21-07-2019, 11:27 PM
अध्याय 33
सभी लोग गोवा पहुच चुके थे लेकिन फार्महाउस वाले बंगले में जाने की इजाजत डॉ ने किसी को नही दी वो नही चाहता की सपना या पूर्वी किसी मुसीबत में फंस जाए ,उन्हें डॉ ने कपूर साहब के साथ ही होटल में रुकने की सहल दी ,जबकि डॉ रोहन और बल्ला सिक्युरिटी के साथ फार्महाउस जाने की तैयारी करने लगे…
सिक्युरिटी को वायरलेस में मेसेज मिला था की गौरव यही है और अभी अभी बाहर निकला है ,डॉ को यही समय लगा रफीक को बचाने का ..किसी को नही पता था की रफीक जिंदा भी है या मर गया है ,लेकिन सभी को ये आश तो थी की वो जिंदा होगा..
रेस्क्यू टीम में चुने हुए कमांडो तथा एक एक्सपर्ट केमिस्ट को शामिल किया गया था,चाहे लोग गौरव को कितना भी कम समझ रहे हो लेकिन डॉ समझता था की अभी उसके पास कैसी ताकत है,पहले एक ड्रोन छोड़कर पूरे इलाके का मुआयना किया गया लेकिन तलघर का कही निशान समझ नही आया,टीम अंदर गई लगभग 50 लोग थे जो पूरे फार्महाउस को घेरे हुए थे ,अभी उनकी प्राथमिकता गौरव के ठिकाने को तलाश करके उसे तहस नहस करना था ना की गौरव को पकड़ना..
कई लोग अलग अलग यंत्रों से जमीन का निरक्षण कर रहे थे,ये काम जितना जल्दी को जाए उतना अच्छा था क्योकि गौरव के आने के बाद वो क्या कर बैठता इसका किसी को अंदाजा नही था,आखिर जमीन के नीचे खाली जगह होने के सुराग मिलने लगे ,अभी इन्हें आये 5 मिनट ही हुए थे,उन्होंने तलघर का दरवाजा तलाशना शुरू कर दिया ,एक पेड़ के नीचे घास की चादर में उन्हें वो दरवाजा मिला ,उसे इतनी खूबसूरती से छिपाया गया था की बिना यंत्रों के इसे ढूंढ पाना आम इंसान के लिए बेहद ही मुश्किल काम था …
कुछ लोग बाहर नही रुके और बाकी अंदर गए,एक लंबी सीढ़ी नीचे को जाती थी ,अंदर बेहद ही अंधेरा था जैसे ही वो नीचे पहुचे अजीब सी बदबू आनी शुरू हो गई ,उनके साथ आये हुए केमिस्ट ने तुरंत ही सबको मास्क लगाने की हिदायत दे दी ,सभी मास्क लगा कर टार्च की रोशनी के सहारे आगे बढ़ने लगे थे तभी ..
रोहन के सर पर किसी ने कांच का एक जार मार दिया था ,कांच के टूटने के कारण हुई आवाज से वो शांत स्थान गूंज उठा,सभी टार्च एक साथ मारने वाले के ऊपर जा टिकी ..
सामने जो दृश्य था वो बेहद ही भयावक था ..
एक पूर्ण नग्न औरत सामने खड़ी थी ,बाल बिखरे हुए थे ,पूरा शरीर बेहद ही गंदा था,किसी चुड़ैल से कम नही लग रही थी ,हाथो में कांच टूटने से फैला हुआ खून था,उसने अभी अभी अपने हाथो में एक लोहे की रॉड पकड़ लि थी ,वो बेहद ही गुस्से से उनकी ओर देख रही थी लेकिन कुछ भी नही बोल रही थी …
“कोई गोली मत चलाना ..कोई गोली मत चलाना..”
डर की आवाज कांप रही थी सभी को पीछे छोड़ते हुए वो आगे आया ..
“कविता???”उसकी आवाज भर्राई हुई थी ,उसने कभी नही सोचा था की अपने प्यार को वो इतने सालों के बाद इस हालत में देखेगा..उसे लगा जैसे वो बेहोश हो जाएगा माथा चकरा रहा था,भावनाओ के आवेग से पूरा शरीर कांप रहा था ...आखिर डॉ की आंखे छलक उठी ..
“कविता तुम तुम जिंदा हो ..तुम मेरे इतने पास हो और मुझे ..”
