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Adultery नेहा का परिवार : लेखिका सीमा Completed!
#35
Update 31

अकबर चाचू और शन्नो मौसी

सासु माँ के जाते ही मैंने ईशा को फिर से दबा लिया। उसके दोनों चुचों को मसलते हुए शन्नो को चिढ़ाया, "देखो छोटी साली साहिबा 

अपनी मझली आपा को, कितना मज़ा आ रहा है इन्हे । "

"तो आप दीजिये न उसे और मज़ा। मेरे पीछे क्यों पड़े है फिर। "शन्नो ने मटक कर कहा। 

मैंने ईशा के कुर्ते के अंदर हाथ डाल दिए। उसने हमेशा कि तरह अंगिया या चोली नहीं पहनी थी। 

"जीजू उस खाली कमरे में चलिए, उसमे पलंग भी है । यहाँ भरोसा नहीं कब कोई ना कोई आ जाये ," मैंने ईशा के दोनों उरोज़ों को 

मसलते हुए शन्नो को नज़रअंदाज़ कर दिया। ईशा को धकेलते हुए मैं उसे कमरे में ले गया। देखा तो शन्नो भी धीरे धीरे अंदर आ रही थी। 

"मैं सिर्फ अम्मी की वजह से यहाँ हुँ. उन्होंने हम दोनों को जीजू का साथ देने के लिए बोला था। लेकिन मुझसे कोई और उम्मीद नहीं 

रखियेगा ?" शन्नो ने लचक कर हाथ मटकाए। 

तब तक ईशा के हाथ मेरे सिल्क के पजामे के ऊपर से मेरे लंड को सहला रहे थे। 

मैंने बेसब्री से ईशा का कुरता खींच कर उतार दिया। उसका सलवार के ऊपर का नंगा गोरा बदन बिजली में चमक रहा था।

"जीजू अभी तो मुझ से ही काम चला लीजिये। जब आप रज्जो अप्पा को देंखेंगे तो बेहोश हो जायेंगें।" ईशा ने सिसकारते हुए कहा, "अरे 

नासमझ निगोड़ी कम से कम थोड़ा दिमाग से काम ले और दरवाज़ा तो अच्छे बंद कर दे। " ईशा ने छोटी बहन को लताड़ा। 

शन्नो ने जल्दी से दरवाज़ा बंद दिया। 

मैंने ईशा को पलंग पर खींच अपनी गोद में बिठा कर उसके मीठे होंठों को चूसते हुए उसके कुंवारे उरोज़ों को मसल मसल कर लाल 

करने लगा। मैंने ईशा कई बार कपड़ों के ऊपर से मसला और रगड़ा था **** पर उसे पूरा नंगा करने का कभी मौका नहीं मिला था। 

उसके गोल गोल गदराये नितिम्ब मेरे लंड को रगड़ रहे थे। 

शन्नो एक टक इस सम्भोग को देख रही थी। 

अब मुझसे इन्तिज़ार नहीं हो पा रहा था। मैंने ईशा की सलवार खोल कर अपना हाथ उसकी जांघों के बीच में घुसा दिया। उसकी नन्ही 

से जाँघिया पूरी भीगी हुई थी , "हाय अल्लाह ! जीजू देखो न मेरी चूत कितनी गीली है। यह सारा दिन आपके बारे में सोच सोच कर 

कितना पानी छोड़ चुकी है। "

ईशा ने होंठ मेरे होंठो से चिपका कर मेरी जीभ से अपनी जीभ भिड़ा दी। उसने अपने आप अपनी जांघे चौड़ा कर मेरे हाथ को पूरी 

इजाज़त दे दी अपनी चूत को सहलाने की। 

ईशा के चूत पर उस वक्त सिर्फ कुछ रेशमी रोयें ही उग पाये थे। मैंने उसके गुलाब के कलियों जैसे फांकों को खोल कर उसकी कुंवारी 

चूत के दरवाज़े को सहलाते हुए उसकी चूत की घुंडी को रगड़ते हुए मैंने ईशा के होंठो को दांतों से काटने लगा। 

"जीजू , अब नहीं रहा जाता। जीजू अब चोद दीजिये हमें। " ईशा कुनमुना कर सिसकारते हुए बोली। 

