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Adultery नेहा का परिवार : लेखिका सीमा Completed!
#37
Update 33


'रज्जो तुम्हें बुरा नहीं लगा कि एक बाप अपनी बेटी की खूबसूरती ने असर से मर्दों के हजैसे सोचने लगता है ?'

'अक्कू बुरा तो तब लगता जब आप और नसीम में इतना प्यार नहीं होता। नसीम अब तेरह साल की हो चली है और मुझसे मर्दों और औरतों 

के मेलजोल की बातें पूछने लगी है। जानतें हैं उसने कल क्या कहा ? उसने कहा की - 'अम्मी आप कितने खुसनसीब है की आपका निकाह 

अब्बु जैसे मर्द के साथ हुआ है। मैं तो खुदा से माँगूगीं की मुझे अब्बु तो नहीं मिल सकते पर अब्बु जैसा शौहर मिले। अम्मी क्या बताऊँ अब्बु 

को ले कर कई बार मेरे दिल और दिमाग में कितने ख़राब ख्याल आतें हैं।'

अक्कू मैंने अपनी बेटी को पूरा भरोसा दे दिया कि बेटी और अब्बु के बीच जब बहुत प्यार होता है तो कोई भी ख्याल गन्दा नहीं होता । देखिये 

अक्कू एक दो साल और बड़ा होने दीजिये हमें पूरा भरोसा है आपकी बिटिया खुद आपसे मर्दाने मेलजोल की ख्वाहिश करेगी। बस आप 

पीछे नहीं हटना नहीं तो उसका दिल टूट जायेगा। ‘”

अकबर चाचू ने विस्तार से अपने और रज्जी चाची के बीच में हुए निजी बातचीत का खुला ब्यौरा दिया। 

"हाय चाचू आग तो दोंनो तरफ लगी है तो फिर देर किस बात की ? " मेरी चूत में चाचू का लंड अब डरावनी रफ़्तार से सख्त होने लगा था। 

" नेहा बेटी रज्जो होती तो नसीम और मैं पांच साल से नज़दीक आ गए होते। पर उस रात के कुछ महीनो के बाद ही रज्जो को अल्लाह की 

मर्ज़ी ने जानत की और रवाना कर दिया। अब हमारे और नसीम के बीच में बहुत झिझक, शर्म की दीवार बुलंद हो गयी है। और उसके ऊपर से 

हमारी बेटी हमारे बेटे जैसे भतीजे आदिल की दुल्हन बन चुकी है। हम अब इस ख्याल को दबा देतें हैं इस डर से कि हमारी मर्दाने प्यार भरी 

नज़रों की सोच आदिल न समझ जाये। " अकबर चाचू के दिल में दबे मर्दाने प्यार को ऊपर लेन का सही वक़्त आ गया था। 

" चाचू, जीजू ने तो सुबह सुबह ही कहा था की आप तो उनके अब्बु जैसे हैं। और यदि नसीम आपा राज़ी हों तो वो खुद उनकों आपका ख्याल 

रखने के लिए उकसायेंगे। आदिल भैया तो ठीक आपकी तरह ही सोच रहें हैं। " मैंने प्यार से चाचू की बालों भरे सीने को चूम कर कहा। 

"नेहा हमारा दिमाग़ तो काम नहीं कर रहा। तुम जो कहो वो हम करेंगें। " यह सुन कर तो किला फतह होने के बिगुल बजने शुरू हो गए मेरे मन 

में। 

"अच्छा तो सुनिये चाचू मैं नसीम आपा पहले बढ़ावा दूँगी इस बिनाह पे कि आप उनकी तमन्ना कई सालों से पहले से ही करते रहें हैं। अब 

वो भी आपके करीब चाहतीं हैं। बस शर्म और डर का सवाल है। मैं उनको मन लूँगी की जब वो आपके कमरे में आयेंगीं तो आप उन्हें मेरे नाम 

से पुकारेँगेँ। इस से उनके अंदर जो भी शर्म है या डर है उसके ऊपर मेरे नाम का पर्दा ढक जायेगा। एक बार आप दोनों के बीच में चुदाई हो 

जाएगी तो उसके बाद कैसी शर्म और किसका डर ?" 

