24-07-2019, 07:53 AM
Update 38
वापस मौजूदा वक़्त में
नसीम आपा की अब्बू के साथ बितायी रात का ब्योरा सुन कर शानू और मैं बिलकुल गरम हो गए। हम दोनों ने नसीम आपा को दबा लिया
और बारी बारी उनकी चूत और गांड को चाट चूस कर उनकी हालात और भी बिगाड़ दी। फिर हम तीनों नहाने के बाद दोपहर के खाने के
बाद बाहर चल पड़े। बुआ जान की कार कड़ी देख आकर मुझे अपने आगे की योजना का ख्याल आया। मैंने नसीम आपा को समझाया।
हम दोनों ने बड़ी मुश्किल से शानू को उसके कमरे में भेजा और बुआ के बंगले की और चल दिए।
नूसी आपा और मैंने सिर्फ एक ढीला ढाला काफ्तान पहना हुआ था। शबनम बुआ ज़रूर रात में देर से वापस आयी होंगीं।
उनके घर की बावरचन बाहर ही मिल गयी। पूछने पर बोली , "मालकिन सुबह वापस आयीं हैं। थकी हुईं थी सो तुरंत सोने चलीं गयीं।
अभी भी अपने बैडरूम में हैं। "
यह तो और भी अच्छा था। नूसी और मैंने एक दुसरे को बिना बोले शाबासी दी और शब्बो बुआ के कमरे की ओर तेज़ी से चल पड़े।
शब्बो बुआ पूर्णतया नग्न बिस्तर अपनी बाहें फैला कर सो रहीं थीं। शब्बो बुआ का स्त्रीत्व नैसर्गिक सौंदर्य से नूसी आपा और मैं इतनी
प्रभावित हो गयीं कि दोनों हतप्रभ हो उनके हुस्न के नज़ारे को अपनी सोखने लगीं।
शब्बो खाला अकबर चाचू से तीन साल छोटीं थीं। पर उनकी शादी उनसे पाँच बड़े ममेरे भाई से सिर्फ सोलह साक ई उम्र में हो गयी थी।
शब्बो बुआ और उनके ममेरे भाई के बीच में प्यार का बीज बुआ की कमसिन उम्र में हो चला था।
बुआ का गुदाज़ सुडौल बदन तब तक और भी भर गया था। बेटे के जन्म के बाद उनका बदन भरता चला गया था।
शब्बो बुआ का साढ़े पांच फुट से थोड़ा , शायद एक इंच , कम ऊंचा शरीर। उनके चेहरे की सुंदरता और फिर उनकी नैसर्गिक सुंदर
नासिका बस उतने से ही कई लोग उन्हें घूरते रह जातें है। फिर उनकी गोल गदरायी भारी बाहें। उनकी काँखों में घने घुंगराले बाल। नूसी
आपा उन सुंदर बगलों से कभी भी जीत नहीं सकती थीं।
उनका सीना ज़रूर गोल और भरा-पूरा ४४ इंच था। और उसके ऊपर उनकी स्थूल भारी गुदाज़ मुलायम भारी भरकम उनके स्तन एच एच
जैसे थे। उनकी दो तह वाली उभरी कमर अड़तीस-चालीस [३८-४०] के लगभग थी। पर उसके नीचे थे उनके तूफानी चूतड़। दोनों ओर फैले
पीछे और बगल में , लगभग पचास इंच के तो होंगे। फिर उनकी बगलों में घुंगराले घने बाल, बहुत गहरी नाभि , भारी केले के तने जैसी
जांघें और उनके बीच घुंघराली झांटों का झुरमुट जो उनकी रंगों के ऊपर और निचले पेट की शोभा भी बड़ा रहा था।
शब्बो बुआ का बदन बिलकुल शास्त्रीय या क्लासिक रेतघड़ी [ हावरग्लास ] की तरह था।
उनका लगभग अस्सी किलो का वज़न उनके स्त्रीत्व के हर अंग को और भी सुंदर बना रहा था। उनका विपुल गदल शरीर और अविश्वसनीय
सुंदर गोल भरा-भरा चेहरा किसी देवता के संयम को चुनौती दे सकता था।
जैसे किसी माँ को बिना आँख खोले अपने बच्चों की मौजूदगी का अभ्यास हो जाता है उसी तरह शब्बो आपा को नूसी आपा और मेरी
मौजूदगी का अभ्यास हो गया और उनकी लंबी पलकें खुल गयीं।
"अरे लड़कियों इतनी दूर क्यों कड़ी हो। चलो कूद जाओं बिस्तर में अपनी खाला की बाँहों में ," शब्बो बुआ नम्रता चाची की तरह खुले
व्यवहार और स्पष्ट विचारों की मालिक थीं। ठीक नम्रता चची की तरह बिंदास और समाज के पाखंड और ढोंग से अछूती।
"और पहले यह सब काफ्तान उतारो। खाला के बिस्तर में खाला के जैसे बन कर आओ ,"जैसा मैंने अभी बताया शब्बो बुआ बिल्कुल खुली
निष्कपट और स्पष्टवादी थीं।
नूसी आपा और मैंने जल्दी से अपने काफ्तान उतार फैंके और बुआ की खुली बाहों में कूद कर लेट गयीं।
बुआ ने हम दोनों को बारी बारी प्यार से कई बार चूमा , "चलो अब पूरा ब्यौरा दो कि मेरे पीछे क्या गुल खिलाये तुम दोनों ने?"
नूसी आपा जल्दी से हंस कर बोलीं,"लंबी कहानी है खाला। "
"लंबी है तो क्या हुआ। हम तीनो की कोई फ्लाइट तो निकल नहीं जाने वाली !"शब्बो आपा ने नूसी आपा के खुले हँसते गुलाबी होंठों को
गहरे चुम्बन से ढक दिया।
नूसी आपा ने मुस्कुराते हुए की घर के रिश्तों की तरक्की की कहानी बतायी ,"शब्बो खाला,पहले तो नेहा ने अपनी भैया और जीजू से खूब चुदवाया।
और यह मेरे पीठ के पीछे हुआ। "
मैंने कुछ कहने के बारे में सोचा पर शब्बो बुआ ने मुझे चूम कर चुप कर दिया।
नूसी आपा ने आगे बात बढ़ायी , "और अब आपकी छोटी भांजी ने भी अपना कुंवारापन का तोहफा जीजू को दे दिया है। दोनों रंडियों ने दो दिन खूब
चुदवाया अपने जीजू से। "
"अरे नूसी मैं तो सोच रही थी कि कितना सब्र करेगा मेरा आदिल अपनी साली के सही रास्ते पे आने का। चलो नेहा ने यह तो बहुत अच्छा काम किया
है, " शब्बो बुआ ने मेरे सख्त खड़े चुचुकों को बेदर्दी से मसलते हुए मेरो बड़ाई की।
"खाला अभी पूरी बात मैंने कहाँ बतायी है। नेहा ने एक और अच्छा काम किया है। उसने सुशी खाला के कहने पे अब्बू का बिस्तर भी गरम किया है। मैं
तो अब नेहा और भी प्यार करतीं हूँ मेरे अब्बू का खाया रखने के लिए ,"नूसी आपा धीरे धीरे असली बात पे आ रहीं थी और मुझे जल्दीऔर बेसब्री से
खुजली होने लगी।
"नूसी आपा आप कछुए की चाल से बात बता रही हैं ," मैंने नूसी आपा से गेंद छीन ली , "शब्बो बुआ , नूसी आपा और अकबर चाचू का भी मिलान
हो गया है। कल रात चाचू रात नूसी आपा को दिल भर कर कूटा है। "
शब्बो आपा धक् रह गयीं ," नूसी बेटा यह तो बहुत अच्छा हुआ। मेरा दिल अकबर भाईजान के अकेलेपन से दर्द स भरा हुआ था। पर अब मैं उनके
लिए बहुत खुश हूँ। लेकिन नूसी यह बता की मेरे आदिल का लन्ड भाईजान के मुकाबले कैसा है ? उतना ही लंबा मोटा है या अलग है?"
