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Misc. Erotica रेशमा - मेरी पड़ोसन
MEGAUPDATE 30

आज सिनिमा हॉल मे जो हुआ वो अनएक्सेपटीड था
रेशमा मेरी गोद मे थी
रेशमा बिना किसी नोक झोंक के मेरी गोद मे बैठ कर मेरे लंड को फील कर रही थी
रेशमा तो खुद को भूल गयी थी
मेरे पास अच्छा चान्स था लेकिन मैं ने कुछ नही किया
मेरे जैसा ईडियट कोई नही था
पर वो जगह भी ठीक नही थी ,
लेकिन मैं ने क्यूँ कुछ नही किया ये मेरी समझ मे नही आया
जाने दो उस बात से इतना तो पता चला कि रेशमा को एक साथी की ज़रूरत है
रेशमा भी अपने हरकत पर शर्मिंदा थी
पर उसको अच्छा लगा होगा कि मैं ने कुछ नही किया , उसको समझा कि उसकी क्या ज़रूरत थी
उस पल को याद करके नीद नही आ रही थी
रेशमा के बदन की गर्मी को अभी तक मेरा लंड फील कर रहा था
रेशमा का वो मदहोश होना
मेरा लंड तो उस बात को सोच कर ही खड़ा हो गया था
नींद ही नही आ रही थी
मेरा ये हाल था तो सोचो कि रेशमा का क्या हाल हो रहा होगा
उसकी नींद भी गायब हो गयी होगी
वो खुद पर शर्मिंदा होगी
मैं उसके बारे में क्या सोचूँगा यही रेशमा सोच रही होगी
रेशमा के दिमाग़ मे क्या चल रहा होगा वो सोचना भी मुश्किल था
शायद वो मुझे चेक कर रही हो
या सच मे रेशमा प्यासी है
रेशमा एक औरत थी उसकी भावनाए की कल्पना भी नही कर सकते
मुझे नींद नही आ रही थी तो सोचा कि चलो टीवी देखता हूँ
पर रात मे कुछ नही होता टीवी पर
ऐसे मे मैं बाल्कनी मे जाकर रात के जगमगाती चाँदनी को देखना चाहता था
शांत हवाओं मे अपने दिल को भी शांत करूँगा
जैसे ही मैं बाल्कनी मे आया तो मुझे रेशमा दिखाई दी जो अपने बाल्कनी मे बैठ कर चाँद को देख
रही थी
रेशमा को इस तरह देख कर मुझे अच्छा नही लगा
कितनी अकेली है रेशमा
उसके पास तो कोई नही है उसके दर्द को कम करने के लिए
उसको समझने वाला भी कोई नही था
ऐसे मे इस काली रात को अपनी सहेली बना लिया होगा
चाँदनी को अपना हमदर्द साथी बना लिया होगा
मैं रेशमा को ही देख रहा था
थोड़ी देर बाद रेशमा का ध्यान भी मेरी तरफ गया
मैं उसको ही देख रहा था
रेशमा उठ कर मेरे पास आ गयी
हम.अपनी अपनी बाल्कनी मे आमने सामने खड़े थे
अवी- नींद नही आ रही है
रेशमा-तुम कब आए
अवी- जब तुम अपनी ही दुनिया मे खोई थी तब आया
रेशमा-मैं तो बस ऐसे ही
अवी- तुम सिनिमा हॉल की बात को लेकर परेशान हो
रेशमा-नही
अवी- तो क्या बात है ,
रेशमा-बस अपने अकेलेपन को दूर कर रही हूँ
अवी- ये अच्छा तरीका नही है , इस से तुम खुद को और अकेली समझने लगोगी
रेशमा-मेरी किस्मत यही है
अवी- तुम्हारा अकेलापन दूर करने के लिए मैं हूँ ना तुम्हारा दोस्त
रेशमा-दोस्त की एक लिमिट होती है
अवी- लिमिट ख़तम भी कर सकते है
रेशमा-ये ग़लत होता है
अवी- तो दोस्त की तरह अपने डर को कम करने की कोशिस करो
रेशमा-तुम मेरा दर्द दूर करना चाहते हो
अवी- दोस्त होते है इस लिए
रेशमा-तो बताओ कि तुम चाहते क्या हो मुझसे
अवी- ये कैसा सवाल हुआ
रेशमा-तुम चाहते क्या हो ये जानना है
अवी- देखो इस सवाल जा जवाब ऐसा है कि सच बताऊ तो झूठ लगेगा और झूठ कहूँ तो सच लगेगा
रेशमा-क्या मतलब
अवी- तुम इस लिए परेशान हो ना कि मैं ने सिनिमा हॉल मे कुछ क्यूँ नही किया
रेशमा-हाँ
अवी- तुम सोच रही होगी कि मेरे पास इतना चान्स था फिर भी मैं कुछ किया क्यूँ नही ,
अवी- जबकि तुम तो होश मे नही थी , तुम मुझे रोक भी नही पाती फिर भी मैं ने कुछ किया क्यूँ
नही इस से परेशान हो ,
रेशमा-हाँ , तुम चाहते क्या हो ये जानना है
रेशमा-कुछ दिनो मे मुझसे दोस्ती की , मेरे करीब आ रहे हो , मेरे अकेले पन का फ़ायदा उठा रहे
हो , और जब तुम्हारे पास मोका था तो तुमने कुछ किया नही
अवी- अगर करता तो तुम मेरा साथ देती
रेशमा-जब होश मे आती तो तुम्हें थप्पड़ मारती
अवी- इसी लिए कुछ नही किया
रेशमा-मुझे सच चाहिए
अवी- सच कहूँ तो तुम्हें पहले बार देखते ही पसंद कर लिया था
लेकिन तुम शादी शुदा थी तो तुमसे दोस्ती बनाई
रेशमा-तो तुम भी दूसरे मर्द जैसे निकले
अवी- हाँ ,मर्द तो मर्द ही होते है
रेशमा-तो ये दोस्ती का नाटक क्यूँ किया
अवी- दोस्ती तो अपने आप हो गयी , पर जब दोस्ती हुई तो तुम्हें समझने लगा ,, जब तुम्हें समझा तो लगा कि
मैं ग़लत कर रहा हूँ , इस लिए सिर्फ़ दोस्त बन कर रहा ,और तुम्हें हसाता रहा , तुम्हारी हँसी वापस
लाने की कॉसिश की
रेशमा-क्यूँ किया ऐसा
अवी- तुम्हारे अकेलेपन को देख कर दर्द हुआ , तुम्हें रोता हुआ देख कर मैं भी रोया ऐसा नही
कहूँगा , बस लगा कि तुम्हें भी हँसने का मोका मिलना चाहिए
रेशमा-तो सिनिमा हॉल मे कुछ क्यूँ नही किया
अवी- तुम इतना क्यूँ पूछ रही हो , तुम चाहती थी क्या मैं कुछ करूँ
रेशमा-मैं ऐसा क्यूँ चाहूँगी
अवी- या तुमने मुझे चेक करने के लिए ऐसा किया
रेशमा-वो तो बस हो गया था
अवी- मैं ने तो उस बात के बारे में कुछ कहा भी नही फिर तुम इतना परेशान क्यूँ हो
रेशमा-क्यूँ कि मुझे नींद नही आ रही है
अवी- तो तुम्हें जानना है कि मैं ने कुछ क्यूँ नही किया
रेशमा-हाँ
अवी- तो इसके दो जवाब है
रेशमा-दोनो बताओ
अवी- 1) मैं तुम्हारी नज़रो मे अच्छा बन कर रहना चाहता था , मैं चाहता था कि तुम्हें लगे कि
मैं कितना शरीफ हूँ , इस लिए कुछ नही किया , और जब कोई ऐसा शरीफ बनता है तो लड़की के अंदर अच्छी
फीलिंग पैदा होती है और , लड़की जल्दी हाथ मे आती है
रेशमा-और दूसरा जवाब क्या है
अवी- 2) अगर मैं कुछ करता तो तुम मेरा साथ देती पर वो जगह ठीक नही थी , हमे रुकना पड़ता , और
जब तुम होश मे आती तो तुम मुझे रोक देती , फिर मैं तुम्हें ला नही सकता था , इस लिए कुछ नही किया
क्यूँ कि इस इंतज़ार मे हूँ कि कोई अछा चान्स मिले ताकि एक बार शुरू करूँ प्यार करना तो रुकु नही
रेशमा-और भी कोई जवाब है
अवी- 3) हाँ , मुझे पता था कि तुम ये सवाल ज़रूर पुछोगी और मैं इस के लिए तैयार था , तुम्हें
इंप्रेस करने के लिए सच बता दूँगा यही सोचा था , और तुम्हें मैं ने सच बता दिया , और
सच बताने से तुम्हें लगेगा कि मैं सॉफ दिल का हूँ और तुम मेरी तरफ अट्र्क्ट करोगी

