06-01-2019, 10:42 AM
भाग - 50
उसके लण्ड का सुपारा चमेली के बच्चेदानी के छेद पर रगड़ खा रहा था.. जिसे महसूस करते ही चमेली के पूरे बदन में मस्ती की लहर दौड़ गई।
चूत की दीवारों ने रतन के लण्ड के ऊपर अपनी पकड़ बनाना शुरू कर दी और मस्ती में आकर चमेली ने अपनी गाण्ड को पीछे की ओर दबाते हुए.. गोल-गोल घुमाना शुरू कर दिया।
“आह उन्ह ओह्ह…उइईईईईई सी आह्ह.. रतनऊऊउउ चोद मुझे.. आह्ह.. मेरी चूत ओह्ह चोदद नाअ मुझे.. ओह आह्ह.. फाड़ दे मेरी चूत..।”
चमेली एकदम गरम हो चुकी थी और वो अपनी गाण्ड को गोल-गोल घुमाते हुए.. अपनी चूत में रतन के लण्ड को महसूस करके मस्त होती जा रही थी।
रतन पीछे से चमेली के चूतड़ों को अपने दोनों हाथों में भर कर बुरी तरह से मसल रहा था और अपनी चुदक्कड़ सास को लण्ड के लिए यूँ मरता देख कमीनी मुस्कान के साथ मुस्कुरा भी रहा था।
अब चमेली ने धीरे-धीरे अपनी गाण्ड को हिलाना शुरू कर दिया।
“आह साले.. ऐसे खड़ा रहेगा क्या.. मेरी भोसड़ी में अपना लौड़ा क्यों डाला था.. अह.. जब चोदना नहीं था.. हरामी.. अई चोद मुझे आज ..उहह बहनचोद.. चोद ना…।”
चमेली की चुदाई की बातें सुन कर रतन एकदम से जोश में आ गया। उसने चमेली के बालों को हाथ से पकड़ कर पीछे की तरफ खींचा, जिससे चमेली की गर्दन ऊपर की तरफ उठ गई और उसके बालों को खींचते हुए.. अपनी गाण्ड को हिलाते हुए तेज़ी से चमेली की चूत में लौड़े को अन्दर-बाहर करने लगा।
जब रतन अपना लण्ड चमेली की चूत की गहराइयों में उतारता… तो रतन की जाँघें चमेली के उठे हुए चूतड़ों से टकरा कर ‘थाप-थाप’ की आवाज़ करतीं, जो पूरे कमरे में गूँज जातीं।
चमेली ने रतन के हर जबरदस्त धक्कों से सिसयाते हुए कहा- आह चोद साले भढ़वे.. चोद.. मुझे कुतिया की तरह चोद कुत्ते.. अपने मोटे लौड़े से.. आह्ह.. आह्ह.. ओह फाड़ दे.. ओह्ह उफ्फ मेरी चूत.. ओह्ह ओह्ह आ तेरे लौड़े को लेकर मेरी चूत का उद्धार हो गया रे..।
रतन चमेली के बालों को पकड़ कर ऐसे धक्के लगा रहा था.. जैसे वो किसी घोड़ी पर सवार हो और रतन के हर धक्के के जवाब में चमेली अपनी गाण्ड को पीछे की ओर करके ऊपर उठा देती और अपनी चूत को फैला लेती।
रतन भी लगातार तेज धक्कों से चमेली की चूत की गहराईयों को अपने लण्ड से नाप रहा था। इस बार चमेली की चूत ने पहले मैदान छोड़ दिया और उसकी चूत से लावा बह निकाला।
रतन के लण्ड ने भी अपने वीर्य की बौछार चमेली की चूत में कर दी।
इधर तो सासू अम्मा ने अपने दामाद के लौड़े को खा लिया था.. आइए अब उधर दूसरी तरफ का नजारा देखते हैं।
रात के वक्त सीमा के मायके के घर.. सीमा अपनी माँ के कमरे में माँ से बातें कर रही थी।
उसकी माँ ने सीमा से कहा- वो आज रात उसके साथ सो जाए.. मेरा तुमसे बातें करने का बहुत मन हो रहा है। इसलिए सीमा ने माँ की बात मान ली। खाना खाने के बाद सीमा को राजू का ध्यान आया..
