24-07-2019, 11:50 AM
Update 42
जब भूरे ने अपना लंड बाहर खींचा रत्ना चाची की तड़पती चूत में से तो उनकी चीख निकल पड़ी। मुझे समझ आया कि क्यों चाची बिलख रहीं थीं। भूरे का लंड के स्तम्भ के तले की गाँठ उसके लंड से दुगुनी या तीन गुना मोटी थी जो किसी भी चूत की धज्जियां उड़ाने में सक्षम थी।
रत्ना चाची भी अनेकों बार झड़ कर निढाल अपनी बेटी के पास लेट गयीं। तब ही भूरे के आँखें मेरी आँखों से मिल गयी। उंसने ख़ुशी से कूदते हुए खिड़की पे आ कर मेरा मुँह चाटना शुरु कर दिया। मेरी तो शर्म से जान निकल गयी। अंदर रत्ना चाची, सुकि दीदी और राजू चाचू घबरा कर भौंचक्के हो गए। मैंने लड़कों की तरह खिड़की से अंदर कूद गयी और जल्दी जल्दी हड़बड़ा के मांफी मांगने लगी , "चाचू, चाची दीद मैं क्षमाप्रार्थी हूँ आपके प्रेम के संसर्ग को चोरी छिपे देखने के लिए। मुझसे रहा नहीं गया आपका प्यार देख कर। मैं इसको अपने परिवार के रहस्य की तरह सुरक्षित रखूंगी। पैन भी आज सारो सुबह अपने नानू के बिस्तर में थी। "
मेरे नानू के संसर्ग की बात सुन कर तीनों धीरे धीरे तनाव मुक्त होने लगे।
आखिर सुकि दीदी ने मुझे कई गन्दी बातें सिखायीं थीं बचपने में ,"तो नेहा मेरी बहना तीरे कपड़े कौन उतारेगा। तू कोई मेहमान थोड़े ही है इस घर की। चल दौड़ के आजा मेरे पापा का लंड देख कैसा फड़फड़ा रहा है तुझे देख कर। "
मैंने एक क्षण लगाया नंगी होने में। राजू चाचू ने मेरे पसीने से लतपथ शरीर को ललचायी निगाहों से घूरा। मैं भी चाचू , रत्ना चाची और सुकि दीदी , के पसीने से दमकती काया को देख वासना से जलने लगी।
चाचू ने मुझे बिस्तर पे फेंक दिया और फिर एक कांख पे लग गए चाचू और दूसरी कांख ले ली रत्ना चाची। मिलजुल कर लेरे पसीने से भीगी काँखें और सीने को चाट चाट कर मुझे लगभग झड़ने के कगार पे ले आये दोनों । उधर सुकि दीदी अब भूरे ले लंड से खेल रहीं थीं। मैंने पहले रत्ना चाची की बालों भरी कांखों को दिल खोल कर चूसा और फिर राजू चाचू की कांखों और सीने को।
"पापा आप नेहा को चोदिये जब तक मैं भूरे के लंड को तैयार करतीं हूँ ,"सुकि दीदी ने आदेश दिया हम सबको और कौन टाल सकता था उनके आदेश को।
मैं निहुर गयी रत्ना चाची की घने घुंघराली झांटों से ढकी भूरे के वीर्य से भरी चूत के ऊपर और पीछे से चाचू ने एक झटके में ठूंस दिया अपने लम्बा मोटा मेरी चूत में। चाची ने इस का अंदेशा लगते हुए दबा लिया था मेरा मुँह अपनी चूत के ऊपर। /
"चल नेहा बेटी चट्ट कर्जा मेरे बेटे की गाडी मलाई को मेरी चूत से। तब तक तेरे चाचू फाड़ेंगें तेरी चूत ,"रत्ना चाची ने अपनी टांगें फ़ैल दीं और मेरी जीभ घुस गयी उनकी चूत के अंदर। भूरे की मलाई का स्वाद नानू और मामाओं से बहुत अलग था। भूरे का वीर्य थोड़ा कम गाढ़ा और बहुत गरम और नमकीन था।
