02-08-2019, 01:22 AM
वे अपनी महत्ताा बतलाकर ही मौन नहीं हुए वरन हिन्दुओं के समस्त धाार्मिक ग्रन्थों और देवताओं की बहुत बड़ी कुत्सा भी की। इस प्रकार के उनके कुछ पद्य प्रमाण-स्वरूप नीचे लिखे जाते हैं-
योग यज्ञ जप संयमा तीरथ ब्रतदाना
नवधाा वेद किताब है झूठे का बाना।
कबीर बीजक , पृ. 411
चार वेद षट् शा ò ऊ औ दश अष्ट पुरान।
आसा दै जग बाँधिाया तीनों लोक भुलान।
कबीर बीजक , पृ. 14
औ भूले षट दर्शन भाई। पाख्रड भेष रहा लपटाई।
ताकर हाल होय अघकूचा। छदर्शन में जौन बिगूचा।
कबीर बीजक , पृ. 97
ब्रह्मा बिस्नु महेसर कहिये इनसिर लागी काई।
इनहिं भरोसे मत कोइ रहियो इनहूँ मुक्ति न पाई।
कबीर शब्दावली , द्वितीय भाग , पृ. 19
माया ते मन ऊपजै मन ते दश अवतार।
ब्रह्म बिस्नु धाोखे गये भरम परा संसार।
कबीर बीजक , पृ. 650
चार वेद ब्रह्मा निज ठाना।
मुक्ति का मर्म उनहुँ नहिं जाना।
कबीर बीजक , पृ. 104
भगवान कृष्णचन्द्र और हिन्दू देवताओं के विषय में जैसे घृणित भाव उन्होंने फैलाये, उनके अनेक पद इसके प्रमाण हैं। परन्तु मैं उनको यहाँ उठाना नहीं चाहता, क्योंकि उन पदों में अश्लीलता की पराकाष्ठा है।
योग यज्ञ जप संयमा तीरथ ब्रतदाना
नवधाा वेद किताब है झूठे का बाना।
कबीर बीजक , पृ. 411
चार वेद षट् शा ò ऊ औ दश अष्ट पुरान।
आसा दै जग बाँधिाया तीनों लोक भुलान।
कबीर बीजक , पृ. 14
औ भूले षट दर्शन भाई। पाख्रड भेष रहा लपटाई।
ताकर हाल होय अघकूचा। छदर्शन में जौन बिगूचा।
कबीर बीजक , पृ. 97
ब्रह्मा बिस्नु महेसर कहिये इनसिर लागी काई।
इनहिं भरोसे मत कोइ रहियो इनहूँ मुक्ति न पाई।
कबीर शब्दावली , द्वितीय भाग , पृ. 19
माया ते मन ऊपजै मन ते दश अवतार।
ब्रह्म बिस्नु धाोखे गये भरम परा संसार।
कबीर बीजक , पृ. 650
चार वेद ब्रह्मा निज ठाना।
मुक्ति का मर्म उनहुँ नहिं जाना।
कबीर बीजक , पृ. 104
भगवान कृष्णचन्द्र और हिन्दू देवताओं के विषय में जैसे घृणित भाव उन्होंने फैलाये, उनके अनेक पद इसके प्रमाण हैं। परन्तु मैं उनको यहाँ उठाना नहीं चाहता, क्योंकि उन पदों में अश्लीलता की पराकाष्ठा है।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.