"हाय अल्लाह क्या बताऊँ खालाजान दोनों का लन्ड जैसे एक दुसरे के जैसे हैं। जैसे एक ही सांचे में ढलें हों। बस अब्बू के लन्ड पे मोटी मोटी नसें हैं
और उनके लन्ड का रंग थोड़ा गाड़ा है । पर आदिल का लन्ड बिलकुल चिकन और थोड़ा ज़्यादा गोरा है ,"नूसी आपा की आवाज़ में अपने खाविंद
और अब्बू के घोड़े जैसे लण्डों के ऊपर फख्र साफ़ साफ़ ज़ाहिर हो रहा था।
पर मुझे अचानक जैसे बिजली की कौंध जैसा ख्याल आया , "पहले आप यह बताइये शब्बो बुआ आपको कैसे पता की अकबर चाचू के लन्ड के
बारे में। आपने कब देखा चाचू का लन्ड। सच बताइये बुआ ,"मैंने अब शब्बो बुआ के दोनों चुचुकों को बेदर्दी से मसल दिया।
"नेहा ठीक कह रही है। मैं तो अब्बू और आदिल के लन्ड ख्याल से बिलकुल गाफिल हो गयी थी। आपने कब देखा अब्बू का लन्ड बुआ। आपको अब्बू
की कसम हकीकत ब्यान कीजिये बिना कुछ छोड़े," नूसी आपा की ट्यूब लाइट देर से जली पर जब जली तो चमचमा के।
"अरे तुम दोनों प्यारी रंडियां मेरे बेटे और भाईजान से दिल खोल के चुदवा के अब कैसे वकीलों की तरह जिरह कर रहीं हैं ? "बुआ ने नूसी और मेरे
स्तनों को ज़ोर से मसला और हँसते हुए कहा , "ठीक है। जैसे तुम दोनों ने सच सच बताया तो मुझे भी हकीकत बयान करनी पड़ेगी। "
"तुम दोनों को पता है कि मेरा निकाह जब की थी तो मेरे ममेरे भाई मुज्जफर से हो गया था। हम दोनों पहले महीने से ही बच्चे की तमन्ना से दिन
रात मुझे पेट से करने की पूरी कोशिश करने लगे थे। जब तीन साल बाद अकबर भैया का निकाह की होने वाली थी। मैं और रज्जो भाभी पहले दिन
से ही बहनों की तरह करीब आ गयीं थीं। और रज्जो भाभी खूब खुल कर पानी और भाईजान की चुदाई का खुला खुला ब्योरा देतीं थीं। मेरे खाविंद
का लन्ड खूब मोटा और तगड़ा था करीब आठ इंच का पर रज्जो भाभी के प्यारे से मुझे पता चला की अकबर भाईजान का लन्ड तो छगोड जैसा लंबा
और मोटा है। दो महीनों के बाद नूसी के नानाजान घोड़े से गिर गए थे और उनकी टांग टूट गयी थी। भाभी को अपने घर जाना पड़ा। अकबर भाईजान
रज्जो भाभी को रात दिन चोदने आदत वो रज्जो के बिना भूखे सांड की तरह पागल थे। उन्होंने शाम होते ही खूब शराब पीनी शुरू कर दी। मुझसे
यह देखा नहीं गया और मैंने रज्जो भाभी को फोन किया और भाईजान की हालात ब्यान की। "
बुआ ने गहरी सांस ली और फिर आगे बताने लगीं ," रज्जो भाभी ने कहा हाय अल्लाह शब्बो मैं क्या करूँ। अब्बू की टांग का आपरेशन होने वाला
है। अब तो शब्बो तुम्हारी इमदाद से ही काम बनेगा। मैंने रज्जो भाभी से पूछा कि भाभी मैं कैसे मदद कर सकतीं हूँ।
“ रज्जो भाभी ने मुझे समझाया देखो शब्बो मेरे नंदोई भी वतन से बहार है पिछले महीने से। भाभी ने ठीक कहा था तुम्हारे फूफा जान पिछले दो
महीनो से यूरोप में थे। भाभी ने आगे कहा कि देखो शब्बो तुम्हारा बदन भी चुदाई के लिए जल रहा तुम्हारे भाईजान भी चुदाई के लिए पागल हैं। देखो
शर्म लिहाज़ को ठोकर मारो और मेरे कपडे पहन कर कब अकबर तोड़े नशे में हो तब उनके पास चली जाना। कमरे की बिजली धीमी कर देना और
देखना कितनी आसानी से अकबर तुम्हें मुझे समझ लेंगें। मैं थोड़ी देर तो शर्म से घबराई पर भाईजान के प्यार की फतह ने मेरी शर्म को मेरे दिमाग से
बाहर धकेल दिया।”
" मैंने अकबर भाईजान को मौका दिया खाने के बाद अपने कमरे में जाने का और थोड़े नशे में होने का। मैंने रज्जो भाभी
का लेहंगा और ब्लाउज़ और सर के ऊपर रेशमी गुलुबन्द से अपना मुँह ढक लिया। मैंने ब्लाउज़ के तीन बटन खोल लये
जिससे मेरी भारी चूचियां बाहर झांक रहीं थीं। मेरी उम्मीद थी कि भाईजान का ख्याल मेरे उरोजों पर ज़्यादा और मेरे चेहरे
पर कम पड़ेगा। मेरा ख्याल ठीक निकला। नशे में भाईजान भूल गए थे कि भाभी अपने अब्बू के घर गयीं हुईं थी। मेरा बदन
काफी गुदाज़ था ठीक भाभी जैसे। भाईजान ने मुझे मेरे हाथ से पकड़ कर अपनी गोद में खींच लिया। बिना एक लम्हा
बर्बाद किये भाईजान ने मेरे ब्लाउज़ के पल्ले खींच कर एक झटके में सारे बटन तोड़ दिए। फिर मेरे फड़कते उयरोजोन को
मसलते हुए हंसे 'जानेमन आज शर्मा क्यों रही हो'। मैं सिसक उठी जैसे ही भाईजान के मज़बूत हाथों ने मेरे दोनों चूचियों
को बेदर्दी से मसला। “
“भाईजान भी मस्त सांड की तरह बेचैन थे। कुछ ही लम्हों के चूमने और मेरे उरोजों को मसलने के बाद ना जाने कब उन्होंने
मेरा लहँगा ऊपर उठा कर मेरी चूत में अपना लन्ड ठूसना शुरू कर दिया। उफ़ क्या बताऊँ लड़कियों तुम्हारे फुफजाँ का
लन्ड काफी मोटा मुस्टंड था पर बजाईजान का मूसल मुझे दुगना लंबा मोटा लग रहा था। मेरे सुबकने की परवाह किये
बिना भाईजान ने हचक हचक कर मुझे चोदने लगे। मैं कुछ देर के बाद ही सिसकने लगी और मेरे झड़ने की कड़ी बढ़
गयी। ना जाने कितनी देर मेरी चूत कूटने के बाद भाईजान ने मेरी चूत अपने गरम उपजाऊ वीर्य से सींच दी। पर भाईजान
इतने मस्त थे कि उनका लन्ड बिलकुल भी ढीला नहीं हुआ। भाईजान ने मुझे पेट के बल पलट दिया और मेरे चूतड़ चौड़ा
कर अपने लन्ड का सूपड़ा मेरी कुंवारी गांड में फ़साने लगे। मेरी तो सांस ही रुक गयी। तुम्हारे फूफा जान ने मेरी गांड