राजू चाचू ने अब दमदार धक्कों से मेरी चूत की सहमत भुलवा दी। अगले आधे घंटे में मैं दस बार झड़ गयी और मैंने रत्ना चाची को भी पांच बार झाड़ दिया था।
मैं फिर से झड़ने वाली थी की सुकि दीदी ने नए आदेश निकाले ,"पापा अब रुकिए। भूरा तैयार है नेहा के लिए। आप मेरी गांड मारिये। पापा पर आप झड़ना अपनी बेटी की चूत में। इस बार मैं आपसे बिना गर्भित हुए बिना सुसराल वापस नहीं जाऊंगी। "
राजू चाचू ने अपना लंड एक झटके से मेरी चूत से निक्कल लिया। सुकि दीदी ने भूरे को मुझ पर चढ़ा दिया। और फिर उसका लंड पकड़ कर मेरी चूत के ऊपर लगा दिया। भूरे ने एक भयंकर झटके में अपना पूरा लम्बा मोटा लंड मेरी कोमल चूत में ठूंस दिया।
रत्ना चाची ने फिर से मेरा मुँह अपनी चूत में दबा लिया और मेरी चीखें उनकी झांटों को गुदगुदी करने लगीं। मैंने भी चाची के मोटे भगोष्ठों को दांतों से काट कर उनकी चीख निकलवा दी। और फिर मैं किसी भी काम की नहीं रही। भूरे ने जब चोदना शुरू किया तो मैं उसकी भीषणता सी बिलबिला उठी। मेरा सारा शरीर उसकी हर टक्कर से हिल उठता। और मैं भरभरा के झड़ने लगी निरंतर हर तीन चार धक्कों के बाद। ऐसे तेज़ निर्मम चुदाई सिर्फ भूरा ही कर सकता था।
मेरा ध्यान सिर्फ अपनी चूत में बिजली की तेज़ी से चलते पिस्टन के ऊपर केंद्रित था।
मुझे सुकि दीदी की दर्दभरी चीखें बहुत कम याद हैं। राजू चाचू ने अपनी बेटी की गांड में अपना मूसल तीन झटकों में जड़ तक ठूंस कर बेदर्दी से उसकी गांड का मंथन शुरू कर दिया , भूरे जैसी रफ़्तार से नहीं तो बहुत कम भी नहीं। आधे घंटे में मैं अनगिनत बार झड़ते हुए सिसक उठी। उधर चाची भी झड़ने लगीं थीं वैसे मेरा उनकी चूत का चूसना बहुत अच्छा नहीं था भूरे की अमंनवीय चुदाई की वजह से।
सुकि दीदी भी भरभरा के झड़ रहीं थीं ,"पापा फिर से झाड़ दिया आपने अपनी बेटी को। पापा लेकिन आप झड़ना अपनी बेटी की चूत। " सुकि दीदी ने याद दिलाया अपने पापा को उन्हें गर्भित करने के वायदे को।
"नेहा बेटी लेले भूरे की गाँठ अपनी नन्ही चूत में। दर्द तो होगा पर बहुत आनंद भी आयेगा ,"चाची ने मेरा मुँह कस के दबा लिया अपनी चूत में। और फिर मैं भीषण दर्द से बिलबिला उठी। भूरे के लंड की गाँठ अचानक बन गयी और उसने उसे जड़ तक मेरी चूत में ठूंस कर मुझे अपने अगली टांगों से जकड़ लिया। उसका मोटा लंड मेरी चूत में थरथरा रहा था। उसका बहुत गरम वीर्य मेरी चूत की कोमल दीवारों को जला रहा था।
मैं उस दर्द और आनंद के मिश्रण के अतिरेक से अभिभूत हो गयी। मुझे पता नहीं चला कि भूरे का लंड आधे घंटे तक अटका रहा मेरी चूत में और मैं झड़ती रही हर दो तीन मिनटों के बाद। उधर पता नहीं कब चाचू ने थकी मांदी सुकि दीदी की गांड से अपना लंड निकाल कर उनके गर्भाशय को नहला दिया। चाचू ने अपनी बेटी की टांगें ऊपर उठा दीं और फिर लेट गए उसके ऊपर।
