05-01-2019, 11:32 AM
Part - 16
मैंने अब फिर से उठने की कोशिश तो की मगर रजनी ने मुझे आंखें दिखाते हुए ऐसे घूर कर देखा, जैसे कि मुझे धमका रही हों. मैं अब चुपचाप पड़ा रहा और रजनी ने मेरी जांघों पर बैठे बैठे ही मेरे लोवर को पकड़कर नीचे खिसका दिया.
मेरा लोवर तो अब उतर गया, मगर उसके नीचे मैंने अण्डरवियर भी पहना हुआ था. जिसे देखकर एक बार तो रजनी झुंझला सी गईं मगर अगले ही पल उन्होंने मेरे अण्डरवियर में हाथ फंसा लिए और एक ही झटके में मेरे अण्डरवियर के साथ साथ मेरे लोवर को भी उतारकर मुझे नीचे से नंगा कर लिया.
मुझे नंगा करने के बाद अब जैसे ही रजनी की नजर मेरे तन्नाये नंगे मूसल लंड पर पड़ी, तो एक बार तो उनका पूरा बदन कंपकंपा सा गया.
“यए … ये … ये … क क क्या आ … है?” टूटे फूटे शब्दों में उन्होंने बस इतना ही कहा और तुरन्त मेरे लंड को पकड़ कर अपनी मुट्ठी में ऐसे भींच लिया, जैसे कि वे उसका माप ले रही हों.
मेरा लंड तो पहले से ही तन्नाया हुआ था. अब रजनी के कोमल हाथों का स्पर्श पाते ही वो और भी जोरों से तमतमा कर फुंफकारने सा लगा जिससे रजनी की आंखें अब ऐसे चमक उठीं, जैसे की उन्हें कोई खजाना मिल गया हो.
रजनी ने मेरे लंड को बिल्कुल बीच में से पकड़ा था, जिससे मेरे लंड का सुपारा उनकी उंगलियों के घेरे से बाहर निकलकर बिल्कुल ऐसे ही फुंकार सा रहा था जैसे कि साँप को उसकी गर्दन से पकड़ने पर फुंकारता है. मगर रजनी ने भी उसकी गर्दन को पकड़कर दबोचे रखा और उसे कस कर मरोड़ दिया.
अब तो मेरा सुपारा गुस्से में आकर और भी जोरों से नसें सी फुलाने लगा.
मेरे लंड को अपनी मुट्ठी में भींचकर रजनी ने अब एक जोर की सांस ली और फिर अपने पैरों को मेरे दोनों तरफ करके सीधा ही मेरे पेट पर चढ़ कर बैठ गईं. मेरे पेट पर बैठकर भाभी एक हाथ से अपनी साड़ी व पेटीकोट को ऊपर उठाकर अपने घुटनों के बल खड़ी हो गईं और फिर दूसरे हाथ से मेरे लंड को पकड़कर अपनी चुत के मुँह पर लगा लिया जिससे मुझे अब अपने लंड पर रजनी की चुत की गर्मी महसूस होने लगी.
मेरे लंड को अपनी चुत के मुँह पर लगाकर रजनी ने एक बार तो मेरी तरफ देखा और फिर अपने शरीर को कड़ा सा करके झटके से लंड पर बैठ गईं.
लंड खाते ही रजनी के मुँह से ‘आआआह्ह्ह … उइईई … इश्श्शशह …’ की एक चीख सी निकल गयी और उनकी भूखी चुत एक बार में ही मेरे पूरे लंड को निगल गयी.
मेरे लंड को अपनी चुत से खाने के बाद रजनी ने एक बार फिर अब मेरी तरफ डबडबाई सी नजरों से देखा. शायद मेरे इतने बड़े लंड को एक बार में ही अपनी चुत में लेने से रजनी को पीड़ा हुई थी, मगर वो सारा दर्द पी गईं और खुद ही मेरे दोनों हाथों को पकड़कर अपनी चूचियों पर रखवा लिया.
