Thread Rating:
  • 0 Vote(s) - 0 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Adultery Hindi sex stories
#2
मेरा नाम अंजलि अरोड़ा है.. मैं एक शादीशुदा महिला हूँ। मेरी उम्र 32 साल.. रंग दूध सा गोरा.. मदमस्त फिगर 35-28-38 की है और मैं एक अति चुदासी माल हूँ।
मेरी बड़ी वाली ननद का एक छोटा लड़का निशांत है.. जो कि अभी पाँच साल का हुआ है, हमारे घर रहने आया हुआ था।
अचानक मेरे पति को जरूरी काम से देहरादून जाना पड़ा।
तो मैं बोली- मैं भी चलती हूँ.. देहरादून और मसूरी घूम लेंगे।
मेरे पति बोले- अरे मुझे बहुत ज़रूरी काम है वहाँ, जब तक मैं दो-तीन दिन में अपना काम कर लूंगा.. तब तुम देहरादून आ जाना.. फिर वहीं एंजाय करेंगे।
मैं बोली- निशांत भी तो है, यह भी साथ आएगा।
तो बोले- हाँ हाँ.. बिल्कुल..
अगले दिन सुबह मेरे पति निकल गए और पहुँच कर मुझे फोन किया- तुम दो दिन बाद आ जाना.. दो दिन में मैं काम निपटा लूँगा।
मैं बोली- ओके.. वैसे आना कहाँ है.. किस होटल में?
तो बोले- तुम स्टेशन पर उतरोगी.. तो बता देना.. मैं आ जाऊँगा.. ओके..
मुझे रात को ग्यारह बजे वाली ट्रेन मसूरी एक्सप्रेस में ही स्लीपर का आरक्षण मिला।
दो दिन पति से बिना चुदे मेरी चूत लन्ड खाने के लिए मचलने लगी थी, फ़ुदक रही थी तो मैं रात को ग्यारह बजे वाली ट्रेन से देहरादून के लिए चल दी। बोगी में काफी सीटें खाली थी तो मैं और निशांत में आराम से बैठ गए। मेरा सोने का मन हुआ तो मैं लेट कर सो गई और निशांत भी सो गया।
फिर ट्रेन शायद मेरठ रुकी, एक यात्री चढ़ा.. मेरे पास आकर बोला- यह मेरी सीट है…
मैं बोली- आप आगे बैठ जाओ न.. बोगी खाली तो ही है।
तो वो मेरे बिल्कुल आगे वाली सीट पर लंबा लेट गया। हम दोनों आमने-सामने ऐसे लेटे थे कि एक-दूसरे को आराम से देख सकते थे।
खैर.. थोड़ी देर बाद मेरी नींद खुली तो मैंने टाइम देखा.. तो मैं मोबाइल में नेट चलाने लगी। मैं थोड़ा कंफर्ट के लिए अपने मम्मों के बल लेटी थी। मैंने वैसे भी बस नॉर्मल टी-शर्ट और लोवर पहन रखा था, अन्दर कुछ भी नहीं था।
मेरी नज़र सामने गई तो वो आदमी भी मोबाइल चला रहा था और कुछ पॉर्न साइट चला रहा था। इसी के साथ-साथ अपने लौड़े को ऊपर से सहला रहा था, उसने भी टी-शर्ट और लोवर ही पहन रखा था।
मैंने ज़्यादा ध्यान नहीं दिया।
फिर थोड़ी देर बाद मैंने देखा उसका लंड टनटनाने लगा.. मुझे अजीब सा लगने लगा। वो ईअर फोन लगा कर ब्लू-फिल्म देख रहा था। मैं भी वही देखने लगी। थोड़ी देर बाद मुझे अजीब सा लगने लगा। मैंने भी हल्के से अपने लोवर में हाथ डाल कर चूत को देखा.. तो गीला सा लगा। मैंने सोचा छोड़ो.. ध्यान ही मत दो।
अब तो मैं ऐसे ही मोबाइल में फेसबुक यूज करने लगी।
अब थोड़ी देर बाद मेरी नज़र उसकी तरफ गई और देखा कि वो आदमी लंड को लोवर में से हिला रहा था।
अब मुझे अजीब लगा और मैं भी उसके फोन में ब्लू-फिल्म देखने लगी।
जब ट्रेन सहारनपुर स्टेशन पर रुकी तो उस आदमी ने कहा- अब एक घंटा यहाँ ट्रेन रुकेगी..
