01-08-2019, 03:50 PM
मेरा विचार है कि जो पद्य मैंने ग्रन्थ साहब से उध्दाृत किये हैं और जो पद्य कबीर ग्रन्थावली से लिये हैं, उनकी भाषा एक है,
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.