मैंने भी अब उनकी दोनों चूचियों को अपने हाथों में थामकर उन्हें जोर से मसल दिया, जिससे रजनी के मुँह से फिर से एक तीव्र आवाज निकल गई ‘इईईई … श्श्शशश … आआ ह्ह्ह्ह्ह …’
उनकी मीठी सीत्कार सी फूट पड़ी.
मेरे हाथों में अपनी चूचियां थमाकर भाभी ने अब खुद मेरे सीने पर हाथ रख लिए और धीरे धीरे अपनी कमर को आगे पीछे हिलाकर धक्के लगाने शुरू कर दिए. जिससे मेरा लंड अब उनकी चुत की गीली दीवारों पर घिसने लगा और रजनी के साथ साथ मेरे बदन में भी आनन्द की लहरें उठने लगीं.
रजनी को देखकर मुझे नीतू की याद आ गयी. नीतू ने भी तो उस दिन मेरे साथ ऐसे ही तो किया था, जरूर उसने ये सब शायद कभी ना कभी भाभी को ही देखकर सीखा था.
धीरे धीरे भाभी की कमर की हरकत अब तेज होने लगी थी, इसलिए मैंने भी अब उनकी चूचियों को जोरों से मसलना शुरू कर दिया. इससे भाभी के मुँह से अब मादक सिसकारियां फूटना शुरू हो गईं. भाभी ने अपनी आंखें बन्द कर रखी थीं. मगर उनके चेहरे के भाव अब लगातार बदल रहे थे. वे मजे से मेरे लंड को अपनी चुत से खाते हुए अपने खुद के होंठों को ही काट रही थीं.
उनकी मादक अदा देख कर मुझसे भी रहा नहीं गया, मैंने उठकर उनके होंठों को चूमने की कोशिश की, मगर रजनी ने मुझे धकेलकर फिर से बिस्तर पर गिरा दिया और दोनों हाथों से मेरी टी-शर्ट को पकड़ कर उसे ऊपर खींचने लगीं. मैंने भी उठकर उनका सहयोग किया और अपनी टी-शर्ट को पूरा ही निकालकर एक बाजू रख दिया.
मुझे ऊपर से नंगा करके रजनी अब मुझ पर लेट गईं और अपनी बड़ी बड़ी चूचियों को मेरे नंगे सीने पर रगड़ते हुए जोरों से धक्के लगाने शुरू कर दिए.
मैं तो जैसे अब पागल ही हो गया था क्योंकि नीचे से तो रजनी की गर्म गर्म चुत मेरे लंड की मालिश कर रही थी और ऊपर से भी उनकी बड़ी बड़ी और भरी हुई चूचियां मेरे सीने को गुदगुदाने लगी थीं. आनन्द से मेरे दोनों हाथ अब अपने आप ही रजनी की पीठ पर से रेंगते हुए उनके बड़े बड़े और गोलाकार नितम्बों पर आ गए. मैंने अपने दोनों हाथों से उनके नितम्बों को पकड़ लिया और उनको प्यार सहलाते हुए रजनी को आगे पीछे हिलाने में उनका सहयोग करने लगा जिससे रजनी की कमर की हरकत अब और भी तेज हो गयी.
मेरे ऊपर लेटकर धक्के लगाने से भाभी के होंठ, तो कभी गाल अब बार बार मेरे होंठों को छू रहे थे. मुझसे रहा नहीं गया इसलिए मैंने अपने दोनों हाथों से उनकी गर्दन को पकड़कर उनके होंठों को अपने मुँह में भर लिया और उन्हें जोरों से चूसने लगा. मगर इससे रजनी के धक्के कुछ धीमे हो गए.
