05-01-2019, 11:36 AM
Part - 17
रजनी की उत्तेजना तो जोर मार रही थी … मगर शायद वो थकी हुई थी.
क्योंकि उनका एक बार स्खलित हो चुका था और इसके लिए जो भी मेहनत थी, वो सारी खुद रजनी ने ही की थी.
रजनी ने अब धक्के लगाने में तो मेरा साथ नहीं दिया मगर फिर भी उन्होंने अपनी जांघों को पूरा फैलाकर अपने पैरों को मेरे पैरों पर रख लिया ताकि मुझे धक्के लगाने में आसानी हो जाए और मेरा पूरा लंड उनकी चुत में अन्दर तक जाकर उनकी चुत की दीवारों की मालिश कर सके.
मैं भी अब अपने पूरे लंड को रजनी की चुत में अन्दर तक पेलने लगा, जिससे रजनी की सिसकारियां तेज हो गईं और अपने आप ही उनके पैर मेरे पैरों पर चढ़ गए. स्खलित के बाद रजनी की चुत के अन्दर की दीवारें प्रेमरस से भीगकर अब और भी चिकनी और मुलायम हो गयी थीं जिससे मेरा लंड अब और भी कुशलता से उनकी चुत की मालिश कर रहा था.
यह खेल खेलते खेलते मुझे बहुत देर हो गयी थी, इसलिए मैं अब चरमोत्कर्ष के करीब ही था मगर रजनी का एक बार रसखलित हो चुका था इसलिए मुझे पता था कि अबकी बार वो स्खलन में थोड़ा समय लेंगी.
मैं नहीं चाहता था कि रजनी के स्खलन से पहले मेरा रस स्खलित हो जाए, इसलिए मैंने अब अपने धक्कों की गति को तो थोड़ा धीमा कर दिया और अपना एक हाथ आगे लाकर उनकी चूची को पकड़ लिया.
मैं अब धीरे धीरे धक्के लगाते हुए भाभी की दोनों चूचियों को भी मसलने लगा जिससे रजनी मचल सी गईं. उन्होंने अपनी आंखें बन्द की हुई थीं और मुँह से सिसकारियां भरते हुए वो अपने खुद के ही होंठ को काट रही थीं.
कसम से ऐसा करते हुए रजनी का वो गोल गोल चेहरा इतना हसीन और मासूम सा लग रहा था कि मुझसे रहा नहीं गया. मैंने अब थोड़ा सा आगे होकर धीरे धीरे उनके होंठों को चूम लिया. मगर जैसे मैंने उनके होंठों को चूमा, भाभी ने झट से अपनी आंखें खोल लीं और दोनों हाथों से मेरी गर्दन को पकड़कर मेरे होंठों को अपने मुँह में भर लिया.
मेरे दोनों होंठों को मुँह ने भर कर रजनी उन्हें इतनी जोरों से चूसने लगीं कि कुछ देर तो मैं अब रजनी के होंठों को चूमने के लिए तरसता ही रह गया. मगर फिर भाभी ने मुझ पर तरस दिखाते हुए मेरे एक होंठ को आजाद कर दिया,
जिससे मेरे हिस्से भी उनका एक होंठ आ ही गया. मैंने उसे तुरन्त ही अब अपने मुँह में भर लिया और जोरों से चूसने लगा. रजनी ने अब फिर से दरियादिली दिखाते हुए होंठ के साथ साथ अपनी जीभ को भी मेरे मुँह दे दिया.
मैंने भी अपना मुँह खोलकर उसका स्वागत किया और उसे होंठों से दबाकर जोरों से चूसने लगा जिससे रजनी के मुँह का मीठा मीठा व चिकना सा स्वाद अब मेरे मुँह में घुल गया. उत्तेजना के वश अब अपने आप ही मेरे धक्कों की गति फिर से बढ़ गयी थी.
