31-07-2019, 08:42 AM
(This post was last modified: 31-07-2019, 08:45 AM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
कोमल भौजी
मैं तुमसे पूछूं हे नयकी भौजी , हे कोमल भौजी , तोहरी बुरिया में का का जाये ,
का का समाये ,
और वैसे ही दो चार गाने के बाद जब ढोलक फिर हमारी ओर आयी ,
गुड्डो ने ढोलक टनकानी शुरू की ,
तो हमारी और से दुलारी की ही टक्कर की ,
नाउन की बहु जो गाँव से आयी थी रस्म कराने और बहु होने के नाते ,
हम भौजाइयों की ओर से दुलारी का मुकाबला करती थी ' कुछ ज्यादा ही ऐसी वैसी गालियों में ' वो सामने आयी ,
तो ननदें एकदम ,... आसमान सर पे उठालिया ,
कोमल भौजी , कोमल भौजी
और ऊपर से मंझली ननद ने मिर्च डाली , सास को मेरे सुनाया , ...
" अरे आप बहुत कहती थीं न आपकी बहु को रस्म के , गारी ,... अब ज़रा टक्कर में आने दीजिये न ,..
मेरी सास ने मुझे इशारा किया ,... और मैंने गुड्डो को , उसके कान में कुछ बुदबुदाया , और मैं चालू हो गयी
गारी में ननदों का नाम अपने भाइयों से जोड़ कर छेड़ना बहुत जरुरी है ,
इसलिए मैंने अपनी जेठानी के भाई जो शादी में आये थे ,
अजय , मेरी ही उम्र का होगा , १७-१८ का ,
और चुन्नू जो उससे छोटा था , १६ के आसपास का ,
और अपने देवर , मिली का भाई, संजय ,...
साथ साथ मैंने अनुज का नाम जोड़ना भी ,... आखिर वही तो मेरा देवर था , जो मेरे ही शहर में रहता था ,
गाहे बगाहे कुछ भी काम होने पर ,...
और उस के साथ उस की बहन वो एलवल वाली , वही कच्ची कली , आठवें में पढ़ने वाली , इनकी छुटकी सबसे फेवरिट साली से भी सात आठ महीने छोटी लेकिन कच्चे टिकोरे उसके भी गज़ब के आ रहे थे , और भाभियों के चिढ़ाने पर उचकती भी बहुत थी , लेकिन ननद थी , वो भी सबसे छोटी और अकेली लोकल , अनुज की छोटी बहन ,... इसलिए बिना उसका नाम जोड़े तो , ...
गुड्डी
सोने की थारी , रुपे की लागी बारी , सोने की थारी , रुपे की लागी बारी ,
सोलहो भोजना लै के निकरे हों , भैया अजय लाल. अरे निहुरि के करें सलामी ,
अरे सीताराम के भजो , अरे सीताराम को भजो ,
जउ हो अनुज लाल देबा आपन गुड्डी , देबा एलवल वाली।
अरे खूब करब मेहमानी अरे खूब करब मेहमानी
अरे सीताराम के भजो , अरे सीताराम को भजो ,
दिनवा में छिनरो के गाले गाले चुमबै , रतिया करब मेहरबानी ,
अरे रतिया करब मेहरबानी , अरे सीताराम को भजो ,
सोने की थारी , रुपे की लागी बारी , सोने की थारी , रुपे की लागी बारी ,
सोलहो भोजना लै के निकरे हों , भैया चुन्नू लाल. अरे निहुरि के करें सलामी ,
अरे सीताराम के भजो , अरे सीताराम को भजो ,
जउ हो संजय लाल देबा आपन मिली , देबा बनारस वाली।
अरे खूब करब मेहमानी अरे खूब करब मेहमानी
अरे सीताराम के भजो , अरे सीताराम को भजो ,
दिनवा में छिनरो के गाले गाले चुमबै , रतिया करब मेहरबानी ,
अरे रतिया करब मेहरबानी , अरे सीताराम को भजो ,
लेकिन मेरी सास ने ही टोका ,
" अरे बहु यहाँ की ननदें पक्की छिनार होती हैं , ( मेरी बुआ सास की ओर इशारा करके ) , हलकी मिर्च से इन्हे मजा नहीं आता जब तक परपराय नहीं ,'
मैंने खूब हिम्मत की और एक अपनी भाभी की फेवरिट सुनानी शुरू कर दी।
छोटे बुंदी वाली चोलिया गजबे बनी, छोटे बुंदी वाली,
अरे वो चोलिया पहने हमारी बांकी ननदी,
वो चोलिया पहने गुड्डी रानी , मिली रानी
वो चोलिया चमके, चोली के भीतर जोबना झलके,
मिजवावत चमके, दबवावत चमके,
अब हमारी सारी जेठानियाँ , बसंती , नाउन की बहु जम के मेरा साथ दे रही थीं
अरे छोटे घूंघर वाला बिछुआ गजब बना, छोटे घूंघर वाला,
वो बिछुआ पहने हमरे सैंया की बहना, दुलारी छिनरो,
( मैं तो मंझली और बड़ी ननद का नाम ले नहीं सकती थी , ये काम मेरी जेठानी ने किया )
अरवट बाजे, करवट बाजे, लड़िका के दूध पियावत बाजे,
अरे हमरे सैयां से रोज चुदावत बाजे,
बुरिया में लण्ड लियावत बाजे, अरे छोटे दाना वाला।
मैं तुमसे पूछूं हे नयकी भौजी , हे कोमल भौजी , तोहरी बुरिया में का का जाये ,
का का समाये ,
और वैसे ही दो चार गाने के बाद जब ढोलक फिर हमारी ओर आयी ,
गुड्डो ने ढोलक टनकानी शुरू की ,
तो हमारी और से दुलारी की ही टक्कर की ,
नाउन की बहु जो गाँव से आयी थी रस्म कराने और बहु होने के नाते ,
हम भौजाइयों की ओर से दुलारी का मुकाबला करती थी ' कुछ ज्यादा ही ऐसी वैसी गालियों में ' वो सामने आयी ,
तो ननदें एकदम ,... आसमान सर पे उठालिया ,
कोमल भौजी , कोमल भौजी
और ऊपर से मंझली ननद ने मिर्च डाली , सास को मेरे सुनाया , ...