मैंने जल्दी से अपने कपड़े उतार कर दूर किये। 

"अल्लाह, जीजू आपका घोड़े जैसा है। यह तो हमारी चूत फाड़ देगा ," ईशा बुदबुदाई। 

"दर्द तो होना ही है ईशा रानी। बताइये चुदवाना है की नहीं? "

मैंने बोलते ईशा की सलवार को एक झटके से उतार कर दूर फैंक दी। उसकी नहीं सी जाँघिया उसके चूत के रस से लबालब गीली थी। 

मैंने ईशा की जांघो को फैला कर उनके बीच में घुटनों पर बैठ गया।

मैंने अपने लंड के मोटे सुपाड़े को उसकी कुंवारी चूत ले रगड़ते हुए ईशा से पूछते हुए कहा, "सासु माँ ने कुछ समझाया या नहीं?"

"जीजू हाँ मम्मी ने जब रज्जो आपा को समझाया की पहली चुदाई कैसे दर्दीली होती है तो मैं भी वहां थी। मुझे पता है की पहली चुदाई में 

दर्द तो होना ही है। पर उन्होंने औसतन लंड का नाप बताया था उस नाप से से तो आपका लंड मोटा है। लगभग दढाई गुना या तिगना 

लम्बा और मोटा है। ऐसा लंड तो मैंने सिर्फ घोड़े के नीचे देखा है। " ईशा कसमसा रही थी। उसके चूतड़ खुदबखुद ऊपर मेरे लंड की 

तरफ हिल रहे थे। 

"तो साली साहिबा मैं आपको चोदूँ या नहीं, " मैंने बेददृ से नन्ही कमसिन ईशा को चिढ़ाया। मुझे मालूम था की उस तक ईशा का बदन 

वासना से गरम हो गया था। उसका मेरे लंड के लम्बे मोटे होने के डर की झिझक उसके गर्मी से हार मान लेगी। 

"जीजू आप चोदिये। अल्लाह रहमत करेगा। चूत फटनी है तो फटेगी ही ," ईशा की चूत से एक रस की धार बह रही थी। 

मैंने सुपाड़े को ईशा की कुंवारी कमसिन चूत की तंग सुरंग के मुहाने में फंसा कर अपने पूरे वज़न से उसके ऊपर लेट गया। मैंने होंठों को 

अपने होंठों से दबा कर एक ज़बरदस्त धक्का लगाया। मेरा लंड सरसरा कर उसकी चूत में घुस गया। ईशा का बदन कांप उठा।

ईशा की चीख़ यदि मैंने अपने मुंह से नहीं दबाई होती तो सारे दालान में गूँज जाती। मैंने ईशा के बिलबिलाने की परवाह नहीं करते हुए 

एक के बाद एक तूफानी धक्के लगाते हुए अपना सारा लंड उसकी कुंवारी चूत में जड़ तक ठूंस दिया। 

मैंने ईशा के चूचियाँ मसली और उसके सुबकते मुंह को अपने मुंह से दबाये रखा। थोड़ी देर उसे आराम देने के बाद मैंने अपना लंड आधा 

बाहर निकला और फिर से ईशा की चूत में ठूंस दिया।। ईशा की चूत से उसकी कुंवारी चूत के पहली बार लंड से खुलने की वजह से 

फट गयी । ईशा के कुंवारेपन के खात्मे की फतह लगा उसकी चूत से बहती लाल धार बिस्तर पर फ़ैल कर सफ़ेद चादर को लाल कर 

उसके औरत बनने का रंग फैला रही थी । 

ईशा के कंवारी चूत से निकले खून ने मेरे लंड को चिकना कर दिया । मैंने सुपाड़े तक लंड को बाहर निकाल दो तूफानी धक्कों से जड़ 

तक उसकी चूत में फिर से डाल दिया। 

ईशा का पूरा बदन कांप रहा था। उसकी आँखों से आंसू बह रहे थे। उसकी सुब्काइयां मेरे मुंह के अंदर ताल बजा रहीं थीं। मैंने अब 

उसकी चूत मारनी शुरू कर दी। 

एक धक्के के बाद एक मैं आधा या पूरा लंड निकला कर ईशा की चूत में पूरी ताकत से ठूंस रहा था। करीब दस बारह मिनटों के बाद 