मैंने कौटुम्भिक सम्भोग में विशेषज्ञ की तरह सर हिलाते हुए कहा। अकबर चाचू का महा मूसल लंड अब तनतना कर मेरी चूत चौड़ा रहा था। 

" नेहा बिटिया अब तो हमने अपने आपको तुम्हारे हाथों में सौप दिया है। आप जो कहोगे वो हम करने के लिए तैयार हैं ," अकबर चाचू ने मेरे 

दोनों चुत्तड़ों को मसलते हुए प्यार से कहा। 

" चाचू अभी बता देतीं हूँ शानू का दिल अपने अब्बु ऊपर बहुत ज़ोर से आ गया है। अब तो उसकी सील जीजू के तोड़ कर उसे आपके लिए 

तैयार भी कर दिया है। " मैंने चाचू के मर्दाने चुचूकों को होले होले चुभलाते हुए चूसने लगी। 

" नेहा बेटी पहले नसीम के प्यार का इज़हार हो जाने दो। हमें अब आपकी और शुशी भाभी की बातें समझ आ गयीं हैं। अब से हम इस हजार 

ने फिर से प्यार की खिलखिलाहट भरने की पूरी कोशिश करेंगें " चाचू ने हलके से अपनी तर्जनी को मेरी सूखी गाड़ के छेड़ पर पहले रगड़ा फिर 

धीरे से ऊके अंदर ठूंसने लगे। 

मैं चिहक उठी , " हाय चाचू तो मेरी सूखी गांड को क्यों फाड़ने की कोशिश कर रहें हैं ? "

" नेहा पहले तो आपकी चूत की बारी है। उसके बाद आपकी गांड का नंबर लगायेंगें। " चाचू ने मुझे खिलोने की तरह उठा कर मेरी चूत को 

अपने घोड़े जैसे महालण्ड के ऊपर टिका दिया। उनका लंड बिना किसी मदद के मानों प्राकर्तिक सूझ-बूझ दिखाते हुए मेरी चूत के दरवाज़े से 

भिड़ गया। एक बार चूत के कोमल पट्टे लंड के सुपाड़े को अंदर ले लें तो लंड को और क्या चाहिए। अब चूत की शामत है। और इस शामत में 

मिली है सम्भोग की मस्ती। 

चाचू ने पहले मेरी चूत मुझे अपने ऊपर लिटा कर मारी। जब मैं तीन चार झड़ गयी तो मुझे जादुई चाट पर लिटा कर घंटे भर रौंदा। देर रात 

तक चाचू ने मेरी चूत और गांड को रगड़ रगड़ कर चोदा और मेरी सिस्कारियां एक बार शुरू हुईं तो रुकने का नाम ही नहीं लिया। जब तरस खा 

कर चाचू ने मेरे शिथिल निस्तेज शरीर को सोने के लिए छोड़ा तो मैं लगभग बेहोशी के आलम में जा चुकी थी

सुबह जब मैं उठी तो कगभग बारह बज रहे थे। चाचू का कोई भी चिन्ह नहीं था शयनघर में। चाचू तैयार हो कर ऑफिस चले गए थे। 

जब मैं उठी तो पूरा शरीर टूट रहा था। चाचू ने कस कर रगड़ कर चोदा था अपने घोड़े जैसे महालण्ड से मुझे लगभग सारी रात। शरीर नहीं टूटेगा तो और 

क्या होगा। 

शरीर में ऐसा लगा कि कईं नयी मांस-पेशियां जिनका मुझे पहले हल्का सा आभास भी नहीं था। मैं टांगें चौड़ा कर चल रही थी। गांड में ज़्यादा जलन हो 

रही थी। मैंने रसोई में जा कर चॉकलेट मिल्क-शेक बना शुरू किया ही था की शानू के पैरों की रगड़ की आवाज़ सुन कर मैं पीछे मुड़ी। शानू बड़ी मुश्किल 

से टाँगे फैला कर चल पा रही थी। 

मुझे न चाहते हुए भी हंसी आ गयी , " लगता है जीजू ने खूब रगड़ रगड़ कर कोडा है तुझे सारी रात। "

" हाँ कुछ भी ना कह नेहा। जीजू ने सारी रात नहीं सोने दिया। सुबह सुबह ही मैं सो पाई। जीजू ने जाने कितने आसनों में चोदा है मुझे। कभी लिटा कर, 

कभी घोड़ी बना कर , कभी खड़ा करके दीवार से लगा कर। फिर पट्ट लिटा कर पीछे से चोदा तो मेरी तो जान ही निकल गयी। मुझे उनका गधे जैसा लंड 

और भी बड़ा और मोटा लग रहा था। " बेचारी शानू अभी किशोरावस्था का एक साल ही पूरा किया था और दुसरे साल में थी । मुझ से पूरे दो साल से भी 

छोटी थी। 

" नेहा तू बता। अब्बु ने कैसी चुदाई की तेरी ?" शानू की आँखों में एक नयी चमक थी अपने अब्बु के साथ मेरी चुदाई के ख्याल से। 

"अरे शानू रानी, तेरे अब्बु ने मेरी भी हालत ख़राब कर दी। रात भर रगड़ा है मुझे उन्होंने। न जाने कितनी बार मेरे गांड और चूत की कुटाई की चाचू ने। मैं दो 