" अरे आप बहुत कहती थीं न आपकी बहु को रस्म के , गारी ,... अब ज़रा टक्कर में आने दीजिये न ,..
मेरी सास ने मुझे इशारा किया ,... और मैंने गुड्डो को , उसके कान में कुछ बुदबुदाया , और मैं चालू हो गयी
गारी में ननदों का नाम अपने भाइयों से जोड़ कर छेड़ना बहुत जरुरी है ,
इसलिए मैंने अपनी जेठानी के भाई जो शादी में आये थे ,
अजय , मेरी ही उम्र का होगा , १७-१८ का ,
और चुन्नू जो उससे छोटा था , १६ के आसपास का ,
और अपने देवर , मिली का भाई, संजय ,...
साथ साथ मैंने अनुज का नाम जोड़ना भी ,... आखिर वही तो मेरा देवर था , जो मेरे ही शहर में रहता था ,
गाहे बगाहे कुछ भी काम होने पर ,...
और उस के साथ उस की बहन वो एलवल वाली , वही कच्ची कली , आठवें में पढ़ने वाली , इनकी छुटकी सबसे फेवरिट साली से भी सात आठ महीने छोटी लेकिन कच्चे टिकोरे उसके भी गज़ब के आ रहे थे , और भाभियों के चिढ़ाने पर उचकती भी बहुत थी , लेकिन ननद थी , वो भी सबसे छोटी और अकेली लोकल , अनुज की छोटी बहन ,... इसलिए बिना उसका नाम जोड़े तो , ...
गुड्डी
सोने की थारी , रुपे की लागी बारी , सोने की थारी , रुपे की लागी बारी ,
सोलहो भोजना लै के निकरे हों , भैया अजय लाल. अरे निहुरि के करें सलामी ,
अरे सीताराम के भजो , अरे सीताराम को भजो ,
जउ हो अनुज लाल देबा आपन गुड्डी , देबा एलवल वाली।
अरे खूब करब मेहमानी अरे खूब करब मेहमानी
अरे सीताराम के भजो , अरे सीताराम को भजो ,
दिनवा में छिनरो के गाले गाले चुमबै , रतिया करब मेहरबानी ,
अरे रतिया करब मेहरबानी , अरे सीताराम को भजो ,
सोने की थारी , रुपे की लागी बारी , सोने की थारी , रुपे की लागी बारी ,
सोलहो भोजना लै के निकरे हों , भैया चुन्नू लाल. अरे निहुरि के करें सलामी ,
अरे सीताराम के भजो , अरे सीताराम को भजो ,
जउ हो संजय लाल देबा आपन मिली , देबा बनारस वाली।
अरे खूब करब मेहमानी अरे खूब करब मेहमानी
अरे सीताराम के भजो , अरे सीताराम को भजो ,
दिनवा में छिनरो के गाले गाले चुमबै , रतिया करब मेहरबानी ,
अरे रतिया करब मेहरबानी , अरे सीताराम को भजो ,
लेकिन मेरी सास ने ही टोका ,
" अरे बहु यहाँ की ननदें पक्की छिनार होती हैं , ( मेरी बुआ सास की ओर इशारा करके ) , हलकी मिर्च से इन्हे मजा नहीं आता जब तक परपराय नहीं ,'
मैंने खूब हिम्मत की और एक अपनी भाभी की फेवरिट सुनानी शुरू कर दी।
छोटे बुंदी वाली चोलिया गजबे बनी, छोटे बुंदी वाली,
अरे वो चोलिया पहने हमारी बांकी ननदी,
वो चोलिया पहने गुड्डी रानी , मिली रानी
वो चोलिया चमके, चोली के भीतर जोबना झलके,
मिजवावत चमके, दबवावत चमके,
अब हमारी सारी जेठानियाँ , बसंती , नाउन की बहु जम के मेरा साथ दे रही थीं
अरे छोटे घूंघर वाला बिछुआ गजब बना, छोटे घूंघर वाला,
वो बिछुआ पहने हमरे सैंया की बहना, दुलारी छिनरो,
( मैं तो मंझली और बड़ी ननद का नाम ले नहीं सकती थी , ये काम मेरी जेठानी ने किया )
अरवट बाजे, करवट बाजे, लड़िका के दूध पियावत बाजे,
अरे हमरे सैयां से रोज चुदावत बाजे,
बुरिया में लण्ड लियावत बाजे, अरे छोटे दाना वाला।