मैंने निशांत को यह सोच कर उठाया कि इसे सू-सू करवा दूँ और खुद भी कर लूँ क्योंकि चलती गाड़ी में मुझे डर लगता है…
मैंने निशांत को गोदी में उठाया और टॉयलेट ले गई।
वहाँ मैं उसे टॉयलेट करवाने लगी.. तो वो रोने लगा.. तो मैं उसके साथ ही अन्दर चली गई।
तभी मेरी नज़र सामने वाले टॉयलेट में ब्लू-फिल्म देखने वाले आदमी के लंड पर गई, वो आधे खुले दरवाजे से खड़े होकर लंड को बिना हाथ लगाए मूत रहा था।
उसका खड़ा लंड देख कर मेरी चूत में मानो आग ही लग गई, उसका लंड क्या मस्त मोटा था… कम से कम 6 इंच का तो होगा ही.. साथ मोटा भी इतना था कि हाथ में भी ना आए, वो मुँह को ऊपर करके मूत रहा था।
मेरी नज़र उसके लौड़े से हटी ही नहीं.. उसने भी अभी तक मेरी तरफ नहीं देखा था.. वो मूतते हुए लंड हिलाने लगा.. उसने लौड़े की चमड़ी को पीछे भी किया.. तो उसका सुपारा देखा.. सुर्ख लाल टमाटर जैसा था, मेरा मन तो हुआ मेरा वहीं चूस लूँ।
फिर उसने मुझे देखा और मुझे बाद में पता चला.. जब मेरी आँख उससे मिली.. तो वो मुझे देख कर अपनी बेल्ट खोलकर पूरा लंड दिखाने लगा। मैं देखती रही.. वो उसे और हिलाने लगा।
मेरी आँख उससे मिली तो उसने मुझे आँख मार दी।
मेरी तो हालत खराब होने लगी। मैंने निशांत की ज़िप बंद की.. उसे गोदी में उठाया और चलती बनी।
फिर मैं करने गई.. मैंने निशांत को उस आदमी के पास छोड़ दिया।
मैंने पेशाब करने के बाद अपनी चूत में उंगली डाली और मेरा मन भी उंगली करने का हुआ तो मैंने उसका लंड समझ कर उंगली घुसा-घुसा चूत की खाज कम करने लगी।
थोड़ी देर बाद चूत की आग भड़क गई.. लेकिन मैं वहाँ से आ ही गई।
अब मैं अपनी बर्थ पर आ गई.. फिर वो आदमी ट्रेन से उतर कर गया और कुछ खाने को लाया।
वो मुझे देने लगा.. मैंने मना कर दिया.. तो बोला- ये आपका बेटा है??
मैं बोली- नहीं.. मेरी ननद का लड़का है।
बोला- आप शादीशुदा हो?
मैं बोली- हाँ..
तो बोला- आप बहुत सुंदर हो।
मैं बोली- थैंक्स।
‘क्या नाम है आपका?’
‘अंजलि!’
फिर हम बातें करने लगे.. वो भी देहरादून ही कुछ काम से जा रहा था। उसकी उम्र 35 साल थी। वो भी शादीशुदा था। उसका रंग सांवला था.. उसने मूँछ रख रखी थी।
खैर.. ट्रेन चल दी.. मैं फिर वैसे ही लेट गई और वो ब्लू-फिल्म देखने लगा। मैं भी देखने लगी और साथ ही मैं नीचे से अपनी चूत को खुजाने लगी। अचानक मैं सीधी होकर लोवर नीचे करके हल्का सा उंगली घुसड़ने लगी कि मेरी नज़र उस आदमी पर गई। वो बैठा था और अपना लोवर उतार कर लौड़े को सहलाते हुए मुझे देख रहा था।
मैं तो पानी-पानी हो गई और चुपचाप लेट गई।
तो वो मेरे पास को आया और बोला- उंगली की क्या ज़रूरत है.. मैं हूँ न..
मैं बोली- पागल हो.. मेरे उधर कीड़ा घुस गया था।
बोला- हाँ दस मिनट से देख रहा हूँ.. कीड़ा ज्यादा खुजली कर रहा है..
उसने अपना एक हाथ तुरंत अपने लौड़े की तरफ किया.. जो फुल खड़ा था। मेरा मन हुआ कि साले को पकड़ लूँ और घुसड़वा लूँ चूत में.. मगर फिर लगा कि नहीं बस में नहीं यार..
वो बोला- बताओ अंजलि जी.. कैसा लगा आपको वो टॉयलेट वाला सीन?
मैं भी बोल पड़ी- अच्छा था।
तो बोला- फिर से देखोगी।
मैंने कुछ नहीं कहा तो उसने अपना लोवर उतार दिया और लंड मेरे मुँह के बिल्कुल सामने था।
मैं बोली- यह मोटा बहुत है।
वो बोला- वैसे हो तुम बिंदास यार..