अकेले छोड़ दी थी तब तक। पर भैया को क्या पता कि वो अपनी बीवी रज्जो की खूब चुदी गांड को नहीं अपनी छोटी बहन
की कुंवारी गांड की तौबा बुलवाने वाले थे। मैं खूब चीखी चिल्लाई दर्द से और मेरी आँखें रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी
पर भाईजान की सांड जैसे चुदाई से मेरी निगौड़ी गांड में मस्ती फ़ैल गयी। भी खूब सिसक सिसक कर अपनी गांड मरवाई।
कमरे की धीमी बिजली में भाईजान ने मुझे पहचाने बिना घंटे भर मेरी गांड कूटी और जब भाईजान मेरी गांड में वीर्य की
बारिश कर रहे थे तो मैं मस्ती की ज़्यादती से बेहोश से हो गयी। “
जब मैं पूरे होश में आयी तो भाईजान मुझे अपनी बाँहों में भरकर बिस्तर पे लेते थे। 'शब्बो मुझे बता तो दिया होता कि
मैं तुम्हारी रज्जो भाभी को नहीं अपनी नन्ही बहन को चोद रहा था ?'मैं भाईजान से लिपट गयी ,'भाईजान भाभी ने मुझसे
वायदा लिया आपकी पूरी देखभाल करने के लिए तैयार थी। ऐसी चुदाई के लिए तो मैं बिना वायदे के भी तैयार हो
जाती। भाईजान अब आप जब तक भाभी नहीं वापस आ जातीं भूल जाइये कि मैं आपकी छोटी बहन हूँ। मुझे आप रज्जो
भाभी समझ लीजिये तब तक। '
मैं बेचैन थी भाईजान के साथ मस्त चुदाई जारी रखने के लिए।
भाईजान बोले ,' शब्बो मैं भूल तो नहीं सकता कि तुम मेरी नन्ही बहन हो पर हाँ जब तक रज्जो या मुज्जफर वापस नहीं
आते तब तक मैं तुम्हे रज्जो की तरह चोदने के लिए तैयार हूँ पर उसके बाद हम रुक जायेंगें। वायदा शब्बो?' मैंने भाईजान
के साथ वायदा कर लिया। फिर जो मेरी चुदाई की सारी रात भाईजान ने मेरी तो मस्ती से हालात ख़राब हो गयी। भाईजान
ने मेरी चूत और गांड मार मार कर मुझे इतनी बार झाड़ दिया कि मैं होशोहवास खो गयी। फिर उसके बाद भाईजान दिन में
भी काम से घर आ जाते और मुझे किसी बहाने अपने कमरे में बुलवा कर चोदते। मैं अगले डेढ़ महीने खूब चुदी भाईजान
से। अल्लाह ने भी मुझे अपने भाई और भाभी का ख्याल रखने का इनाम दिया। मैं जब रज्जो भाभी वापस आयीं डेढ़ महीने
बाद में आदिल से पेट से थी। पर उसके बाद भाईजान और मेरा हमबिस्तर होना बिलकुल रुक गया। "
शब्बो बुआ की कहानी सुनते सुनते नूसी आपा और मैं इतनी गरम हो गयीं थी कि हम दोनों बिना आगाह हुए बुआ की
चूचियां चूस मसल रहे थे।
लेकिन मुझे अचानक बुआ की कहानी की सबसे ज़ोरदार बात समझ आ गयी।
"शब्बो बुआ इसका मतलब है कि आदिल भैया अकबर चाचू के भांजे और दमाद नहीं बेटे भी हैं। " मैं असली बात उगल
दी।
नूसी आपा की आँखें चमक उठीं।
"अरे जो भी समझो। तुम्हारे फूफा जान महीने भर से बाहर थे और तीन सालों से मेरी कोख सूखी थी। भाईजान के साथ
एक हफ्ते के बाद ही मेरा आने वाला महीना नहीं आया।" बुआ ने थोड़ा शरमाते हुए कहा , "नूसी बेटा तुम्हे इस बात से
कोई एतराज़ तो नहीं पैदा हो गया। "
नूसी आपा ने बुआ के होंठो को कस कर चूमा और बोलीं," शब्बो खाला तभी तो मैं और आदिल बिलकुल भाई बहन की
तरह जुड़े हैं बचपन से। और खाला जान नेहा आज इसी प्यार भरे घराने को खुल्लमखुल्ला इकट्ठे करने का इरादा बना कर
आयी है। "
"नेहा नूसी तुम्हारी तदबीर बाद में सुनूँगी। तुम दोनों को अपने भाईजान से चुदने और हमल से होने की कहानी सुनाते
सुनाते मैं बहुत गरम हो चली हूँ। चलो रंडियो पहले अपनी खाला को ठंडी करो फिर बताना अपनी तदबीर ," शब्बो
बुआ ने नूसी आपा और मुझे हुक्म दिया।
नूसी आपा ने शब्बो बुआ की दोनों हिमालय जैसे विशाल भारी ढलके उरोजों के ऊपर हमला बोल दिया और मैंने झट से
अपना मूंह शब्बो बुआ की स्थूल गदरायी जांघों के बीच में घने घुंगराले झांटों से ढके यौनिद्धार के ऊपर दबा दिया।
"अरे नूसी बेटा यह तुम्हारी नाज़ुक चूचियां नहीं हैं। यह तुम्हारी खाला की चूचियां हैं कस कर मसलो और ज़ोर से काटो
मेरे चुचुकों को, "शब्बो बुआ ने सिसकते हुए नूसी आपा को धमकाया और फिर अपना आक्रमण मेरी ओर मोड़ा , "नेहा
बिटिया ऐसे हलके हलके चाटेगी मेरी चूत तो कैसे अपनी बुआ को झाड़ेगी। चलो जैम कर चुसो काटो मेरे दाने को। और
ज़ोर से उँगलियाँ करो मेरी चूत और गांड में। झाड़ो मुझे लड़कियों , झाड़ो अपनी शब्बो खाला जान को। "
हम दोनों जैम कर लग गए शब्बो बुआ को झाडने में। नूसी आपा ने अपने दांतों से कमल से शब्बो बुआ की चीखे
निकलवा दीं। मैंने अपनी दो उँगलियाँ बुआ की चूत में और दो उनकी मखमली गांड में ठूंस कर कसके उनके दाने को चूसने
काटने लगी। पांच मिनटों में शब्बो बुआ भरभरा के झड़ गयीं।
पर हम दोनों नहीं रुके और शब्बो बुआ की चूत और चूचियों का समलैंगिक मर्दन करते रहे। आधे घंटे में शब्बो बुआ छह
बार झाड़ गयीं और वासना की उत्तेजना के अतिरेक से बिलबिला उठीं।
"उङनङ अरे अब छोड़ो मुझे। मार डाला तुम दोनों ने। कहाँ से सीखा ऐसा जादू ,"शब्बो बुआ निढाल हो चली थीं।
हम दोनों ने उनसे लिपट कर उन्हें दिल खोल कर चूमा।
जब शब्बो बुआ कुछ ठीक हुई तो बिस्तर से उठ कर अपने बिस्तर की पास मेज की दराज़ से एक विशाल मोटा कृत्रिम
लिंग निकाल के ले आयीं। बिलकुल काले रंग का स्ट्राप-ऑन डिलडो था वो, लगभग अकबर चाचू और आदिल के लन्ड