वो कहाँ पर सो गया.. वो उस कमरे में गई.. यहाँ दीपा सोने की तैयारी कर रही थी। सीमा ने बिना कुछ बोले.. एक बिस्तर को ज़मीन पर लगाना शुरू कर दिया।
जब दीपा ने सीमा से पूछा- आप ज़मीन पर बिस्तर क्यों लगा रही हो?
सीमा ने उसे बताया, “माँ उसे अपने साथ सोने के लिए कह रही हैं और राजू यहाँ नीचे सो जाएगा।
बिस्तर लगाने के बाद सीमा बाहर चली गई.. पर दीपा का बुरा हाल था ये सुन कर कि वो राजू के साथ अकेली इस कमरे में… वो तो कुछ भी कर देगा और मैं सुबह उसे रोक भी नहीं पाई थी..। यही सब सोचते हुए.. दीपा बिस्तर पर बैठ गई।
थोड़ी देर बाद राजू कमरे में दाखिल हुआ, घर के सभी लोग अपने-अपने कमरों में सोने के लिए जा चुके थे। उसने अन्दर आते ही एक बार दीपा की तरफ देखा।
दीपा का दिल जोरों से धड़क रहा था। राजू ने अन्दर आते ही दरवाजा बंद कर दिया और धीरे-धीरे दीपा की तरफ बढ़ने लगा।
दीपा राजू को अपने चोर नज़रों से देख रही थी। जैसे-जैसे राजू उसके करीब आ रहा था.. उसकी साँसें उत्तेजना और डर के मारे और तेज होती जा रही थीं।
कुछ ही पलों में राजू दीपा के एकदम सामने उसके पास खड़ा था… इतना पास कि अब वो दीपा के दिल की तेज धड़कनों को सुन पा रहा था।
दीपा ने घबराते हुए, अपने सर को उठा कर राजू की तरफ देखा। राजू अपने चेहरे पर वासना से भरी मुस्कान लिए.. उसकी तरफ ही देख रहा था और अगले ही पल दीपा की नजरें फिर से झुक गईं।
राजू ने अपने दोनों हाथों से दीपा को उसके कंधों से पकड़ा और उसे उठाने लगा।
राजू के हाथों को अपने कंधों पर महसूस करते ही.. दीपा का पूरा बदन काँप गया। उसने पीछे हटाने के कोशिश की, पर राजू ने उसके कंधों को मजबूती से पकड़ा हुआ था। दीपा किसी कठपुतली की तरह राजू के हाथों का आदेश मानते हुए खड़ी हो गई..।
उसके साँसें और तेज़ी से चलने लगीं.. अपने चेहरे पर दीपा के गरम और मस्त कर देने वाली सांसों को महसूस करते ही राजू एकदम से मस्त हो गया और वो अपने होंठों को दीपा के होंठों की तरफ बढ़ाने लगा। उन रसीले और कांपते हुए होंठों की तरफ.. जिसे आज दोपहर को राजू ने जी भर कर चूसा था।
जैसे ही दीपा को राजू के इरादों का अहसास हुआ… उसका पूरा बदन थर-थर कांपने लगा।
अब दीपा राजू से नजरें भी नहीं मिला पा रही थी.. शरम और संकोचवश उसकी आँखें बंद हो गईं और अगले ही पल राजू ने दीपा के काँप रहे रसीले गुलाबी होंठों को अपने होंठों में भर लिया
राजू के होंठों का स्पर्श अपने होंठों पर महसूस करते ही.. दीपा के पूरे बदन में मस्ती की लहर दौड़ गई और वो ना चाहते हुए भी कामातुर होकर गरम होने लगी।
उसके हाथ-पैर उसका साथ छोड़ने लगे और राजू इस बात का फायदा उठाते हुए.. उसके होंठों को ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगा।
जब राजू दीपा के नीचे वाले होंठ को अपने होंठों में दबा कर चूसता.. तो दीपा के होंठों में सनसनी दौड़ जाती।