अब ये बात शायद रजनी को मंजूर नहीं हुई, इसलिए भाभी ने मेरे होंठों को अब एक बार तो जोर से चूमा. वे मेरे होंठों को छोड़कर फिर से ऊपर अपने हाथों के बल हो गईं और जोरों से धक्के लगाने लगीं. मेरे हाथ भी अब फिर से भाभी के नितम्बों पर आ गए, मगर इस बार मेरे हाथों की उंगलियां फिसलती हुईं उनके नितम्बों की गहराई में घुस गयी थी. इसलिए मैंने अब अपनी एक उंगली से उनके गुदाद्वार को सहलाना शुरू कर दिया.
अब तो रजनी जैसे पागल ही हो गईं. उन्होंने अपने दोनों हाथों से मेरे कंधों को पकड़ लिया-
इईईई … श्श्शशश … आआ ह्ह्ह्हहह … उम्म्ह… अहह… हय… याह… इईईई … श्श्शशश … आआह्ह हह …’
की सिसकारियां भरते हुए अपनी चुत की गीली दीवारों को वो अब जोरों से मेरे लंड पर घिसने लगीं.
रजनी को देखकर ऐसा नहीं लग रहा था कि मैं उन्हें चोद रहा हूँ बल्कि ऐसा लग रहा था जैसे कि भाभी मुझे चोद रही हों. भाभी चेहरे पर पसीने की बूंदें उभर आई थीं और सांसें भी उखड़ गयी थीं.
मगर फिर भी वो ऐसे ही जोरों से अपनी चुत को मेरे लंड पर घिसते हुए धक्के लगाती रहीं जिससे कुछ ही देर बाद अचानक से उनके हाथ मेरे कंधों पर कस गए और उनकी सिसकारियां मदमस्त कराहों में बदल गईं. उनकी दोनों जांघें जोरों से मुझ पर कस गईं और
‘आह्ह् … ईश्श आह्ह् … ईश्श … आआह्ह् … ईश्श … आआआह्ह …’ की आवाजें निकालते हुए
वो अपनी चुत से गाढ़े गाढ़े सफेद रस को मेरे लंड पर उगलने लगीं, जोकि मेरे लंड के सहारे बहते मेरे कूल्हों तक पहुंचने लगा.
अपनी चुत के रस से मेरे लंड को नहलाने के बाद रजनी निढाल सी होकर अब मेरे ऊपर ही लेट गईं और लम्बी लम्बी सांसें लेने लगीं.
रजनी का तो रस स्खलित हो गया था जिससे वो अब शिथिल पड़ गयी थीं. मगर मेरे अन्दर का ज्वार तो अभी भी जोर मार रहा था. मुझे पता था कि स्खलित के बाद भाभी तो अब कुछ करने से रहीं, इसलिए मैंने अब खुद ही कमान सम्भाल ली.
मैंने पहले तो अब अपने दोनों हाथों से भाभी के नितम्बों को थोड़ा सा ऊपर उठाकर उनकी चुत और मेरे लंड के बीच फासला बना लिया और फिर नीचे अपनी कमर को उचका उचका कर ताबड़तोड़ धक्के लगाने शुरू कर दिए.
इससे भाभी की ‘आआ … अह्ह्ह … उऊऊ … अह्ह्ह्ह …’ की कराहों के साथ साथ अब जोरों से ‘फाट् ट् … फाट् ट …’
की आवाजें भी निकलना शुरू हो गईं.
रजनी मेरे ऊपर निढाल होकर ढेर हो गयी थीं, मगर मेरे धक्के लगाने से वो अब फिर से कराहने लगी थीं. क्योंकि मेरा मूसल लंड अब उनकी चुत के परखच्चे उड़ा रहा था. कुछ देर तो भाभी अब ऐसे ही कराहती रहीं, मगर फिर धीरे धीरे उनकी कराहें सिसकारियों में बदल गईं और उनकी चुत में अब फिर से संकुचन सा होना शुरू हो गया.
