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Fantasy मेरा मोहल्ला
#15
Part  - 13

मैं जब तीसरी बार नीतू को चोद रहा था तभी मुझे लगा की हमे भी कोई देख रहा है, हो न हो ये रजनी ही हो सकती है, खैर उसका तो पता चल ही जायेगा,

फिर पूरी रात चुदाई चली, मैं सुबह जल्दी ही मेरे घर आके देर तक सोता रहा,

उस दिन एक तो इतवार की छुट्टी थी और दूसरा नीतू की चुदाई के कारण मैं रात भर ठीक से सोया भी नहीं था, इसलिए अगले दिन मैं काफी देर तक सोता रहा‌.

बारह बजे के करीब जब मेरी नींद खुली और जब तक मैं तैयार होकर अपने कमरे से बाहर आया तो दोपहर के खाने का समय हो गया था.
मेरी भाभी और माँ साथ में ही खाना खा रही थीं, इसलिए मैं भी अब उनके साथ ही खाना खाने के लिए बैठ गया.

“तबीयत कैसी है अब तुम्हारी?” माँ ने पूछा.

मैं समझ गया की ये सब भाभी की प्लानिंग थी की मेरी तबियत ख़राब है इसलिए मैं देर तक सोया था दवाई खाके ताकि कोई मेरे कमरे की तरफ जाके मुझे डिस्टर्ब न कर सके

मैं आँखों से इशारे में कहा “भाभी आई लव यू”

“जी … अब बिल्कुल ठीक है.” मैंने बिल्कुल सामान्य सा ही जवाब दिया‌‌.

“अरे … भाभी ठीक‌ क्यों नहीं होगा? कल से ही नीतू इसे दवाई दे रहे हैं.” रजनी भाभी  ने घर में आते हुवे शरारत से मेरी तरफ देखते हुए कहा, जिससे मेरी फट गयी और मैं रजनी भाभी की तरफ देखने लगा.

रीना भाभी भी मेरी तरफ देख रही थी. उसे ये तो पता चल गया था कि रजनी ने बातों ही बातों में क्या ताना मारा था. मगर उसे ‘दवाई’ के बारे में कुछ समझ नहीं आया था. इसलिए वो गुस्से से मेरी तरफ देखने लगी.

अब साली ये यहाँ क्यों आयी है, ये तो मायके जा रही थी ना,

रीना भाभी “ आओ रजनी कैसी हो? कब जा रही हो मायके ?

रजनी  “जाना तो सुबह सुबह ही था लेकिन अचानक से कुछ काम आया और राज जी दो दिन के लिए शहर से बाहर चले गए, इसलिए अब दो तीन बाद ही जाना होगा,

मगर तभी …

“ठीक है … ठीक है … पता है मुझे!” माँ ने अब गुस्से से रीना और रजनी की तरफ देखते हुए कहा, जिससे दोनों सहम सी गयी और मेरी तरफ देखने लगी.

मुझे भी अब ये कुछ अजीब सा लगा था. इसलिए मैं अब रजनी की तरफ देखने लगा. वो अब फिर से मेरी तरफ घूर घूर कर देख रही थीं.

“दवाई की नहीं, इसे अब डॉक्टर की जरूरत है!” रजनी भाभी ने फिर से मेरी तरफ घूर कर देखते हुए कहा और हमारे पास बैठ गयी. जिससे मुझे अब थोड़ा डर सा लगने लगा और मैं चुपचाप खाना खाने लगा.

अब किसी ने कोई बात नहीं की, सब चुपचाप‌ अपना अपना खाना खाने लगे. मगर जब तक हमने खाना खाया, तब तक रजनी ऐसे ही मुझे घूर घूर कर देखती रहीं. रजनी के ऐसे देखने से मुझे अब डर सा लगने लगा था.

खैर खाना खाने के बाद मैं अब अपने कमरे में आ गया और रजनी के बारे में सोचने लगा. मुझे अब पक्का यकीन होने लगा था कि रजनी को हमारे बारे पता चल गया है, क्योंकि रजनी का व्यवहार और बातचीत मुझे कुछ अजीब सी लग रही थी. जब से वो हमारे घर आयी है तब से वो मुझे घूर घूर कर और कुछ अजीब सी ही नजरों से देख रही है,

अगर रजनी भाभी को सब पता चल ही गया है तो फिर अभी तक वो मुझसे, या फिर नीतू  कुछ कह क्यों नहीं रही थीं. कहीं वो राज के आने का इन्तजार तो नहीं कर रहीं क्योंकि राज आज सुबह ही किसी काम से दो दिनों के लिए शहर से बाहर चले गए था. और जैसे कि वो लोग रात को चुदाई के वक़्त बाते कर रहे थे,

उस समय रजनी और रीना दोनों रीना भाभी के कमरे में कुछ फुसफुसा रही थी, थोड़ी देर बार रजनी तो चली गयी, और जब मैं ये सब सोच ही रहा था कि तभी रीना भाभी मेरे कमरे में आ गईं. और बोली “ वो रजनी बुला के गयी है, कुछ काम है उसके घर पर”

मैं बोला “ ठीक है” और चुपचाप राज के घर चला गया’

रस्ते में फिर से कामिनी से मुलाकात हुई, कामिनी ने इशारा करके मुझे बुलाया,

मैं पास जाके बोला “क्या हुवा?”