“हूं हु हु”कविता जानवरो जैसे चिल्लाई और रॉड को घुमाकर डॉ के ऊपर चला दिया ,लोहे का रॉड डॉ के चहरे में पड़ चुका था पूरा जबड़ा भी फट गया था लेकिन जरा भी विचलित नही हुआ ..
‘कोई आगे नही आएगा “डॉ ने बड़ी ही मुश्किल से अपनी हालत को सम्हालते हुए कहा
‘कविता देखो मैं हु मैं तुम्हारा चुन्नी ..पहचानो मुझे “
कविता ने फिर से जानवरो जैसे हुंकार भरी और फिर से रॉड घुमा दिया लेकिन इस बार डॉ चौकन्ना था वो बच गया..कवित अब भी उसे बड़े ही नफरत और गुस्से से देख रही थी ,डॉ का दिल भर चुका था लेकिन वो कुछ भी नही कर सकता था,
आखिर पीछे से आवाज आयी
“डॉ साहब सम्हालिये खुद को ये समय नही है,इसे काबू में करना पड़ेगा इसे बेहोशी का इंगजेक्शन लगा कर बेहोश कर दीजिए बाद में देखते है ..”
डॉ ने बुझे मन से हामी भरी और एक पिस्तौल नुमा इंजेक्शन कविता के सामने तान दिया,उसे देखकर कविता बेहद ही बौखला गई और पूरे जोर से चिल्लाते हुए डॉ के ऊपर झपट पड़ी लेकिन समय पर डॉ ने ट्रिगर दबा दिया और कविता डॉ तक पहुचते पहुचते ही बेहोश हो गई ,डॉ ने उसे अपने बांहों में सम्हाल लिया और उससे लिपटकर रोने लगा,वही बाकी लोग आगे बढ़ गए और रफीक को ढूंढने लगे ,किसी ने बिजली का बटन ढूंढ कर उसे चालू कर दिया कमरे में प्रकाश फैला तो सभी की सांस ही अटक गई ,रफीक के कोने में अपनी जिंदगी और मौत से लड़ता हुआ पड़ा था,वो एक कुर्सी में बंधा हुआ था ,उसे बेरहमी से मारा गया था.. और उसके कुछ दांतो को चिमटे से निकाला गया था,साथ ही उसके कुछ नाखून भी खिंचकर निकाले गए थे..मंजर ऐसा था की बल्ला वही खड़े खड़े बस बुत बनकर अपने दोस्त की ये हालत देखता रह गया,केमिस्ट जो की साथ ही आया था वो तुरंत ही सभी केमिकलस को इकठ्ठा करने लगा ,
“उस गौरव को मैं जान से मार दूंगा रफीक भाई,तू बस एक बार ठीक हो जा “बल्ला रफीक के पैरों के पास ही बैठ गया था,उसे भी समझाया गया और सभी को तुरत बाहर निकाला गया ,जाते जाते ना जाने डॉ को क्या सूझी ..
सभी के बाहर आने के बाद वो मुड़ा और केमिस्ट के हाथो से थैला उठा आकर तलघर के अंदर फेक दिया ..
“ये क्या पागलपन है डॉ”
केमिस्ट चिल्लाता ही रह गया लेकिन बिखरे हुए केमिकल में डॉ ने अपने लाइटर को फेक दिया...जिससे पूरा केमिकल आग के चपेट में आ चुका था..
“भागो यंहा से “केमिस्ट कुछ समझ कर चिल्लाया और सभी भागने लगे ,डॉ भी तुरंत ही तलघर का दरवाजा बंद कर भागा ...और एक जोर का विस्फोट हुआ ,तलघर के अंदर केमिकल फैल चुका था और आग लगने के कारण और वंह पहले से मौजूद गैस के कारण एक प्रेसर क्रिएट हो गया था,तलघर का दरवाजा बंद होने के साथ ही प्रेशर को बाहर निकलने का कोई रास्ता नही था नतीजा था एक बड़ा धमाका और चारो ओर बस आग की लपटे,खुद डॉ बुरी तरह से झुलस चुका था लेकिन उसके होठो में अब एक मुस्कान थी ….
“रेस्क्यू कंपलीटेड ..टारगेट को जिंदा पकड़ने की कोशिस करो ,ना पकड़ में आये तो वही मार दो लेकिन बच कर जाना नही चाहिए “
एक कमांडो अपने वाकी टोकि से किसी से बात कर रहा था ,वो डॉ के साथ ही बैठा हुआ था ,डॉ को समझते देर नही लगी की टारगेट गौरव है ……………..