जितना लंबा मोटा पर उसके दूसरी ओर छह इंच का दानों से भरा लन्ड पहनने वाली लड़की की चूत में जाने के लिए जिसे
दोनों को मज़ा आये।
" चलो नेहा पहन ले इसे और छोड़ मेरी नूसी को मेरे सामने। मैं भी तो देखूं कैसे चौड़ गयी होगी इसकी चूत भाईजान के
लन्ड के ऊपर," शब्बो बुआ ने हमें निर्देश दिया ," चलो नूसी बेटी अपनी चूत अपनी बुआ के मुँह के ऊपर ले आओ। "
मैंने छह इंच मोटा दानों से भरा डिलडो का हिस्सा जब अपनी गीली चूत में ठूंसा तो मैं सिसक उठी। लेकिन आगे का दुगुना
लंबा पर उतना ही मोटा डिलडो को नूसी आपा की चूत में ठूसने के लिए मैं बेचैन हो गयी।
मैंने इंच इंच करके पूरा डिलडो सिसकती नूसी आपा की चूत में ठूंस दिया। शब्बो बुआ नूसी आपा के दाने को चूसने
लगीं। मैंने लंबे धक्कों से नूसी आपा की चूत मारने लगी। नूसी आपा की चूत से मीठा रस टपकने लगा शब्बो बुआ के मुँह
के ऊपर जिसे वो प्यार से चाट गयी।
नूसी आपा जब दो बार जड़ गयी तो शब्बो बुआ ने अपना मुँह उनके भगनासे से हटा कर मुझे दूसरा निर्देश दिया ,"नेहा अब नूसी की गांड मारो मुझे अपनी भांजी और बहू की मीठी चूत चुसनी है। "
नूसी आपा बस अब सिसकने के अलावा कुछ भी बोलने में असक्षम थी। मैंने नूसी आपा के रतिरस से लिसे मोठे लंबे डिल्डो को नूसी आपा के गुलाबी छेद से के ऊपर टिक कर एक ज़ोर का धक्का मारा , ठीक जैसे अकबर चाचू और आदिल भैया इस्तेमाल करते थे हमारी गांड की बर्बादी करने के लिए। नूसी आपा की चीख उबली तो सही पर शब्बो बूआ ने उनके भगनासे को चूसा तो उनकी चीख सिसकी में बदल गयी। मैंने पांच धक्को में सारा डिल्डो नूसी आपा की गांड में ठूंस दिया। मेरी चूत में घुसा छह इंच दूसरा मोटा हिस्सा मेरी चूत को मस्ताने लगा।
मैंने नूसी आपा की गांड हचक हचक कर मारनी शुरू कर दी। जल्दी ही मेरा पूरा डिल्डो नूसी आपा की गांड के सुगन्धित रस से लिस गया था। नूसी आपा सुबक सिसक कर लगातार झड़ रही थी। मैं भी उनके साथ बर्बर झाड़ जाती थी। यह शब्बो बुआ का दो-मुंहा डिल्डो बड़े कमाल का था।
"नेहा और ज़ोर से मारो मेरी भांजी की गांड। नूसी की गांड की महक से मैं तो पागल सी हो रही हूँ। खूब ज़ोर से मठ दो मेरी नूसी की गांड के हलवे को ,"शब्बो बुआ ने अब दो उँगलियाँ नूसी आपा की चूत की गहराइयों में डुबाई हुईं थीं और उनके दांत, होंठ और जीभ नूसी आपा के भग-शिश्न ( क्लिटोरिस ) को ज़ोर से चूस, काट और चुभला रहे थे।
नूसी आपा और मैं अब लगातारर झाड़ रहीं थीं। मुझे थोड़ा थकता देख कर शब्बो बुआ ने धमकी दी , "नेहा बेटी रुकना नहीं। ज़ोर से मारती रहो अपनी नूसी आपा की गांड को। तुम रुकी तो मैं खुद अपने पूरे हाथ से तुम्हारी गांड मार दूँगी। "
मैं शब्बो बुआ के निर्देश का पालन करने लगी।
घंटे भर की गांड चुदाई और चूत चुसाई के प्रभाव से और बार बार झड़ने की उत्तेजना के अतिरेक से थकीं नूसी आपा चीख मार कर बिलकुल निढाल हो कर बिस्तर पे लुढ़क गयीं। मेरा नूसी आपा की गांड के रस से लिसा डिल्डो फचक की आवाज़ से उनकी गांड से बाहर निकल गया।
शब्बो बुआ ने धीमे से कहा ,"देखा नेहा बेटी , चुदाई की मस्ती जब इतनी पुख्ता हो जाती है तभी औरत को गाफिल होने की मस्ती मिल पाती है। "
शब्बो बुआ ने प्यार से मेरा सारा डिल्डो चूस चूस कर साफ़ कर दिया। उन्होंने चटखारे लेते हुए कहा ,"मेरी नूसी बेटी की गांड का रस देखा कितना मीठा है। "
मैं भी मुस्कुराई और लपक कर अपने खुले मुँह से उनके मुँह को तलाशने लगी नूसी आपा की गांड के स्वाद के लिए।
जब नूसी आपा को होश आया तब हमने रात की तदबीर का खुलासा तय किया।
फिर हम तीनो नहाने के लिए ग़ुसलख़ाने में चली गयीं। शब्बो बुआ की ख्वाहिशें अभी भी अधूरी थीं। पहले हमने अपना सुनहरी शरबत ईमानदारी से आधा आधा बाकी दोनों के बीच में बांटा। फिर शब्बो बुआ ने अपनी दिली ख्वाहिश ज़ाहिर की तो मैं और नूसी आपा उतनी नहीं चौंकी और शरमाईं जितना शब्बो बुआ सोच रहीं थीं। चाहे कोई इसे कितना भी विकृत क्रिया कहे पर जब प्यार हो और प्यार के बुखार से जो मन चाहे वो करने की पूरी स्वन्त्रता है पुरुषों और स्त्रियों को।
"खाला कल रात मैंने और अब्बू ने भी ऐसा ही किया था। मुझे तो बहुत अच्छा लगा और खूब मज़ा आया।," नूसी आपा ने खिलखिला कर कहा।
और फिर हम तीनो ने शब्बो बुआ की दिल की ख्वाहिश भी पूरी कर दी नहाने से पहले।खूब मन लगा कर शब्बो बुआ का मुँह कई बार भर दिया और शब्बो बुआ ने आनंद और ख़ुशी के साथ लालचीपन से हमारे तोहफे को पूरा चूस मसल एके निगल लिया।
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वापस मौजूदा वक़्त में
नसीम आपा की अब्बू के साथ बितायी रात का ब्योरा सुन कर शानू और मैं बिलकुल गरम हो गए। हम दोनों ने नसीम आपा को दबा लिया
और बारी बारी उनकी चूत और गांड को चाट चूस कर उनकी हालात और भी बिगाड़ दी। फिर हम तीनों नहाने के बाद दोपहर के खाने के
बाद बाहर चल पड़े। बुआ जान की कार कड़ी देख आकर मुझे अपने आगे की योजना का ख्याल आया। मैंने नसीम आपा को समझाया।