ईशा की सुब्काइयां और घुटी घुटी चीखें सिस्कारियों में बदल गयीं। अब उसकी आँखों में आंसुओं के अलावा एक औरताना चमक थी। 

उसने अपनी बाहें मेरी गर्दन पे डाल कर मुझसे कस कर लिपट गयी। 

"जीजू ……………….. आअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह …………… उउउन्न्न्न्न्न्न्न्ह्ह्ह्ह्ह आअरर्र्र्र्र …………. ज्ज्जीईई जूऊऊऊऊओ ………,” ईशा की 

सिस्कारियां मेरे लंड को और भी सख्त और बेताब बना रहीं थी। 

मेरा लंड अब सटासट ईशा की चूत मार रहा था। ईशा ने अचानक हल्की सी चीख मार कर मुझसे और भी ताकत से लिपट गयी, 

"जीजूऊऊ मैं झड़ गयी। अल्लाह कितना लम्बा मोटा है आपका लंड। चोदिये मुझे जीजूऊऊओ ……………….. उउन्न्न्न्ह्ह्ह्ह्ह 

………………. आअन्न्न्न्ग्घ्ह्ह्ह ………… ,"ईशा की सिस्कारियां शुरू हुईं तो बंद ही नहीं हुई। 

मैंने उसकी चूत के चूडी के रफ़्तार और भी तेज़ कर दी। मेरा लंड अब उसकी कुंवारी चूत में रेलगाड़ी के इंजिन तरह पूरे बाहर आ जा 

रहा था। मैंने लगभग घंटे भर ईशा की कुंवारी चूत बेदर्दी और हचक कर मारी । ईशा न जाने कितनी बार झड़ चुकी थी। उसकी उम्र ही 

क्या थी। जब ईशा आखिरी बार भरभरा के झड़ी तो कामुकता की त्तेजना से बेहोश हो गयी । मेरा लंड उस की चूत में उबल उठा। मैंने 

ईशा की कमसिन चूत को अपने गर्म वीर्य से भर दिया। 

जब मैंने ईशा की चूत से अपना लंड बाहर निकला तो मेरे वीर्य, ईशा की चूत के रस उसकी कुंवारी चूत के फटने का खून भी बहने 

लगा। शन्नो की आँखे फटी हुई थी। उसने हिचकिचाते हुए पूछा , "जीजू ईशा, आप ठीक तो हैं ना ?"

"शन्नो घबराओ नहीं। जब कुंवारी लड़की की हचक के लम्बी चुदाई हो और वो कई बार झड़ जाये तो कभी कभी उस बेहोशी तारी हो 

जाती है । 

जैसे मुझे सही साबित करने के लिए जैसे ईशा ने सही वक्त चुना। उसने अपनी आँखे फड़फड़ाईं और मुझसे लिपट गयी। 

"मेरे जीजू। मेरे अच्छे जीजू। कितना मज़ा दिया आपने। अम्मी ने बताया था की दर्द के बाद कितना मज़ा आता है पर मुझे नहीं पता 

था की इतना मज़ा आएगा। जीजू जब मैं रज्जो आपा को आपके लंड के बारे में बताऊँगी तो वो बेसब्री से आपसे चुदने का इन्तिज़ार 

करेंगी।" ईशा की ख़ुशी का ठिकाना ही नहीं था। 

" जीजू आप मुझे और चोदेंगे ?" ईशा ने बचपन के भोलेपन से पूछा। 

'साली जी इस लंड को देखिये और फिर पूछिए यह सवाल ,"मैंने उसका हाथ अपने फिर से तन्नाये लंड के ऊपर रख दिया। 

मैंने ईशा को बिस्तर पर धकेल कर एक बार फिर से उसकी चूत में अपना लंड जड़ तक ठूंस कर उसकी चूत लगा। 

इस बार चीखें सिर्फ कुछ धक्कों के बाद ही सिस्कारियों में बदल गयीं। 

मैंने उसे एक और लम्बी चुदाई से कई बार झाड़ा। जब मैं दूसरी बार उसके चूत में झड़ा तो उसने मुझे चूम चूम कर मेरा सारा से गीला 