तीन बार तो थक कर बेहोश सी हो। फिर भी चाचू रुकने वाले थोड़े ही थे। चोदते रहे मुझे लगातार बिना थके। " मैंने शानू को अपनी रति-क्रिया की छोटी 

सा विवरण दिया। 

" नेहा अब्बु का लंड जीजू के लंड के मुकाबले कैसा है ? बड़ा है या नहीं ?" शानू को अपने अब्बु के लंड के बारे में जानने की बड़ी जिज्ञासा थी। 

"शानू, चाचू का लंड जीजू के लंड थोड़ा ही सही पर बीस ही होगा उन्नीस नहीं। लेकिन जब मर्दों के लंड घोड़े गधे जितने बड़े हों तो एक आध इंच का 

फर्क तो दीखता ही नहीं है। " मैंने शानू को बाँहों में भर कर उसके नींबुओं को मसल दिया। 

"हाय रब्बा , क्यों मसल रही है नेहा। जीजू ने इन्हें रात भर वहशियों की मसला नोंचा है। दर्द के मरे मेरी छाती फट पड़ी थी। " शानू ने सिसक कर कहा। 

हम दोनों ने दो बड़े गिलास चॉकलेट मिल्क-शेक पी कर थोड़ी से ऊर्जा बड़ाई। 

" शानू, चाचू नसीम आपा के लिए बेताब हैं। नसीम आपा कब वापस आ रहीं हैं।" मैंने वापस शानू की चूचियों को मसला शुरू कर दिया। 

" दो एक घंटे में आतीं ही होंगी आपा ," शानू अपनी आँखें फैला के फुसफुसाई , " नेहा , आपा को नहीं बता पर रात में जीजू ने मुझसे एक बहुत गन्दी 

बात करने को कहा। "

" ऐसा क्या गन्दा काम करने को बोला जीजू ने तुझे ? " मैंने शानू की शमीज़ उतार कर फर्श पर फैंक दी। जैसे मुझे लगा था शानू ने कोई कच्छी नहीं 

पहनी थी। 

"तू भी तो उतार अपनी शमीज़ ," शानू ने भी मेरा इकलौता वस्त्र उतार फेंका। 

"अब बोल न कुतिया मेरी जान निकली जा रही जानने के लिये ," मैंने शानू के सूजे चुचूकों को बेदर्दी से मड़ोड़ दिया। 

शानू की चीख निकल गयी , "साली, जान तो तू मेरी निकल रही है। " फिर फुसफुसा कर बच्चों के तरह बोली , " जीजू ने जब मुझे तीन चार बार चोद 

लिया था तो मुझे बहुत ज़ोर से मूत लगने लगा था। जीजू बड़े प्यार से मुझे उठा कर बाथरूम में तो ले गए फिर उन्होंने हाय रब्बा कैसे कहूँ ?" लाल हो 

गयी। " यदि नसीम आपा को पता चल गया तो वो मुझे जान से मार डालेंगीं। 

" अरे कुतिया बता तो पहले। जो नसीम आपा करेंगी वो बाद में सोचना, " मैंने शानू के चूचियों को मुट्ठी में भींच कर मसल दिया। 

"नेहा, जीजू मेरा मूत पीने चाहते थे। मैं शर्म से मर गयी। पर जीजू नहीं माने। मैं बहुत गिड़गिड़ायी जीजू से ऐसा नहीं करने को। "

" अरे तो बता तो सही की तूने आखिर में अपना खारा सुनहरी शर्बत जीजू को पिलाया या नहीं? " मुझे शानू के बचपने पर हंसी भी आ रही थी और प्यार 

भी। 

" आखिर मैं कितना मना करती ? शानू शर्म से लाल हो कर धीरे से बोली। 

"अरे पागल , जब जीजू अपनी साली को बहुत प्यार करतें हैं तभी ही तो उससे उसके सुनहरे शर्बत पीने की गुहार लगतें हैं। तू तो बहुत प्यारी भोली बच्ची 

है। अब बता तूने कितना पिलाया जीजू को। "मैंने शानू की च्चियों को कास कर मसल रही थी। 

" अरे नेहा मैं कौन होती थी नाप-जोख करने वाली। जीजू ने एक बूँद भी नहीं ज़ाया होने दी। सारा का सारा सटक गए," शानू की आवाज़ में अचानक अपने

जीजू के ऊपर थोड़ा सा फख्र का अहसास होने लगा।

" और तूने अपने जीजू का शर्बत पिया या नहीं ? "मैंने एक हाथ को खाली कर शानू की सूजी चूत के ऊपर रख कर उसकी चूत को सहलाना शुरू कर 

दिया। 

" यदि जीजू चाहते तो मैं मना थोड़े ही करने। पर तब तक जीजू का लंड तनतना कर खूंटे की तरह खड़ा हो गया। जीजू ने ना आव देखा न ताव और मुझे 