रजनी की जीभ व होंठ को चूसते हुए मैं जोरों से धक्के लगाने लगा था जिससे भाभी की सिसकारियां भी और तेज हो गईं और उनके दोनों हाथ भी अपने आप ही मेरी पीठ पर आकर रेंगने लगे.
कुछ देर रजनी की जीभ का स्वाद लेने के बाद मैंने उनकी जीभ को छोड़ दिया और अपनी जीभ को उनके मुँह में घुसा दिया. भाभी तो जैसे इसके लिए तैयार ही बैठी थीं, उन्होंने तुरन्त ही अपना मुँह खोलकर मेरी जीभ को अपने मुँह में भर लिया और उसे जोर से चूसने लगीं.
रजनी को जल्दी से शिखर तक पहुंचाने के लिए मैं अब उन पर तीन तरफ से हमला करने लगा,
एक तरफ मेरा मूसल लंड उनकी चुत को उधेड़ रहा था, तो दूसरी तरफ मेरे होंठ उनको तपा रहे थे और अब तीसरी तरफ से मैंने उनकी चूचियों को भी मसलना शुरू कर दिया, जिससे भाभी अब कोयल के जैसे कूकने लगीं.
उनके पैर अब मेरी जांघों तक चढ़ गए और जोरों से सिसकारियां भरते हुए उन्होंने अब खुद भी नीचे से धक्के लगाने शुरू कर दिए. रजनी का ये साथ पाते ही मैंने भी बहुत जोर से धक्के लगाने शुरू कर दिए, जिससे उनकी सिसकारियां और भी तेज हो गईं.
उन्होंने मेरे होंठों को तो अब छोड़ दिया और दोनों हाथों से मेरी पीठ को पकड़कर जल्दी जल्दी अपनी कमर को उचकाते हुए मुँह से ‘इईईई … इश्श्शश … आआ … अह्ह्ह्हह …’ की आवाजें निकालने लगीं.
मुझे अब समझते देर नहीं लगी कि रजनी भी अब अपने चरम के करीब ही हैं इसलिए मैं भी अब अपने सीने को ऊपर उठाकर अपने हाथों के बल हो गया और अपनी पूरी ताकत व तेजी से धक्के लगाने लगा. अब तो रजनी जैसे पागल ही हो गयी थीं,
वो जोरों से अपनी कमर को उचकाते हुए मुँह से बड़ी कामुकता से ‘इईईई … श्श्शशश … आआ … अह्ह्ह्हह …’ की किलकारियां सी मारने लगीं.
एक बार फिर से रजनी की किलकारीयों के साथ साथ कमरे में ‘फट … फट् ट …’ की आवाजें गूंजने लगीं. इस वक्त जितनी तेजी से भाभी अपनी कमर को उचका रही थीं, मैं उनसे दुगनी तेजी से धक्के लगा कर अपने लंड से उनकी चुत की धज्जियां सी उड़ा रहा था.
हम दोनों के ही शरीर अब पसीने से नहा गए और सांसें उखड़ने लगीं.
रजनी का तो एक बार रस स्खलित हो गया था, मगर मैं अपने आप पर बहुत देर से संयम किये हुए था. मेरा सब्र का बाँध तो कब का टूट जाता, मगर मैं तो बस इसलिए ही रुका हुआ था कि एक बार फिर रजनी को उनके अंजाम तक पहुंचा दूँ.
आखिरकार मेरी कोशिश रंग लाई और कुछ ही देर बाद रजनी का बदन अब फिर से अकड़ने लगा … मेरा सब्र भी अब टूट ही गया था, इसलिए मैंने भी अब तीन चार ही धक्के अपने पूरे वेग से लगाये और रजनी को कस कर पकड़ लिया. भाभी की सिसकारियां अब पहले तो आहों में बदल गईं. उनकी आहें हिचकियों में बदलती चली गईं.