कामिनी बोली “ बड़े जालिम हो “’ मेरी तरफ देखते भी नहीं “

मैं बोला “थोडा व्यस्त हु, बाद में बात करते है”

कामिनी बोली “नहीं अभी बात करनी है और जब भी वो मेरे बारे में सोचती है तो उसकी चूत में कुछ होने लगता है और फिर एक दम से चूत उसकी फूली फूली हो जाती है. वो मेरे बारे में सोचते सोचते अपनी चूत में उंगली करती रहती और अपनी चूत को उंगली से चोदती और चोद कर शांत कर लेती है”

वो बोले ही जा रही थी “’ आज तो रहा नहीं जा रहा… प्लीज, मेरी चूत को शांत कर दो! साली फूली फूली बैठी है, फड़फड़ा रही है, शांत होने का नाम ही नहीं ले रही, बहुत उंगलियाँ कर कर के मैं थक गई… थक गई मैं इसे चोद चोद के… इसे तो तुम्हारा लंड ही चाहिए तो प्लीज,

मैंने भी सोच एक फटाफट चुदाई हो सकती है, मैंने देखा उस समय दुकान के आस पास कोई नहीं था,

कामिनी ने तुरंत दुकान का गेट बंद किया और मुझे अपने साथ उसके कमरे में ले गयी,

मैं भी अन्दर जाते ही झट से दरवाजा बंद करके उसके ऊपर टूट पड़ा उसको सर से लेकर पाँव तक चूमा चाटा और फिर मैंने अपने कपड़े निकाले और उसके हाथ में लम्बा लंड थमा दिया.

वो मेरे लंड से खेलती रही और मैं उसके बूब्स को काटता रहा. ऐसा हमने काफी देर तक किया और फिर मैं उठा और मस्तानी चूत के अन्दर अपना लंड घुसाने लगा.

ठीक 5 मिनट के बाद मेरा लंड उसकी चूत के अन्दर घुसा,

कामिनी बोली “ अन्दर घुसते ही क्या मजे देने लगा, उम्म्ह… अहह… हय… याह… ऐसा मजा मुठ मारने में कहाँ!”

मैं तो लंड को अंदर रखे रखे ही बीस मिनट तक ऐसे ही उसके ऊपर लेटा रहा और फिर थोड़ी देर के बाद उसकी चूत को चोदने लगा. लंड को उसकी चूत के अन्दर बाहर कर करके चोदने लगा तो क्या मजा आ रहा था.

उसकी चूत में से पहले से ही सफ़ेद पानी निकल रहा था जो जब मैं लंड को अन्दर बाहर कर रहा था तब वो पच… पच… पच… पच… की आवाज कर रहा था जो माहौल को और भी सेक्सी बना रही थी.

उसकी चूत में लंड को अन्दर बाहर करते करते ही मैं उसकी चूत में ही झड़ गया.
वहाँ से निकल कर सीधा राज के घर पर गया,

मैं बोला “हाँ रजनी भाभी क्या काम था??”

रजनी ने गुस्से में मेरी तरफ देखते हुवे कहा “कुछ नहीं” बस वो जब तक आपके दोस्त नहीं आते आपको हमारे यहाँ ही सोना होगा, मैंने आपकी माँ को बता दिया है,

मैंने कहा “ठीक है”

फिर मैंने सोचा शायद रजनी राज के वापस आने का इन्तजार कर रही हैं, इसलिए ही वो मुझे ज्यादा कुछ कह नहीं रही थीं. अगर सही में रजनी भाभी को हमारे बारे में पता चल गया है, तो कल राज आने के बाद मेरी मेरी दोस्ती का खतरे में पड़ना तय ही था.

डर के कारण मेरा गला अब सूख गया था और मुझे अब अपनी पिटाई होना तय ही लगने लगा था. मेरी सोच ने मेरी बुद्धि खराब कर दी थी. पिटाई तो ठीक है, मगर मुझे जब यहां से निकाल देंगे तो मैं अपने घर पर क्या जवाब दूँगा? अब ये सोच कर तो मैं अन्दर तक‌ ही हिल सा गया.

“अब क्या करूँ? क्या ना करूँ?” ये सोच सोचकर मेरा दिमाग खराब हो रहा था कि तभी मेरे दिमाग आया.

“अगर रजनी भाभी को सब पता चल ही गया है और मेरी पिटाई होना तय ही है, तो क्यों ना मैं रजनी भाभी को ही पटाने की एक आखिरी कोशिश कर लूँ?”

तभी मेरे दिमाग की बत्ती जली की हो न हो ये सब उनके प्लान का हिस्सा है जिस्म राज नीतू की चुदाई करेगा और रजनी मुझसे चुद्वायेगी, फिर भी साला एक डर जैसा था,

वैसे भी रजनी के साथ ऐसा कुछ करने के विचार तो मेरे दिल में तब से ही थे, जब से वो राज से शादी करके नयी नयी आयी थी क्योंकि मेरे साथ रजनी का व्यवहार की कुछ ऐसा था. उनका मुझसे वो खुलकर बातें करना, हंसी मजाक करना … और बातों बातों में मुझे छेड़ना कुछ अलग सा ही था. वैसे भी देखने में रजनी बहुत खूबसूरत हैं.

जब इस दिशा में सोचना शुरू किया तो दिमाग आगे सोचता ही चला गया

मैं काफी बार सोचता रहता था कि क्यों ना मैं रजनी के साथ अपने प्यार की पींग बढ़ाने की कोशिश कर ली‌ जाए. मगर नीतू, सुमन आंटी और कामिनी में उलझे रहने के कारण कभी कोशिश करने का समय ही नहीं मिल पाया था.
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मेरा मोहल्ला - by Starocks - 30-12-2018, 03:29 PM
RE: मेरा मोहल्ला - by Starocks - 05-01-2019, 10:53 AM



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