वहीँ गोद में उठा कर मेरी चूत की कुटाई करने लगे। " शानू अपनी चुदाई के ख्याल से दमक उठी। 

" शानू , मैंने भी कल रात चाचू का खारा सुनहरा शर्बत दिल और पेट भर कर पिया। चाचू ने भी मेरा शर्बत आखिरी बूँद तक पी कर मुझे छोड़ा। " मैंने 

अपनी तर्जनी को धीरे से शानू की चूत में सरका दिया। शानू सिसक उठी। 

" हाय रब्बा। अब्बू और तूने और क्या-क्या किया ?" शानू अपने अब्बू के साथ मेरी चुदाई के किस्से सुनना चाहती थी।

" अच्छा छोड़ पहले चल नहा धो कर तैयार हो जातें हैं, नसीम आपा के आने से पहले।" मैं शानू को हाथ से पकड़ कर अपने कमरे के 

स्नानगृह में ले चली। 

मैंने और उसने एल दुसरे को खूब सहला सहला कर नहलाया। फौवारे की बौछार के नीचे हम दोनों कमसिन लड़कियां एक दुसरे के शरीर 

से खेलते खेलते वासना ग्रस्त हो गयीं। 

" शानू, तूने तो मुझे पूरा गरम कर दिया। अब चल मेरी आग बुझा। " मैंने शानू के साबुन के झागों से ढकी चिकनी चूचियों को मसलते 

हुए सिसकी मारी। 

"नेहा मेरी चूत भी पानी मार रही है। कुछ कर ना ," शानू भी पीछे नहीं रही और मेरे गदराये उरोज़ों को कास कर मसल रही थी। 

मैं समझ गयी कि मुझे ही पहल करनी पड़ेगी। 

मैंने पानी की बौछार में दोनों के बदन के साबुन को साफ़ करके शानू को धीरे से फर्श पर लिटा दिया। फिर मैंने विपरीत दिशा में मुड़ कर 

अपनी धधकती चूत को उसके खुले मुंह के ऊपर टिका दिया। जब तक शानू कुछ कहती मेरा मुंह उसकी चिकनी चूत के ऊपर चिपक 

गया। 

मेरी जीभ शानू के गुलाबी नन्हे पपोटों के बीच छुपे उसकी कमसिन चूत की गुफा में में दाखिल हो गयी। 

शानू सिसक उठी और उसकी ज़ुबान और होंठ भी मेरी चूत के सेवा में लग गए। मैंने शानू की चूत में एक उंगली डाल उसे चोदते हुए 

उसके भग-शिश्न [क्लाइटोरिस] को चूसने, चुब्लाने लगी। उसके चूत से बहते काम-रस की मीठी सुगंध मेरे नथुनो में भर गयी। मेरी चूत में 

से भी पानी बहने लगा। 

मैं शानू की चूत को उसके भगांकुर को चूस रही थी। शानू भी काम नहीं थी। उसने मेरे भाग-शिश्न को दांतों से हलके से दबा कर मेरी 

गांड में एक उंगली डाल दी थी। दूसरी उंगली मेरी चूत को खोद रही थी। 

स्नानगृह की दीवारें हम दोनों की सिस्कारियों से गूँज उठीं। 

अचानक शानू का बदन ज़ोर से अकड़ उठा और वो कस कर सिसकते हुए बोली , " काट मेरे भग्नासे को नेहा। चोद मेरे चूत। मुझे झाड़ 

दे जल्दी से। "

मैं भी कगार पर थी। मैंने शानू की चूत का तर्जनी मंथन तज़कर दिया और उसके भाग-शिश्न को दांतों से चुभलाते हुए जीभ से झटके देने 

लगी। 

शानू ने मेरे मलाशय का उंगली-चोदन की रफ़्तार बड़ा दी और मेरी चूत में धंसी उंगली से मेरी चूत की अगली दीवार को कुरेदते हुए मेरे 

भग्नासे को कस कर चूसने लगी। 

हम दोनों एक हल्की सी चीख मार कर एक साथ झड़ने लगीं। हम दोनों बड़ी देर तक वैसे हीचिपके लेती रहीं। 

आखिर में मैं शानू के ऊपर से उठी और उसके पास फर्श पर बैठ गयी। मैंने अपनी उँगलियाँ चाट कर उसके रति-रस का स्वाद चटखारे 

लेते हुए कहा, " कैसा लगा मेरी चूत का स्वाद। तेरी चूत का रस तो बहुत मीठा है शानू। "

"तेरी चूत भी बहुत मीठी है। अब तेरी गांड का स्वाद भी चख लूंगीं ," शानू ने मुस्करा कए मेरी गांड में से ताज़ी-ताज़ी निकली उंगली 

को कस कर चूस कर साफ़ कर दिया, " ऊम्म्म्म नेहा तेरी गांड का स्वाद भी बहुत अच्छा है। "

शानू की इस हरकत से मैं गनगना उठी। 

मैंने फुसफुसा कर कहा , "शानू मुझे भी अपना सुनहरी शर्बत पिला ना री। "

इस बार शानू शरमाई नहीं , " ज़रूर नेहा। तू भी मुझे अपना शर्बत पिलाएगी ना ?"

