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Fantasy गेंदामल हलवाई का चुदक्कड़ परिवार
#52
भाग - 49

“क्यों चूत पानी छोड़ रही है न.. मेरे लण्ड को अन्दर लेने के लिए…?” रतन ने वैसे ही लेटे-लेटे अपने लण्ड को हिलाते हुए कहा।

चमेली- नहीं.. मेरी चूत क्यों टपकाए अपना पानी तेरे इस लण्ड के लिए।

चमेली ने बनावटी गुस्सा दिखाते हुए कहा और दूसरी तरफ मुड़ कर जाने लगी।

रतन ने चारपाई पर उठ कर बैठते हुए.. चमेली का हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिया।

“आहह क्या कर रहे हो छोड़ मुझे..” रतन के खींचने से चमेली रतन के पैरों के बीच नीचे पैरों के बल जा बैठी।

“चल चूत में ना ले.. पर एक बार इसे पकड़ कर सहला तो दे… देख ना कब से अकड़ कर खड़ा है..।”

रतन ने चमेली के हाथ को अपने लण्ड पर रखते हुए कहा। अपनी हथेली में रतन के लण्ड की गरमी को महसूस करते ही.. चमेली की चूत ने पानी छोड़ना चालू कर दिया और चमेली ने रतन के लण्ड को अपनी मुठ्ठी में कस कर दबा दिया।
“आह्हह.. साली दबा क्यों रही है.. धीरे-धीरे हिला ना..” रतन ने चमेली की आँखों में देखते हुए कहा।

चमेली के होंठों पर कामुक मुस्कान फ़ैल गई, “साला हरामी”

चमेली ने मुस्कुराते हुए कहा।

उसकी आँखों में देखते हुए.. रतन के लण्ड को धीरे-धीरे ऊपर-नीचे करते हुए मुठ्ठ मारने लगी।

रतन मस्ती से एकदम सिसक उठा, “आह क्या मस्त हिलाती है तू… आह बस ऐसे ही हिलाती रह मेरा लौड़ा.. आह्ह..।”

रतन के आँखें मस्ती में बंद होती जा रही थीं। “हट साले.. भोसड़ी के.. मैं हिलाती ही रहूँ क्या.. और मेरी चूत को तेरा बाप आकर चोदेगा..।”

ये कहते हुए चमेली ने अपने लहँगे को अपनी कमर तक उठा लिया और फिर अपनी भारी गाण्ड को नीचे ज़मीन पर टिका कर बैठ गई। उसने एक हाथ से उसने रतन के लण्ड को हिलाना जारी रखा और दूसरी हाथ से रतन के पैर को पकड़ कर.. उसके अंगूठे को अपनी चूत के छेद पर लगा दिया और रतन की आँखों में देखते हुए मुस्कुराई।

रतन को समझते देर ना लगी कि उसकी चुदैल सास उससे क्या चाहती है और उसने अपने पैर के अंगूठे को उसकी चूत के छेद पर दबा दिया।

रतन के पैर का अँगूठा.. चमेली की लबलबा रही चूत के छेद में अन्दर जा घुसा।

“आह हरामी धीरे से..उइईइ…” चमेली एकदम से सिसक उठी और रतन के टांग को अपनी एक बाजू में कस कर जकड़ लिया।

रतन अपनी सास के इस चुदैलपने को देख कर मस्त हो गया.. उसने एक हाथ से चमेली के सर को बालों को पकड़ा और दूसरे हाथ से अपने लण्ड को.. और फिर उसने अपना लण्ड चमेली के होंठों के साथ भिड़ा दिया।

किसी बाजारू रांड की तरह चमेली ने झपाक से रतन के लण्ड को अपने होंठों के बीच में दबा लिया और उसके लण्ड के सुपारे पर अपने होंठों को रगड़ते हुए.. अपने मुँह के अन्दर लेने लगी।

“आह्ह.. चूस्स्स साली.. बहुत मस्त चूसती है तू.. तभी इधर से जाने को मन नहीं कर रहा मेरा…।”

