26-07-2019, 08:52 PM
(This post was last modified: 13-10-2019, 06:24 PM by komaalrani. Edited 2 times in total. Edited 2 times in total.)
रीतू भाभी
रीतू भाभी एकदम थेथर, थकी हारी पड़ी थी ,
मैंने छुटकी की सहेली रीमा की ओर तारीफ़ की नजर से देखा , जो काम कभी नहीं हुआ था , वो आज हुआ ,
हर बार हम ननदों की होली में जबरदस्त रगड़ाई होती थी , बाजी हर बार भौजाइयों के हाथ होती थी ,
एक तो वो संख्या में ज्यादा होती थीं ,
हर बार एक साथ दो तीन भौजाइयां एक साथ ,
एक पहले हाथ पकड़ के पीठ की ओर मोड़ देती थी , फिर तो आराम से शलवार का नाडा खुलता था , टॉप ऊपर उठता था ,
रंग से शुरुआत जरूर होती लेकिन उसके बाद देह की होली , ...
और ज्यादा होने के साथ साथ भौजाइयाँ सब , पक्की ,... मायके की छिनार खूब खेली खायी ,
देह का भूगोल उन्हें अच्छी तरह मालुम होता था ,
और दूसरी ओर कच्ची कलियाँ , ... जवान होती ननदें , ... अगवाड़ा पिछवाड़ा कुछ नहीं बचता था ,
लेकिन आज कैसे हचक हचक के रीमा ने ,
रीतू भाभी की गांड में मोटा डिलडो पेला , एकदम मजा आगया ,
आगे से बुर में मैंने पेल रखा था , और पीछे से रीमा ने ,
और जिस तरह से इनकी सलहज चींखी थीं , मैं समझ गयी , रीतू भाभी की कोरी तो नहीं है लेकिन बहुत मूसल नहीं चले हैं उसमें ,
भैया को , उनके मरद को लगता है उनके अगवाड़े का स्वाद ज्यादा पसंद है ,
रीतू भाभी की के नन्दोई की तरह जो बिना नागा मेरे पिछवाड़े बाजा बजाते हैं , और न छेद छेद में भेद करते हैं न लड़के लड़की में ,
मेरे छोटे भाई की , अपने साले की जबरदस्त गांड मारी उन्होंने और वो भी मेरे सामने , ...
वो और लीला ,
उनकी साली , छुटकी की नौंवे में पढ़ने वाली सहेली भी , , ... लीला की उन्होंने हचक के ली थी ,
और रीतू भाभी ने भी तो अपनी छोटी ननद के बजाय अगवाड़े के पीछे , ननदोई का मोटा मूसल सेट कर दिया था
और कहाँ उनका मोटा कोकाकोला के कैन ऐसा मोटा बांस
कहाँ नौवें में पढ़ने वाली कच्ची कली , वो भी पिछवाड़े का छेद ,...
पर रीतू भाभी भी , ... लीला चीख रही थी , और इनकी सलहज पकड़ के ठेलवा रही थीं ,
सच में ननद की चीख तो भौजाइयों के लिए मधुर संगीत होता है , पूरा सुपाड़ा घुसाने के बाद ही इनकी सलहज ने सुपाड़ा निकाल के आगे के छेद में
और उसके बाद तो क्या हचक के , चोदा उन्होंने छुटकी की सहेली को , नौवीं में पढ़ने वाली कच्ची कली को ,
थोड़ी देर पहले ही छुटकी की दूसरी सहेली रीमा की कुँवारी कच्ची कसी चूत वो फाड़ चुके थे
इसलिए दूसरे राउंड में तो ज्यादा टाइम लगना ही था ,
और सुबह नाश्ते में उनकी सास ने शतावर , शिलाजीत गाय का गहि और न जाने क्या पड़ा एक के के बजाय दो दो लड्डू , और एक लड्डू ही फूल डोज वियाग्रा का चौगुना असर करता था ,..