कर दिया। 

उस रात मैंने ईशा की चूत दो बार और मारी। जब उसने लड़खड़ाते हुए कपड़े पहने तो मैंने उसे चूम कर कहा, "ईशा रानी अगली बार 

आपकी गांड का ताला खोलेंगे। " 

"अल्लाह आपके फौलादी घोड़े के लंड ने मेरी चूत का यह हाल कर दिया है तो मेरी गांड की तो तौबा ही बोल जाएगी।" ईशा ने ऊपर 

से तो ना नुकर की पर उसकी आँखे कुछ और ही कह रहीं थीं।

अगले दिन जब ईशा टाँगे फैला कर अजीब से चल रही थी तो सासु और रज्जो दोनों मेरी ओर देख कर मुस्कुरायीं। 

"दामाद बेटा कैसी रही ईशा के साथ बातचीत ? " सासु माँ बड़ी ही हसमुख थीं। 

"अम्मी ईशा के साथ बातचीत बहुत हे रसीली थी। आखिर बेटियां किसकी हैं ?"मैंने सासु को चूम लिया। उन्होंने मेरी बालाएं 

उतारीं। 

"मैंने रज्जो को समझा दिया है। वो शन्नो को या तो मना लेगी नहीं तो पकड़ के दबा देना अपने नीचे। एक बार खाने के बाद 

कभी भी मना नहीं करेगी। " मैंने सासु अम्मी का हाथ दबा कर उनके अहसान के लिए शुक्रिया अदा किया। 

वापसी में लिमोज़ीन में रज्जो, शन्नो और मैं थे। बीच में काला शीशा था। मैंने रज्जो के चूचियों को मसलना शुरू कर दिया।

"हाय अल्लाह, कुछ तो सबर कीजिये। घर पहुँच कर आप मुझे छोड़ थोड़े ही देंगे। वैसे भी कल रात ईशा के साथ सारी रात 

चुदाई की थी आपने। " रज्जो ने मुझे चूमते हुए कहा। उसका एक हाथ मेरे लंड को निकाह के चूड़ीदार पजामी के ऊपर से 

सहला रहा था। 

"रज्जो रानी तुम्हरी मझली बहन का तो जवाब ही नहीं है। उसकी रसीली कुंवारी चूत मारके के लगा की जन्नत में पहुँच गया । 

अब तो मेरा दिमाग तुम्हारी चूत की चाहत से बेचैन है। " मैंने बेगम के बड़े बड़े बड़े भारी उरोज़ों को उसके सिल्क के निकाह 

के कुर्ते के ऊपर से मसला। 

"आखिर बेटी तो अम्मी की है।"रज्जो ने शन्नो की तरफ देख कर कहा , "सुना शन्नो तूने जीजू को बिलकुल मना कर दिया 

मस्ती करने से ?"रज्जो ने सिसकारते हुए कहा। मेरी उँगलियाँ उसकी चूत को कपड़ों की कई परतों के ऊपर से रगड़ रहीं थीं। 

"आपा मुझे नहीं मस्ती करवानी अभी। मैं तो इन्तिज़ार करूंगी और। आप और ईशा करिये मस्ती जीजू के साथ," नन्ही शन्नो 

बिलकुल भी मान के नहीं दे रही थी। 

"आप फ़िक्र ना करें यदि शन्नो खुद नहीं मानी तो उसे पकड़ के ज़बरदस्ती रगड़ दीजियेगा। आपको अम्मी के खुली छूट है 

,"रज्जो ने सिसकते हुए अपनी सबसे छोटी बहन को घूर कर देखा। शन्नो ने जीभ निकल कर चिढ़ाया। 

*****

घर पर हमारा सुहागरात का कमरा फूलों से सजा हुआ था। रज्जो के साथ पहली चुदाई मुझे कभी भी नहीं भूलेगी। उस रात हम 

दोनों ने सारी रात दनादन चुदाई की। 

दुसरे दिन हम हनीमून के लिए गोवा गये। जैसा तय था शन्नो हमारे साथ चली। हमारे ' हनीमून सुइट' के साथ शन्नो का कमरा 