नेकी और बूझ-बूझ ? मैंने पहल की। शानू अब जीजू को पिलाने के तजुर्बे से सीख गयी थी। उसने अपनी धार को काबू में रख कर मेरा 

मुंह कई बार अपने सुनहरी मीठे-खारे शर्बत से भर दिया। मैंने भी चटखारे लेते हुए कितना हो सकता था पी गयी। फिर भी मैं शानू की 

मूत्रधार के स्नान से गीली हो गयी। 

शानू ने बिना झिझक मेरी झरने की सुनहरी धार को खुले मुंह में ले लिया। कई बार मुंह भरा और शानू ने बेहिचक गटक लिया। मैंने भी 

उसे अपने सुनहरे फव्वारे से नहला दिया।
हम दोनों खिलखिला कर हंस दी और फिर एक दुसरे को बाँहों में भींच कर खुले हँसते मुंह से बहुत गीला ,लार से लिसा चुम्बन देना शुरू 

किया तो रुके ही नहीं। 

आखिर में फिर से नहा कर मैंने थकी-थकी सी शानू को पौंछ कर सुखाया और उसे बाँहों में भर कर बिस्तर पर पलट लिया। हम दोनों 

समलैंगिक सम्भोग के अतिरेक से मीठी थकान से उनींदे हो गए। फिर पता नहीं कब वाकई सो गए।

" अरे ये दोनों छिनालें कहाँ छुप गयीं हैं ? मैं पांच मिंटो से घर में हूँ और दोनों का कोई पता नहीं है ?" हम दोनों नसीम आपा की सुरीली 

आवाज़ से जग गए। हम दोनों जब तक संभल या समझ पातीं की दोनों पूरे नगें है तब तक नसीम आपा का नैसर्गिक सौंदर्य हमारी आँखों को 

उज्जवल कर रहा था। 

" आपा आप कब आयीं ? "शानू से शर्मा कर सपने ऊपर चादर खींचने की कोशिश की। 

"अरे ढकने की क्या ज़रुरत है अब। दोनों ने पूरा तमाशा तो पहले ही दिखा दिया है। अब ढकने को रह ही क्या गया है ? "नसीम आपा ने लपक 

कर बिस्तर पे चढ़ गयी और हम दोनों की बीच लेट गयीं। 

"मेरी प्यारी छोटी बहन तुझे कितने दिनों बाद देखा है ," नसीम आपा ने मुझे बाँहों में भर कर मेरे खुले मुस्कराते मुंह को ज़ोर से चूम कर कहा। 

मैं भी नसीम आपा की बाँहों में इत्मीनान से शिथिल हो गयी, " देख तो तेरी चूचियाँ कितनी मोटी और बड़ी हो गयीं है री। किस से मसलवाते हुए 

चुदवा रही है तू ?" नसीम आपा ने मेरी दोनों चूचियों को अपने हांथों में भरते हुए पूछा। 

"आपा आपकी चट्टानों जैसी चूचियों से तो बहुत पीछे हैं मेरी दोनों। जीजू ने खूब मसल मसल कर कितना बड़ा और उन्नत कर दिया है दोनों को 

"मैंने भी नसीम आपा की दोनों महा-चूचियों को सहलाते हुए कहा। 

नसीम आपा मुझे तीन साल बड़ी थीं। उनकों उन्नीसवां लगने वाला था एक महीने में। उनका गदराया बदन पहले से ही पूरा भरा-भरा था पर शादी 

के छह महीनो में तो और भी गदरा गया था। उनके उन्नत उरोज़ कुर्ते से फट कर बहार आने के लिए मचल रहे थे। 

"नसीम आपा अब आपकी बारी है जीजू के हाथों के कमाल को दिखने की ," मैंने पलट कर आपा को अपनी बाँहों में भर लिया ,"चल शानू देख 

क्या रही है। चल आपा को नंगा कर। "

नसीम आपा ने थोड़ा बहुत मुकाबिला किया पर उनका मन भी अपनी छोटी बहनों को नंगा देख कर मचल उठा था, " देखो, चुड़ैलों, खुद नगें हो 

कर लिपट कर बिस्तर में लोट पोट करती हो और ऊपर से अपनी आपा को भी खींचने की कोश्सिश कर रही हो अपने नंगेपन में। ?