दीपा अब अपने आप पर काबू रख नहीं पा रही थी। उसके हाथ अब राजू के कन्धों पर आ चुके थे उसके गाल और कान दोनों लाल सुर्ख होकर दहकने लगे। राजू ने अपनी बाँहों को दीपा के कमर के इर्द-गिर्द कस कर उसे अपने से चिपका लिया। दीपा के एड़ियाँ ऊपर को उठ गईं, जो कि दीपा की एक और बड़ी ग़लती थी।
भले ही दीपा पर वासना हावी होने लगी थी.. पर उसके मन का एक कोना अब भी उससे ये सब करने के लिए रोक रहा था, पर अगले ही पल नीचे राजू का तना हुआ लण्ड सीधा दीपा की चूत पर सलवार के ऊपर से जा लगा। दीपा का पूरा बदन ऐसे काँप गया, जैसे उसने बिजली के नंगे तारों को छू लिया हो…।
उसने राजू के कंधों को पीछे की ओर धकेला और अपने होंठों को राजू के होंठों से अलग कर दिया।
दीपा की साँसें उखड़ी हुई थीं और वो बहुत मुश्किल से अपने आँखों को खोल कर राजू की तरफ देख रही थी.. जैसे आँखों से कह रही हो कि उसे छोड़ दो। पर राजू का तना हुआ लण्ड जैसे अपने इरादे से पीछे हटने वाला नहीं था। उसे तो उस पतली सी सलवार के नीचे कुँवारी की चूत की सुगंध आ गई थी।
राजू का लण्ड बुरी तरह फुंफकारते हुए झटके खा रहा था.. जैसे ही राजू का लण्ड फनफनाते हुए झटका खा कर दीपा की चूत की ऊपर रगड़ ख़ाता.. दीपा बिन जल मछली के तरह तड़प उठती। राजू जानता था कि अब दीपा उसे नहीं रोक पाएगी। राजू ने झट से अपने अपना एक हाथ नीचे ले जाकर अपने पजामे को खोल कर जाँघों तक सरका दिया।
दीपा शरम के मारे नीचे नहीं देख पा रही थी, पर अब उसकी हालत हर पल और खराब होती जा रही थी। राजू ने अब फिर से अपने लण्ड को पकड़ कर दीपा की चूत की फांकों पर सलवार के ऊपर से टिका दिया।
“आह राजूऊऊ..”
दीपा अपनी चूत पर राजू के मोटे सुपारे की गरमी को महसूस करते हुए.. सिसक उठी।
उसके लण्ड का सुपारा चमेली के बच्चेदानी के छेद पर रगड़ खा रहा था.. जिसे महसूस करते ही चमेली के पूरे बदन में मस्ती की लहर दौड़ गई।
चूत की दीवारों ने रतन के लण्ड के ऊपर अपनी पकड़ बनाना शुरू कर दी और मस्ती में आकर चमेली ने अपनी गाण्ड को पीछे की ओर दबाते हुए.. गोल-गोल घुमाना शुरू कर दिया।
“आह उन्ह ओह्ह…उइईईईईई सी आह्ह.. रतनऊऊउउ चोद मुझे.. आह्ह.. मेरी चूत ओह्ह चोदद नाअ मुझे.. ओह आह्ह.. फाड़ दे मेरी चूत..।”
चमेली एकदम गरम हो चुकी थी और वो अपनी गाण्ड को गोल-गोल घुमाते हुए.. अपनी चूत में रतन के लण्ड को महसूस करके मस्त होती जा रही थी।
रतन पीछे से चमेली के चूतड़ों को अपने दोनों हाथों में भर कर बुरी तरह से मसल रहा था और अपनी चुदक्कड़ सास को लण्ड के लिए यूँ मरता देख कमीनी मुस्कान के साथ मुस्कुरा भी रहा था।
अब चमेली ने धीरे-धीरे अपनी गाण्ड को हिलाना शुरू कर दिया।
“आह साले.. ऐसे खड़ा रहेगा क्या.. मेरी भोसड़ी में अपना लौड़ा क्यों डाला था.. अह.. जब चोदना नहीं था.. हरामी.. अई चोद मुझे आज ..उहह बहनचोद.. चोद ना…।”
चमेली की चुदाई की बातें सुन कर रतन एकदम से जोश में आ गया। उसने चमेली के बालों को हाथ से पकड़ कर पीछे की तरफ खींचा, जिससे चमेली की गर्दन ऊपर की तरफ उठ गई और उसके बालों को खींचते हुए.. अपनी गाण्ड को हिलाते हुए तेज़ी से चमेली की चूत में लौड़े को अन्दर-बाहर करने लगा।