जब हम को थोड़ा होश आया तो सुकि दीदी का दिमाग़ शैतान की तरह चलने लगा। उन्होंने मिल बाँट कर हम तीनो का सुनहरी शर्बत पिलाया अपने पापा को। फिर चाचू और भूरे का सुनहरी शर्बत मिला कर बांटा हम तीनो के बीच में।
मैं उनके साथ तीन घंटे रही। भूरे ने चाची की गांड मारी और चाचू के ऊपर लेती चाची की चूत में ठुंसा हुआ था चाचू का लंड। पर चाचू झड़े अपनी बेटी की चूत में।
फिर मेरी बारी थी चाचू के लंड के ऊपर घुड़सवारी की और भूरा तैयार था मेरी गांड की धज्जियाँ उड़ाने के लिए। मैं तो बेहोश सी हो गयी एक घंटे में। चाचू ने एक बार फिर अपनी बेटी की चूत भर दी अपने गाड़े वीर्य से। चाची ने मुझे अपने मुँह के ऊपर बिठा कर मेरी गांड में से फिसलते अपने भूरा बेटे का वीर्य सटक लिया।
शाम हो चली थी। मैंने दीदी , चाचू, चाची और खासतौर पे भूरे को धन्यवाद दे कर घर की ओर चल पड़ी। जैसा मेरे घर में होने वाला था वैसे ही मुझे पता था कि रात के खाने के बाद चाचू, चाची और उनका बेटा भूरा और बेटी सुकि और मस्ती के लिए फिर से तैयार हो जायेंगें।
*****************************************
*****************************************
*****************************************
जब भूरे ने अपना लंड बाहर खींचा रत्ना चाची की तड़पती चूत में से तो उनकी चीख निकल पड़ी। मुझे समझ आया कि क्यों चाची बिलख रहीं थीं। भूरे का लंड के स्तम्भ के तले की गाँठ उसके लंड से दुगुनी या तीन गुना मोटी थी जो किसी भी चूत की धज्जियां उड़ाने में सक्षम थी।
रत्ना चाची भी अनेकों बार झड़ कर निढाल अपनी बेटी के पास लेट गयीं। तब ही भूरे के आँखें मेरी आँखों से मिल गयी। उंसने ख़ुशी से कूदते हुए खिड़की पे आ कर मेरा मुँह चाटना शुरु कर दिया। मेरी तो शर्म से जान निकल गयी। अंदर रत्ना चाची, सुकि दीदी और राजू चाचू घबरा कर भौंचक्के हो गए। मैंने लड़कों की तरह खिड़की से अंदर कूद गयी और जल्दी जल्दी हड़बड़ा के मांफी मांगने लगी , "चाचू, चाची दीद मैं क्षमाप्रार्थी हूँ आपके प्रेम के संसर्ग को चोरी छिपे देखने के लिए। मुझसे रहा नहीं गया आपका प्यार देख कर। मैं इसको अपने परिवार के रहस्य की तरह सुरक्षित रखूंगी। पैन भी आज सारो सुबह अपने नानू के बिस्तर में थी। "
मेरे नानू के संसर्ग की बात सुन कर तीनों धीरे धीरे तनाव मुक्त होने लगे।
आखिर सुकि दीदी ने मुझे कई गन्दी बातें सिखायीं थीं बचपने में ,"तो नेहा मेरी बहना तीरे कपड़े कौन उतारेगा। तू कोई मेहमान थोड़े ही है इस घर की। चल दौड़ के आजा मेरे पापा का लंड देख कैसा फड़फड़ा रहा है तुझे देख कर। "