हम दोनों ने बड़ी मुश्किल से शानू को उसके कमरे में भेजा और बुआ के बंगले की और चल दिए।
नूसी आपा और मैंने सिर्फ एक ढीला ढाला काफ्तान पहना हुआ था। शबनम बुआ ज़रूर रात में देर से वापस आयी होंगीं।
उनके घर की बावरचन बाहर ही मिल गयी। पूछने पर बोली , "मालकिन सुबह वापस आयीं हैं। थकी हुईं थी सो तुरंत सोने चलीं गयीं।
अभी भी अपने बैडरूम में हैं। "
यह तो और भी अच्छा था। नूसी और मैंने एक दुसरे को बिना बोले शाबासी दी और शब्बो बुआ के कमरे की ओर तेज़ी से चल पड़े।
शब्बो बुआ पूर्णतया नग्न बिस्तर अपनी बाहें फैला कर सो रहीं थीं। शब्बो बुआ का स्त्रीत्व नैसर्गिक सौंदर्य से नूसी आपा और मैं इतनी
प्रभावित हो गयीं कि दोनों हतप्रभ हो उनके हुस्न के नज़ारे को अपनी सोखने लगीं।
शब्बो खाला अकबर चाचू से तीन साल छोटीं थीं। पर उनकी शादी उनसे पाँच बड़े ममेरे भाई से सिर्फ सोलह साक ई उम्र में हो गयी थी।
शब्बो बुआ और उनके ममेरे भाई के बीच में प्यार का बीज बुआ की कमसिन उम्र में हो चला था।
बुआ का गुदाज़ सुडौल बदन तब तक और भी भर गया था। बेटे के जन्म के बाद उनका बदन भरता चला गया था।
शब्बो बुआ का साढ़े पांच फुट से थोड़ा , शायद एक इंच , कम ऊंचा शरीर। उनके चेहरे की सुंदरता और फिर उनकी नैसर्गिक सुंदर
नासिका बस उतने से ही कई लोग उन्हें घूरते रह जातें है। फिर उनकी गोल गदरायी भारी बाहें। उनकी काँखों में घने घुंगराले बाल। नूसी
आपा उन सुंदर बगलों से कभी भी जीत नहीं सकती थीं।
उनका सीना ज़रूर गोल और भरा-पूरा ४४ इंच था। और उसके ऊपर उनकी स्थूल भारी गुदाज़ मुलायम भारी भरकम उनके स्तन एच एच
जैसे थे। उनकी दो तह वाली उभरी कमर अड़तीस-चालीस [३८-४०] के लगभग थी। पर उसके नीचे थे उनके तूफानी चूतड़। दोनों ओर फैले
पीछे और बगल में , लगभग पचास इंच के तो होंगे। फिर उनकी बगलों में घुंगराले घने बाल, बहुत गहरी नाभि , भारी केले के तने जैसी
जांघें और उनके बीच घुंघराली झांटों का झुरमुट जो उनकी रंगों के ऊपर और निचले पेट की शोभा भी बड़ा रहा था।
शब्बो बुआ का बदन बिलकुल शास्त्रीय या क्लासिक रेतघड़ी [ हावरग्लास ] की तरह था।
उनका लगभग अस्सी किलो का वज़न उनके स्त्रीत्व के हर अंग को और भी सुंदर बना रहा था। उनका विपुल गदल शरीर और अविश्वसनीय
सुंदर गोल भरा-भरा चेहरा किसी देवता के संयम को चुनौती दे सकता था।
जैसे किसी माँ को बिना आँख खोले अपने बच्चों की मौजूदगी का अभ्यास हो जाता है उसी तरह शब्बो आपा को नूसी आपा और मेरी
मौजूदगी का अभ्यास हो गया और उनकी लंबी पलकें खुल गयीं।
"अरे लड़कियों इतनी दूर क्यों कड़ी हो। चलो कूद जाओं बिस्तर में अपनी खाला की बाँहों में ," शब्बो बुआ नम्रता चाची की तरह खुले
व्यवहार और स्पष्ट विचारों की मालिक थीं। ठीक नम्रता चची की तरह बिंदास और समाज के पाखंड और ढोंग से अछूती।
"और पहले यह सब काफ्तान उतारो। खाला के बिस्तर में खाला के जैसे बन कर आओ ,"जैसा मैंने अभी बताया शब्बो बुआ बिल्कुल खुली
निष्कपट और स्पष्टवादी थीं।
नूसी आपा और मैंने जल्दी से अपने काफ्तान उतार फैंके और बुआ की खुली बाहों में कूद कर लेट गयीं।
बुआ ने हम दोनों को बारी बारी प्यार से कई बार चूमा , "चलो अब पूरा ब्यौरा दो कि मेरे पीछे क्या गुल खिलाये तुम दोनों ने?"
नूसी आपा जल्दी से हंस कर बोलीं,"लंबी कहानी है खाला। "
"लंबी है तो क्या हुआ। हम तीनो की कोई फ्लाइट तो निकल नहीं जाने वाली !"शब्बो आपा ने नूसी आपा के खुले हँसते गुलाबी होंठों को
गहरे चुम्बन से ढक दिया।
नूसी आपा ने मुस्कुराते हुए की घर के रिश्तों की तरक्की की कहानी बतायी ,"शब्बो खाला,पहले तो नेहा ने अपनी भैया और जीजू से खूब चुदवाया।
और यह मेरे पीठ के पीछे हुआ। "
मैंने कुछ कहने के बारे में सोचा पर शब्बो बुआ ने मुझे चूम कर चुप कर दिया।
नूसी आपा ने आगे बात बढ़ायी , "और अब आपकी छोटी भांजी ने भी अपना कुंवारापन का तोहफा जीजू को दे दिया है। दोनों रंडियों ने दो दिन खूब
चुदवाया अपने जीजू से। "
"अरे नूसी मैं तो सोच रही थी कि कितना सब्र करेगा मेरा आदिल अपनी साली के सही रास्ते पे आने का। चलो नेहा ने यह तो बहुत अच्छा काम किया
है, " शब्बो बुआ ने मेरे सख्त खड़े चुचुकों को बेदर्दी से मसलते हुए मेरो बड़ाई की।
"खाला अभी पूरी बात मैंने कहाँ बतायी है। नेहा ने एक और अच्छा काम किया है। उसने सुशी खाला के कहने पे अब्बू का बिस्तर भी गरम किया है। मैं
तो अब नेहा और भी प्यार करतीं हूँ मेरे अब्बू का खाया रखने के लिए ,"नूसी आपा धीरे धीरे असली बात पे आ रहीं थी और मुझे जल्दीऔर बेसब्री से
खुजली होने लगी।
"नूसी आपा आप कछुए की चाल से बात बता रही हैं ," मैंने नूसी आपा से गेंद छीन ली , "शब्बो बुआ , नूसी आपा और अकबर चाचू का भी मिलान
हो गया है। कल रात चाचू रात नूसी आपा को दिल भर कर कूटा है। "
शब्बो आपा धक् रह गयीं ," नूसी बेटा यह तो बहुत अच्छा हुआ। मेरा दिल अकबर भाईजान के अकेलेपन से दर्द स भरा हुआ था। पर अब मैं उनके
लिए बहुत खुश हूँ। लेकिन नूसी यह बता की मेरे आदिल का लन्ड भाईजान के मुकाबले कैसा है ? उतना ही लंबा मोटा है या अलग है?"