शायद रजनी फिर से उत्तेजित होने लगी थीं इसलिए उनकी सांसें भी अब गहरी हो गयी थीं.
मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि रजनी इतनी जल्दी कैसे गर्म हो गयी थीं. इसलिए अपनी तसल्ली के लिए मैंने अब धक्के लगाने बन्द कर दिए. जिससे भाभी ने मुझे अब एक बार तो घूर कर देखा और फिर ये क्या … भाभी अब खुद ही फिर से अपनी कमर को चलाने लगीं. शायद भाभी की ये प्यास ही थी, जिसने इतनी जल्दी उन्हें अब फिर से उत्तेजित कर दिया था.
रजनी ने अब कुछ देर तो धक्के तो लगाये और फिर मुझे बांहों में भरकर वो फिर से पलट गईं, जिससे एक बार फिर अब भाभी मेरे नीचे आ गईं और मैं उनके ऊपर चढ़ गया. इस उल्टा पल्टी में मेरा लंड रजनी की चुत से बाहर निकल गया था मगर मुझे अपने ऊपर खींचकर भाभी ने अब पहले तो अपनी दोनों जांघों के बीच दबा लिया और
फिर खुद ही अपने एक हाथ से मेरे लंड को पकड़कर अपनी चुत के मुँह पर लगा लिया. मैंने भी अब जोर से धक्का लगाकर एक ही झटके ने अपने लंड को उनकी चुत की गहराई तक उतार दिया, जिससे एक बार तो भाभी ‘आआआह्ह् … उऊऊच्च्च् …’ कहकर जोरों से कराह उठीं, मगर साथ ही उन्होंने इनाम के तौर पर दोनों हाथों से मेरे सिर को पकड़ कर बड़े ही प्यार से मेरे गालों पर एक चुम्मा भी दे दिया.
मैंने भी अब फिर से धक्के लगाकर अपने लंड को रजनी की चुत के अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया, जिससे अब फिर से भाभी के मुँह से सिसकारियां फूटनी शुरू हो गईं.
मैंने अब फिर से उठने की कोशिश तो की मगर रजनी ने मुझे आंखें दिखाते हुए ऐसे घूर कर देखा, जैसे कि मुझे धमका रही हों. मैं अब चुपचाप पड़ा रहा और रजनी ने मेरी जांघों पर बैठे बैठे ही मेरे लोवर को पकड़कर नीचे खिसका दिया.
मेरा लोवर तो अब उतर गया, मगर उसके नीचे मैंने अण्डरवियर भी पहना हुआ था. जिसे देखकर एक बार तो रजनी झुंझला सी गईं मगर अगले ही पल उन्होंने मेरे अण्डरवियर में हाथ फंसा लिए और एक ही झटके में मेरे अण्डरवियर के साथ साथ मेरे लोवर को भी उतारकर मुझे नीचे से नंगा कर लिया.
मुझे नंगा करने के बाद अब जैसे ही रजनी की नजर मेरे तन्नाये नंगे मूसल लंड पर पड़ी, तो एक बार तो उनका पूरा बदन कंपकंपा सा गया.
“यए … ये … ये … क क क्या आ … है?” टूटे फूटे शब्दों में उन्होंने बस इतना ही कहा और तुरन्त मेरे लंड को पकड़ कर अपनी मुट्ठी में ऐसे भींच लिया, जैसे कि वे उसका माप ले रही हों.
मेरा लंड तो पहले से ही तन्नाया हुआ था. अब रजनी के कोमल हाथों का स्पर्श पाते ही वो और भी जोरों से तमतमा कर फुंफकारने सा लगा जिससे रजनी की आंखें अब ऐसे चमक उठीं, जैसे की उन्हें कोई खजाना मिल गया हो.