मैंने एक क्षण लगाया नंगी होने में। राजू चाचू ने मेरे पसीने से लतपथ शरीर को ललचायी निगाहों से घूरा। मैं भी चाचू , रत्ना चाची और सुकि दीदी , के पसीने से दमकती काया को देख वासना से जलने लगी।
चाचू ने मुझे बिस्तर पे फेंक दिया और फिर एक कांख पे लग गए चाचू और दूसरी कांख ले ली रत्ना चाची। मिलजुल कर लेरे पसीने से भीगी काँखें और सीने को चाट चाट कर मुझे लगभग झड़ने के कगार पे ले आये दोनों । उधर सुकि दीदी अब भूरे ले लंड से खेल रहीं थीं। मैंने पहले रत्ना चाची की बालों भरी कांखों को दिल खोल कर चूसा और फिर राजू चाचू की कांखों और सीने को।
"पापा आप नेहा को चोदिये जब तक मैं भूरे के लंड को तैयार करतीं हूँ ,"सुकि दीदी ने आदेश दिया हम सबको और कौन टाल सकता था उनके आदेश को।
मैं निहुर गयी रत्ना चाची की घने घुंघराली झांटों से ढकी भूरे के वीर्य से भरी चूत के ऊपर और पीछे से चाचू ने एक झटके में ठूंस दिया अपने लम्बा मोटा मेरी चूत में। चाची ने इस का अंदेशा लगते हुए दबा लिया था मेरा मुँह अपनी चूत के ऊपर। /
"चल नेहा बेटी चट्ट कर्जा मेरे बेटे की गाडी मलाई को मेरी चूत से। तब तक तेरे चाचू फाड़ेंगें तेरी चूत ,"रत्ना चाची ने अपनी टांगें फ़ैल दीं और मेरी जीभ घुस गयी उनकी चूत के अंदर। भूरे की मलाई का स्वाद नानू और मामाओं से बहुत अलग था। भूरे का वीर्य थोड़ा कम गाढ़ा और बहुत गरम और नमकीन था।
राजू चाचू ने अब दमदार धक्कों से मेरी चूत की सहमत भुलवा दी। अगले आधे घंटे में मैं दस बार झड़ गयी और मैंने रत्ना चाची को भी पांच बार झाड़ दिया था।
मैं फिर से झड़ने वाली थी की सुकि दीदी ने नए आदेश निकाले ,"पापा अब रुकिए। भूरा तैयार है नेहा के लिए। आप मेरी गांड मारिये। पापा पर आप झड़ना अपनी बेटी की चूत में। इस बार मैं आपसे बिना गर्भित हुए बिना सुसराल वापस नहीं जाऊंगी। "
राजू चाचू ने अपना लंड एक झटके से मेरी चूत से निक्कल लिया। सुकि दीदी ने भूरे को मुझ पर चढ़ा दिया। और फिर उसका लंड पकड़ कर मेरी चूत के ऊपर लगा दिया। भूरे ने एक भयंकर झटके में अपना पूरा लम्बा मोटा लंड मेरी कोमल चूत में ठूंस दिया।
रत्ना चाची ने फिर से मेरा मुँह अपनी चूत में दबा लिया और मेरी चीखें उनकी झांटों को गुदगुदी करने लगीं। मैंने भी चाची के मोटे भगोष्ठों को दांतों से काट कर उनकी चीख निकलवा दी। और फिर मैं किसी भी काम की नहीं रही। भूरे ने जब चोदना शुरू किया तो मैं उसकी भीषणता सी बिलबिला उठी। मेरा सारा शरीर उसकी हर टक्कर से हिल उठता। और मैं भरभरा के झड़ने लगी निरंतर हर तीन चार धक्कों के बाद। ऐसे तेज़ निर्मम चुदाई सिर्फ भूरा ही कर सकता था।
मेरा ध्यान सिर्फ अपनी चूत में बिजली की तेज़ी से चलते पिस्टन के ऊपर केंद्रित था।