आधे घंटे तक उन्होंने तूफ़ान मेल चलाई थी उस कच्ची कली की चूत में और कटोरी भर मलाई ,
रीतू भाभी को देख कर मुझे एक शरारत सूझी , जो मजा मोटे लंड में है वो प्लास्टिक के डिलडो में कहाँ ,
कल रीतू भाभी का साया नहीं पलटा गया था की उनकी पांच दिन वाली छुट्टी चल रही थी , लेकिन वो छुट्टी कल ही ख़तम हो गयी थी इसलिए
और उन्होंने ससुराल में साले की गांड का मजा लिया , सालियों की कच्ची कोरी कसी चूत फाड़ने का मजा लिया , सास के रसीले भोंसडे का आनंद लिया लेकिन सलहज की बुर चोदे बिना ससुराल की होली अधूरी ही रहती।
और उनकी बाकी दोनों सालियाँ रीमा और छुटकी अब एक बार फिर सोये शेर को जगा रही थीं ,अपनी किशोर उँगलियों से रसीले होंठों से
अब आप ही सोचिये , दो दो नयी उमर की नयी फसल , गोरी गोरी छोरियां , नौ में पढ़ने वालियां , जवानी जिन पर बस अभी चढ़ रही हो , छोटी छोटी चूँचियाँ बस उठ रही हों , वो अपने कोमल कोमल हाथों से चर्मदण्ड को ले कर मुठियाएँ तो क्या होगा ,
ऊपर से रीमा शैतान , जिसकी झिल्ली अभी थोड़ी देर पहले फाड़ कर इन्होने उसे कली से फूल बनाया था , वो शरारती नटखट , बस झुक कर , उसने अपनी जीभ बाहर निकाल कर , बस उनके मोटे सुपाड़े छू भर लिया ,
और मूसलचंद पागल।
उनकी दो सालियाँ छुटकी , मेरी छोटी बहन और उसकी सहेली , रीमा तो उनके पास थीं पर एक साली मेरे साथ ,
लीला , उनकी सलहज , रीतू भाभी के बगल में बैठी मेरे साथ भाभी की हालत देख रही थी ,
और जैसा मैंने कहा था की हर बार भाभियाँ होली में २० नहीं २४ पड़तीं थी हम ननदों पर , कल भी तो ,...
लेकिन आज रीतू भाभी अकेली , और हम ननदें चार।
मैं , छुटकी और उसकी दोनों सहेलियां।
अभी कुछ देर पहले ही तो मैंने और रीमा ने मिल कर भौजाई की जबरदस्त सैंडविच बनाई थी , पर अब उनके नन्दोई का मोटा तन्नाया लंड देखकर मेरे मन में कुछ और बदमाशी , ...
आखिर उन्होंने अभी होली के बहाने दो सालियों की हम सबके सामने फाड़ी थी , कच्ची कोरी कसी कसी नौवें में पढ़नी वाली सालियाँ ,..
और सलहज अभी तक बची थीं
और यही बात लीला के मन में भी , हम दोनों ने आँखों आँखों में इशारा किया , बस ,
और रही सही बात भौजी ने खुद , इन्हे ललकार कर कहा ,
" इतना मस्त तन्नाया है , अबकी किसका नंबर है "
बस मैंने और लीला ने मिलकर भउजाई के हाथ पैर पकडे और वो रंग भरे चहबच्चे में ,
बस यह देखते ही उनकी बाकी दोनों ननदें , छुटकी और रीमा भी उसी रंगभरे छोटे से पोखर में ऐसा मौका कहाँ मिलता है , भाभी एक ननदें चार।
बस हो गयी रगड़ाई शुरू , एक दो के बस तो होती नहीं भाभियाँ , बस मैंने रीमा के साथ मिल के रीतू भाभी के दोनों हाथ पकड़ कर उनके पीठ के पीछे , बस छुटकी और लीला की तो चांदी हो गयी , दोनों हाथों में रंग पेण्ट कालिख , और भौजी के दोनों जोबना की रगड़ाई , ... हर होली में जो हालत ननदों की होती है , बस वही। कपडे तो सबके बस तार तार हो गए थे , भाभी ने भी अपनी साडी बस लपेट रखी थी , पेटीकोट भी बस ऐसे ही।
मैंने लीला को इशारा किया उसने रंग छोड़कर , पहले आराम से धीरे धीरे भौजाई का नाडा खोला , उनकी कलाई तो मैंने और रीमा ने कस के दबोच रखी थी। लीला ने नाड़ा खुलते ही धीमे से पेटीकोट को सरकाया और वो रितू भाभी का साथ छोड़ कर , सीधे रंग भरे चहबच्चे में। लेकिन उसके डूबने के पहले ही लीला ने उसे उठा लिया और आराम आराम से भौजी को दिखाते हुए , पेटीकोट में से नाड़ा निकाल लिया , अब वो उन्हें मिल भी जाता तो बिना नाड़े के ,...
पर लीला थी स्मार्ट , उसने वो नाड़ा रीमा को दे दिया। दोनों ही प्रेसिडेंट गाइड थीं , गांठ बाँधने में नेशनल लेवल की , बस उसी नाड़े से भाभी की कलाई मोड़कर , कस के बाँध दी ,... अब वो लाख कोशिश करें ,
एक बार फिर से रीमा और लीला ने उनके दोनों गदराये जोबन पकड़ लिए , दबाते मीजते बोलीं , ...
