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Fantasy मेरा मोहल्ला
#17
Part - 15

रजनी ने भर्राई सी आवाजें में कहा.

“बताया तो था डाक्टर से दवाई ले रहा हूँ.” मैंने रजनी की आंखों में देखते हुए कहा और शरारत से हंसने लगा,

जिससे रजनी एक बार तो शांत सी‌ हो गईं.‌ शायद वो‌ कुछ सोचने‌ लगी थीं … मगर अगले ही पल वो मुझे अजीब ही नजरों से घूर घूर कर देखने लगीं. उनकी आंखों में तैरते वासना के गुलाबी डोरे अलग ही नजर आ रहे थे. वो मुझे ऐसे देख रही थीं, जैसे कि कच्चा ही खा ही‌ जाएंगी.

“अच्छा तो दवाई चाहिये तुम्हें? देती हूँ … अभी देती हूँ दवाई …” कहते हुए पहले तो रजनी ने अपने ब्लाउज के सारे हुकों को खोल दिया और फिर दोनों हाथों से अपनी ब्रा को पकड़कर एक ही झटके में ऊपर तक खींच कर अपनी चूचियों को बाहर निकाल लिया.

अब जैसे ही रजनी ने अपनी चूचियों‌ को ब्रा की कैद से आजाद किया, उनकी बड़ी बड़ी और सुडौल भरी‌ हुई चूचियां ऐसे फड़फड़ा कर बाहर आ गईं … जैसे कि वर्षों की कैद के बाद कोई पंछी आजाद हुआ हो.

“दवाई चाहिये ना? लेऐ … पीईई … पीईई ये दवाई …” कहते हुए रजनी ने अब खुद ही अपनी चूचियों को मेरे मुँह पर लगा दिया.

मैं तो जैसे जन्मों से उनके लिए ही प्यासा बैठा था …

“इईई … उम्म्ह… अहह… हय… याह… आआह्ह्ह …” की मस्त सी आवाज में रजनी के मुँह से अब एक जोरों से सीत्कार निकल गयी.

ये सब इतनी जल्दी जल्दी हुआ कि मुझे कुछ सोचने और समझने का मौका ही नहीं मिल पाया. पता नहीं यह रजनी की तड़प की वजह से था या फिर मेरी ही उत्तेजना कुछ ज्यादा जोर मार रही थी, पर जो भी हो मैं आज अपनी किस्मत पर फूला नहीं समा रहा था. इसलिए मैं भी पूरे जोश में भर कर उनकी चूचियों को अपने मुँह में लेकर जोर से चूसने लगा.

रजनी की चूचियों‌ को देखने से तो दूर उनको मसलने पर भी ऐसा बिल्कुल भी प्रतीत नहीं हो रहा था कि वो इतने समय से चुदवा रही है,. उनकी चूचियां अभी भी बिल्कुल किसी कुंवारी लड़की की तरह ही कसी हुई थीं. बाहर से तो मखमल सी मुलायम‌ और अन्दर से एकदम ठोस भरी हुई व बिल्कुल गुदाज थीं. मैं अब मस्त होकर रजनी की चूचियों को मसल मसल‌कर चूसने लगा.

“उफफ्फ … ले चूस … महेश्श्श … चूस … चूस ले … चूस लेऐऐ … आज इनकी सारी दवाई …” रजनी ने एक बार फिर से अब एक कामुक सिसकारी भरते हुए कहा और जोरों से मेरे सिर को अपनी चूचियों पर दबाने‌ लगीं.

रजनी की तड़प को देखकर अब मुझे भी समझ आ गया था कि रजनी पता नहीं कब से प्यासी थीं. इसलिए मैं भी उनकी‌ चूचियों को रगड़ रगड़ कर, मसल मसल कर और जोरों से निचोड़ निचोड़ कर उनके रस को पीने लगा और रजनी भी मस्ती से हल्की-हल्की सिसकारियां भरते हुए मेरे सिर को अपनी चूचियों पर दबा दबा कर मुझे अपनी चूचियों के रस को पिलाने लगीं.

रजनी की एक चूची का रस पीने के बाद मैंने उनकी दूसरी चूची को पकड़ लिया और उसका रस पीते पीते अपना एक हाथ उनके चिकने पेट पर से सहलाते हुए नीचे उनकी चुत की तरफ बढ़ा दिया.

रजनी की साड़ी व पेटीकोट को मैंने पहले ही घुटनों के ऊपर कर दिया था और अब मेरे व रजनी के ऊपर नीचे होने के कारण वो बिल्कुल ऊपर तक हो गए थे. इसलिए अब जैसे ही मेरा हाथ पेट पर से होते हुए नीचे की तरफ बढ़ा, मेरे हाथ में उनकी पेंटी में कसी गद्देदार बालों से भरी हुई‌ और फूली हुई चुत आ गई.

इस बात का अहसास रजनी को भी हो गया था कि मेरा एक हाथ अब उनकी चुत पर पहुंच गया है. इसलिए उन्होंने अब खुद ही अपने‌ हाथों व पैरों की सहायता से अपनी‌ पेंटी को‌ उतारकर अलग कर दिया‌ और‌ जल्दी से मेरी बगल‌ में हाथ डालकर मुझे‌ अपने‌ ऊपर खींच लिया.