मुझे सुकि दीदी की दर्दभरी चीखें बहुत कम याद हैं। राजू चाचू ने अपनी बेटी की गांड में अपना मूसल तीन झटकों में जड़ तक ठूंस कर बेदर्दी से उसकी गांड का मंथन शुरू कर दिया , भूरे जैसी रफ़्तार से नहीं तो बहुत कम भी नहीं। आधे घंटे में मैं अनगिनत बार झड़ते हुए सिसक उठी। उधर चाची भी झड़ने लगीं थीं वैसे मेरा उनकी चूत का चूसना बहुत अच्छा नहीं था भूरे की अमंनवीय चुदाई की वजह से।
सुकि दीदी भी भरभरा के झड़ रहीं थीं ,"पापा फिर से झाड़ दिया आपने अपनी बेटी को। पापा लेकिन आप झड़ना अपनी बेटी की चूत। " सुकि दीदी ने याद दिलाया अपने पापा को उन्हें गर्भित करने के वायदे को।
"नेहा बेटी लेले भूरे की गाँठ अपनी नन्ही चूत में। दर्द तो होगा पर बहुत आनंद भी आयेगा ,"चाची ने मेरा मुँह कस के दबा लिया अपनी चूत में। और फिर मैं भीषण दर्द से बिलबिला उठी। भूरे के लंड की गाँठ अचानक बन गयी और उसने उसे जड़ तक मेरी चूत में ठूंस कर मुझे अपने अगली टांगों से जकड़ लिया। उसका मोटा लंड मेरी चूत में थरथरा रहा था। उसका बहुत गरम वीर्य मेरी चूत की कोमल दीवारों को जला रहा था।
मैं उस दर्द और आनंद के मिश्रण के अतिरेक से अभिभूत हो गयी। मुझे पता नहीं चला कि भूरे का लंड आधे घंटे तक अटका रहा मेरी चूत में और मैं झड़ती रही हर दो तीन मिनटों के बाद। उधर पता नहीं कब चाचू ने थकी मांदी सुकि दीदी की गांड से अपना लंड निकाल कर उनके गर्भाशय को नहला दिया। चाचू ने अपनी बेटी की टांगें ऊपर उठा दीं और फिर लेट गए उसके ऊपर।
जब हम को थोड़ा होश आया तो सुकि दीदी का दिमाग़ शैतान की तरह चलने लगा। उन्होंने मिल बाँट कर हम तीनो का सुनहरी शर्बत पिलाया अपने पापा को। फिर चाचू और भूरे का सुनहरी शर्बत मिला कर बांटा हम तीनो के बीच में।
मैं उनके साथ तीन घंटे रही। भूरे ने चाची की गांड मारी और चाचू के ऊपर लेती चाची की चूत में ठुंसा हुआ था चाचू का लंड। पर चाचू झड़े अपनी बेटी की चूत में।
फिर मेरी बारी थी चाचू के लंड के ऊपर घुड़सवारी की और भूरा तैयार था मेरी गांड की धज्जियाँ उड़ाने के लिए। मैं तो बेहोश सी हो गयी एक घंटे में। चाचू ने एक बार फिर अपनी बेटी की चूत भर दी अपने गाड़े वीर्य से। चाची ने मुझे अपने मुँह के ऊपर बिठा कर मेरी गांड में से फिसलते अपने भूरा बेटे का वीर्य सटक लिया।
शाम हो चली थी। मैंने दीदी , चाचू, चाची और खासतौर पे भूरे को धन्यवाद दे कर घर की ओर चल पड़ी। जैसा मेरे घर में होने वाला था वैसे ही मुझे पता था कि रात के खाने के बाद चाचू, चाची और उनका बेटा भूरा और बेटी सुकि और मस्ती के लिए फिर से तैयार हो जायेंगें।
*****************************************
*****************************************
*****************************************