रेशमा मेरे सारे जवाब सुनकर शॉक्ड थी
उसका चेहरा देखने लायक था
पता नही मैं ने ऐसा क्यूँ किया
मैं कर क्या रहा था मुझे पता नही
मैं खुद कन्फ्यूज़ था रेशमा को लेकर
अवी- रेशमा , सच कहूँ तो मुझे ही नही पता कि मैं कर क्या रहा हूँ , करना क्या क्या चाहता हूँ ,
क्यूँ तुम्हें सच बताया , और सच बता कर क्या हो सकता है वो भी क्यूँ बताया , मैं तुम्हारे लिए
कन्फ्यूज़ हूँ , तुम्हें देखता हूँ तो लगता है तुम्हें प्यार करूँ पर तुम्हारे अकेलेपन को फील करता हूँ तो
सोचता हूँ तुम्हें हँसी दूं , तुमसे ज़्यादा मैं कन्फ्यूज़ हूँ
रेशमा मेरी बात सुनकर सबसे ज़्यादा शॉक्ड थी
मेरी बात सुनकर उसको समझ नही आ रहा था कि मुझे क्या कहे
वो पूरी तरह से कन्फ्यूज़ थी
वो मेरे चेहरे को देख कर कुछ पढ़ने की कॉसिश कर रही थी
फिर अचानक वो बिना कुछ कहे अपने अपार्टमेंट मे चली गयी
मैं बस रेशमा को जाते हुए देखता रहा
मैं ने ऐसा क्यूँ किया मुझे ही नही पता
मैं ने रेशमा को सच तो बता दिया
परा नही अब वो क्या सोचेगी
उसका अकेला पन देख कर मैं भी पीछे हट गया
अब जो होगा वो सुबह ही पता चलेगा
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RE: रेशमा - मेरी पड़ोसन - by Vikram@ - 01-08-2019, 12:55 AM



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