पर जल्दी ही उनका कुरता फर्श था। उनकी से उनके विशाल उरोज़ मुश्किल से संभल पा रहे थे। शानू ने उनकी ब्रा उतार फेंकी और मैंने उनकी 

सलवार का नाड़ा खोल कर उसे उतार कर अलग कर दिया। 

जब तक नसीम आपा नाटकीय विरोध करतीं मैंने उनकी सफ़ेद कच्छी भी खींच कर उन्हें सम्पूर्ण नग्न कर दिया। 

नसीम आपा का यौवन भगवान ने समय लगा कर खूब मन लगा कर बहाया होगा। 

पांच फुट पांच इंच लम्बी , पूरे भरे कमनीय सुडौल शरीर की मलिका , देवी सामान सुन्दर गोरा चेहरा, घुंघराले लम्बे काले बाल -यदि नैसर्गिक 

सौंदर्य का कोई नाम देना होता तो मैं उसे " नसीम आपा ' का ख़िताब दे देती। 

नसीम आपा के उरोज़ों को उठान उनकी गोल भरे-बाहरी थोड़े से उभरे उदर के नीचे घने घुंघराले झांटों से भरी ढंकी उनकी योनि और फिर केले के 

तने जैसे गोल मटोल जांघें। क़यामत ढाने वाला सौंदर्य था नसीम आपा का। 

नसीम आपा ने मौका देख कर मुझे और शानू एक एक बाज़ू में दबा कर चिट बिस्तर पर लेट गयीं। 

"अच्छा अब बता किस लंड से चुदवा कर तू इतनी गदरा गयी है मेरी नेहा ," नसीम आपा ने मेरी नाक की नोक को चूमते हुए कहा। 

" आपा नेहा की कुंवारी चूत बड़े मामा ने चोदी है। उसके बाद सुरेश चाचू ने भी इसकी खूब चुदाई की है। " शानू ने जल्दी से मेरे चुदाई-अभियान 

की शुरुआत का ब्यौरा कर दिया।

"शानू आपा को पहले ये बता कि तेरी कुंवारी चूत को कल किसने चोदा है ?" मैंने झट से नसीम आपा का ध्यान बेचारी शानू की तरफ कर दिया। 

" क्या वाकई नेहा ? शानू तूने आखिर में अक्ल का इस्तेमाल कर ही लिया। सच बता तूने अपने जीजू को अपनी चूत वाकई सौंप दी या नहीं ?" 

नसीम आपा ने चहकते हुए ज़ोर से पूछा। 

"हाँ आपा , कल नेहा ने जीजू को मेरे लिए मना लिया ," शानू ने शरमाते हुए कहा। 

" अरे फिर शर्मा क्यों रही है। आखिर तेरे जीजू ने कितना इंतज़ार किया है तेरे लिए। चल बता खूब चोदा क्या नहीं आदिल ने ?" नसीम आपा ने 

शानू के दोनों नीम्बुओं को मसलते हुए चिढ़ाया। 

"हाय आपा , आदिल भैया ने.... नहीं नहीं मेरा मतलब जीजू ने ना जाने कितनी बार मुझे पहले दिन चोदा। बहुत बेदर्दी से चोदते हैं जीजू ," 

शानू का सुंदर दमकते हुए चेहरे की मुस्कान कुछ और ही कह रही थी। 

" अरे आदिल ने दूसरी साली को क्यों छोड़ दिया ? " नसीम आपा ने मेरी और देखते हुए पूछा। 

"छोड़ा कहाँ आपा। पहले पहल तो मेरी चूत की ही कुटाई हुई। चूत की ही नहीं मेरी गांड का भी भरकस बना दिया जीजू ने, " मैंने नसीम आपा 

के भरी मुलायम उरोज़ों को सहलाते हुए बताया। 

" हाय नेहा तूने गांड भी मरवा ली अपने जीजू से !" नसीम आपा ने मेरी बायीं चूची ज़ोर से मसलते हुए मुझे चूम लिया।

"हाँ आपा , आपकी इस नालायक छोटी बहन ने ये ही शर्त रखी थी। कि यदि मैं जीजू से गांड मरवा लूंगी तो ये महारानी अपने जीजू को अपनी 

चूत मारने देगी ," अब हाथ फैला कर नसीम आपा के केले के तने जैसे चिकनी गदराई रान को सहलाते हुए कहा। 

" तो रात में तुम दोनों की खूब कुटाई की मेरे आदिल ने?" नसीम आपा ने हल्की सी सिसकारी मारी। मेरे हाथ अब उनके प्रचुर यथेष्ठ नितिम्बों पर 

थे। 

" नहीं जीजू को मुझे अकेले ही सम्भालना पड़ा। तभी तो मेरी हालत बिलकुल इतनी ढेली कर दी जीजू ने ," शानू ने जल्दी से सफाई दी। 

" तो तू फिर कहाँ थी ?" नसीम आपा ने स्वतः ही असली मुद्दा उठा दिया। 

" आपा कल मेरी कुटाई चाचू कर रहे थे ," मैंने बम फोड़ दिया। 

इस बात के धमाके से नसीम आपा की बोलती कुछ देर तक बंद हो गयी।

कुछ देर बाद ही नसीम आपा बोल पाईं , "हाय रब्बा, नेहा तूने वाकई अब्बू के साथ चुदाई की कल रात ?" 

