26-07-2019, 08:38 PM
Update 4 ( एक दमदार शुरुआत ) हमारे गाँव यानी कि विजयपुर में रात हो रही थी। पूरा गाँव सो रहा था। हवेली में भी शान्ति थी। हवेली के मुख्य गेट यानी कि गेट नम्बर 1 पर दो वॉचमैन खड़े थे। उन दो खड़े हुए वॉचमैन को ठाकुर रघुवीर अपने कमरे की बड़ी काच वाली खिड़की के अंदर से देख रहा था। कमरे में एयर कंडीशनर निरन्तर चल रहा था और कमरे को ठंडा कर रहा था। रघुवीर जहा खड़ा था वहाँ से पिछे एक बड़ा सा डबल बेड पलंग था जिस पर रघुवीर की पत्नी पदमिनी एक ब्लैक कलर की नाइटी पहन के बैठी थी उसके अंदर वो बहुत सेक्सी लग रही थी। पर हमेशा की तरह पदमिनी ठाकुर से नाराज थी क्योंकि पदमिनी हमेशा से चाहती थी कि रघुवीर कही उसे विदेश घूमने ले जाये और कम से कम 6 महीने की छुट्टी मनाने ले जाये। पदमिनी हवेली और गाँव के माहौल से बोर हो चुकी थी पर रघुवीर पदमिनी की विदेश में जाकर रहने की इच्छा को पूरा अभी नही कुछ समय बाद करना चाहता था। रघुवीर को हवेली ,गाँव व अपने व्यापार को अभी छोड़ना नही चाहता था। रघुवीर का सोचना था कि वो महीने भर भी अगर गाँव से दूर रहा तो उसके दुश्मन विजयपुर में अपनी जड़े बिछानी शुरू कर देंगे। और उसे व्यापार में भी काफी नुकसान हो सकता है। और ठाकुर के दूसरे बेटे जय ठाकुर की हरकतों से तो पूरा गांव और हवेली परेशान है। यही सब सोचते हुए रघुवीर पदमिनि के पास आया और उसके पास बैठ गया । रघुवीर धीरे धीरे पदमिनी को छूने लगा और उसकी बॉडी के बनावट को महसूस करने लगा। पदमिनी 53 वर्ष की होते हुए भी काफी सुंदर और फिट है। रघुवीर अपने हाथों को पदमिनी के पैरों से लेकर जांघो तक गुमाने लगा। पदमिनी के चेहरे पर अब थोड़ा गुस्सा और नाराजगी कम होने लगी। पदमिनी भी अब थोड़ी गरम हो रही थी रघुवीर ने ये देखते हुए जट से पदमिनी को अपनी बाहों में भर लिया और पदमिनी के गुलाबी होंटो से अपने होट मिला लिये और एक लम्बी किस कर ली। फिर शुरू हुआ वो लम्हा जो रघुवीर और पदमिनी के बिच कभी कभी है होता था। रघुवीर और पादमिनी के बिच 2 मिनट तक लिप किस चली यानी कि चुम्बन हुआ। रघुवीर ने ज्यादा देर न लगाते हुए चुम्बन रोका और फटाफट पदमिनी के फ़ेवरिट स्ट्राबेरी फ्लेवर का कॉन्डोम अपने पास वाले दराज से निकाला और उसे अपने लंड पर पहन लिया। ये देखते हुए पदमिनी ने भी अपनी नाइटी निकली और साइड में रख दी। रघुवीर ठाकुर ने अपना 6 इंच के लंड को पदमिनी की अंडरवियर के उपर घुमाने लगा फिर रघुवीर ने पदमिनी के निपल्स को ब्रा से आजाद कर दिया और उसके चुचियो को दबाने लगा। रघुवीर के ऐसा करते देख पदमिनि और भी ज्यादा गरम हो गयी और उसने फट से अपनी अंडरवियर को निकाला और रघुवीर के लंड को अपने एक हाथ से पकड़ कर अपनी चूत में डाल दिया। रघुवीर ने भी ज्यादा समय न लगाते हुए धीरे धीरे लंड को पादमिनी की चूत के अन्दर बाहर करने लगा। कुछ 4 से 5 मिनट बाद रघुवीर के धक्के तेज होने लगे और रघुवीर 3 से 4 अंतिम शॉट मारकर जड़ गया।