रजनी ने मेरे लंड को बिल्कुल बीच में से पकड़ा था, जिससे मेरे लंड का सुपारा उनकी उंगलियों के घेरे से बाहर निकलकर बिल्कुल ऐसे ही फुंकार सा रहा था जैसे कि साँप को उसकी गर्दन से पकड़ने पर फुंकारता है. मगर रजनी ने भी उसकी गर्दन को पकड़कर दबोचे रखा और उसे कस कर मरोड़ दिया.
अब तो मेरा सुपारा गुस्से में आकर और भी जोरों से नसें सी फुलाने लगा.
मेरे लंड को अपनी मुट्ठी में भींचकर रजनी ने अब एक जोर की सांस ली और फिर अपने पैरों को मेरे दोनों तरफ करके सीधा ही मेरे पेट पर चढ़ कर बैठ गईं. मेरे पेट पर बैठकर भाभी एक हाथ से अपनी साड़ी व पेटीकोट को ऊपर उठाकर अपने घुटनों के बल खड़ी हो गईं और फिर दूसरे हाथ से मेरे लंड को पकड़कर अपनी चुत के मुँह पर लगा लिया जिससे मुझे अब अपने लंड पर रजनी की चुत की गर्मी महसूस होने लगी.
मेरे लंड को अपनी चुत के मुँह पर लगाकर रजनी ने एक बार तो मेरी तरफ देखा और फिर अपने शरीर को कड़ा सा करके झटके से लंड पर बैठ गईं.
लंड खाते ही रजनी के मुँह से ‘आआआह्ह्ह … उइईई … इश्श्शशह …’ की एक चीख सी निकल गयी और उनकी भूखी चुत एक बार में ही मेरे पूरे लंड को निगल गयी.
मेरे लंड को अपनी चुत से खाने के बाद रजनी ने एक बार फिर अब मेरी तरफ डबडबाई सी नजरों से देखा. शायद मेरे इतने बड़े लंड को एक बार में ही अपनी चुत में लेने से रजनी को पीड़ा हुई थी, मगर वो सारा दर्द पी गईं और खुद ही मेरे दोनों हाथों को पकड़कर अपनी चूचियों पर रखवा लिया.
मैंने भी अब उनकी दोनों चूचियों को अपने हाथों में थामकर उन्हें जोर से मसल दिया, जिससे रजनी के मुँह से फिर से एक तीव्र आवाज निकल गई ‘इईईई … श्श्शशश … आआ ह्ह्ह्ह्ह …’
उनकी मीठी सीत्कार सी फूट पड़ी.
मेरे हाथों में अपनी चूचियां थमाकर भाभी ने अब खुद मेरे सीने पर हाथ रख लिए और धीरे धीरे अपनी कमर को आगे पीछे हिलाकर धक्के लगाने शुरू कर दिए. जिससे मेरा लंड अब उनकी चुत की गीली दीवारों पर घिसने लगा और रजनी के साथ साथ मेरे बदन में भी आनन्द की लहरें उठने लगीं.
रजनी को देखकर मुझे नीतू की याद आ गयी. नीतू ने भी तो उस दिन मेरे साथ ऐसे ही तो किया था, जरूर उसने ये सब शायद कभी ना कभी भाभी को ही देखकर सीखा था.
धीरे धीरे भाभी की कमर की हरकत अब तेज होने लगी थी, इसलिए मैंने भी अब उनकी चूचियों को जोरों से मसलना शुरू कर दिया. इससे भाभी के मुँह से अब मादक सिसकारियां फूटना शुरू हो गईं. भाभी ने अपनी आंखें बन्द कर रखी थीं. मगर उनके चेहरे के भाव अब लगातार बदल रहे थे. वे मजे से मेरे लंड को अपनी चुत से खाते हुए अपने खुद के होंठों को ही काट रही थीं.
उनकी मादक अदा देख कर मुझसे भी रहा नहीं गया, मैंने उठकर उनके होंठों को चूमने की कोशिश की, मगर रजनी ने मुझे धकेलकर फिर से बिस्तर पर गिरा दिया और दोनों हाथों से मेरी टी-शर्ट को पकड़ कर उसे ऊपर खींचने लगीं. मैंने भी उठकर उनका सहयोग किया और अपनी टी-शर्ट को पूरा ही निकालकर एक बाजू रख दिया.
