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Adultery जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी
शर्माती डरती दुल्हन


[Image: bride-6e841b2bcfad2fe699c5448a5eb8080c.jpg]



गठरी मोठरी बने , अपने घुटनों में सर छिपाये घबडाते लजाते वो वो बैठे थे ,दुल्हन के जोड़े में एकदम गौने की रात में शर्माती डरती दुल्हन की तरह। और मम्मी एकदम अब उनके सामने , ठुड्डी  पे हाथ लगाए  उनका मुखड़ा देखने की कोशिश में ,

 
 
और मुझे देखते ही मम्मी बोलीं,
 
" इत्ता मस्त माल छुपा के रखा था मुझसे , " मम्मी ने आँखे चढ़ा के मुझसे बोला और फिर उनका घूंघट खोलने के चक्कर में पड़ गयीं।
 
बिचारे वो शर्मा रहे थे घबड़ा रहे थे लैकिन अंदर अंदर उनका मन भी कर रहा था।
और अचानक मम्मी ने पूरे जोर से ,हलकी फुल्के से नहीं ,सीधे उनके होंठ पर कचकचा के चूम लिया। अपने दोनों भरे भरे होंठों के बीच उनके रसीले ,लाल लिस्प्टिक लगे होंठों को भर के जोर से उन्होंने काट लिया ,और देर तक चूसती रहीं।
 
यहीं नहीं ,मम्मी ने इतने पर भी नहीं छोड़ा और उनके रूज लगे ,फूले फूले गालों को भी कचकचा के काट लिया।
 
हलकी सी सिसकी निकल गयी उनकी।
 
" तेरी छिनार बहन भी ऐसे ही गाल कटवाती है ,बोल बहन के भंडवे " चिढाते हुए मम्मी ने बोला ,तो मैं क्यों मौका छोड़ देती। मैं भी बोल पड़ी ,
 
" अरे मम्मी साफ़ साफ़ ये क्यों नहीं पूछती की क्या ये भी अपनी उस बहिनिया के ऐसे ही गाल काटते थे ?"
 
मम्मी का ध्यान अब लेकिन थोड़ा नीचे पहुँच गया था। उन्होंने आँचल जबरन हटा दिया था , कसी लो कट चोली और पैडेड ब्रा में हल्का सा क्लीवेज भी झलक रहा था।
 
मम्मी ने जोर से सीटी मारी और उनके गाल पे चिकोटी काट के बोली ,
 
"तेरे गेंदें तो ,तेरी उस साली से भी बड़ी बड़ी लगती है , रंडी के ,... बोल क्या साइज है तेरे माल की "
 
" ३२ सी ,... " हलके से उनकी आवाज निकली।
 
" और मेरी समधन के ,बोल साले भंडुए। "मम्मी अपने असली टारगेट को कैसे भूलतीं।
 
" ३८ डी डी " अबकी   उन्होंने थोड़ा हिचिकचाते लेकिन बोल दिया।
 
" मन करता है दबाने को ,घबड़ा मत बहुत जल्द , ... " मम्मी ने उन्हें एस्योर किया और तोप का  मुंह मेरी ओर मोड़ दिया ,
 
" बहुत मस्त दुल्हन है ,अगर दुल्हन इतनी मस्त है तो फिर सुहाग रात भी मस्त मनानी चाहिए " वो मुझसे बोलीं और बिना मेरे जवाब का इन्तेजार किये उनकी ओर जिस लोलुप खा जाने वाली निगाहों से देखने लगीं की वो काँप गए।
 
लेकिन मैं क्यों छोड़ती मैंने भी आग में घी डाला,
 
" एकदम मम्मी ,बिचारी इतना सज धज के ,सिंगार पटार कर के बैठी है ,फिर भी अगर आज इस की सुहागरात नहीं मनी ,अगर ये कोरी रह गयी तो ,.. अपने मायकेमें जा के शिकायत करेगी ,सबका नाम बदनाम करेगी। "
 
 
मम्मी की निगाह उनके गोरे चिकने चेहरे पे अटकी हुयी थी ,
 
"अरे इसके मायके वालों का भोंसड़ा मारूँ ,... " उनके मुंह से निकला।
 
मम्मी अब अपने पूरे रंग में गयी थी ,फिर बोलीं ," लेकिन जरा अपनी इस प्यारी प्यारी दुल्हन को ठीक से देख तो लूँ , और उनसे बोलीं ,
 
" अरे जानम उठ जा जरा चल के दिखा तो। "
 
" सुना नहीं ,अरे मम्मी को अपने जोबन का जलवा तो दिखा। " मैं भी मम्मी के साथ जुगल बंदी में शामिल हो गयी थी।  "जरा उठो ,खड़े हो ,चल के दिखाओ। " मैंने निहोरा किया और उठ के वो खड़े हो गए , पलंग के पास ही।
 
लजाते झिझकते एकदम मूर्ती की तरह , लेकिन क्या रूप था।
 
पिंक पटोला , अञ्चल सर से बस छलकता सा ,थोड़ा थोड़ा सीधी मांग दिख रही थी और उसमें सिन्दूर दमक रहा था। ऊपर से नीचे गहने ,सिंगार और सब से बढ़ कर जिस तरह लाज से उनकी आँखे झुकी थीं ,जिस तरह उँगलियों में उन्होंने पल्लू हलके से घबड़ाते हुए पकड़ रखा था।
 
मम्मी की निगाहें तो बस ऊपर से नीचे तक बार बार उन्हें सहला रही थी , बस निगाह हटती ही नहीं थी जैसे उनके रूप और जोबन से। फिर किसी तरह उन्हें उकसाती बोलीं ,
 
" ज़रा चल के दिखाओ , थोड़ा सा ,मैं भी तो देखूं , हस्तिनी की चाल है या चित्रिणी की ,गज गामिनी हो या ,... "
 
एक पल तो वो ठिठके लेकिन ,बहुत धीमे धीमे ,एकदम नयी दुल्हन की तरह लजाते सम्हलतेभरे भरे नितम्ब हलके हलके मादक मदिर डोलते ,
 
मम्मी तो बस चित्रलिखी सी देखती रहीं लेकिन मैंने मुंह में ऊँगली डाल के जोर की सीटी मारी और गुनगुनाया ,
 
" अरे गोरी चलो हंस की चाल ,ज़माना दुश्मन है ,... "
 
मम्मी ने कुछ गुस्से से कुछ मुस्कारते तिरछी निगाह कर के मेरी ओर देखा और उनकी निगाहें ,फिर कैटवाक पर जम गयीं।
 
अचानक उनकी  आवाज का टोन बदला ,एकदम आइस कोल्ड ,तलवार की धार की तरह शार्प ,
 
 
" स्ट्रिप "
 
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ANUSHKA IS ASHWIN'S SWEET WIFE - by ashw - 05-04-2019, 06:02 AM
RE: जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी - by komaalrani - 21-07-2019, 07:54 AM



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