और कॉन्डोम निकाल कर थक कर सो गया। रघुवीर को ये भी ध्यान नही रहा कि पादमिनी संतुष्ट हुई या नही बस इसी बात से पादमिनी वापस नाराज हो गयी ओर अपने हाथों को अपनी चुत में सहला कर सो गयीं। रात के करीब 3 बजे होंगे एक काला साया ठाकुर की रूम की और बढ़ रहा था। वो काला साया ठाकुर के रूम के पास जाकर रुक गया। फिर कुछ देर ठाकुर के रूम के बहार खड़ा रहकर चला गया। ये साया और कोई नही ठाकुर रघुवीर का बड़ा बेटा विजय ठाकुर था जो अपने पिता को देखने आया था कि सब ठिक तो है। विजय की बचपन से आदत थी कि जब भी वो रात को पानी पीने और पूरे हवेली की सुरक्षा चेक करने के लिये उठता था तो वो अपने माता पिता के रूम के बाहर तक जाता ही था। तकरीबन सुबह के 5 बजे होंगे हवेली की गेट नंबर 1 पर खड़ा वॉचमेन गेट के साइड में पड़ी हुई कुर्सी पर बैठ कर सो रहा था । वॉचमेन का नाम अनीस हुसैन है। अनीस की उम्र 45 वर्ष है। दिखने में काला और थोड़ी ,., दाढ़ी है। अनीस का पेट बाहर निकला हुआ है और अनीस की दो शादी या निकाह हो चुका है। वॉचमेन अनीस आराम से कुर्सी पर बैठ कर धोक रहा था यानी कि घोड़े बेच कर सो रहा था कि तभी अनीस के कान के नीचे जोर की थप्पड़ आयी और अनीस सिधे कुर्सी से घिर कर गेट से जा टकराया और कौन है कौन है बोलने लगा। अनीस को ऐसे भी जोर से थप्पड़ पड़ने के कारण सर चकरा रहा था फिर थप्पड़ मारने वाले ने अनीस का कोलर पकड़ा और मुह पर कस कर घुसा मारा इस बार तो अनीस के नाक से खून निकल गया। नाक पर घुसा पड़ने से अनीस की सारी निन्द और चक्कर उड़ गये
और उसने देखा कि उसकी कुटाई करने वाला और कोई नही ठाकुर रघुवीर का दूसरा बेटा जय ठाकुर है। जय ठाकुर पूरी रात गांजे के नशे करके आया था। और उसको कोई होश नही था कि वो क्या कर रहा है जय अनीस के पेट पर एक तेज घुसा मारकर बोला मादरचोद साले कुत्ते की औलाद तेरी गण्ड मारू साले गांडू तू ड्यूटी पर सो रहा है गांडू गधे। चल तेरी चड्डी निकाल मादरचोद तेरी गाँड़ में यही मारूँगा चल गांडू नंगा हो जल्दी से जय के डर से नही अनीस जय के नशे से डर गया था जय नशे में अपनी गाँड़ के पीछे रखी गन भी अनीस पर चला सकता था अनीस ने डर के मारे तो अपना पेन्ट निकल दिया पर जैसे है अपना अंडरवियर निकालने गया तब एक जोरदार आवाज आयीं जययययययय ।। ये आवाज और किसी की नही ठाकुर रघुवीर की थी। जो अपनी बालकनी से खड़ा होकर बोला था। जय इस आवाज को जनता था इसलिए वो वही रुक गया उसने जो अपना हाथ लंड में डाल रखा था वो भी निकाली दिया। ओर जय अपनी लाल आखो से ठाकुर रघुवीर को देखने लगा और फिर गुस्से में वहा से चला गया। ठाकुर रघुवीर को देख वॉचमेन अनीस ने उसके हाथ जोड़े और अपना पेन्ट सही करके सर्वेन्ट क्वाटर्स कि और चला गया। ये सब देख आज ठाकुर रघुवीर फिर थोड़ा उदास हुआ कि उसका खून यानी कि जय ऐसा कैसे हो सकता है। ठाकुरो का खून इतना खराब कैसे हो सकता है कि हवेली के वॉचमेन की गाँड़ मारने का सोच सके छी। रघुवीर ने सोचा कि साला दिन की शुरुआत ही खराब हुई है फिर रघुवीर अपने कमरे मे चला गया। जय अपनी लाल आँखे और गाँजे के नशे के साथ अपने रूम में गया और जाते है एक दारू का पेग बनाया और पिया । जय नशे में अपने कमरे को देखने लगा फिर उसको किसी बात पर गुस्सा आया और वो रूम में रखे सोफे पर जाकर सो गया। जय को जिस बात पर गुस्सा आया था और कुछ नही जय की पत्नी राशी ठाकुर को देख कर आया था जो डबल बेड पलंग पर आराम से सो रही थी। अब करीब सुबह के 8 बज