था। पर रज्जो ने ईशा को अपने सुइट में हे रखा। आखिर उस सुईट में तीन कमरे थे। 

पहली रात रज्जो ने मेरा लंड चूसते हुए शन्नो दिखाया कि लंड कैसे चूसा जाता है। 

शन्नो ने आखिर में झिझकते हुए मेरा लंड अपने नन्हे हाथों में थाम लिया। रज्जो ने उसे बहला फुसला कर मना लिया और 

शन्नो ने मेरा लंड अपने हाथो से अपनी आपा की चूत में डालने को तैयार हो गयी। 

रज्जो ने धीरे धीरे उसके कपड़े उतरवा दिए। फिर जब मैं घोड़ी बना कर शानू की अम्मी को चोद रहा को खींच कर रज्जो ने 

अपनी नाबालिग अल्पव्यस्क कमसिन नन्ही बहन शन्नो अपने सामने लिटा लिया और उसकी अविकसित नन्ही चूत को चूसने 

चाटने लगी। अब कमरे में दो लड़कियों की सिस्कारियां गूंजने लगीं। 

शन्नो को पहली बार झड़ने के मज़े का अहसास हुआ। 

शन्नो एक ही रात में बिना शर्म के मेरे लंड से खेलने लगी। मैंने जब रज्जो की गांड का उद्घाटन किया तो शन्नो ने मेरे साथ 

अपनी बड़ी बहन की गांड मन लगा कर चूसी। 

जब रज्जो कुंवारी गांड मरवाते हुए चीखी चिल्लाई और बिलबिला कर लंड निकलने की गुहार मचा रही थी तो शन्नो इस बार 

ईशा की चुदाई के जैसे घबराई नहीं। बल्कि वो रज्जो को चूमने लगी और उसके चूचियों को मसलने लगी। 

आखिर रज्जो भी गांड के दर्द कम होने के बाद हचक कर अपनी गांड चुदवाने लगी।

मैंने रज्जो की गांड मारने के बाद अपने लंड को शन्नो के मुंह में ठूंस दिया। मुझे एतबार ही नहीं हुआ शन्नो में कितना बदलाव आ गया 

बिना ज़ोर ज़बरदस्ती किये। उस दिन रज्जो ने उसे मेरे लंड को चूसने के लिए मना लिया। अब हम दोनों को पता था कि किला फतह 

होने में देर नहीं है। 

हमने उस दिन शन्नो को खूब खरीदारी कराई। हमने खाने के जगह भी उसकी पसंद पर छोड़ दी थी। 

उस रात शन्नो खुद ही अपने कपडे उतार कर हमारे बिस्तर में चली आयी। 

मैंने और रज्जो ने उसकी चूचियों और चूत को चूस कर उसे बहुत गरम किया पर झड़ने नहीं दिया। बेचारी तड़प तड़प कर झड़ने के 

लिए बेताब हो गयी। 

"शन्नो यदि झड़ना है तो जीजू के लंड चुदवा ले ,"रज्जो ने उसकी उगती चूचियों की घुंडियों को मसलते हुए कहा। 

मैं उसकी चूत की घुंडी को मसल रहा था। 

आखिर में शन्नो ने वासना की आग में जलते हुए हामी भर ली। मैंने इशारा किया और रज्जो ने अपने भारी जांघे शन्नो के सर के दोनों 

ओर रख केर उसके मुंह को अपनी चूत से दबा लिया , "मेरी छुटकी बहन यदि मेरे खाविंद के लंड से चुदवाओगी तो कम से कम मेरी 

चूत तो चाट लो। "

मैंने सही मौका देख कर शन्नो की चूत के ऊपर धावा बोल दिया। बेचारी के किशोरावस्था लगने में अभी कुछ महीनों के देरी थी। पर 

उसके कमसिन गरम चूत के गर्माहट मेरे लंड को जला रही थी। 

मेरा लंड का मोटा सुपाड़ा जैसे ही उसकी कुंवारी चूत में दाखिल हुआ तो बिलबिला उठी शन्नो दर्द से। पर रज्जो ने उसे दबा कर 

मुझसे कहा ," रुक क्यों गए आप। बिना रुके ठोक दीजिये पूरा लंड इसकी चूत में। दर्द तो होना ही है। जितनी जल्दी सारे दर्द का 

अहसास इसे हो जाये उतना अच्छा। "