मुझे ऊपर से नंगा करके रजनी अब मुझ पर लेट गईं और अपनी बड़ी बड़ी चूचियों को मेरे नंगे सीने पर रगड़ते हुए जोरों से धक्के लगाने शुरू कर दिए.
मैं तो जैसे अब पागल ही हो गया था क्योंकि नीचे से तो रजनी की गर्म गर्म चुत मेरे लंड की मालिश कर रही थी और ऊपर से भी उनकी बड़ी बड़ी और भरी हुई चूचियां मेरे सीने को गुदगुदाने लगी थीं. आनन्द से मेरे दोनों हाथ अब अपने आप ही रजनी की पीठ पर से रेंगते हुए उनके बड़े बड़े और गोलाकार नितम्बों पर आ गए. मैंने अपने दोनों हाथों से उनके नितम्बों को पकड़ लिया और उनको प्यार सहलाते हुए रजनी को आगे पीछे हिलाने में उनका सहयोग करने लगा जिससे रजनी की कमर की हरकत अब और भी तेज हो गयी.
मेरे ऊपर लेटकर धक्के लगाने से भाभी के होंठ, तो कभी गाल अब बार बार मेरे होंठों को छू रहे थे. मुझसे रहा नहीं गया इसलिए मैंने अपने दोनों हाथों से उनकी गर्दन को पकड़कर उनके होंठों को अपने मुँह में भर लिया और उन्हें जोरों से चूसने लगा. मगर इससे रजनी के धक्के कुछ धीमे हो गए.
अब ये बात शायद रजनी को मंजूर नहीं हुई, इसलिए भाभी ने मेरे होंठों को अब एक बार तो जोर से चूमा. वे मेरे होंठों को छोड़कर फिर से ऊपर अपने हाथों के बल हो गईं और जोरों से धक्के लगाने लगीं. मेरे हाथ भी अब फिर से भाभी के नितम्बों पर आ गए, मगर इस बार मेरे हाथों की उंगलियां फिसलती हुईं उनके नितम्बों की गहराई में घुस गयी थी. इसलिए मैंने अब अपनी एक उंगली से उनके गुदाद्वार को सहलाना शुरू कर दिया.
अब तो रजनी जैसे पागल ही हो गईं. उन्होंने अपने दोनों हाथों से मेरे कंधों को पकड़ लिया-
इईईई … श्श्शशश … आआ ह्ह्ह्हहह … उम्म्ह… अहह… हय… याह… इईईई … श्श्शशश … आआह्ह हह …’
की सिसकारियां भरते हुए अपनी चुत की गीली दीवारों को वो अब जोरों से मेरे लंड पर घिसने लगीं.
रजनी को देखकर ऐसा नहीं लग रहा था कि मैं उन्हें चोद रहा हूँ बल्कि ऐसा लग रहा था जैसे कि भाभी मुझे चोद रही हों. भाभी चेहरे पर पसीने की बूंदें उभर आई थीं और सांसें भी उखड़ गयी थीं.
मगर फिर भी वो ऐसे ही जोरों से अपनी चुत को मेरे लंड पर घिसते हुए धक्के लगाती रहीं जिससे कुछ ही देर बाद अचानक से उनके हाथ मेरे कंधों पर कस गए और उनकी सिसकारियां मदमस्त कराहों में बदल गईं. उनकी दोनों जांघें जोरों से मुझ पर कस गईं और
‘आह्ह् … ईश्श आह्ह् … ईश्श … आआह्ह् … ईश्श … आआआह्ह …’ की आवाजें निकालते हुए
वो अपनी चुत से गाढ़े गाढ़े सफेद रस को मेरे लंड पर उगलने लगीं, जोकि मेरे लंड के सहारे बहते मेरे कूल्हों तक पहुंचने लगा.