सभी लोग गोवा पहुच चुके थे लेकिन फार्महाउस वाले बंगले में जाने की इजाजत डॉ ने किसी को नही दी वो नही चाहता की सपना या पूर्वी किसी मुसीबत में फंस जाए ,उन्हें डॉ ने कपूर साहब के साथ ही होटल में रुकने की सहल दी ,जबकि डॉ रोहन और बल्ला सिक्युरिटी के साथ फार्महाउस जाने की तैयारी करने लगे…
सिक्युरिटी को वायरलेस में मेसेज मिला था की गौरव यही है और अभी अभी बाहर निकला है ,डॉ को यही समय लगा रफीक को बचाने का ..किसी को नही पता था की रफीक जिंदा भी है या मर गया है ,लेकिन सभी को ये आश तो थी की वो जिंदा होगा..
रेस्क्यू टीम में चुने हुए कमांडो तथा एक एक्सपर्ट केमिस्ट को शामिल किया गया था,चाहे लोग गौरव को कितना भी कम समझ रहे हो लेकिन डॉ समझता था की अभी उसके पास कैसी ताकत है,पहले एक ड्रोन छोड़कर पूरे इलाके का मुआयना किया गया लेकिन तलघर का कही निशान समझ नही आया,टीम अंदर गई लगभग 50 लोग थे जो पूरे फार्महाउस को घेरे हुए थे ,अभी उनकी प्राथमिकता गौरव के ठिकाने को तलाश करके उसे तहस नहस करना था ना की गौरव को पकड़ना..
कई लोग अलग अलग यंत्रों से जमीन का निरक्षण कर रहे थे,ये काम जितना जल्दी को जाए उतना अच्छा था क्योकि गौरव के आने के बाद वो क्या कर बैठता इसका किसी को अंदाजा नही था,आखिर जमीन के नीचे खाली जगह होने के सुराग मिलने लगे ,अभी इन्हें आये 5 मिनट ही हुए थे,उन्होंने तलघर का दरवाजा तलाशना शुरू कर दिया ,एक पेड़ के नीचे घास की चादर में उन्हें वो दरवाजा मिला ,उसे इतनी खूबसूरती से छिपाया गया था की बिना यंत्रों के इसे ढूंढ पाना आम इंसान के लिए बेहद ही मुश्किल काम था …
कुछ लोग बाहर नही रुके और बाकी अंदर गए,एक लंबी सीढ़ी नीचे को जाती थी ,अंदर बेहद ही अंधेरा था जैसे ही वो नीचे पहुचे अजीब सी बदबू आनी शुरू हो गई ,उनके साथ आये हुए केमिस्ट ने तुरंत ही सबको मास्क लगाने की हिदायत दे दी ,सभी मास्क लगा कर टार्च की रोशनी के सहारे आगे बढ़ने लगे थे तभी ..
रोहन के सर पर किसी ने कांच का एक जार मार दिया था ,कांच के टूटने के कारण हुई आवाज से वो शांत स्थान गूंज उठा,सभी टार्च एक साथ मारने वाले के ऊपर जा टिकी ..
सामने जो दृश्य था वो बेहद ही भयावक था ..
एक पूर्ण नग्न औरत सामने खड़ी थी ,बाल बिखरे हुए थे ,पूरा शरीर बेहद ही गंदा था,किसी चुड़ैल से कम नही लग रही थी ,हाथो में कांच टूटने से फैला हुआ खून था,उसने अभी अभी अपने हाथो में एक लोहे की रॉड पकड़ लि थी ,वो बेहद ही गुस्से से उनकी ओर देख रही थी लेकिन कुछ भी नही बोल रही थी …
“कोई गोली मत चलाना ..कोई गोली मत चलाना..”
डर की आवाज कांप रही थी सभी को पीछे छोड़ते हुए वो आगे आया ..
“कविता???”उसकी आवाज भर्राई हुई थी ,उसने कभी नही सोचा था की अपने प्यार को वो इतने सालों के बाद इस हालत में देखेगा..उसे लगा जैसे वो बेहोश हो जाएगा माथा चकरा रहा था,भावनाओ के आवेग से पूरा शरीर कांप रहा था ...आखिर डॉ की आंखे छलक उठी ..
“कविता तुम तुम जिंदा हो ..तुम मेरे इतने पास हो और मुझे ..”