मैंने और रजनी ने अब एक दूसरे को जोरों से भींच लिया और हल्के हल्के धक्के लगाते हुए एक दूसरे के यौन अंगों को अपने अपने प्रेमरस से सींचने लगे.
इस बार रजनी का स्खलन इतना उत्तेजक था कि हिचकियां लेते हुए एक बार तो वो सांस लेना भी भूल गईं. उनकी चुत की दीवारों के प्रसार और संकुचन को मैं काफी देर तक अपने लंड पर महसूस करता रहा.
अपनी अपनी कामनाओं को एकदूसरे पर उड़ेलकर हम दोनों ही अब एक दूसरे को बांहों में लिए लिए ही ढेर होकर बिस्तर पर गिर गए और लम्बी लम्बी सांसें लेने लगे.
थोड़ी देर बाद रजनी सांस सँभालते हुवे बोली, “तुम्हे पता है तुम्हारी रीना भाभी, नीतू और मैं कॉलेज के समय से दोस्त है और एक खास बता बताऊ हम लोगो से कुछ छुपा हुवा नहीं है, जब तुम कल रात को आये थे तो मुझे रीना ने फोन करके सब कुछ बात दिया था उर बाद में नीतू ने भी बात दिया जब तुम सिगरेट का नाम ले के उसके कमरे से बाहर आये थे, इसलिए मैंने जानबूझ कर दरवाजा थोडा खुला छोड़ा था, “ तुम ये बात अभी किसीको भी नहीं बताओगे, जब समय आयेगा मैं सबको बता दूंगी,”
अब हमे कुछ करके राज को इसमें शामिल करना होगा “
मैं बोला “वो तो मैं करता हु कुछ न कुछ” लेकिन क्या तुमने और भाभी ने कभी लेस्बियन किया है,
रजनी बोली “हम तीनो ने बहुत बार” तुम अभी जाओ और मैं जब तुम्हे मेसेज करू तो चुपचाप हमारे घर मे आ जाना और बाकि तुम खुद समझ जाओगे,
रजनी की उत्तेजना तो जोर मार रही थी … मगर शायद वो थकी हुई थी.
क्योंकि उनका एक बार स्खलित हो चुका था और इसके लिए जो भी मेहनत थी, वो सारी खुद रजनी ने ही की थी.
रजनी ने अब धक्के लगाने में तो मेरा साथ नहीं दिया मगर फिर भी उन्होंने अपनी जांघों को पूरा फैलाकर अपने पैरों को मेरे पैरों पर रख लिया ताकि मुझे धक्के लगाने में आसानी हो जाए और मेरा पूरा लंड उनकी चुत में अन्दर तक जाकर उनकी चुत की दीवारों की मालिश कर सके.
मैं भी अब अपने पूरे लंड को रजनी की चुत में अन्दर तक पेलने लगा, जिससे रजनी की सिसकारियां तेज हो गईं और अपने आप ही उनके पैर मेरे पैरों पर चढ़ गए. स्खलित के बाद रजनी की चुत के अन्दर की दीवारें प्रेमरस से भीगकर अब और भी चिकनी और मुलायम हो गयी थीं जिससे मेरा लंड अब और भी कुशलता से उनकी चुत की मालिश कर रहा था.
यह खेल खेलते खेलते मुझे बहुत देर हो गयी थी, इसलिए मैं अब चरमोत्कर्ष के करीब ही था मगर रजनी का एक बार रसखलित हो चुका था इसलिए मुझे पता था कि अबकी बार वो स्खलन में थोड़ा समय लेंगी.
मैं नहीं चाहता था कि रजनी के स्खलन से पहले मेरा रस स्खलित हो जाए, इसलिए मैंने अब अपने धक्कों की गति को तो थोड़ा धीमा कर दिया और अपना एक हाथ आगे लाकर उनकी चूची को पकड़ लिया.
