Thread Rating:
  • 1 Vote(s) - 5 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
साहित्य
#21
महात्मा गोरखनाथ ही ऐसे पहले ब्राह्मण हैं, जिन्होंने संस्कृत का विद्वान् होने पर भी हिन्दी भाषा के गद्य और पद्य में धाार्मिक ग्रन्थ निर्माण किये। जनता पर प्रभाव डालने के लिए उसकी बोल-चाल की भाषा ही विशेष उपयोगिनी होती है। सिध्द लोगों ने इसी सूत्रा से बहुत सफलता लाभ की थी, इसलिए महात्मा गोरखनाथ जी को भी अपने सिध्दान्तों के प्रचार के लिए इस मार्ग का अवलम्बन करना पड़ा। उनके कुछ पद्य देखिए-

आओ भाई धारिधारि जाओ , गोरखबाला भरिभरि लाओ।

झरै न पारा बाजै नाद , ससिहर सूर न वाद विवादड्ड 1 ड्ड

पवनगोटिकारहणिअकास , महियलअंतरिगगन कविलास।

पयाल नी डीबीसुन्नचढ़ाई , कथतगोरखनाथ मछींद्रबताईड्ड 2 ड्ड

चार पहर आलिंगन निद्रा संसार जाई विषिया बाही।

उभयहाथों गोरखनाथ पुकारै तुम्हैंभूलमहारौ माह्याभाईड्ड 3 ड्ड

वामा अंगे सोईबा जम चा भोगिबा सगे न पिवणा पाणी।

इमतो अजरावर होई मछींद्र बोल्यो गोरख वाणीड्ड 4 ड्ड

छाँटै तजौगुरु छाँटै तजौ लोभ माया।

आत्मा परचै राखौ गुरु देव सुन्दर कायाड्ड 5 ड्ड

एतैं कछु कथीला गुरु सर्वे भैला भोलै।

सर्बे कमाई खोई गुरु बाघ नी चै बोलैड्ड 6 ड्ड

हबकि न बोलिबा ठबकि न चलिबा धाीरे धारिबा पाँवं।

गरब न करिबा सहजै रहिबा भणत गोरखरावंड्ड 7 ड्ड

हँसिबा खेलिबा गाइबा गीत। दृढ़ करि राखै अपना चीत।

खाये भी मरिये अणखाये भी मरिये।

गोरख कहे पूता संजमही तरियेड्ड 8 ड्ड

मध्दि निंरतर कीजै वास। निहचल मनुआ थिर ह्नै साँस।

आसण पवन उपद्रह करै। निसदिन आरँभ पचिपचि मरैड्ड 9 ड्ड

इनकी भाषा अमीर खुसरो के समान न तो प्रांजल है, न हिन्दी की बोलचाल के रंग में ढली, फिर भी बहुत सुधारी हुई और हिन्दीपन लिये हुए है। उसके देखने से यह ज्ञात होता है कि किस प्रकार पन्द्रहवीं ईसवी शताब्दी के आरम्भ में हिन्दी भाषा अपने वास्तविक रूप में प्रकट हो रही थी। गोरखनाथ जी की रचना में विभिन्न प्रान्तों के शब्द भी व्यवहृत हुए हैं, जैसे गुजराती, 'नी' मरहठी 'चा' और राजस्थानी 'बोलिबा' धारिबा, चलिबा इत्यादि। उस समय के महात्माओं की रचना में यह देखा जाता है कि अधिाकतर देशाटन करने के कारण उनकी रचनाओं में कतिपय प्रान्तिक शब्द भी आ जाते हैं। यह बात अधिाकतर उस काल के और बाद के सन्तों की बानियों में पाई जाती है। मेरा विचार है, गोरखनाथ जी ही इसके आदिम प्र्रवत्ताक हैं,जिसका अनुकरण उनके उपरान्त बहुत कुछ हुआ। इन दो-एक बातों को छोड़कर इनकी रचनाओं में हिन्दी भाषा की सब विशेषताएँ पाई जाती हैं। उनमें संस्कृत तत्सम शब्दों का अधिाकतर प्रयोग है। जो प्राकृत प्रणाली के अनुकूल नहीं। धाार्मिक शिक्षा-प्रसार के लिए अग्रसर होने पर अपनी रचनाओं में उनका संस्कृत तत्सम शब्दों का प्रयोग करना स्वाभाविक था। हिन्दी कविता में आगे चलकर हमको प्रेमधाारा, भक्ति-धाारा एवं सगुण-निर्गुण विचारधाारा बड़े वेग से प्रवाहित होती दृष्टिगत होती है, किन्तु इन सबसे पहले उसमें ज्ञान और योगधाारा उसी सबलता से बही थी, जिसके आचार्य महात्मा गोरखनाथजी हैं। इन्हीं के मार्ग को अवलम्बन कर बाद को अन्य धााराओं का हिन्दी भाषा में विकास हुआ। योग और ज्ञान का विषय भी ऐसा था जिसमें संस्कृत तत्सम शब्दों से अधिाकतर काम लेने की आवश्यकता पड़ी। इसीलिए उनकी रचनाओं में सूर्य, 'वाद-विवाद', 'पवन', 'गोटिका', 'गगन', 'आलिंगन', 'निद्रा', 'संसार', 'आत्मा', 'गुरुदेव', 'सुन्दर', 'सर्वे' इत्यादि का प्रयोग देखा जाता है। फिर भी उनमें अपभ्रंश अथवा प्राकृत शब्द मिल ही जाते हैं जैसे 'अकास', 'महियल', 'अजराबर' इत्यादि। हिन्दी तद्भव शब्दों की तो इनकी रचनाओं में भरमार है और यही बात इनकी रचनाओं में हिन्दी-पन की विशेषता का मूल है।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
Do not mention / post any under age /rape content. If found Please use REPORT button.