" भौजी , भैया के पहले कौन कौन दबाया था इसको "
रीतू भाभी एकदम थेथर, थकी हारी पड़ी थी ,
मैंने छुटकी की सहेली रीमा की ओर तारीफ़ की नजर से देखा , जो काम कभी नहीं हुआ था , वो आज हुआ ,
हर बार हम ननदों की होली में जबरदस्त रगड़ाई होती थी , बाजी हर बार भौजाइयों के हाथ होती थी ,
एक तो वो संख्या में ज्यादा होती थीं ,
हर बार एक साथ दो तीन भौजाइयां एक साथ ,
एक पहले हाथ पकड़ के पीठ की ओर मोड़ देती थी , फिर तो आराम से शलवार का नाडा खुलता था , टॉप ऊपर उठता था ,
रंग से शुरुआत जरूर होती लेकिन उसके बाद देह की होली , ...
और ज्यादा होने के साथ साथ भौजाइयाँ सब , पक्की ,... मायके की छिनार खूब खेली खायी ,
देह का भूगोल उन्हें अच्छी तरह मालुम होता था ,
और दूसरी ओर कच्ची कलियाँ , ... जवान होती ननदें , ... अगवाड़ा पिछवाड़ा कुछ नहीं बचता था ,
लेकिन आज कैसे हचक हचक के रीमा ने ,
रीतू भाभी की गांड में मोटा डिलडो पेला , एकदम मजा आगया ,
आगे से बुर में मैंने पेल रखा था , और पीछे से रीमा ने ,
और जिस तरह से इनकी सलहज चींखी थीं , मैं समझ गयी , रीतू भाभी की कोरी तो नहीं है लेकिन बहुत मूसल नहीं चले हैं उसमें ,
भैया को , उनके मरद को लगता है उनके अगवाड़े का स्वाद ज्यादा पसंद है ,
रीतू भाभी की के नन्दोई की तरह जो बिना नागा मेरे पिछवाड़े बाजा बजाते हैं , और न छेद छेद में भेद करते हैं न लड़के लड़की में ,
मेरे छोटे भाई की , अपने साले की जबरदस्त गांड मारी उन्होंने और वो भी मेरे सामने , ...
वो और लीला ,
उनकी साली , छुटकी की नौंवे में पढ़ने वाली सहेली भी , , ... लीला की उन्होंने हचक के ली थी ,
और रीतू भाभी ने भी तो अपनी छोटी ननद के बजाय अगवाड़े के पीछे , ननदोई का मोटा मूसल सेट कर दिया था
और कहाँ उनका मोटा कोकाकोला के कैन ऐसा मोटा बांस
कहाँ नौवें में पढ़ने वाली कच्ची कली , वो भी पिछवाड़े का छेद ,...
पर रीतू भाभी भी , ... लीला चीख रही थी , और इनकी सलहज पकड़ के ठेलवा रही थीं ,
सच में ननद की चीख तो भौजाइयों के लिए मधुर संगीत होता है , पूरा सुपाड़ा घुसाने के बाद ही इनकी सलहज ने सुपाड़ा निकाल के आगे के छेद में
और उसके बाद तो क्या हचक के , चोदा उन्होंने छुटकी की सहेली को , नौवीं में पढ़ने वाली कच्ची कली को ,
थोड़ी देर पहले ही छुटकी की दूसरी सहेली रीमा की कुँवारी कच्ची कसी चूत वो फाड़ चुके थे
इसलिए दूसरे राउंड में तो ज्यादा टाइम लगना ही था ,
और सुबह नाश्ते में उनकी सास ने शतावर , शिलाजीत गाय का गहि और न जाने क्या पड़ा एक के के बजाय दो दो लड्डू , और एक लड्डू ही फूल डोज वियाग्रा का चौगुना असर करता था ,..