“हूं हु हु”कविता जानवरो जैसे चिल्लाई और रॉड को घुमाकर डॉ के ऊपर चला दिया ,लोहे का रॉड डॉ के चहरे में पड़ चुका था पूरा जबड़ा भी फट गया था लेकिन जरा भी विचलित नही हुआ ..
‘कोई आगे नही आएगा “डॉ ने बड़ी ही मुश्किल से अपनी हालत को सम्हालते हुए कहा
‘कविता देखो मैं हु मैं तुम्हारा चुन्नी ..पहचानो मुझे “
कविता ने फिर से जानवरो जैसे हुंकार भरी और फिर से रॉड घुमा दिया लेकिन इस बार डॉ चौकन्ना था वो बच गया..कवित अब भी उसे बड़े ही नफरत और गुस्से से देख रही थी ,डॉ का दिल भर चुका था लेकिन वो कुछ भी नही कर सकता था,
आखिर पीछे से आवाज आयी
“डॉ साहब सम्हालिये खुद को ये समय नही है,इसे काबू में करना पड़ेगा इसे बेहोशी का इंगजेक्शन लगा कर बेहोश कर दीजिए बाद में देखते है ..”
डॉ ने बुझे मन से हामी भरी और एक पिस्तौल नुमा इंजेक्शन कविता के सामने तान दिया,उसे देखकर कविता बेहद ही बौखला गई और पूरे जोर से चिल्लाते हुए डॉ के ऊपर झपट पड़ी लेकिन समय पर डॉ ने ट्रिगर दबा दिया और कविता डॉ तक पहुचते पहुचते ही बेहोश हो गई ,डॉ ने उसे अपने बांहों में सम्हाल लिया और उससे लिपटकर रोने लगा,वही बाकी लोग आगे बढ़ गए और रफीक को ढूंढने लगे ,किसी ने बिजली का बटन ढूंढ कर उसे चालू कर दिया कमरे में प्रकाश फैला तो सभी की सांस ही अटक गई ,रफीक के कोने में अपनी जिंदगी और मौत से लड़ता हुआ पड़ा था,वो एक कुर्सी में बंधा हुआ था ,उसे बेरहमी से मारा गया था.. और उसके कुछ दांतो को चिमटे से निकाला गया था,साथ ही उसके कुछ नाखून भी खिंचकर निकाले गए थे..मंजर ऐसा था की बल्ला वही खड़े खड़े बस बुत बनकर अपने दोस्त की ये हालत देखता रह गया,केमिस्ट जो की साथ ही आया था वो तुरंत ही सभी केमिकलस को इकठ्ठा करने लगा ,
“उस गौरव को मैं जान से मार दूंगा रफीक भाई,तू बस एक बार ठीक हो जा “बल्ला रफीक के पैरों के पास ही बैठ गया था,उसे भी समझाया गया और सभी को तुरत बाहर निकाला गया ,जाते जाते ना जाने डॉ को क्या सूझी ..
सभी के बाहर आने के बाद वो मुड़ा और केमिस्ट के हाथो से थैला उठा आकर तलघर के अंदर फेक दिया ..
“ये क्या पागलपन है डॉ”
केमिस्ट चिल्लाता ही रह गया लेकिन बिखरे हुए केमिकल में डॉ ने अपने लाइटर को फेक दिया...जिससे पूरा केमिकल आग के चपेट में आ चुका था..
“भागो यंहा से “केमिस्ट कुछ समझ कर चिल्लाया और सभी भागने लगे ,डॉ भी तुरंत ही तलघर का दरवाजा बंद कर भागा ...और एक जोर का विस्फोट हुआ ,तलघर के अंदर केमिकल फैल चुका था और आग लगने के कारण और वंह पहले से मौजूद गैस के कारण एक प्रेसर क्रिएट हो गया था,तलघर का दरवाजा बंद होने के साथ ही प्रेशर को बाहर निकलने का कोई रास्ता नही था नतीजा था एक बड़ा धमाका और चारो ओर बस आग की लपटे,खुद डॉ बुरी तरह से झुलस चुका था लेकिन उसके होठो में अब एक मुस्कान थी ….
“रेस्क्यू कंपलीटेड ..टारगेट को जिंदा पकड़ने की कोशिस करो ,ना पकड़ में आये तो वही मार दो लेकिन बच कर जाना नही चाहिए “
एक कमांडो अपने वाकी टोकि से किसी से बात कर रहा था ,वो डॉ के साथ ही बैठा हुआ था ,डॉ को समझते देर नही लगी की टारगेट गौरव है ……………..
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