मैंने बेदर्दी से बिल्बलाती शन्नो की चूत में चार पांच धक्कों से अपना हाथ भर लम्बा बोतल जैसा मोटा लंड जड़ तक ठूंस दिया। शन्नो 

बेचारी की चीखें उसकी बड़ी बहन की चूत में डूब गयीं। उसका तड़पता बदन मैंने बिस्तर पे दबा दिया और दनादन उसकी चूत में 

अपना लंड पेलने लगा। मेरा लंड अब शन्नो की कुंवारी चूत के खून से लस कर चिकना हो गया। मैंने उसकी जांघों को अपनी बाजुओं 

पर टिका कर उसकी चूत को तूफानी अंदाज़ में चोदने लगा। 

आधे घंटे के बाद शन्नो ने सुबकना बंद कर दिया और उसके कूल्हे मेरे लंड को लेने के लिए ऊपर होने लगे। रज्जो ने आँख मार कर 

मुझे और बढ़ावा दिया। मैंने शन्नो को अब बेहिचक सटासट धक्कों से चोदने लगा। शन्नो भी अब सिसकने लगी और रज्जो की चूत 

चाटने लगी। 

मेरे लंड के अंदर बाहर आने जाने से शन्नो की चूत में से फचक फचक की आवाज़ें उसकी और रज्जो की सिसकारियों के साथ मिल 

कर एक नया गाना गुनगुनाने लगीं। 

घंटे भर की चुदाई से शन्नो कई बार झड़ी और मैंने भी उसकी चूत को अपने वीर्य से भर दिया। उस रात रज्जो ने मुझे शन्नो की चूत 

पांच बार मरवाई। 

"एक बार इसकी चूत आपने पूरी तरह से खोल दी तो यह आपके लंड के बिना नहीं रह सकेगी ," मैं अपनी नई बेगम के तर्क से 

लाजवाब था। 

अगले दिन शन्नो दर्द के मारे बड़ी मुश्किल से चल पा रही थी। पर रज्जो के कहने पर मैंने उसे उस हचक हचक कर कई बार चोदा। 

अगली रात शन्नो की गांड की बारी थी। 

उस रात मैंने तीन बार शन्नो की चूत मारी। रज्जो ने जब मौका देखा तो मुझे इशारा दिया , " अब यह थक कर चूर-क्जूर हो गयी है। यही मौका इसकी कुंवारी गांड फाड़ने का। चूं भी नहीं 

कर पाएगी। चलिए इसे अपने नीचे दबा कर इसकी गांड भी खोल दीजिये ," रज्जो ने मुझे उकसाया। 

मैंने पट्ट लेती नन्ही शन्नो को अपने नीचे दबा कर उसके चुत्तडों को फैला दिया। अपने मोटे लंड के सुपाड़े को एक ही धक्के से उसकी गांड के कुंवारे छेद में घुसेड़ दिया। 

शन्नो बिलबिला उठी पर उसकी बड़ी बेहेन ने उसके चेहरे को अपने हाथों में भर कर चूमने लगी। उसकी चीखें कुछ हद तक रज्जो के मुंह से दब गयीं। 

मैंने एक धक्के के बाद दूसरा धक्का लगाते हुए अपना पूरा लंड शन्नो की गांड में ठूंस दिया। बेचारी की आँखों से आंसू बह रहे थे। उसकी सुब्काइयां रज्जो के मुंह से दबे हुए भी कमरे में 

गूँज रहीं थीं।

मैंने दनादन शन्नो की कुंवारी गांड को वहशियों की तरह चोदने लगा। बड़ी देर बाद न जाने की सुबकने की अव्वाज़ें सिस्कारियों में बदल गयीं। 

एक घण्टे तक शन्नो की गांड का मलीदा बनाया मैंने उस रात। शन्नो आखिर में सिसकते हुए झड़ने लगी। जब लंड शन्नो की गांड से निकला तो रज्जो ने उसे अपने मुंह में ले कर प्यार से 

चूस कर साफ़ कर दिया। 

"देख शन्नो अगले बार जब जीजू तेरी गांड मारेंगें तो तुझे उनका लंड साफ़ करना पड़ेगा। आज तो चलो मैं कर देतीं हूँ। "

