28-07-2019, 05:13 PM
Update 5 ( एक मजबूत शुरुआत भाग - 2 ) सुबह के 9 बजे ठाकुर रघुवीर सिंह ओर विजय ठाकुर दोनों 24 कुर्सियों वाले बहुत बड़े काच के सूंदर डायनिंग टेबल पर बैठ कर ब्रेकफास्ट कर रहे थे। रघुवीर सबसे मुख्य कुर्सी पर बैठा था। तभी करीना ठाकुर एक मस्त लाल रंग की साड़ी पहन कर। करीना ने बैकलेस एंड स्लीवलेस ब्लाउज पहन रखा था। करीना ठाकुर आकर रघुवीर के पास वाली कुर्सी पर बैठ गयी। ऐसे तो हवेली में आज से कुछ साल पहले तक तो इस टाइप की साड़ी और बैकलेस एव स्लीवलेस ब्लाउज़ पहनना बिलकुल मना ओर प्रतिबंधित था पर जब से ठाकुर की प्यारी व लाडली तीनो बहनो ने बाहर के बड़े शहरों और विदेशों में रह कर और पढ़ कर आयी है तब से वो ऐसे है कपडे पहनती है। और उनके ऐसे साड़ी और ब्लाउज़ पहनने से ठाकुर उनको मना नही कर पाता। और ठाकुर की बहुओ को देख कर हवेली की बाकी औरते और लड़कियां भी अब ऐसे साड़ी पहनना शुरू कर दिया है और वैसे भी ठाकुर रघुवीर जमाने के साथ चलने वाला आदमी है हा पर वो सिर्फ खुद के लिये ओर उसके परिवार के लिए । उसे लगा जो हो रहा है वो ठिक ही हो रहा है ठाकुर रघुवीर ये भी जनता था कि उसकी बहने समझदार है वो जानती है उनको क्या करना है व कैसे हवेली में रहना है। फिर करीना ठाकुर के लिये डायनिंग टेबल पर नाश्ते की प्लेट आनी शुरू हो गयी पर करीना ने नाश्ता लगाने वाले नोकर मंगु को मना कर दिया। उसके मना करने पर ठाकुर रघुवीर ने तुरंत पूछा कि क्या हुआ आज हमारी बहन हमारे साथ ब्रेकफास्ट क्यो नही ले रही है इसका तुरन्त रिप्लाई देते हुए करीना ने कहा कि भईया आज आप फिर भूल गए आज शुक्रवार है ओर आज मेरा शुक्रवार का व्रत है आज में सिर्फ शाम का है डिनर करुँगी। तो इस बात पर रघुवीर बोला कि हा बहना में तो भूल है गया। फिर इस तरह कुछ बाते चलती रही। फिर ठाकुर उठ कर अपने कमरे की और चला गया और विजय अपने शक्कर के कारखाने की और चल दिया। रघुवीर अपने कमरे में गया तब उसे खयाल आया कि आज उसे राका और इकबाल के साथ एक कपड़े के बहुत बड़े शोरूम में जाना है जिसका उद्धघाटन उसके हाथों से होना। इस बड़े कपड़े के शोरूम का मालिक गाँव का एक अमीर सेठ धनपाल जैन था। जो अपनी किराणा की दुकान से काफी कमाया था ओर अब उसने अपनी दूसरी कपड़ो की दुकान खोली थी। जो काफी बड़ी थी। जैसे ही रघुवीर को ये याद आया उसने राका को फोन किया। राका के पास जब ठाकुर रघुवीर का फोन गया तब वो एक आदमी के मुँह के अंदर अपनी पिस्तौल की नोक डाल कर खड़ा हुआ था जैसे ही उसके पास फ़ोन आया वो बोला ये किस मादरचोद का फोन है। फिर उसने रघुवीर के फोन को देख कर एक साइड रख दिया और वापस उस आदमी के मुँह में पिस्तौल रख दी और मादरचोद मेरे पास इतना टाइम नही है बता तुझको किसने भेजा था ठाकुर विजय पर जानलेवा हमला करने के लिये बता। आज से करीब 2 दिन पहले जब विजय अपने गन्ने के खेत पर गया था तब वहां पर किसी ने उसके ऊपर फायर किया था तब विजय की किस्मत से वो बच गया दरसल हुआ ये था कि जैसे ही शूटर ने फायर किया तब ही विजय के सामने गन्ने के खेत मे काम करने वाला एक मजदूर उसके सामने आ गया था और विजय की जगह गोली उस मजदूर को लग गयी थी और जेसे ही मजदूर को गोली लगी तभी विजय ठाकुर ने पेड़ के पीछे छिप गया और विजय के एक बॉडीगार्ड रमीज पठान ने पैड के पिछे छिप कर अपनी पिस्तौल से एक गोली मारी जो जाकर सिधे शूटर के हाथों में लगी ओर शूटर से बन्दुक छूट गयी और वो भागने लगा पर