Messages In This Thread
साहित्य - by neerathemall - 01-08-2019, 03:42 PM
RE: साहित्य - by neerathemall - 01-08-2019, 03:42 PM
RE: साहित्य - by neerathemall - 01-08-2019, 03:42 PM
RE: साहित्य - by neerathemall - 01-08-2019, 03:43 PM
RE: साहित्य - by neerathemall - 01-08-2019, 03:43 PM
RE: साहित्य - by neerathemall - 01-08-2019, 03:43 PM
RE: साहित्य - by neerathemall - 01-08-2019, 03:44 PM
RE: साहित्य - by neerathemall - 01-08-2019, 03:44 PM
RE: साहित्य - by neerathemall - 01-08-2019, 03:44 PM
RE: साहित्य - by neerathemall - 01-08-2019, 03:45 PM
RE: साहित्य - by neerathemall - 01-08-2019, 03:45 PM
RE: साहित्य - by neerathemall - 01-08-2019, 03:45 PM
RE: साहित्य - by neerathemall - 01-08-2019, 03:45 PM
RE: साहित्य - by neerathemall - 01-08-2019, 03:46 PM
RE: साहित्य - by neerathemall - 01-08-2019, 03:46 PM
RE: साहित्य - by neerathemall - 01-08-2019, 03:47 PM
RE: साहित्य - by neerathemall - 01-08-2019, 03:47 PM
RE: साहित्य - by neerathemall - 01-08-2019, 03:47 PM
RE: साहित्य - by neerathemall - 01-08-2019, 03:47 PM
RE: साहित्य - by neerathemall - 01-08-2019, 03:47 PM
RE: साहित्य - by neerathemall - 01-08-2019, 03:48 PM
RE: साहित्य - by neerathemall - 01-08-2019, 03:48 PM
RE: साहित्य - by neerathemall - 01-08-2019, 03:49 PM
RE: साहित्य - by neerathemall - 01-08-2019, 03:49 PM
RE: साहित्य - by neerathemall - 01-08-2019, 03:49 PM
RE: साहित्य - by neerathemall - 01-08-2019, 03:49 PM
RE: साहित्य - by neerathemall - 01-08-2019, 03:50 PM
RE: साहित्य - by neerathemall - 01-08-2019, 03:50 PM
RE: साहित्य - by neerathemall - 01-08-2019, 03:50 PM
RE: साहित्य - by ~rp - 01-08-2019, 08:19 PM
RE: साहित्य - by neerathemall - 02-08-2019, 01:20 AM
RE: साहित्य - by neerathemall - 02-08-2019, 01:21 AM
RE: साहित्य - by neerathemall - 02-08-2019, 01:21 AM
RE: साहित्य - by neerathemall - 02-08-2019, 01:22 AM
RE: साहित्य - by neerathemall - 02-08-2019, 01:22 AM
RE: साहित्य - by neerathemall - 02-08-2019, 01:23 AM
RE: साहित्य - by neerathemall - 02-08-2019, 01:23 AM
RE: साहित्य - by neerathemall - 02-08-2019, 01:23 AM



Users browsing this thread: 1 Guest(s)