चमेली अपनी गाण्ड को आगे की तरफ झटके देती हुई.. रतन के लण्ड को चूसने लगी। जब उसने रतन के लण्ड को मुँह से बाहर निकाला, तो रतन का लण्ड उसके थूक से सना हुआ चमक रहा था। उसने रतन के पैर के अंगूठे को अपनी चूत से बाहर निकाला और खड़ी हो गई।

फिर उसने अपनी चोली के बटन खोल कर… एक तरफ फेंक दिया। चमेली की बड़ी-बड़ी गुंदाज चूचियां उछल कर बाहर आ गईं।

चमेली ने रतन को कंधों से पकड़ कर पीछे की तरफ धकेल दिया.. अब वो चारपाई पर पेट के बल लेटा हुआ था.. पर उसके पैर अभी भी चारपाई से नीचे की तरफ लटक रहे थे। चमेली ने अपने लहंगे को ऊपर उठा कर कमर के पास पकड़ा हुआ था।

चमेली ने अपने दोनों पैरों को रतन की टाँगों के दोनों तरफ चारपाई के किनारे पर टिका कर अपने पैरों के बल बैठ गई।

जिससे उसकी चूत का छेद ठीक रतन के लण्ड के सीध में आ गया। रतन ने चमेली की आँखों में देखते हुए अपने लण्ड को पकड़ कर उसकी चूत के छेद पर टिका दिया।

चमेली की चूत का छेद किसी भट्टी के मुहाने के तरह दहक रहा था। चूत के छेद पर लण्ड का सुपारा लगते ही, चमेली एकदम से सिसक उठी और साथ ही उसने अपनी चूत को रतन के लण्ड पर दबाना चालू कर दिया।

“आह्ह.. शीए आह्ह..”

चमेली की मस्ती भरी सिसकारी निकल पड़ी। उसकी चूत का छेद अपना छल्ला फ़ैलाते हुए.. रतन के लण्ड के सुपारे पर दबाव बनाते हुए.. आगे की तरफ बढ़ने लगा और धीरे-धीरे रतन का लण्ड चूत के छेद में घुसता चला गया।

जोश में आकर रतन ने अपने हाथों को पीछे ले जाकर उसके चूतड़ों को अपने हाथों में भर कर कस कर दबा दिया।

चमेली ने मदहोशी भरी आवाज़ में कहा- आह्ह.. मादरचोद गाण्ड ही दबाएगा क्या.. भोसड़ी के पहले मेरी चूत में जो आग.. लगाइ है.. उसे.. बुझाआअ दे..।

चमेली की मस्ती भरी सिसकियाँ और गरम बातों को सुन कर रतन एकदम से जोश में भर गया और उसने चमेली के चूतड़ों को कस कर मसलते हुए.. अपनी गाण्ड को पूरा ज़ोर लगाकर ऊपर की तरफ उछाला।

“आह्ह.. धीरे.. भोसड़ी वाले.. आह्ह..” चमेली के पूरे बदन में मस्ती और दर्द भरी लहर दौड़ गई। उसने अपने हाथों को रतन की छाती पर टिका दिया और अपनी गाण्ड को पूरी रफ़्तार से ऊपर-नीचे उछालते हुए, रतन के लण्ड को अपनी चूत की अन्दर-बाहर करने लगी।

चमेली- आह्ह.. आह्ह.. ओह्ह ले साले चोददद मुझे.. आह्ह.. आह चोदद ना..अह ओह.. मर गई ओह.. मेरी फुद्दी.. ओह ओह्ह आह्ह.. आह।

रतन- अह.. साली और उछल.. तेरा ही लौड़ा है..ए लेए साली पूरा का पूरा ले ले..ए आह्ह. क्या चूत है तेरी.. साली मादरचोदी राण्ड.. एकदम कसी हुई चूत.. आह्ह..।