उसको विजय के दूसरे बॉडीगार्ड राघव चौधरी ने तेज दौड़ कर पकड़ लिया और उस शूटर की वही जोरदार वाली पिटाई कर दी फिर उसे हवेली ले जाकर राका के हाथों में सोप दिया। अब आगे राका जिस शूटर को मार रहा था वो शूटर का नाम जितेंद्र जाधव था। फिर राका ने जितेन्द्र को एक आखरी वॉर्निंग दी कि अब तूने नही बताया तो में तेरा एक हाथ उखाड़ दुगा। पर जितेन्द्र एक प्रोफेशनल शार्प शूटर था वो कुछ नही बोला पर रखा ने जितेन्द्र को चुप देखते हुए अपने बलिष्ठ व काले हाथो से जितेंद्र के हाथ को 15 सेकण्ड में एक बड़ी लकड़ी को काटने वाली वुडकटर मशीन से उसके एक साइड के हाथ को बगल से काट दिया और अब बता मादरचोद जितेन्द्र का तो एक हाथ काटते ही वो चिखने लगा और रोने लगा। उसको रोते हुए देख राका बोला क्यो रे भोसडीवाले तू सच मे शार्प शूटर है क्या। और हे तो चूतिये तू इतने खुले में होते हुए भी निशाना कैसे चूक गया और कैसे बच गया वो विजय। ये सुनते ही जितेन्द्र के होश उड़ गये और वो दर्द से चीखते हुए बोला कि मैने तो निशाना विजय ठाकुर के माथे पर ही लगाया था पर उसके पास 4 से 5 मजदुर खड़े थे पर जेसे मेने गोली चलाई वैसे ही मजदूर कुछ कहने विजय के पास गया और उसी समय मेने गोली चला दी। ओर मेरी गोली से वो मजदूर मर गया। ओर विजय ठाकुर के बॉडीगार्ड ने मेरे ऊपर गोली दागी ओर मेरे हाथ पर लगने से पेड़ से गिर गया और पकड़ा गया। फिर राका ने जितेन्द्र के घर का पता लिया और आखरी सवाल पूछा कि तुझको किसने भेजा था ओर जितेन्द्र बोला कि मुझको अर्जुनगढ़ के रहने वाले जोरावर सिंह ने भेजा था इतना सुनते ही राका के काले चेहरे पर हसी आयी और उसने जितेन्द्र के मुँह के अन्दर रख कर गोली चला दी। और जितेन्द्र जाधव मर गया। राका ने अपने एक आदमी से कहा कि इसकी लाश को ठिकाने लगा दे। और फिर राका वहा से निकल कर हवेली चला गया। राका की गाड़ी हवेली के अंदर आने से सारे वॉचमेन खड़े हो गये। राका जहा जाता वहां राका के आते ही दहशत और खोफ फैल जाती थी। राका एक सफेद कलर की एस यु वी फॉर्च्यूनर में घुमता था जीके आगे एक काले कलर का छोटा सा झंडा लगा रहता था। फिर सफेद फॉर्च्यूनर हवेली के गेट नम्बर 1 से होते हुईं हवेली के मुख्य गेट पर रुकी फिर राका गाड़ी से उतरा और हवेली के अंदर चला गया। हवेली के अंदर जाते ही उसे रघुवीर ठाकुर की तीसरी बहन अनुष्का ठाकुर दिखी जो किसी हवेली के राशन का हिसाब रखने वाले किसी आदमी से बात कर रही थी। उस टाइम अनुष्का ठाकुर ने मेहरून कलर की साड़ी और आसमानी कलर का एक बैकलेस और स्लीवलेस ब्लाउज़ पहन कर रखा था जिसमे वो बहुत हॉट और सेक्सी दिख रही थी और अनुष्का ने बाल भी खुले हुए रखे थे जिससे वो और भी सूंदर लग रही थी। राका ने जेसे ही अनुष्का को देखा वो उसके पास आया और वहां खड़े आदमी से बोला कि क्या हुआ क्यो मेडम जी को परेशान कर रहा है। राका को देख के राशन का हिसाब रखने वाले यतिन शर्मा की फट गयी ओर वो बोला कि नही नही राका दादा नही में तो सिर्फ मेडम से रोज की तरह हिसाब कर रहा था ताकि में हवेली के राशन खाते ( एकाउन्ट ) में सही से एन्ट्री कर सकू। राका बोला तू खाते में सही से खतौनी ( एन्ट्री ) करते रहना वरना में तेरा खाता खोल दुगा ये सुनते ही यतिन की फट गयीं ओर वो साइड में खड़ा हो गया। फिर राका ने एक हाथ अनुष्का ठाकुर के कन्धे पर रख दिया और बोलने लगा कि छोटी मैडम आपको कोई परेशानी हो तो मुझे बोलिये। राज ठाकुर की सभी बहनो को बड़ी और