जब रतन अपना लण्ड चमेली की चूत की गहराइयों में उतारता… तो रतन की जाँघें चमेली के उठे हुए चूतड़ों से टकरा कर ‘थाप-थाप’ की आवाज़ करतीं, जो पूरे कमरे में गूँज जातीं।
चमेली ने रतन के हर जबरदस्त धक्कों से सिसयाते हुए कहा- आह चोद साले भढ़वे.. चोद.. मुझे कुतिया की तरह चोद कुत्ते.. अपने मोटे लौड़े से.. आह्ह.. आह्ह.. ओह फाड़ दे.. ओह्ह उफ्फ मेरी चूत.. ओह्ह ओह्ह आ तेरे लौड़े को लेकर मेरी चूत का उद्धार हो गया रे..।
रतन चमेली के बालों को पकड़ कर ऐसे धक्के लगा रहा था.. जैसे वो किसी घोड़ी पर सवार हो और रतन के हर धक्के के जवाब में चमेली अपनी गाण्ड को पीछे की ओर करके ऊपर उठा देती और अपनी चूत को फैला लेती।
रतन भी लगातार तेज धक्कों से चमेली की चूत की गहराईयों को अपने लण्ड से नाप रहा था। इस बार चमेली की चूत ने पहले मैदान छोड़ दिया और उसकी चूत से लावा बह निकाला।
रतन के लण्ड ने भी अपने वीर्य की बौछार चमेली की चूत में कर दी।
इधर तो सासू अम्मा ने अपने दामाद के लौड़े को खा लिया था.. आइए अब उधर दूसरी तरफ का नजारा देखते हैं।
रात के वक्त सीमा के मायके के घर.. सीमा अपनी माँ के कमरे में माँ से बातें कर रही थी।
उसकी माँ ने सीमा से कहा- वो आज रात उसके साथ सो जाए.. मेरा तुमसे बातें करने का बहुत मन हो रहा है। इसलिए सीमा ने माँ की बात मान ली। खाना खाने के बाद सीमा को राजू का ध्यान आया..
वो कहाँ पर सो गया.. वो उस कमरे में गई.. यहाँ दीपा सोने की तैयारी कर रही थी। सीमा ने बिना कुछ बोले.. एक बिस्तर को ज़मीन पर लगाना शुरू कर दिया।
जब दीपा ने सीमा से पूछा- आप ज़मीन पर बिस्तर क्यों लगा रही हो?
सीमा ने उसे बताया, “माँ उसे अपने साथ सोने के लिए कह रही हैं और राजू यहाँ नीचे सो जाएगा।
बिस्तर लगाने के बाद सीमा बाहर चली गई.. पर दीपा का बुरा हाल था ये सुन कर कि वो राजू के साथ अकेली इस कमरे में… वो तो कुछ भी कर देगा और मैं सुबह उसे रोक भी नहीं पाई थी..। यही सब सोचते हुए.. दीपा बिस्तर पर बैठ गई।
थोड़ी देर बाद राजू कमरे में दाखिल हुआ, घर के सभी लोग अपने-अपने कमरों में सोने के लिए जा चुके थे। उसने अन्दर आते ही एक बार दीपा की तरफ देखा।
दीपा का दिल जोरों से धड़क रहा था। राजू ने अन्दर आते ही दरवाजा बंद कर दिया और धीरे-धीरे दीपा की तरफ बढ़ने लगा।
दीपा राजू को अपने चोर नज़रों से देख रही थी। जैसे-जैसे राजू उसके करीब आ रहा था.. उसकी साँसें उत्तेजना और डर के मारे और तेज होती जा रही थीं।
कुछ ही पलों में राजू दीपा के एकदम सामने उसके पास खड़ा था… इतना पास कि अब वो दीपा के दिल की तेज धड़कनों को सुन पा रहा था।
दीपा ने घबराते हुए, अपने सर को उठा कर राजू की तरफ देखा। राजू अपने चेहरे पर वासना से भरी मुस्कान लिए.. उसकी तरफ ही देख रहा था और अगले ही पल दीपा की नजरें फिर से झुक गईं।
राजू ने अपने दोनों हाथों से दीपा को उसके कंधों से पकड़ा और उसे उठाने लगा।
