02-08-2019, 01:53 AM
तृप्ता डरपोक... कुशल ने मदन की ओर देखते हुए कागज निकाला और मेज के नीचे ले जा कर रद्दी की टोकरी में फेंक दिया। शाम को जब वह घर लौटा था, तो सोम जा चुका था। भोजन के बाद जब तृप्ता तश्तरी में आम ले आयी, उसने जान-बूझ कर नहीं पूछा कि आम कौन लाया। आम की गुठली चूसते हुए तृप्ता ने कहा था, 'पाँच बजे तक सोम आपका इंतजार करता रहा।' कुशल ने उत्तर नहीं दिया और तृप्ता को चाय के लिए कह कर नल की ओर चला गया था। 'सोम कह रहा था, माँ बहुत याद कर रही थीं।' नल से लौट कर कुशल ने देखा, तृप्ता की गालों पर आम का रस लगा था। उसने तृप्ता की बात अनसुनी कर दी और
तौलिए से उसके गाल पोंछ दिये।चाय का दूसरा प्याला पीते-पीते कुशल भी पसीने से भीगने लगा। उसने बुश्शर्ट उतार कर खाट पर रख दी और अपनी छाती के घने बालों में तिरता हुआ पसीना पोंछने लगा। काले बालों के बीच एक सफेद बाल पर उसकी दृष्टि गयी तो उसने उसे अँगुली पर लपेट कर जड़ समेत उखाड़ दिया और फिर छाती पर हाथ फेरने लगा। तृप्ता ने टेबल घसीट कर कुशल के आगे कर दिया और उस पर शेव का सामान टिका दिया। कुशल मुँह पर हाथ फेरते हुए आईने में अपना चेहरा देखने लगा। 'आप अब शेव बना लीजिए।' तृप्ता ने कहा और कुशल की उतारी हुई बुश्शर्ट को चुहिया की दुम की
तरह पकड़ कर बाथरूम में ले गयी। कुशल ने रेजर में ब्लेड फिट किया और देर तक मुँह पर साबुन की झाग करता रहा, परन्तु उसका शेव बनाने का जी नहीं हो रहा था। उसे मालूम था कि अगर उसने शेव बना ली तो नहाना भी पड़ेगा और नहाने के लिए वह बिल्कुल तैयार नहीं था। उसकी पिण्डलियों में दर्द हो रहा था और देह का हर जोड़ टूट रहा था। यह सुबह से हो रहा था। और यही कारण था कि वह सुबह भी बिना नहाये निकल गया था। इस अद्भुत थकावट और विचित्र दर्द से कुन्द हो कर आज सुबह उठते ही तृप्ता से कहा था कि क्या कारण है वह कल से अतिरिक्त प्रेम कर रही है?कुशल को चेहरे पर झाग करते देख तृप्ता ने पूछा
तौलिए से उसके गाल पोंछ दिये।चाय का दूसरा प्याला पीते-पीते कुशल भी पसीने से भीगने लगा। उसने बुश्शर्ट उतार कर खाट पर रख दी और अपनी छाती के घने बालों में तिरता हुआ पसीना पोंछने लगा। काले बालों के बीच एक सफेद बाल पर उसकी दृष्टि गयी तो उसने उसे अँगुली पर लपेट कर जड़ समेत उखाड़ दिया और फिर छाती पर हाथ फेरने लगा। तृप्ता ने टेबल घसीट कर कुशल के आगे कर दिया और उस पर शेव का सामान टिका दिया। कुशल मुँह पर हाथ फेरते हुए आईने में अपना चेहरा देखने लगा। 'आप अब शेव बना लीजिए।' तृप्ता ने कहा और कुशल की उतारी हुई बुश्शर्ट को चुहिया की दुम की
तरह पकड़ कर बाथरूम में ले गयी। कुशल ने रेजर में ब्लेड फिट किया और देर तक मुँह पर साबुन की झाग करता रहा, परन्तु उसका शेव बनाने का जी नहीं हो रहा था। उसे मालूम था कि अगर उसने शेव बना ली तो नहाना भी पड़ेगा और नहाने के लिए वह बिल्कुल तैयार नहीं था। उसकी पिण्डलियों में दर्द हो रहा था और देह का हर जोड़ टूट रहा था। यह सुबह से हो रहा था। और यही कारण था कि वह सुबह भी बिना नहाये निकल गया था। इस अद्भुत थकावट और विचित्र दर्द से कुन्द हो कर आज सुबह उठते ही तृप्ता से कहा था कि क्या कारण है वह कल से अतिरिक्त प्रेम कर रही है?कुशल को चेहरे पर झाग करते देख तृप्ता ने पूछा
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