रजनी के साथ मुझे जब इतना कुछ करने का मौक मिल रहा था, तो मैं उनकी उस फूली हुई चुत को‌ देखे बिना कैसे रह सकता था. मैं फिर से‌ रजनी के बदन‌ से‌ उतरकर उनकी‌ जांघों के‌ पास‌ आ गया और उनकी गहरे काले घने बालों से भरी हुई चुत को बड़े ही ध्यान से देखने लगा.

शायद काफी दिनों से रजनी ने अपनी चुत के बालों को साफ‌ नहीं किया था. इसलिए उनकी चुत गहरे काले घने और घुंघराले बालों से भरी हुई थी जो उनकी योनि को छुपाने की नाकामयाब कोशिश कर रहे थे. चुत की फांकों के पास वाले बाल कामरस से भीग कर उनकी चुत से ही चिपक गए थे इसलिए चुत की गुलाबी फांकें और दोनों फांकों के बीच का हल्का सिन्दूरी रंग इतने गहरे बालों के बीच भी अलग ही नजर आ रहा था.

मैं अब अपने आप को रोक नहीं पाया और अपने दोनों हाथों से उनकी जांघों को फैलाकर सीधा ही अपने प्यासे होंठों को उनकी चूत रख दिया.
“उम्म् … इईई.श्श्शशश … आह्ह …” की एक‌ मीठी सीत्कार सी भरते हुए रजनी ने जोरों से मेरे सिर को अपनी चुत पर दबा लिया और मेरे नथुनों में उनकी चुत की वो मादक सी महक समाती चली गयी.

बेहद ही तीखी और मादक महक थी उनकी चूत की! वैसे तो हर किसी की चुत से ही महक आती है, लेकिन यह खुशबू अलग ही थी … एकदम पकी पकी सी. शायद कुंवारी और शादीशुदा चूतों की महक अलग अलग होती होगी. जैसे किसी कच्चे फल की तुलना में एक पके हुए फल की अलग ही खुशबू होती है, वैसे ही शायद कच्ची चुत और पकी हुई चुत की महक में भी अन्तर होता होगा.

रजनी की चुत की महक मुझे अब किसी की याद दिलाने लगी थी. इस तरह की महक मैं पहले भी ले चुका था … मैंने अपने दिमाग पर जोर दिया तो मेरे जहन में रेखा भाभी का ख्याल आ गया. (रेखा भाभी की कहानी भी आएगी आगे)

रेखा भाभी की चुत की महक भी बिल्कुल ऐसी ही थी और हो भी क्यों ना … दोनों सगी बहनें ही तो हैं और दोनों ही एक एक बच्चे की मां भी हैं. रेखा भाभी से सम्बन्ध बनाये मुझे काफी दिन हो गए थे, मगर फिर भी उनकी चुत उस महक और स्वाद को मैं अभी तक भुला नहीं पाया था.

रजनी की चुत की उस मादक महक ने मुझे दीवाना सा बना दिया था. इसलिए मैंने पहले तो अपने होंठों से उनकी चूत के हर एक हिस्से को चूमा और फिर अपने दोनों हाथों की उंगलियों से चुत की फांकों को फैलाकर उसे अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया जिससे एकदम नमकीन और कसैला, बिल्कुल रेखा भाभी की चुत के जैसा ही स्वाद मेरे मुँह में घुल‌ गया.

मगर जैसे ही मैंने चुत की फांकों के बीच चाटा ‘उफ्फ … इईईई …श्श्श्शशश … यऐ … ये …क् क्या आ कर अ रहे ऐ हो ओओह …’ रजनी ने एक ज़ोरदार आह भरते हुए कहा और अपनी‌ जांघों को फैलाकर दोनों हाथों से मेरे सिर को अपनी चुत पर जोर से दबा लिया मानो मुझे ही अपनी चुत के अन्दर ही घुसा लेंगी.

रजनी ने मुझे इतनी जोरों से अपनी चुत पर दबा लिया था कि मेरा दम सा घुटने लगा था. मैंने अब‌ अपनी‌ गर्दन हिलाकर उनको इस बात का अहसास करवाया, जिससे रजनी ने एक बार तो मेरे सिर को‌ तो छोड़ दिया मगर अगले ही पल उन्होंने मेरे सिर के बालों‌ को‌ पकड़कर मुझे फिर से अपने ऊपर खींच लिया.

मैं भी ढीठ हो गया था, इसलिए मैं अब फिर से फिसलता हुआ उनकी चुत के पास आ गया‌ और आऊं भी क्यों ना? उनकी चुत की उस मादक महक और स्वाद ने मुझे दीवाना जो बना दिया था. अभी तो मैंने रजनी की चुत का रस बस चखा ही था … अभी‌ तो‌ उसे चाट चाट कर पीना बाकी था.

रजनी की जांघों के पास आकर मैंने अब फिर से अपने प्यास से तड़पते होंठों को उनकी चुत पर लगा दिया. मगर पता नहीं रजनी को इस खेल के बारे में पता नहीं था या फिर अपनी तड़प के कारण वो कुछ ज्यादा ही उतावली हो रही थीं. इसलिए जैसे ही मैंने अब उनकी चुत को चूमा, उन्होंने मुझे पकड़ कर‌ अब नीचे‌‌ गिरा लिया और अपने पैरों को मेरे दोनों तरफ करके मेरी जांघों पर बैठ गईं.
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मेरा मोहल्ला - by Starocks - 30-12-2018, 03:29 PM
RE: मेरा मोहल्ला - by Starocks - 05-01-2019, 11:30 AM



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