राजू के हाथों को अपने कंधों पर महसूस करते ही.. दीपा का पूरा बदन काँप गया। उसने पीछे हटाने के कोशिश की, पर राजू ने उसके कंधों को मजबूती से पकड़ा हुआ था। दीपा किसी कठपुतली की तरह राजू के हाथों का आदेश मानते हुए खड़ी हो गई..।
उसके साँसें और तेज़ी से चलने लगीं.. अपने चेहरे पर दीपा के गरम और मस्त कर देने वाली सांसों को महसूस करते ही राजू एकदम से मस्त हो गया और वो अपने होंठों को दीपा के होंठों की तरफ बढ़ाने लगा। उन रसीले और कांपते हुए होंठों की तरफ.. जिसे आज दोपहर को राजू ने जी भर कर चूसा था।
जैसे ही दीपा को राजू के इरादों का अहसास हुआ… उसका पूरा बदन थर-थर कांपने लगा।
अब दीपा राजू से नजरें भी नहीं मिला पा रही थी.. शरम और संकोचवश उसकी आँखें बंद हो गईं और अगले ही पल राजू ने दीपा के काँप रहे रसीले गुलाबी होंठों को अपने होंठों में भर लिया
राजू के होंठों का स्पर्श अपने होंठों पर महसूस करते ही.. दीपा के पूरे बदन में मस्ती की लहर दौड़ गई और वो ना चाहते हुए भी कामातुर होकर गरम होने लगी।
उसके हाथ-पैर उसका साथ छोड़ने लगे और राजू इस बात का फायदा उठाते हुए.. उसके होंठों को ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगा।
जब राजू दीपा के नीचे वाले होंठ को अपने होंठों में दबा कर चूसता.. तो दीपा के होंठों में सनसनी दौड़ जाती।
दीपा अब अपने आप पर काबू रख नहीं पा रही थी। उसके हाथ अब राजू के कन्धों पर आ चुके थे उसके गाल और कान दोनों लाल सुर्ख होकर दहकने लगे। राजू ने अपनी बाँहों को दीपा के कमर के इर्द-गिर्द कस कर उसे अपने से चिपका लिया। दीपा के एड़ियाँ ऊपर को उठ गईं, जो कि दीपा की एक और बड़ी ग़लती थी।
भले ही दीपा पर वासना हावी होने लगी थी.. पर उसके मन का एक कोना अब भी उससे ये सब करने के लिए रोक रहा था, पर अगले ही पल नीचे राजू का तना हुआ लण्ड सीधा दीपा की चूत पर सलवार के ऊपर से जा लगा। दीपा का पूरा बदन ऐसे काँप गया, जैसे उसने बिजली के नंगे तारों को छू लिया हो…।
उसने राजू के कंधों को पीछे की ओर धकेला और अपने होंठों को राजू के होंठों से अलग कर दिया।
दीपा की साँसें उखड़ी हुई थीं और वो बहुत मुश्किल से अपने आँखों को खोल कर राजू की तरफ देख रही थी.. जैसे आँखों से कह रही हो कि उसे छोड़ दो। पर राजू का तना हुआ लण्ड जैसे अपने इरादे से पीछे हटने वाला नहीं था। उसे तो उस पतली सी सलवार के नीचे कुँवारी की चूत की सुगंध आ गई थी।
राजू का लण्ड बुरी तरह फुंफकारते हुए झटके खा रहा था.. जैसे ही राजू का लण्ड फनफनाते हुए झटका खा कर दीपा की चूत की ऊपर रगड़ ख़ाता.. दीपा बिन जल मछली के तरह तड़प उठती। राजू जानता था कि अब दीपा उसे नहीं रोक पाएगी। राजू ने झट से अपने अपना एक हाथ नीचे ले जाकर अपने पजामे को खोल कर जाँघों तक सरका दिया।
दीपा शरम के मारे नीचे नहीं देख पा रही थी, पर अब उसकी हालत हर पल और खराब होती जा रही थी। राजू ने अब फिर से अपने लण्ड को पकड़ कर दीपा की चूत की फांकों पर सलवार के ऊपर से टिका दिया।
“आह राजूऊऊ..”
दीपा अपनी चूत पर राजू के मोटे सुपारे की गरमी को महसूस करते हुए.. सिसक उठी।