बेचारी शन्नो हांफने के अलावा कुछ नहीं बोल पाई। 

अगले दिन शन्नो की चाल और भी ख़राब हो गयी। 

शन्नो को इस बात का फख्र था कि मैंने उसकी गांड ईशा की गांड से पहले मार ली थी। 

"जीजू , शुक्रिया। मैं ईशा को कभी भी भूलने दूंगी कि मेरी गांड ने आपका लंड उससे पहले ले लिया है। "

बाकि का वक्त रज्जो और शन्नो को हर अंदाज़ में चोद चोद कर बड़े मज़े से गुजरा। 

उसके बाद शन्नो और ईशा दोनों जब भी मौका मिलता चुदवाने के लिए हमारे घर आ जातीं। उनकी शादी के बाद भी सिलसिला रहा। 

मज़े की बात तो यह है कि शादी के बाद भी शन्नो ज़्यादा बार चुदवाने आयी। जब रज्जो शानू और नसीम से पेट थी तो शन्नो तीन 

तीन महीने रूकती और जितनी बार मौका मिलता उतनी बार वो चुदवाने के लिए मचलती। 

जब से रज्जो का इंतिक़ाल हुआ है तब से ईशा और शन्नो से मुलाकात नहीं हुई है पर उन दोनों से प्यार में कोई कमी नहीं हुई है।
अकबर चाचू की उनकी नन्ही साली की चुदाई की कहानी से हम सब गरम हो गए। 

"अब्बू आप कितने बेरहम हैं। बेचारी शन्नो मौसी को आपने कैसे बेदर्दी से रगड़ा। मुझे तो उन पर बहुत तरस आ रहा है ,"शानू ने अकबर चाचू को उलहना

दिया पर उसकी आँखों में एक अजीब से चमक थी। शानू की आँखों में अपने अब्बू के लिए फख्र साफ साफ ज़ाहिर हो रहा था। 

" अरे शानू रानी यह तो तुम्हारा अपनी तरह नाटक करने वाली साली के तरफ बेवज़ह का तरस है। मुझे तो शन्नो मौसी के जीजू के ऊपर बहुत फख्र है। उन्होंने 

कितनी समझदारी से इन्तिज़ार किया। चाचू यदि चाहते तो रज्जो चाची की मदद से शन्नो मौसी को ज़बरदस्ती पकड़ कर रगड़ देते पहले ही दिन ," मैंने 

मुस्करा कर चाचू की तरफ देखा। मेजपोश के नीचे मेरा हाथ उनके फड़कते लंड को सहला रहा था। 

" भाई साली साहिबा मैं भी नेहा की बात से राज़ी हूँ। मामूजान ने बहुत ही सबर से काम लिया था। " आदिल भैया ने कहते हुए कुछ न कुछ ज़रूर किया थे 

मेज़पोश के नीचे। शानू का लाल मुंह कुछ कहने के लिए खुला पर कोई शब्द नहीं निकला उसके खुले गुलाबी होंठों से। 

तब तक खाने का वक्त हो चला। खाने के साथ लाल और सफ़ेद मदिरा थीं। शानू को किसी ने भी नहीं रोका पीने से। 

हम सबने खाने के साथ शब्बो बुआ के हांथों की बनी रसमलाई भी चट कर गए।

अकबर चाचू का अपनी अनिच्छुक या नाटक वाली छोटी साली को पटाने और चोदने के गरम गरम किस्से से हम दोनों लड़कियां चुदवाने के लिए तड़पने 

लगीं। मैंने लगातार चाचू उनके पजामे के ऊपर से सहला कर आधा खड़ा कर दिया था। उन्होंने, मुझे पूरा भरोसा था कि, कच्छा नहीं पहना था अपने पजामे 

के नीचे । मैं बिना देखे जानती थी कि शानू भी आदिल भैया का लंड अपने हाथ के काबू में रखे होगी। 

"मामू वल्लाह मज़ा आ गया. साली की ज़िद तोड़ कर ही माने आप।" जीजू ने शानू की और टेड़े टेड़े देख कर चाचू को बधाई दी। 

"आदिल बेटा साली कितनी भी नखरे करे या हाथ भी मुश्किल से रखने दे लेकिन उसे अकेला नहीं छोड़ना चाहिए। कभी कभी सुन्दर और कमसिन सालियां

