Thread Rating:
  • 1 Vote(s) - 5 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
साहित्य
#8
जैसे तणय, मणहर, मण,गयण, दिणयर, दुज्जण इत्यादि। अपभ्रंश भाषा का यह नियम है कि अकारान्त शब्द के प्रथम और द्वितीया का एक वचन उकारयुक्त होता है। 1इन पद्यों में भी ऐसा प्रयोग मिलता है जैसे देसु, महन्तु, रेवन्तु, तेजु इत्यादि। प्राकृत और अपभ्रंश में शकार और षकार का बिलकुल प्रयोग नहीं होता, उसके स्थान पर सकार प्रयुक्त होता है2। जैसे श्रमण: समणो, शिष्य: सिस्सो। इन पद्यों में भी ऐसा प्रयोग मिलता है। परमेसर, देस, सामल दस, दिवसि, देसि, दिसन्तरु, देसणु इत्यादि। अपभ्रंश का यह नियम है कि अनेक स्थानों में दीर्घ स्वर Ðस्व एवं Ðस्व स्वर दीर्घ हो जाता है। इन पद्यों में बयणू,और रयणू का ऐसा ही प्रयोग है। इनमें जो हिन्दी के शब्द आये हैं जैसे करि, राज कर सारो, तासु, मुँह, दस, आबइ, रंग,बोलइ, धारइ, मन इत्यादि। इसी प्रकार जो संस्कृत के तत्सम शब्द आए हैं, जैसे गुण, राजग्रह, मति, अभय, पंकज, गिरि,सरि, सर, भूमि, रसाल, तरंग, सम, सखी, इत्यादि वे विशेष चिन्तनीय हैं। हिन्दी शब्द यह सूचित कर रहे हैं कि किस प्रकार वे धीरे-धीरे अपभ्रंश भाषा में अधिाकार प्राप्त कर रहे थे। संस्कृत के तत्सम शब्द यह बतलाते हैं कि उस समय प्राकृत नियमों के प्रतिकूल वे हिन्दी भाषा में गृहीत होने लगे थे। इन पद्यों में यह बात विशेष दृष्टि देने योग्य है कि इनमें एक शब्द के विभिन्न प्रयोग मिलते हैं जैसे मन के मण आदि। प्राय: 'न' के स्थान पर णकार का प्रयोग देखा जाता है, जैसे कि ऊपर लिखा जा चुका है, परन्तु न का सर्वथा त्याग भी नहीं है। जैसे नयर नायेण, नेमि इत्यादि।

मैं समझता हूँ, आरम्भिक काल में किस प्रकार अपभ्रंश भाषा परिवर्तित होकर हिन्दी भाषा में परिणत हुई, इसका पर्याप्त उदाहरण दिया जा चुका। उस समय की परिस्थिति के अनुकूल जो सामाजिक और राजनीतिक परिवर्तन हुए, उनका वर्णन भी जितना अपेक्षित था उतना किया गया। आरम्भिक काल में कुछ ऐसे ग्रन्थ भी लिखे गये हैं, जिनका सम्बन्धा वीरगाथाओं से नहीं है, परन्तु प्रथम तो उन ग्रंथों का नाम मात्रा लिया गया है, दूसरे जो ग्रन्थ उपलब्धा हैं वे थोडे हैं और उनकी प्राय: रचनाएँ ऐसी हैं जो उस काल की नहीं, वरन् माधयमिक काल की ज्ञात होती हैं। इसलिए उनका कोई उध्दरण नहीं दिया गया। अन्त में मैंने जैन सूरियों की जो तीन रचनाएँ उध्दाृत की हैं वे वीर-रस की नहीं हैं। तथापि मैंने उनको उपस्थित किया केवल इस उद्देश्य से कि जिसमें यह प्रकट हो सके कि वीर-गाथा सम्बन्धाी रचनाओं में ही नहीं आरम्भिक काल में ओज लाने के लिए प्राकृत और अपभ्रंश शब्दों का प्रयोग किया गया है, अन्य रचनाओं में भी इस प्रकार के प्रयोग मिलते हैं, जो यह बतलाते हैं कि उस काल की वास्तविक भाषा वही थी जो विकसित होकर अपभ्रंश से हिन्दीभाषा के परवर्ती रूप की ओर अग्रसर हो रही थी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply


Messages In This Thread
साहित्य - by neerathemall - 01-08-2019, 03:42 PM
RE: साहित्य - by neerathemall - 01-08-2019, 03:42 PM
RE: साहित्य - by neerathemall - 01-08-2019, 03:42 PM
RE: साहित्य - by neerathemall - 01-08-2019, 03:43 PM
RE: साहित्य - by neerathemall - 01-08-2019, 03:43 PM
RE: साहित्य - by neerathemall - 01-08-2019, 03:43 PM
RE: साहित्य - by neerathemall - 01-08-2019, 03:44 PM
RE: साहित्य - by neerathemall - 01-08-2019, 03:44 PM
RE: साहित्य - by neerathemall - 01-08-2019, 03:44 PM
RE: साहित्य - by neerathemall - 01-08-2019, 03:45 PM
RE: साहित्य - by neerathemall - 01-08-2019, 03:45 PM
RE: साहित्य - by neerathemall - 01-08-2019, 03:45 PM
RE: साहित्य - by neerathemall - 01-08-2019, 03:45 PM
RE: साहित्य - by neerathemall - 01-08-2019, 03:46 PM
RE: साहित्य - by neerathemall - 01-08-2019, 03:46 PM
RE: साहित्य - by neerathemall - 01-08-2019, 03:47 PM
RE: साहित्य - by neerathemall - 01-08-2019, 03:47 PM
RE: साहित्य - by neerathemall - 01-08-2019, 03:47 PM
RE: साहित्य - by neerathemall - 01-08-2019, 03:47 PM
RE: साहित्य - by neerathemall - 01-08-2019, 03:47 PM
RE: साहित्य - by neerathemall - 01-08-2019, 03:48 PM
RE: साहित्य - by neerathemall - 01-08-2019, 03:48 PM
RE: साहित्य - by neerathemall - 01-08-2019, 03:49 PM
RE: साहित्य - by neerathemall - 01-08-2019, 03:49 PM
RE: साहित्य - by neerathemall - 01-08-2019, 03:49 PM
RE: साहित्य - by neerathemall - 01-08-2019, 03:49 PM
RE: साहित्य - by neerathemall - 01-08-2019, 03:50 PM
RE: साहित्य - by neerathemall - 01-08-2019, 03:50 PM
RE: साहित्य - by neerathemall - 01-08-2019, 03:50 PM
RE: साहित्य - by ~rp - 01-08-2019, 08:19 PM
RE: साहित्य - by neerathemall - 02-08-2019, 01:20 AM
RE: साहित्य - by neerathemall - 02-08-2019, 01:21 AM
RE: साहित्य - by neerathemall - 02-08-2019, 01:21 AM
RE: साहित्य - by neerathemall - 02-08-2019, 01:22 AM
RE: साहित्य - by neerathemall - 02-08-2019, 01:22 AM
RE: साहित्य - by neerathemall - 02-08-2019, 01:23 AM
RE: साहित्य - by neerathemall - 02-08-2019, 01:23 AM
RE: साहित्य - by neerathemall - 02-08-2019, 01:23 AM



Users browsing this thread: 1 Guest(s)