अपनी चुत के रस से मेरे लंड को नहलाने के बाद रजनी निढाल सी होकर अब मेरे ऊपर ही लेट गईं और लम्बी लम्बी सांसें लेने लगीं.
रजनी का तो रस स्खलित हो गया था जिससे वो अब शिथिल पड़ गयी थीं. मगर मेरे अन्दर का ज्वार तो अभी भी जोर मार रहा था. मुझे पता था कि स्खलित के बाद भाभी तो अब कुछ करने से रहीं, इसलिए मैंने अब खुद ही कमान सम्भाल ली.
मैंने पहले तो अब अपने दोनों हाथों से भाभी के नितम्बों को थोड़ा सा ऊपर उठाकर उनकी चुत और मेरे लंड के बीच फासला बना लिया और फिर नीचे अपनी कमर को उचका उचका कर ताबड़तोड़ धक्के लगाने शुरू कर दिए.
इससे भाभी की ‘आआ … अह्ह्ह … उऊऊ … अह्ह्ह्ह …’ की कराहों के साथ साथ अब जोरों से ‘फाट् ट् … फाट् ट …’
की आवाजें भी निकलना शुरू हो गईं.
रजनी मेरे ऊपर निढाल होकर ढेर हो गयी थीं, मगर मेरे धक्के लगाने से वो अब फिर से कराहने लगी थीं. क्योंकि मेरा मूसल लंड अब उनकी चुत के परखच्चे उड़ा रहा था. कुछ देर तो भाभी अब ऐसे ही कराहती रहीं, मगर फिर धीरे धीरे उनकी कराहें सिसकारियों में बदल गईं और उनकी चुत में अब फिर से संकुचन सा होना शुरू हो गया.
शायद रजनी फिर से उत्तेजित होने लगी थीं इसलिए उनकी सांसें भी अब गहरी हो गयी थीं.
मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि रजनी इतनी जल्दी कैसे गर्म हो गयी थीं. इसलिए अपनी तसल्ली के लिए मैंने अब धक्के लगाने बन्द कर दिए. जिससे भाभी ने मुझे अब एक बार तो घूर कर देखा और फिर ये क्या … भाभी अब खुद ही फिर से अपनी कमर को चलाने लगीं. शायद भाभी की ये प्यास ही थी, जिसने इतनी जल्दी उन्हें अब फिर से उत्तेजित कर दिया था.
रजनी ने अब कुछ देर तो धक्के तो लगाये और फिर मुझे बांहों में भरकर वो फिर से पलट गईं, जिससे एक बार फिर अब भाभी मेरे नीचे आ गईं और मैं उनके ऊपर चढ़ गया. इस उल्टा पल्टी में मेरा लंड रजनी की चुत से बाहर निकल गया था मगर मुझे अपने ऊपर खींचकर भाभी ने अब पहले तो अपनी दोनों जांघों के बीच दबा लिया और
फिर खुद ही अपने एक हाथ से मेरे लंड को पकड़कर अपनी चुत के मुँह पर लगा लिया. मैंने भी अब जोर से धक्का लगाकर एक ही झटके ने अपने लंड को उनकी चुत की गहराई तक उतार दिया, जिससे एक बार तो भाभी ‘आआआह्ह् … उऊऊच्च्च् …’ कहकर जोरों से कराह उठीं, मगर साथ ही उन्होंने इनाम के तौर पर दोनों हाथों से मेरे सिर को पकड़ कर बड़े ही प्यार से मेरे गालों पर एक चुम्मा भी दे दिया.
मैंने भी अब फिर से धक्के लगाकर अपने लंड को रजनी की चुत के अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया, जिससे अब फिर से भाभी के मुँह से सिसकारियां फूटनी शुरू हो गईं.