चमेली पागलों की तरह ऊपर-नीचे होते रतन के लण्ड को अपनी चूत की गहराईयों में ले कर चुद रही थी। चमेली की मस्ती का कोई ठिकाना नहीं था और रतन चमेली के धक्कों की रफ़्तार को ज्यादा देर तक नहीं झेल पाया और उसके लण्ड से पानी की बौछार होने लगी,

जिससे चमेली अपनी चूत के हर एक कोने में महसूस कर रही थी और वो भी काँपते हुए झड़ने लगी।

चमेली का पूरा बदन झड़ते हुए, काँप रहा था। थोड़ी देर बाद रतन का लण्ड सिकुड़ कर चमेली की चूत से बाहर आ गया। चमेली ने अपनी आँखें खोलीं.. जो कुछ देर पहले वासना के कारण बंद थीं। आँखें खुलते ही.. चमेली की नज़रें रतन से जा टकराईं.. जो उसकी तरफ देखते हुए मुस्कुरा रहा था..।

चमेली की बड़ी-बड़ी चूचियां ठीक रतन की आँखों के सामने तेज़ी से ऊपर-नीचे हो रही थीं।

चमेली अपनी हालत पर एकदम से शर्मा गई और रतन के ऊपर से उठने लगी, पर रतन ने अपने दोनों हाथों से चमेली के सर को पकड़ कर अपने ऊपर झुका लिया और उसके होंठों को अपने होंठों में भर कर चूसने लगा।

चमेली अपने हाथों से रतन के छाती को सहलाने लगी। कुछ ही देर में चमेली को अपनी चूत की फांकों पर रतन के लण्ड की हरकत पुनः महसूस हुई।

चमेली जान गई कि रतन का लण्ड एक बार फिर से खड़ा होने लगा है। उसके लण्ड को फिर से खड़ा होता महसूस होते हुए.. चमेली ने अपने होंठों को रतन के होंठों से अलग किया और उसके हाथों को झटकते हुए.. रतन के ऊपर से उठ कर नीचे खड़ी हो गई।

उसने देखा रतन का लण्ड एक बार फिर अपना सर उठा रहा था और रह-रह कर झटके खा रहा था।

चमेली ने अपनी नजरें नीचे कर लीं और मुड़ कर अपने चोली को उठा कर टाँग दिया। फिर वो दूसरे कपड़े निकालने के लिए संदूक की तरफ गई और संदूक के पास जाकर झुक कर अपने दूसरे कपड़े निकालने लगी। तभी रतन ने चारपाई से उठते हुए.. पीछे से चमेली को अपनी बाँहों में जकड़ लिया।

“आह क्या कर रहे हो.. छोड़ो मुझे..”

रतन- आह्ह.. क्या मस्त चूत है तेरी.. रांड तुझे छोड़ने का तो दिल ही नहीं करता.. देख ना मेरा लौड़ा तेरी चूत में जाने के लिए फिर से खड़ा हो गया है।

ये कहते हुए रतन ने अपना हाथ चमेली के लहँगे के नाड़े पर ले जाकर उसके नाड़े को खींच कर खोल दिया। अगले ही पल चमेली का लहँगा भी ज़मीन पर आ गिरा। रतन ने पलक झपकते ही.. अपने तने हुए लण्ड को पीछे से चमेली की चूत के छेद पर लगा दिया।

“ओह्ह शईई..”

रतन के लण्ड को अपनी चूत के छेद पर महसूस करके चमेली की सिसकारी निकल गई।

“आह्ह.. ओह धीरे अई रतन..”

रतन ने चमेली की कमर को दोनों तरफ से पकड़ कर दो जोरदार धक्के मारे और अपने लण्ड को चमेली की चूत की गहराईयों में फिर से उतार दिया। चमेली की चूत पहली चुदाई से पूरी तरह पनियाई हुई थी,

इसलिए इस बार रतन का लण्ड दो धक्कों में ही पूरा का पूरा चमेली की चूत में समा गया।
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RE: गेंदामल हलवाई का चुदक्कड़ परिवार - by Starocks - 06-01-2019, 10:40 AM



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