छोटी मैडम कहकर ही बात करता था। अनुष्का को राका के काले ओर सख्त हाथ अपनी बाहों पर महसूस होने लगे अनुष्का को थोड़ा अजीब लगा पर उसने इसका कोई विरोध नही किया और बोली नही अंकल ये बेचारा तो सिर्फ हिसाब लेने आया था ये सुनते ही राका के यतिन का कोलर पकड़ लिया और बोला तेरी इतनी हिम्मत की तो हवेली और छोटी मेडम का हिसाब ले। राका एक तो ज्यादा पढ़ा लिखा था नही उसने हिसाब का गलत मतलब निकाल दिया और फालतू का यतिन का कोलर पकड़ लिया। पर जेसे ही उसने यतिन का कोलर पकड़ा था उसने अनुष्का के कन्धे से हाथ हटा कर उसकी नंगी पिठ पर रख दिया ओर हलका हलका घुमाने लगा।अनुष्का को अपनी पिठ पर राका काले और सख्त बड़े हाथ लगते हुए महसूस हुए जिससे वो वहा से हट गयीं ओर राका से थोड़ा दूर जाकर बनावटी हसी दिखाते हुए बोली कि अंकल ये तो खाते वाले हिसाब की बात कर रहा है फिर राका ने यतिन को छोड़ दिया और यतिन साइड में खड़ा हो गया यतिन का तो मन कब से वहां से भाग जाने का था पर उसका राशन का हिसाब बाकी था इसलिए वो वही खड़ा था। फिर राका ने भी अपनी गन्दी सी हँसी दिखायी और अनुष्का ठाकुर से इजाजत बोल कर ठाकुर रघुवीर के रूम की तरफ चल दिया।अनुष्का ने राका की हरकतों पे ज्यादा ध्यान ना देते हुए अपने काम मे लग गयी। जैसे ही राका रघुवीर के रूम में पहुँच रघुवीर वहा काले पेन्ट ओर सिल्वर कलर का कोट अन्दर सफेद शाट और काले रंग की टाई पहन के खड़ा था। राका रूम में आते ही हाथ पीछे बांध कर खड़ा हो गया और बोला जी ठाकुर साहब बोलिये क्या हुकम है। रघुवीर बोला कि आज हमको धनपाल सेठ के वहाँ जाना है याद है या भूल गया जी ठाकुर साहब याद है आपका आदेश कैसे भूल सकता हूं। फिर ठाकुर ने कहा कि इक़बाल कहा है तो राका बोला कि वो अभी गाड़ी के पास हमारा इन्तजार कर रहा है। फिर ठाकुर ने इत्र की चार बुन्दे अपने कोट पर लगायी और रूम से चल दिया सिधे कार की ओर। रघुवीर के रूम से निकलते ही राका ने अपने एक आदमी को इकबाल के पास भेज दिया ताकी वो उसको लेकर कार के पास तक आ जाये। इकबाल खान हवेली के पीछे वाले सर्वेन्ट क्वाटर में रहता था इकबाल अपने रूम में बैठ कर आराम से बकरे का घोष खा रहा था और साथ मे चिकन के चार लेग पिस। राका का आदमी जेसे ही इक़बाल के रूम के पास आया उसे नॉन वेज की सुगन्ध आ गयी ओर उसने गेट खड़खडाय पर इक़बाल कुछ नही बोला और चुपचाप बाहर आकर उसके साथ चला गया। इक़बाल जेसे ही कार के पास जाकर खड़ा हुआ वहाँ पर रघुवीर और राका आ गये। ओर इक़बाल बोला जी मालिक बोलिये। ठाकुर बोला चलो आज हमे अभी निकलना है। इक़बाल थोड़ा बनावटी मुह बना कर बोला मालिक अगर बुरा ना माने तो में आपसे एक बात कहू अगर आपकी आज्ञा हो तो ठाकुर रघुवीर बोला ठीक है बोल आज में आपके साथ न आउ तो चलेगा क्योकि में पिछले तीन शुक्रवार से आपके साथ था और आज भी शुक्रवार है मुझे आज रहीम चाचा को रुपये देने मस्जिद जाना है रहीम चाचा सिर्फ शुक्रवार को ही मिलते है वो मस्जिद में नमाज पढ़ने आते है और नमाज के बाद आपने छोटे से गाँव लोट जाते है। रहीम ने किसी रहीम चाचा से कभी कुछ रुपये उधार लिए थे ठाकुर के यहा नोकरी करने से पहले वो उसको ही चुकाने की बात कर रहा था। ठाकुर रघुवीर सिंह बोला ठिक आज तुम हवेली ही रुक जाओ में तेरी जगह प्रवीण को ले जाता हूं। फिर ठाकुर रघुवीर वहाँ से निकल गया। इसके बाद इकबाल सिधे रूम में गया और अपनी गन्दी शकल से गन्दी हँसी निकालते हुए बकरे का माँस खाने लगा ।