आधे घंटे तक उन्होंने तूफ़ान मेल चलाई थी उस कच्ची कली की चूत में और कटोरी भर मलाई ,
रीतू भाभी को देख कर मुझे एक शरारत सूझी , जो मजा मोटे लंड में है वो प्लास्टिक के डिलडो में कहाँ ,
कल रीतू भाभी का साया नहीं पलटा गया था की उनकी पांच दिन वाली छुट्टी चल रही थी , लेकिन वो छुट्टी कल ही ख़तम हो गयी थी इसलिए
और उन्होंने ससुराल में साले की गांड का मजा लिया , सालियों की कच्ची कोरी कसी चूत फाड़ने का मजा लिया , सास के रसीले भोंसडे का आनंद लिया लेकिन सलहज की बुर चोदे बिना ससुराल की होली अधूरी ही रहती।
और उनकी बाकी दोनों सालियाँ रीमा और छुटकी अब एक बार फिर सोये शेर को जगा रही थीं ,अपनी किशोर उँगलियों से रसीले होंठों से
अब आप ही सोचिये , दो दो नयी उमर की नयी फसल , गोरी गोरी छोरियां , नौ में पढ़ने वालियां , जवानी जिन पर बस अभी चढ़ रही हो , छोटी छोटी चूँचियाँ बस उठ रही हों , वो अपने कोमल कोमल हाथों से चर्मदण्ड को ले कर मुठियाएँ तो क्या होगा ,
ऊपर से रीमा शैतान , जिसकी झिल्ली अभी थोड़ी देर पहले फाड़ कर इन्होने उसे कली से फूल बनाया था , वो शरारती नटखट , बस झुक कर , उसने अपनी जीभ बाहर निकाल कर , बस उनके मोटे सुपाड़े छू भर लिया ,
और मूसलचंद पागल।
उनकी दो सालियाँ छुटकी , मेरी छोटी बहन और उसकी सहेली , रीमा तो उनके पास थीं पर एक साली मेरे साथ ,
लीला , उनकी सलहज , रीतू भाभी के बगल में बैठी मेरे साथ भाभी की हालत देख रही थी ,
और जैसा मैंने कहा था की हर बार भाभियाँ होली में २० नहीं २४ पड़तीं थी हम ननदों पर , कल भी तो ,...
लेकिन आज रीतू भाभी अकेली , और हम ननदें चार।
मैं , छुटकी और उसकी दोनों सहेलियां।
अभी कुछ देर पहले ही तो मैंने और रीमा ने मिल कर भौजाई की जबरदस्त सैंडविच बनाई थी , पर अब उनके नन्दोई का मोटा तन्नाया लंड देखकर मेरे मन में कुछ और बदमाशी , ...
आखिर उन्होंने अभी होली के बहाने दो सालियों की हम सबके सामने फाड़ी थी , कच्ची कोरी कसी कसी नौवें में पढ़नी वाली सालियाँ ,..
और सलहज अभी तक बची थीं
और यही बात लीला के मन में भी , हम दोनों ने आँखों आँखों में इशारा किया , बस ,
और रही सही बात भौजी ने खुद , इन्हे ललकार कर कहा ,
" इतना मस्त तन्नाया है , अबकी किसका नंबर है "
बस मैंने और लीला ने मिलकर भउजाई के हाथ पैर पकडे और वो रंग भरे चहबच्चे में ,
बस यह देखते ही उनकी बाकी दोनों ननदें , छुटकी और रीमा भी उसी रंगभरे छोटे से पोखर में ऐसा मौका कहाँ मिलता है , भाभी एक ननदें चार।
बस हो गयी रगड़ाई शुरू , एक दो के बस तो होती नहीं भाभियाँ , बस मैंने रीमा के साथ मिल के रीतू भाभी के दोनों हाथ पकड़ कर उनके पीठ के पीछे , बस छुटकी और लीला की तो चांदी हो गयी , दोनों हाथों में रंग पेण्ट कालिख , और भौजी के दोनों जोबना की रगड़ाई , ... हर होली में जो हालत ननदों की होती है , बस वही। कपडे तो सबके बस तार तार हो गए थे , भाभी ने भी अपनी साडी बस लपेट रखी थी , पेटीकोट भी बस ऐसे ही।
मैंने लीला को इशारा किया उसने रंग छोड़कर , पहले आराम से धीरे धीरे भौजाई का नाडा खोला , उनकी कलाई तो मैंने और रीमा ने कस के दबोच रखी थी। लीला ने नाड़ा खुलते ही धीमे से पेटीकोट को सरकाया और वो रितू भाभी का साथ छोड़ कर , सीधे रंग भरे चहबच्चे में। लेकिन उसके डूबने के पहले ही लीला ने उसे उठा लिया और आराम आराम से भौजी को दिखाते हुए , पेटीकोट में से नाड़ा निकाल लिया , अब वो उन्हें मिल भी जाता तो बिना नाड़े के ,...
पर लीला थी स्मार्ट , उसने वो नाड़ा रीमा को दे दिया। दोनों ही प्रेसिडेंट गाइड थीं , गांठ बाँधने में नेशनल लेवल की , बस उसी नाड़े से भाभी की कलाई मोड़कर , कस के बाँध दी ,... अब वो लाख कोशिश करें ,
एक बार फिर से रीमा और लीला ने उनके दोनों गदराये जोबन पकड़ लिए , दबाते मीजते बोलीं , ...
" भौजी , भैया के पहले कौन कौन दबाया था इसको "