वो मेरे करीब अपना मुँह ले आया.. मैं लेटी हुई ही थी और उसके लंड से मेरी कोहनी टकरा रही थी। मैंने अपनी आँखें बंद की.. और उसने किस कर दिया।
अचानक उसमें इतनी गर्मी आ गई.. वो बिल्कुल मेरे ऊपर चढ़ गया और लंड को चूत में लोवर में से ही घुसड़ने लगा।
अब मेरा लोवर उतारा.. मुझे लगा कि यार अभी तो सिर्फ चूमा-चाटी ही करेगा ज्यादा से ज्यादा लंड चूस लूँगी इसका.. मगर वो इतना गरम हो गया था कि लंड को चूत में घुसाकर ही माना। वो भी एक ही धक्के में।
मेरी चीख निकलते-निकलते ही रह गई थी कि उसने मेरे मुँह को हाथ से बंद कर दिया और मुझे साँस भी नहीं लेने दी। फिर साला चोदने भी लगा। जैसे-तैसे मैंने अपने मुँह से उसका हाथ हटाया और एक गहरी साँस ली और उसको रोका।
वो साला ठोकू कहाँ रुकने वाला था। अब मेरी डर की सीमा पार होने लगी कि ट्रेन में दूसरी सवारियों को पता चल गया तो क्या होगा।
खैर.. उसने मुझे वहीं धकाधक चोदा और मेरी चूत में ही झड़ गया। मगर मैं तो अभी गरम हुई थी। खैर.. मेरी प्यास ने मुझे तुरंत उठाया और उसका लंड मैंने मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया।
अब तो वो पागल हो गया और बोला- तू तो रंडी की तरह चूसती है।
मैं बोली- नहीं.. मैं उससे भी मस्त चूसती हूँ।
अब उसने मेरे टी-शर्ट उठा दी और मेरे मस्त रसीले मम्मों देख कर पागल हो गया। वो उन्हें ऐसे भींचने लगा कि मेरे दूध लाल कर दिए।
अब उसका फिर से खड़ा हो गया और अब हम फिर से चुदाई करने लगे। अब मैं भी तेज़-तेज़ चूत को चुदवाने लगी। मैं चिल्लाना चाहती थी.. मगर नहीं चिल्ला पा रही थी। बस हल्की-हल्की सिसकारियां ले रही थी।
फिर अचानक उसने मुझे सीट से उठाया।
मैं बोली- नहीं, क्या कर रहे हो?
तो बोला- अरे चुप हो जा.. तू सीट पर घोड़ी बन जा।
मैंने वैसे ही किया और उसने पीछे से मेरी गाण्ड को पकड़ते हुए क्या मस्त चोदना शुरू किया.. आह्ह.. मैं उस आनन्द को बता नहीं सकती। मैं तो अधनंगी पड़ी थी। साला खूब मजे ले रहा था.. और मैं भी रगड़वा रही थी।
पीछे से भी धक्के लगवा-लगवा कर अपनी गाण्ड को हिलाते हुए उसका लौड़ा घुसवा रही थी। उसने भी मुझे बहुत तेज़ चोदना स्टार्ट कर दिया। मुझे हर धक्के में ऐसा लग रहा था कि मेरी चूत में इसका लंड नहीं.. मोटा सरिया घुसा हो।
अब उसने और 10 मिनट चोदते-चोदते अपना माल मेरी चूत में ही झाड़ दिया और अब मैं भी झड़ गई थी।
फिर मैंने झट से टी-शर्ट लोवर ठीक किया और उसने भी अपने कपड़े और वो मेरे ऊपर लेटा रहा.. और मेरे मम्मों से खेलने लगा।
देहरादून आते-आते उसने मुझे दो बार ठोका.. मगर गाण्ड नहीं मारी। उसे गाण्ड मारना पसंद ही नहीं था।
खैर.. सुबह आठ बजे के करीब देहरादून आते ही मैंने पति को फोन कर दिया था। वो मुझे लेने वहाँ से आ गए… और हम लोग होटल पहुँच गए।
Like Reply


Messages In This Thread
Hindi sex stories - by Charlie987 - 30-07-2019, 03:54 PM
RE: Hindi sex stories - by Charlie987 - 30-07-2019, 03:55 PM
RE: Hindi sex stories - by Charlie987 - 30-07-2019, 04:04 PM
RE: Hindi sex stories - by Charlie987 - 30-07-2019, 04:04 PM
RE: Hindi sex stories - by Eswar P - 31-07-2019, 12:20 PM
RE: Hindi sex stories - by Eswar P - 31-07-2019, 12:22 PM
RE: Hindi sex stories - by Charlie987 - 01-08-2019, 09:36 AM



Users browsing this thread: 3 Guest(s)