"हाय अल्लाह क्या बताऊँ खालाजान दोनों का लन्ड जैसे एक दुसरे के जैसे हैं। जैसे एक ही सांचे में ढलें हों। बस अब्बू के लन्ड पे मोटी मोटी नसें हैं
और उनके लन्ड का रंग थोड़ा गाड़ा है । पर आदिल का लन्ड बिलकुल चिकन और थोड़ा ज़्यादा गोरा है ,"नूसी आपा की आवाज़ में अपने खाविंद
और अब्बू के घोड़े जैसे लण्डों के ऊपर फख्र साफ़ साफ़ ज़ाहिर हो रहा था।
पर मुझे अचानक जैसे बिजली की कौंध जैसा ख्याल आया , "पहले आप यह बताइये शब्बो बुआ आपको कैसे पता की अकबर चाचू के लन्ड के
बारे में। आपने कब देखा चाचू का लन्ड। सच बताइये बुआ ,"मैंने अब शब्बो बुआ के दोनों चुचुकों को बेदर्दी से मसल दिया।
"नेहा ठीक कह रही है। मैं तो अब्बू और आदिल के लन्ड ख्याल से बिलकुल गाफिल हो गयी थी। आपने कब देखा अब्बू का लन्ड बुआ। आपको अब्बू
की कसम हकीकत ब्यान कीजिये बिना कुछ छोड़े," नूसी आपा की ट्यूब लाइट देर से जली पर जब जली तो चमचमा के।
"अरे तुम दोनों प्यारी रंडियां मेरे बेटे और भाईजान से दिल खोल के चुदवा के अब कैसे वकीलों की तरह जिरह कर रहीं हैं ? "बुआ ने नूसी और मेरे
स्तनों को ज़ोर से मसला और हँसते हुए कहा , "ठीक है। जैसे तुम दोनों ने सच सच बताया तो मुझे भी हकीकत बयान करनी पड़ेगी। "
"तुम दोनों को पता है कि मेरा निकाह जब की थी तो मेरे ममेरे भाई मुज्जफर से हो गया था। हम दोनों पहले महीने से ही बच्चे की तमन्ना से दिन
रात मुझे पेट से करने की पूरी कोशिश करने लगे थे। जब तीन साल बाद अकबर भैया का निकाह की होने वाली थी। मैं और रज्जो भाभी पहले दिन
से ही बहनों की तरह करीब आ गयीं थीं। और रज्जो भाभी खूब खुल कर पानी और भाईजान की चुदाई का खुला खुला ब्योरा देतीं थीं। मेरे खाविंद
का लन्ड खूब मोटा और तगड़ा था करीब आठ इंच का पर रज्जो भाभी के प्यारे से मुझे पता चला की अकबर भाईजान का लन्ड तो छगोड जैसा लंबा
और मोटा है। दो महीनों के बाद नूसी के नानाजान घोड़े से गिर गए थे और उनकी टांग टूट गयी थी। भाभी को अपने घर जाना पड़ा। अकबर भाईजान
रज्जो भाभी को रात दिन चोदने आदत वो रज्जो के बिना भूखे सांड की तरह पागल थे। उन्होंने शाम होते ही खूब शराब पीनी शुरू कर दी। मुझसे
यह देखा नहीं गया और मैंने रज्जो भाभी को फोन किया और भाईजान की हालात ब्यान की। "
बुआ ने गहरी सांस ली और फिर आगे बताने लगीं ," रज्जो भाभी ने कहा हाय अल्लाह शब्बो मैं क्या करूँ। अब्बू की टांग का आपरेशन होने वाला
है। अब तो शब्बो तुम्हारी इमदाद से ही काम बनेगा। मैंने रज्जो भाभी से पूछा कि भाभी मैं कैसे मदद कर सकतीं हूँ।
“ रज्जो भाभी ने मुझे समझाया देखो शब्बो मेरे नंदोई भी वतन से बहार है पिछले महीने से। भाभी ने ठीक कहा था तुम्हारे फूफा जान पिछले दो
महीनो से यूरोप में थे। भाभी ने आगे कहा कि देखो शब्बो तुम्हारा बदन भी चुदाई के लिए जल रहा तुम्हारे भाईजान भी चुदाई के लिए पागल हैं। देखो
शर्म लिहाज़ को ठोकर मारो और मेरे कपडे पहन कर कब अकबर तोड़े नशे में हो तब उनके पास चली जाना। कमरे की बिजली धीमी कर देना और
देखना कितनी आसानी से अकबर तुम्हें मुझे समझ लेंगें। मैं थोड़ी देर तो शर्म से घबराई पर भाईजान के प्यार की फतह ने मेरी शर्म को मेरे दिमाग से
बाहर धकेल दिया।”
" मैंने अकबर भाईजान को मौका दिया खाने के बाद अपने कमरे में जाने का और थोड़े नशे में होने का। मैंने रज्जो भाभी
का लेहंगा और ब्लाउज़ और सर के ऊपर रेशमी गुलुबन्द से अपना मुँह ढक लिया। मैंने ब्लाउज़ के तीन बटन खोल लये
जिससे मेरी भारी चूचियां बाहर झांक रहीं थीं। मेरी उम्मीद थी कि भाईजान का ख्याल मेरे उरोजों पर ज़्यादा और मेरे चेहरे
पर कम पड़ेगा। मेरा ख्याल ठीक निकला। नशे में भाईजान भूल गए थे कि भाभी अपने अब्बू के घर गयीं हुईं थी। मेरा बदन
काफी गुदाज़ था ठीक भाभी जैसे। भाईजान ने मुझे मेरे हाथ से पकड़ कर अपनी गोद में खींच लिया। बिना एक लम्हा
बर्बाद किये भाईजान ने मेरे ब्लाउज़ के पल्ले खींच कर एक झटके में सारे बटन तोड़ दिए। फिर मेरे फड़कते उयरोजोन को
मसलते हुए हंसे 'जानेमन आज शर्मा क्यों रही हो'। मैं सिसक उठी जैसे ही भाईजान के मज़बूत हाथों ने मेरे दोनों चूचियों
को बेदर्दी से मसला। “
“भाईजान भी मस्त सांड की तरह बेचैन थे। कुछ ही लम्हों के चूमने और मेरे उरोजों को मसलने के बाद ना जाने कब उन्होंने
मेरा लहँगा ऊपर उठा कर मेरी चूत में अपना लन्ड ठूसना शुरू कर दिया। उफ़ क्या बताऊँ लड़कियों तुम्हारे फुफजाँ का
लन्ड काफी मोटा मुस्टंड था पर बजाईजान का मूसल मुझे दुगना लंबा मोटा लग रहा था। मेरे सुबकने की परवाह किये
बिना भाईजान ने हचक हचक कर मुझे चोदने लगे। मैं कुछ देर के बाद ही सिसकने लगी और मेरे झड़ने की कड़ी बढ़
गयी। ना जाने कितनी देर मेरी चूत कूटने के बाद भाईजान ने मेरी चूत अपने गरम उपजाऊ वीर्य से सींच दी। पर भाईजान
इतने मस्त थे कि उनका लन्ड बिलकुल भी ढीला नहीं हुआ। भाईजान ने मुझे पेट के बल पलट दिया और मेरे चूतड़ चौड़ा