"नसीम आपा क्या बताऊँ चाचू बेचारे इतने महीनों से भूखे थे की उन्होंने मेरी चूत और गांड की तौबा बुला दी अपने घोड़े जैसे लंड से ठोक 

ठोक कर। " मैंने नसीम आपा की भारी हो चलीं साँसों को नज़रअंदाज़ करते हुए कहा। 

" नेहा मुझे कितना रश्क हो रहा है इस वक्त। मैं थोड़ी सी भी बहादुर होती तेरी तरह तो कब की अब्बू के कमरे में जा चुकी होती। काश मैं 

अपने प्यारे अब्बू के अकेलेपन को अपनी जवानी से दूर कर पाने की हिम्मत जुटा पाती। इस बेटी की जवानी का क्या फायदा जब जिस 

अब्बू ने इसे जनम दिया उसी अब्बू के काम ना आये तो ? " नसीम आपा बहुत भावुक हो गयीं। 

" नसीम आपा ज़रा मेरी बात सुने पहले। मैंने कल चाचू के साथ बहुत खुल कर बात की और........ " और फिर मैंने नसीम आपा को 

पूरा किस्सा सुना दिया। 

नसीम आपा खिलखिला उठीं , "हाय अल्लाह की नेमत है तू नेहा। वाकई अब्बू की मेरे लिए चाहत इतने सालों से दबी हुई थी। मैं जैसे 

तूने मंसूबा बनाया है वैसे ही चलूंगी। " 

अचानक हम तीनों एक दुसरे से लिपट कर रोने लगे। लड़कियों की इस क़ाबलियत का कोई मुकाबिला नहीं कर सकता। जब दुखी हों तो 

रों पड़ें और जब बहुत खुश हो तो भी रों पड़ें। 

जब हम तीनो का दिल कुछ हल्का हुआ तो हम तीनों पागलों की तरह खिलखिला कर हंस पड़ीं। और बड़ी देर तक हंसती रहीं। 

काफी देर बाद नसीन आपा ने कहा ,"नेहा तू मुझे सारी रात का ब्यौरा बिना एक लफ्ज़ काम किये दे दे। मुझे खुल कर बता कि कैसे 

कैसे अब्बू ने तुझे चोदा और क्या क्या कहा। उन्हें क्या ज़्यादा अच्छा लगता है और कैसे तुखसे उन्होंने करवाया। कुछ भी नहीं छुपाना। 

पूरा खुलासा दे दे नेहा। मेरा सब्र अब टूटने वाला है। "

मुझे नसीम आपा के अपने अब्बू के लिए इतना प्यार देख कर रहा नहीं गया। मैंने चाचू और अपने बीच हुए घनघोर लम्बी चुदाई का पूरा 

खुलासा देना शुरू कर दिया।
नसीम आपा पीठ पर लेते दोनों हाथों और टांगों को फैलाये गहरी गहरी साँसे ले रहीं थीं। समलैंगिक प्यार की उत्तेजना किसी 

और सम्भोग की उत्तेजना का मुकाबिला कर सकती है। मैंने एक बार फिर से नसीन आपा के गदराये लुभावने शरीर के रस का 

नेत्रपान किया। साढ़े पांच फुट का कद। सत्तर किलो का गुदाज़ बदन। चौड़े गोल कंधे। गोल सुडौल बाहें। केले के तने जैसी 

गोरी गोल भरी-भरी जांघें। भरी-भरी पिंडलीं। सुडोल टखने। नसीम आपा के वज़न का हर किलो हुस्न में इज़ाफ़ा कर रहा था। 

तब मैंने पहली बार गौर किया कि उनकी फ़ैली बाँहों की बगलें रेशमी बालों से ढकीं थीं। शानू और मैं आपा के दोनों तरफ 

उनकी बाँहों में मुंह छुपा कर लेट गयीं। 

" आपा अपने अपनी बगलों में रेशमी जंगल कब से उगने दिया ?" मैंने उनकी फड़कते उरोज को सहलाते हुए पूछा। 

आपा हंस दीं , मंदिर की घंटियों जैसी मधुर संगीत भरी हंसी , " नेहा मैंने गलती से शब्बो बुआ से शर्त लगा ली। तुझे तो 

पता है हमारी बुआ की बगलों में उनके घुंघराले रोमों से भरी हैं। उन्होंने मुझे उकसा दिया। और मैंने बुद्धुओं के जैसे गलत 