रहे होंगे रतन ठाकुर रघुवीर का छोटा भाई अपने कमरे में सो रहा था कि किसी ने पंखा बन्द कर दिया था। रतन उठा और उठते ही अपने पाजामे के अंदर से लंड को मसलने लगा। लगे भी क्यो ना सामने जो घर की नोकरानी जो थी। जिसका नाम मालती था वही मंगु की पत्नी। मलती दिखने में तो कुछ खास नही थी पर वो बैठ कर जब वैक्यूम क्लीनर गुमा रही थी तब उसकी चुचिया और गहरी नाभी दिख रही थी जिसे देख रतन ठाकुर का सुबह सूबह ही खड़ा हो गया था। फिर मालती काम करके चली गयी और रतन अपना लंड हिलाता ही रह गया। (अब स्टोरी रीडर्स आपसे थोड़ी देर का विश्राम लेते है फिर मिलते है अगले अपडेट में )
और उसने देखा कि उसकी कुटाई करने वाला और कोई नही ठाकुर रघुवीर का दूसरा बेटा जय ठाकुर है। जय ठाकुर पूरी रात गांजे के नशे करके आया था। और उसको कोई होश नही था कि वो क्या कर रहा है जय अनीस के पेट पर एक तेज घुसा मारकर बोला मादरचोद साले कुत्ते की औलाद तेरी गण्ड मारू साले गांडू तू ड्यूटी पर सो रहा है गांडू गधे। चल तेरी चड्डी निकाल मादरचोद तेरी गाँड़ में यही मारूँगा चल गांडू नंगा हो जल्दी से जय के डर से नही अनीस जय के नशे से डर गया था जय नशे में अपनी गाँड़ के पीछे रखी गन भी अनीस पर चला सकता था अनीस ने डर के मारे तो अपना पेन्ट निकल दिया पर जैसे है अपना अंडरवियर निकालने गया तब एक जोरदार आवाज आयीं जययययययय ।। ये आवाज और किसी की नही ठाकुर रघुवीर की थी। जो अपनी बालकनी से खड़ा होकर बोला था। जय इस आवाज को जनता था इसलिए वो वही रुक गया उसने जो अपना हाथ लंड में डाल रखा था वो भी निकाली दिया। ओर जय अपनी लाल आखो से ठाकुर रघुवीर को देखने लगा और फिर गुस्से में वहा से चला गया। ठाकुर रघुवीर को देख वॉचमेन अनीस ने उसके हाथ जोड़े और अपना पेन्ट सही करके सर्वेन्ट क्वाटर्स कि और चला गया। ये सब देख आज ठाकुर रघुवीर फिर थोड़ा उदास हुआ कि उसका खून यानी कि जय ऐसा कैसे हो सकता है। ठाकुरो का खून इतना खराब कैसे हो सकता है कि हवेली के वॉचमेन की गाँड़ मारने का सोच सके छी। रघुवीर ने सोचा कि साला दिन की शुरुआत ही खराब हुई है फिर रघुवीर अपने कमरे मे चला गया। जय अपनी लाल आँखे और गाँजे के नशे के साथ अपने रूम में गया और जाते है एक दारू का पेग बनाया और पिया । जय नशे में अपने कमरे को देखने लगा फिर उसको किसी बात पर गुस्सा आया और वो रूम में रखे सोफे पर जाकर सो गया। जय को जिस बात पर गुस्सा आया था और कुछ नही जय की पत्नी राशी ठाकुर को देख कर आया था जो डबल बेड पलंग पर आराम से सो रही थी। अब करीब सुबह के 8 बज रहे होंगे रतन ठाकुर रघुवीर का छोटा भाई अपने कमरे में सो रहा था कि किसी ने पंखा बन्द कर दिया था। रतन उठा और उठते ही अपने पाजामे के अंदर से लंड को मसलने लगा। लगे भी क्यो ना सामने जो घर की नोकरानी जो थी। जिसका नाम मालती था वही मंगु की पत्नी। मलती दिखने में तो कुछ खास नही थी पर वो बैठ कर जब वैक्यूम क्लीनर गुमा रही थी तब उसकी चुचिया और गहरी नाभी दिख रही थी जिसे देख रतन ठाकुर का सुबह सूबह ही खड़ा हो गया था। फिर मालती काम करके चली गयी और रतन अपना लंड हिलाता ही रह गया। (अब स्टोरी रीडर्स आपसे थोड़ी देर का विश्राम लेते है फिर मिलते है अगले अपडेट में )