कर अपने लन्ड का सूपड़ा मेरी कुंवारी गांड में फ़साने लगे। मेरी तो सांस ही रुक गयी। तुम्हारे फूफा जान ने मेरी गांड
अकेले छोड़ दी थी तब तक। पर भैया को क्या पता कि वो अपनी बीवी रज्जो की खूब चुदी गांड को नहीं अपनी छोटी बहन
की कुंवारी गांड की तौबा बुलवाने वाले थे। मैं खूब चीखी चिल्लाई दर्द से और मेरी आँखें रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी
पर भाईजान की सांड जैसे चुदाई से मेरी निगौड़ी गांड में मस्ती फ़ैल गयी। भी खूब सिसक सिसक कर अपनी गांड मरवाई।
कमरे की धीमी बिजली में भाईजान ने मुझे पहचाने बिना घंटे भर मेरी गांड कूटी और जब भाईजान मेरी गांड में वीर्य की
बारिश कर रहे थे तो मैं मस्ती की ज़्यादती से बेहोश से हो गयी। “
जब मैं पूरे होश में आयी तो भाईजान मुझे अपनी बाँहों में भरकर बिस्तर पे लेते थे। 'शब्बो मुझे बता तो दिया होता कि
मैं तुम्हारी रज्जो भाभी को नहीं अपनी नन्ही बहन को चोद रहा था ?'मैं भाईजान से लिपट गयी ,'भाईजान भाभी ने मुझसे
वायदा लिया आपकी पूरी देखभाल करने के लिए तैयार थी। ऐसी चुदाई के लिए तो मैं बिना वायदे के भी तैयार हो
जाती। भाईजान अब आप जब तक भाभी नहीं वापस आ जातीं भूल जाइये कि मैं आपकी छोटी बहन हूँ। मुझे आप रज्जो
भाभी समझ लीजिये तब तक। '
मैं बेचैन थी भाईजान के साथ मस्त चुदाई जारी रखने के लिए।
भाईजान बोले ,' शब्बो मैं भूल तो नहीं सकता कि तुम मेरी नन्ही बहन हो पर हाँ जब तक रज्जो या मुज्जफर वापस नहीं
आते तब तक मैं तुम्हे रज्जो की तरह चोदने के लिए तैयार हूँ पर उसके बाद हम रुक जायेंगें। वायदा शब्बो?' मैंने भाईजान
के साथ वायदा कर लिया। फिर जो मेरी चुदाई की सारी रात भाईजान ने मेरी तो मस्ती से हालात ख़राब हो गयी। भाईजान
ने मेरी चूत और गांड मार मार कर मुझे इतनी बार झाड़ दिया कि मैं होशोहवास खो गयी। फिर उसके बाद भाईजान दिन में
भी काम से घर आ जाते और मुझे किसी बहाने अपने कमरे में बुलवा कर चोदते। मैं अगले डेढ़ महीने खूब चुदी भाईजान
से। अल्लाह ने भी मुझे अपने भाई और भाभी का ख्याल रखने का इनाम दिया। मैं जब रज्जो भाभी वापस आयीं डेढ़ महीने
बाद में आदिल से पेट से थी। पर उसके बाद भाईजान और मेरा हमबिस्तर होना बिलकुल रुक गया। "
शब्बो बुआ की कहानी सुनते सुनते नूसी आपा और मैं इतनी गरम हो गयीं थी कि हम दोनों बिना आगाह हुए बुआ की
चूचियां चूस मसल रहे थे।
लेकिन मुझे अचानक बुआ की कहानी की सबसे ज़ोरदार बात समझ आ गयी।
"शब्बो बुआ इसका मतलब है कि आदिल भैया अकबर चाचू के भांजे और दमाद नहीं बेटे भी हैं। " मैं असली बात उगल
दी।
नूसी आपा की आँखें चमक उठीं।
"अरे जो भी समझो। तुम्हारे फूफा जान महीने भर से बाहर थे और तीन सालों से मेरी कोख सूखी थी। भाईजान के साथ
एक हफ्ते के बाद ही मेरा आने वाला महीना नहीं आया।" बुआ ने थोड़ा शरमाते हुए कहा , "नूसी बेटा तुम्हे इस बात से
कोई एतराज़ तो नहीं पैदा हो गया। "
नूसी आपा ने बुआ के होंठो को कस कर चूमा और बोलीं," शब्बो खाला तभी तो मैं और आदिल बिलकुल भाई बहन की
तरह जुड़े हैं बचपन से। और खाला जान नेहा आज इसी प्यार भरे घराने को खुल्लमखुल्ला इकट्ठे करने का इरादा बना कर
आयी है। "
"नेहा नूसी तुम्हारी तदबीर बाद में सुनूँगी। तुम दोनों को अपने भाईजान से चुदने और हमल से होने की कहानी सुनाते
सुनाते मैं बहुत गरम हो चली हूँ। चलो रंडियो पहले अपनी खाला को ठंडी करो फिर बताना अपनी तदबीर ," शब्बो
बुआ ने नूसी आपा और मुझे हुक्म दिया।
नूसी आपा ने शब्बो बुआ की दोनों हिमालय जैसे विशाल भारी ढलके उरोजों के ऊपर हमला बोल दिया और मैंने झट से
अपना मूंह शब्बो बुआ की स्थूल गदरायी जांघों के बीच में घने घुंगराले झांटों से ढके यौनिद्धार के ऊपर दबा दिया।
"अरे नूसी बेटा यह तुम्हारी नाज़ुक चूचियां नहीं हैं। यह तुम्हारी खाला की चूचियां हैं कस कर मसलो और ज़ोर से काटो
मेरे चुचुकों को, "शब्बो बुआ ने सिसकते हुए नूसी आपा को धमकाया और फिर अपना आक्रमण मेरी ओर मोड़ा , "नेहा
बिटिया ऐसे हलके हलके चाटेगी मेरी चूत तो कैसे अपनी बुआ को झाड़ेगी। चलो जैम कर चुसो काटो मेरे दाने को। और
ज़ोर से उँगलियाँ करो मेरी चूत और गांड में। झाड़ो मुझे लड़कियों , झाड़ो अपनी शब्बो खाला जान को। "
हम दोनों जैम कर लग गए शब्बो बुआ को झाडने में। नूसी आपा ने अपने दांतों से कमल से शब्बो बुआ की चीखे
निकलवा दीं। मैंने अपनी दो उँगलियाँ बुआ की चूत में और दो उनकी मखमली गांड में ठूंस कर कसके उनके दाने को चूसने
काटने लगी। पांच मिनटों में शब्बो बुआ भरभरा के झड़ गयीं।
पर हम दोनों नहीं रुके और शब्बो बुआ की चूत और चूचियों का समलैंगिक मर्दन करते रहे। आधे घंटे में शब्बो बुआ छह
बार झाड़ गयीं और वासना की उत्तेजना के अतिरेक से बिलबिला उठीं।
"उङनङ अरे अब छोड़ो मुझे। मार डाला तुम दोनों ने। कहाँ से सीखा ऐसा जादू ,"शब्बो बुआ निढाल हो चली थीं।