मैं अब धीरे धीरे धक्के लगाते हुए भाभी की दोनों चूचियों को भी मसलने लगा जिससे रजनी मचल सी गईं. उन्होंने अपनी आंखें बन्द की हुई थीं और मुँह से सिसकारियां भरते हुए वो अपने खुद के ही होंठ को काट रही थीं.
कसम से ऐसा करते हुए रजनी का वो गोल गोल चेहरा इतना हसीन और मासूम सा लग रहा था कि मुझसे रहा नहीं गया. मैंने अब थोड़ा सा आगे होकर धीरे धीरे उनके होंठों को चूम लिया. मगर जैसे मैंने उनके होंठों को चूमा, भाभी ने झट से अपनी आंखें खोल लीं और दोनों हाथों से मेरी गर्दन को पकड़कर मेरे होंठों को अपने मुँह में भर लिया.
मेरे दोनों होंठों को मुँह ने भर कर रजनी उन्हें इतनी जोरों से चूसने लगीं कि कुछ देर तो मैं अब रजनी के होंठों को चूमने के लिए तरसता ही रह गया. मगर फिर भाभी ने मुझ पर तरस दिखाते हुए मेरे एक होंठ को आजाद कर दिया,
जिससे मेरे हिस्से भी उनका एक होंठ आ ही गया. मैंने उसे तुरन्त ही अब अपने मुँह में भर लिया और जोरों से चूसने लगा. रजनी ने अब फिर से दरियादिली दिखाते हुए होंठ के साथ साथ अपनी जीभ को भी मेरे मुँह दे दिया.
मैंने भी अपना मुँह खोलकर उसका स्वागत किया और उसे होंठों से दबाकर जोरों से चूसने लगा जिससे रजनी के मुँह का मीठा मीठा व चिकना सा स्वाद अब मेरे मुँह में घुल गया. उत्तेजना के वश अब अपने आप ही मेरे धक्कों की गति फिर से बढ़ गयी थी.
रजनी की जीभ व होंठ को चूसते हुए मैं जोरों से धक्के लगाने लगा था जिससे भाभी की सिसकारियां भी और तेज हो गईं और उनके दोनों हाथ भी अपने आप ही मेरी पीठ पर आकर रेंगने लगे.
कुछ देर रजनी की जीभ का स्वाद लेने के बाद मैंने उनकी जीभ को छोड़ दिया और अपनी जीभ को उनके मुँह में घुसा दिया. भाभी तो जैसे इसके लिए तैयार ही बैठी थीं, उन्होंने तुरन्त ही अपना मुँह खोलकर मेरी जीभ को अपने मुँह में भर लिया और उसे जोर से चूसने लगीं.
रजनी को जल्दी से शिखर तक पहुंचाने के लिए मैं अब उन पर तीन तरफ से हमला करने लगा,
एक तरफ मेरा मूसल लंड उनकी चुत को उधेड़ रहा था, तो दूसरी तरफ मेरे होंठ उनको तपा रहे थे और अब तीसरी तरफ से मैंने उनकी चूचियों को भी मसलना शुरू कर दिया, जिससे भाभी अब कोयल के जैसे कूकने लगीं.
उनके पैर अब मेरी जांघों तक चढ़ गए और जोरों से सिसकारियां भरते हुए उन्होंने अब खुद भी नीचे से धक्के लगाने शुरू कर दिए. रजनी का ये साथ पाते ही मैंने भी बहुत जोर से धक्के लगाने शुरू कर दिए, जिससे उनकी सिसकारियां और भी तेज हो गईं.
उन्होंने मेरे होंठों को तो अब छोड़ दिया और दोनों हाथों से मेरी पीठ को पकड़कर जल्दी जल्दी अपनी कमर को उचकाते हुए मुँह से ‘इईईई … इश्श्शश … आआ … अह्ह्ह्हह …’ की आवाजें निकालने लगीं.