शर्त लगा ली कि मैं भी अपनी बगलों में उनके घने बगलों जैसे रोएं ऊगा सकती हूँ। पर अब मुझे पता लग रहा है कि पहले तो 

मेरे रोएं सीधे है जब कि बुआ के सूंदर घुंघराले हैं। और मेरी बगले बड़ी मुश्किल से भर रहीं हैं। लगता है मैं बुरी तरह हारने 

वालीं हूँ। "

" आदिल भैया यानि जीजू को मेरी बड़ी बहन की भरी बगलें कैसे लगीं ?" मैंने अपना मुंह आपा की बगल में दबा दिया।

हमारे लम्बे समलैंगिक सम्भोग और प्यार की गर्मी और मेहनत से हम तीनो के बदन पसीनों की बूंदों से चमक रहे थे। मेरे 

नथुनों में आपा की मोहक सुगंध समां गयी। 

" अरे नेहा बुआ मुझे पक्का वायदा दिया था कि आदिल तो होश गवां देंगें मेरी बगलों को देख कर। और वही हुआ। 

आदिल मुझे चोदते हुए मेरी बगलों को बिना थके चूस चूस कर गिला कर देतें हैं। " नसीम आपा ने मेरे चुचूक को मसलते हुए 

बताया। 

शानू ने भी अपनी बड़ी बहन के दुसरे उरोज को मसलते हुए रोती से आवाज़ में कहा , " मेरी बगलों में रेशा भी नहीं है। "

" मेरी रांड कमसिन नन्ही बहन तेरी तो अभी झाँटें उगना भी नहीं शुरू हुईं है। इन्तिज़ार कर। जब तेरे जीजू तेरी झांटों को 

देखेंगें तो पागल हो जाएंगें। तेरी चूत को चोद - चोद कर फाड़ देंगें। "

शानू ने नसीम आपा के बगलों के रेशों को चूसते हुए बड़ी बहन का ताना बेशर्मी से हँसते हुए सहा ," आपा मेरी चूत फाड़ने 

का तो अब पूरा हक़ है जीजू को। "

मेरे हाथ बहकते हुए आपा के घनी घुंघराली झांटों से ढकी कोमल चूत की फांकों को सहला रहे थे। नसीम आपा सिसक उठी 

, " आह नेहा धीरे ," मैंने उनके उन्नत भाग-शिश्न को मसल दिया था। 

शानू ने मेरा साथ देते हुए आपा के उरोज के ऊपर आक्रमण बोल दिया। शानू ने अपनी बड़ी बहन के चुचूक को कस कर 

चूसना शुरू कर दिया। और शानू अपने नन्हें दोनों हाथों से उनके भरी विशाल स्तन को कस कर मसले भी लगी। 

आपा सिसक उठीं , " हाय तुम दोनों छिनालों को सब्र नहीं है क्या? अभी कुछ लम्हों पहले ही तो मुझे घंटे भर रगड़ा है तुम 

दोनों ने। "

आपा ने शिकायत तो की पर उन्होंने एक हाथ से अपनी छोटी बहन का मुंह अपने फड़कते उरोज के ऊपर और दुसरे से मेरे

हाथ को अपने चूत के ऊपर दबा दिया। 

मैंने अपनी दो उँगलियाँ आपा की गुलाबी चूत के सुरंग में घुसाते हुए अपने अंगूठे से उनके मोठे सूजे भग-शिश्न [ क्लिटोरिस 

] को लगी। 

आपा की सिसकारी कमरे में गूँज उठी। 

नसीम आपा के होंठ खुल गए। उनके अध-खुले लम्बी-लम्बी भरी साँसें उबलने लगीं। मेरी उत्सुक उँगलियों ने नसीम आपा 

नसीम आपा की रेशमी चिकनी योनि की सुरंग के आगे की दीवार पे छोटा खुरदुरा स्थल ढूंढ लिया और उसे तेज़ी से सहलाने 

लगीं। नसीम आपा के बड़े गुदाज़ चूतड़ बिस्तर से उठ कर चहक गए। 

" हाँ हाय रब्बा ऐसे ही.... नेहा ,,...... उन्न्नन्नन हाँ ज़ोर से ....... उन्न्नन्नन्न ," नसीम आपा सिसकारियों ने हम दोनों को 

और भी उत्साहित कर दिया। 

थोड़ी देर में ही नसीम आपा की हल्की से चीख निकल गयी और उनका गुदाज़ बदन ऐंठ गया। नसीम आपा भरभरा कर झड़ 

रहीं थीं। 

मुझे अचानक बहुत ही उत्तेजक विचार आया।

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RE: नेहा का परिवार : लेखिका सीमा do not comment till posting complete story - by thepirate18 - 23-07-2019, 06:40 PM



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