ा मिला गया , गुड्डी , उसकी सहेली , वही एलवल वाली खूब जोर से उसने चिढ़ाया , और मैने उसका नाम भी जोड़ दिया, और किसके साथ अपने सैंया के साथ )
मोती झलकै लाली बेसरिया में मोती झलके , अरे मोती झलकै लाली बेसरिया में मोती झलके,
अरे हमारे सैंया जी जी आंगने में आये , अँगने में आये ,
अरे बैठन को , अरे बैठन को , ....
बैठन को कुर्सी ,
पीने को पानी ,
खाने को खाना ,
अरे सोवन को , अरे संग सोवन को ह
अरे सोवन को , संग सोवन को मजा लूटन को ,
टांग उठावन को जांघ फैलावन को ,
अरे रोज चोदावन को , ...
( सब लोग सांस रोके इन्तजार कर रहे थे , किसका लिफ़ाफा खुलेगा , और मैंने पत्ता खोल दिया )
अरे रोज चोदावन को , एलवल वाली , अरे गुड्डी ननदी , अरे गुड्डी छिनरो राजी रे , अरे संग सोवन
ये लाइन सारी जेठानियो ने मिलकर , गुड्डी को दिखाते छेड़ते हुए कम से कम दस बार गायी।
मेरी निगाह लेकिन सिर्फ अपनी सासू और जेठानी की ओर लगी थी ,
जेठानी तो मेरी बाकी रिश्ते की जेठानियों के साथ मिलकर ननदों की ऐसी की तैसी करने में लगी थीं ,
पर मेरी सास एकदम महा खुश , कभी मेरी ओर देखतीं तो कभी मोहल्ले की औरतों की ओर , ...
फिर मुझे देख कर , अपनी ननद , इनकी बुआ की ओर इशारा कर के बोलीं ,
" बहु , तुमने अपनी ननदों को तो हाल एकदम खुल्ल्मखुला , खोल खोल के सुनाया , ...
लेकिन मेरी ननद को ऐसे ही सूखे सूखे सस्ते में , अपने फूफ़ा के साथ सुला के , ...
अरे तेरी ससुराल में किसी ननद का काम एक दो चार यार से नहीं चलता ,... "