मुझे अब समझते देर नहीं लगी कि रजनी भी अब अपने चरम के करीब ही हैं इसलिए मैं भी अब अपने सीने को ऊपर उठाकर अपने हाथों के बल हो गया और अपनी पूरी ताकत व तेजी से धक्के लगाने लगा. अब तो रजनी जैसे पागल ही हो गयी थीं,
वो जोरों से अपनी कमर को उचकाते हुए मुँह से बड़ी कामुकता से ‘इईईई … श्श्शशश … आआ … अह्ह्ह्हह …’ की किलकारियां सी मारने लगीं.
एक बार फिर से रजनी की किलकारीयों के साथ साथ कमरे में ‘फट … फट् ट …’ की आवाजें गूंजने लगीं. इस वक्त जितनी तेजी से भाभी अपनी कमर को उचका रही थीं, मैं उनसे दुगनी तेजी से धक्के लगा कर अपने लंड से उनकी चुत की धज्जियां सी उड़ा रहा था.
हम दोनों के ही शरीर अब पसीने से नहा गए और सांसें उखड़ने लगीं.
रजनी का तो एक बार रस स्खलित हो गया था, मगर मैं अपने आप पर बहुत देर से संयम किये हुए था. मेरा सब्र का बाँध तो कब का टूट जाता, मगर मैं तो बस इसलिए ही रुका हुआ था कि एक बार फिर रजनी को उनके अंजाम तक पहुंचा दूँ.
आखिरकार मेरी कोशिश रंग लाई और कुछ ही देर बाद रजनी का बदन अब फिर से अकड़ने लगा … मेरा सब्र भी अब टूट ही गया था, इसलिए मैंने भी अब तीन चार ही धक्के अपने पूरे वेग से लगाये और रजनी को कस कर पकड़ लिया. भाभी की सिसकारियां अब पहले तो आहों में बदल गईं. उनकी आहें हिचकियों में बदलती चली गईं.
मैंने और रजनी ने अब एक दूसरे को जोरों से भींच लिया और हल्के हल्के धक्के लगाते हुए एक दूसरे के यौन अंगों को अपने अपने प्रेमरस से सींचने लगे.
इस बार रजनी का स्खलन इतना उत्तेजक था कि हिचकियां लेते हुए एक बार तो वो सांस लेना भी भूल गईं. उनकी चुत की दीवारों के प्रसार और संकुचन को मैं काफी देर तक अपने लंड पर महसूस करता रहा.
अपनी अपनी कामनाओं को एकदूसरे पर उड़ेलकर हम दोनों ही अब एक दूसरे को बांहों में लिए लिए ही ढेर होकर बिस्तर पर गिर गए और लम्बी लम्बी सांसें लेने लगे.
थोड़ी देर बाद रजनी सांस सँभालते हुवे बोली, “तुम्हे पता है तुम्हारी रीना भाभी, नीतू और मैं कॉलेज के समय से दोस्त है और एक खास बता बताऊ हम लोगो से कुछ छुपा हुवा नहीं है, जब तुम कल रात को आये थे तो मुझे रीना ने फोन करके सब कुछ बात दिया था उर बाद में नीतू ने भी बात दिया जब तुम सिगरेट का नाम ले के उसके कमरे से बाहर आये थे, इसलिए मैंने जानबूझ कर दरवाजा थोडा खुला छोड़ा था, “ तुम ये बात अभी किसीको भी नहीं बताओगे, जब समय आयेगा मैं सबको बता दूंगी,”
अब हमे कुछ करके राज को इसमें शामिल करना होगा “
मैं बोला “वो तो मैं करता हु कुछ न कुछ” लेकिन क्या तुमने और भाभी ने कभी लेस्बियन किया है,
रजनी बोली “हम तीनो ने बहुत बार” तुम अभी जाओ और मैं जब तुम्हे मेसेज करू तो चुपचाप हमारे घर मे आ जाना और बाकि तुम खुद समझ जाओगे,