हम दोनों ने उनसे लिपट कर उन्हें दिल खोल कर चूमा।
जब शब्बो बुआ कुछ ठीक हुई तो बिस्तर से उठ कर अपने बिस्तर की पास मेज की दराज़ से एक विशाल मोटा कृत्रिम
लिंग निकाल के ले आयीं। बिलकुल काले रंग का स्ट्राप-ऑन डिलडो था वो, लगभग अकबर चाचू और आदिल के लन्ड
जितना लंबा मोटा पर उसके दूसरी ओर छह इंच का दानों से भरा लन्ड पहनने वाली लड़की की चूत में जाने के लिए जिसे
दोनों को मज़ा आये।
" चलो नेहा पहन ले इसे और छोड़ मेरी नूसी को मेरे सामने। मैं भी तो देखूं कैसे चौड़ गयी होगी इसकी चूत भाईजान के
लन्ड के ऊपर," शब्बो बुआ ने हमें निर्देश दिया ," चलो नूसी बेटी अपनी चूत अपनी बुआ के मुँह के ऊपर ले आओ। "
मैंने छह इंच मोटा दानों से भरा डिलडो का हिस्सा जब अपनी गीली चूत में ठूंसा तो मैं सिसक उठी। लेकिन आगे का दुगुना
लंबा पर उतना ही मोटा डिलडो को नूसी आपा की चूत में ठूसने के लिए मैं बेचैन हो गयी।
मैंने इंच इंच करके पूरा डिलडो सिसकती नूसी आपा की चूत में ठूंस दिया। शब्बो बुआ नूसी आपा के दाने को चूसने
लगीं। मैंने लंबे धक्कों से नूसी आपा की चूत मारने लगी। नूसी आपा की चूत से मीठा रस टपकने लगा शब्बो बुआ के मुँह
के ऊपर जिसे वो प्यार से चाट गयी।
नूसी आपा जब दो बार जड़ गयी तो शब्बो बुआ ने अपना मुँह उनके भगनासे से हटा कर मुझे दूसरा निर्देश दिया ,"नेहा अब नूसी की गांड मारो मुझे अपनी भांजी और बहू की मीठी चूत चुसनी है। "
नूसी आपा बस अब सिसकने के अलावा कुछ भी बोलने में असक्षम थी। मैंने नूसी आपा के रतिरस से लिसे मोठे लंबे डिल्डो को नूसी आपा के गुलाबी छेद से के ऊपर टिक कर एक ज़ोर का धक्का मारा , ठीक जैसे अकबर चाचू और आदिल भैया इस्तेमाल करते थे हमारी गांड की बर्बादी करने के लिए। नूसी आपा की चीख उबली तो सही पर शब्बो बूआ ने उनके भगनासे को चूसा तो उनकी चीख सिसकी में बदल गयी। मैंने पांच धक्को में सारा डिल्डो नूसी आपा की गांड में ठूंस दिया। मेरी चूत में घुसा छह इंच दूसरा मोटा हिस्सा मेरी चूत को मस्ताने लगा।
मैंने नूसी आपा की गांड हचक हचक कर मारनी शुरू कर दी। जल्दी ही मेरा पूरा डिल्डो नूसी आपा की गांड के सुगन्धित रस से लिस गया था। नूसी आपा सुबक सिसक कर लगातार झड़ रही थी। मैं भी उनके साथ बर्बर झाड़ जाती थी। यह शब्बो बुआ का दो-मुंहा डिल्डो बड़े कमाल का था।
"नेहा और ज़ोर से मारो मेरी भांजी की गांड। नूसी की गांड की महक से मैं तो पागल सी हो रही हूँ। खूब ज़ोर से मठ दो मेरी नूसी की गांड के हलवे को ,"शब्बो बुआ ने अब दो उँगलियाँ नूसी आपा की चूत की गहराइयों में डुबाई हुईं थीं और उनके दांत, होंठ और जीभ नूसी आपा के भग-शिश्न ( क्लिटोरिस ) को ज़ोर से चूस, काट और चुभला रहे थे।
नूसी आपा और मैं अब लगातारर झाड़ रहीं थीं। मुझे थोड़ा थकता देख कर शब्बो बुआ ने धमकी दी , "नेहा बेटी रुकना नहीं। ज़ोर से मारती रहो अपनी नूसी आपा की गांड को। तुम रुकी तो मैं खुद अपने पूरे हाथ से तुम्हारी गांड मार दूँगी। "
मैं शब्बो बुआ के निर्देश का पालन करने लगी।
घंटे भर की गांड चुदाई और चूत चुसाई के प्रभाव से और बार बार झड़ने की उत्तेजना के अतिरेक से थकीं नूसी आपा चीख मार कर बिलकुल निढाल हो कर बिस्तर पे लुढ़क गयीं। मेरा नूसी आपा की गांड के रस से लिसा डिल्डो फचक की आवाज़ से उनकी गांड से बाहर निकल गया।
शब्बो बुआ ने धीमे से कहा ,"देखा नेहा बेटी , चुदाई की मस्ती जब इतनी पुख्ता हो जाती है तभी औरत को गाफिल होने की मस्ती मिल पाती है। "
शब्बो बुआ ने प्यार से मेरा सारा डिल्डो चूस चूस कर साफ़ कर दिया। उन्होंने चटखारे लेते हुए कहा ,"मेरी नूसी बेटी की गांड का रस देखा कितना मीठा है। "
मैं भी मुस्कुराई और लपक कर अपने खुले मुँह से उनके मुँह को तलाशने लगी नूसी आपा की गांड के स्वाद के लिए।
जब नूसी आपा को होश आया तब हमने रात की तदबीर का खुलासा तय किया।
फिर हम तीनो नहाने के लिए ग़ुसलख़ाने में चली गयीं। शब्बो बुआ की ख्वाहिशें अभी भी अधूरी थीं। पहले हमने अपना सुनहरी शरबत ईमानदारी से आधा आधा बाकी दोनों के बीच में बांटा। फिर शब्बो बुआ ने अपनी दिली ख्वाहिश ज़ाहिर की तो मैं और नूसी आपा उतनी नहीं चौंकी और शरमाईं जितना शब्बो बुआ सोच रहीं थीं। चाहे कोई इसे कितना भी विकृत क्रिया कहे पर जब प्यार हो और प्यार के बुखार से जो मन चाहे वो करने की पूरी स्वन्त्रता है पुरुषों और स्त्रियों को।
"खाला कल रात मैंने और अब्बू ने भी ऐसा ही किया था। मुझे तो बहुत अच्छा लगा और खूब मज़ा आया।," नूसी आपा ने खिलखिला कर कहा।
और फिर हम तीनो ने शब्बो बुआ की दिल की ख्वाहिश भी पूरी कर दी नहाने से पहले।खूब मन लगा कर शब्बो बुआ का मुँह कई बार भर दिया और शब्बो बुआ ने आनंद और ख़ुशी के साथ लालचीपन से हमारे तोहफे को पूरा चूस मसल एके निगल लिया।
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