बहुत मेहनत करवातीं हैं। आखिर जब बीबी मर्द का पूरा ख्याल नहीं रख सकती साली ही तो ख्याल रखती है। " चाचू भी शानू की ओर देख कर मुस्कराये। 

"आप दोनों पीछे गलत सलत पड़े है। मैंने कब जीजू को इतना सताया जितना शन्नो मौसी ने अब्बू को। और अब मैंने मना किया है जीजू को। और मैं आज 

रात भी जीजू ख्याल आपा जैसे ही रखूंगीं। " शानू ने जोश में जो भी मुंह में आया बोल तो दिया पर जब उसके दिमाग ने ख्याल किया तो वो शर्म लाल हो 

गयी। उसने जीजू के बाज़ू में मुंह छुपा लिया। 

हम सब बेचारी के ऊपर ज़ोरों से हंस पड़े। 

"चाचू मैं थोड़ा थक गयीं हूँ. पानी पी कर मैं सोने चलती हूँ ," मुझे अकबर चाचू के ऊपर बहुत प्यार आ रहा। था. मैं उनके लम्बे सम्भोग-उपवास को जल्दी 

से तोड़ना चाह रही थी। 

" नेहा बेटा मैं भी पानी पियूँगा ," मैं अपने लिए ताज़ा ठंडा पानी लेने फ्रिज की ओर चल दी। 

"मामू मैं भी सोने चलता हूँ," जीजू ने भी विदा ली। 

"अब्बू मैं भी सोने चलती हूँ," शानू जल्दी से मुझे चुम्म कर आदिल, भैया के पीछे दौड़ गयी। मेरी छोटी सहेली नासमझ थी की सोचे समझे जीजू की तरफ 

दौड़ रही थी। शानू अभी भी लंगड़ा थी। 

चाचू और मैं यह देख कर फिर से हंस दिए। 

"जीजू आज रात शानू चूत की तौबा बुलवा देंगे," मैंने चाचू के लंड को सहलाते हुए कहा। 

"भाई आदिल की साली है हमारी बेटी शानू। जीजू की मर्ज़ी जितना वो चाहे उतना हक़ है जीजू को साली की चूत कूटने का। हमारे दिमाग पर तो तो सिर्फ 

एक चूत का ख्याल तारी है। हम तो नेहा की चूत को ख़राब करने के लिए आमादा हैं ," चाचू ने मेरी चूची कपड़े के ऊपर से मसलते हुए कहा। 

" नेकी और बूझ बूझ" मैंने चूतड़ हिलाते हुए चाचू को अपनी चूत का बजा बजवाने का न्यौता दिया।

चाचू ने मुझे बिना सांस लिए बाज़ुओं में उठा लिया मानों मैं फूलों के गुच्छे से भी हलकी थी। 

कमरे पहुँचते चाचू ने मुझे उछाल के बिस्तर पर पटक दिया। अकबर चाचू ने अपना कुरता-पजामा बिजली फुर्ती उतार फेंका। अब इनका हाथ भर का 

घोड़े जैसा मुस्टंड लंड कर चूत को धमकी देने जैसी सलामी दे रहा था। 

मैं पहले तो आश्चर्य और डर से चीख उठी पर जब गुदगुदी बिस्तर पर खिलखिला कर हंस पड़ी। चाचू एक छोटी सी छलांग से बिस्तर पर चढ़ गए। उनका 

लम्बा खेला खाया भारी बालों से ढका शरीर मुझे नीचे लेते हुए दानवीय आकार का लग रहा था। 

चाचू ने अपना पूरा वज़न मेरे कंचन गदराये शरीर पर डाल के मेरे हँसते मुंह के ऊपर अपना मुंह चिपका दिया। उनकी ज़ुबान मेरे खुले मुंह के हर कोने किनारे 

की तलाशी लेने लगी। मैंने भी अपनी बाँहों का हार चाचू को पहना दिया। हम दोनों का खुले मुंह का चुम्बन बड़ा गीला और थूक की अदला बदली वाला था। 
। चाचू ने बड़ी से बेसब्री मेरे कपड़े लगभग चीड़ फाड़ कर अलग फेंक दिए ।


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RE: नेहा का परिवार : लेखिका सीमा do not comment till posting complete story - by thepirate18 - 23-07-2019, 05:49 PM



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