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Adultery नेहा का परिवार : लेखिका सीमा Completed!
#34
Update 30

जीजू मेरी चुदाई का नंबर लगाने वाले थे पर मैंने उन्हें समय का तकाज़ा दे कर ठंडा कर दिया। अकबर चाचू के आने का समय भी करीब आ रहा था। दुसरे मुझे सुशी 

बुआ का दिया काम भी तो करना था। मुझे उसक काम के लिए भी थोड़ी नहीं बहुत ऊर्जा की ज़रुरत थी। 

"जीजू, आज रात को आप का सिर्फ एक काम है। शानू की चूत की इतनी चुदाई और कुटाई कि उसकी चूत किसी भी लंड के लिए पूरी खुल जाये। आखिर गली के 

बेचारे कुत्तों और गधों के लिए भी तो कोई ताज़ी चूत होनी चाहिए। "

शानू का सुंदर चेहरा जीजू की दमदार चुदाई के प्रभाव से सूरज की तरह दमक रहा था ,"नेहा अब तू आ गयी है कुत्ते और गधे को चूत की कमी नहीं खलेगी। "

और फिर हम दोनों खुद ही बेतुकी बातों से हंस दिए जीजू ने भी साथ दिया हंसी में। 

हम सब नीचे चल दिए और रत के खाने का इंतिज़ाम करने लगे। 

मैंने मौका देख कर जीजू और शानू को अपना मददगार बनाने के लिए उन्हें अपने गुप्त काम का हमराज़ बनाने का निस्चय कर लिया। फिर थोड़ी गंभीरता से उन्हें हुए 

कहा, "जीजू, शानू आप दोनों को मेरी मदद करनी होगी। सुशी बुआ यदि आतीं तो वो अकबर चाचू का ध्यान रखतीं, " मेरा इशारा दोनों बड़ी जल्दी समझ गए, "पर 

उन्होंने मुझे यह ज़िम्मेदारी सौंप दी है। इसिलए मैं आज रात को अकबर चाचू को रिझाने की कोशिश करूंगी। इसीलिये जीजू मैंने अपनी चूत को आपके मूसल को दुबारा 

नहीं कूटने दी।"

"नेहा यह तो बहुत ही शानदार ख्याल है। मामू मामीजान के इन्तिकाल के बाद बहुत अकेला महसूस करते होंगे। तुम यदि आज कामयाब हो जाओ तो मैं भी कुछ ततबीर 

सोचूंगा शानू और नसीम के साथ। " जीजू की रज़ामंदी सुन कर शानू जो थोड़ी सी चकित थी खुल गयी। 

"नेहा, आपा कई बार मुझसे इस बात का ज़िक्र कर चुकीं हैं। आपा भी अब्बु के अकेलेपन से बहुत परेशान जातीं हैं।" शानू की बात सुन कर मुझे लगा की मेरा काम 

शायद उतना मुश्किल मुझे लग रहा था। बस समय की ताल या टाइमिंग ठीक होनी चाइये। 

"तो नसीम आपा ने कुछ किया क्यों नहीं ? आदिल भैया तो कभी उन्हें नहीं रोकते। "

जीजू ने तुरंत कहा , " अब्बु के इन्तिकाल के बाद फूफा ने ही तो हमारा और अम्मी का पूरा खाया रखा है। वो तो हमेशा से मेरी अब्बु के जैसे हैं। मैं यदि मुझे थोड़ा सा 

भी इशारा मिल जाता नसीम की तरफ से तो मैं उसे पूरा सहारा और मदद देता इस नेक काम में। " 

मैं यह सुन कर बहुत खुश हुई। 

"नहीं नेहा जीजू ने नसीम आपा को नहीं रोका उन्हें ही बहुत शर्म और डर है अब्बु से इस बात का इल्म करने से। " शानू ने प्यार से अपने जीजू की जांघों को सहलाया। 

"अच्छा तो ठीक है मैं ही कुछ करतीं हूँ इस घर में सबकी खुशी और पनपने के लये ," मुझे पता थे कि मेरी सफलता से सुशी बस बहुत खुश होंगी। 

"तो फिर देखो आज शाम को हम तीनों अनौपचारिक सादे कपड़े पहनेंगें। मैं जब चाचू के कमरे में जाऊं तो मुझे थोड़ा समय देना आप दोनों। और फिर खाने पर बहुत 

कामुक उत्तेजित बातों का सिलसिला बनाये रखना। मैं पूरी कोशिश करूंगी चाचू से उनकी सुशी बुआ के साथ किसी और के साथ चुदाई की कहानी निकलवाने के 

लये।" मैंने अपनी तरफ से चालाकी की पर वास्तविकता में बचकानी चाल जीजू और शानू को समझाई। 

जीजू ने सिर्फ जिम वाले शॉर्ट्स पहन लिए। मैंने शानू को बिना बाज़ू की ढीली टी शर्ट और छोटे से शॉर्ट्स पहनाये। शानू के बाज़ू हिलाने पर उसके कमसिन चूचियाँ 

झलक मर देतीं। मैंने भी छोटे से शॉर्ट्स और कसरत वाली ब्रा पहन ली। आज अकबर चाचू के संयम की पूरी परीक्षा होने वाली थी। पर हम तीनों मन ही मन दुआ मांग 

रहे थे की उनका संयम बहुत सख्त न हो और जल्दी ही हार मान ले। 

शानू नीचे अपने अब्बू के स्वागत के लिए तैयार होगी और मैं जीजू के साथ जिम पसीने भीगी चाचू गले लग चिपक जाऊँगी। 

शुक्र है जैसे सोचा था काम से काम शुरू में वैसा। 

अकबर चाचू जैसे ही घर में कदम रखा उनकी कमसिन बेटी, जो उसी दोपहर को ताज़ी ताज़ी अपनी कुंवारी चूत का उद्घाटन जीजू से करवा चुकी थी, लपक कर अपने 

अब्बू की ओर बहन फैला कर लपक ली।

"हाय अब्बू कितना इन्तिज़ार करवाया आपने। नेहा बेचारी कितनी देर से आपके नाम को दोहरा दोहरा कर थक गयी है। उसे अपने चाचू का इन्तिज़ार कितना मुश्किल 

लगा है उसका आपको मैं पूरा बयान भी नहीं कर सकती। " चाचू ने अपनी नन्ही लाड़ली को बाँहों में भर लिया। अकबर चाचू को बिना मेहनत अपनी नन्ही कमसिन बेटी 

के उगते उरोज़ों का दर्शन हो रहा था।
शानू ने अपनी बाहें अपने अब्बू की गर्दन के इर्द गिर्द दाल दीं। 

शानू तो एक कदम और भी आगे बड़ गयी। उसने रोज़ की तरह अपने अब्बु के गाल को चूमने की बजाय अपने होंठ इनके होंठों पर 

रख कर एक ज़ोर का चुम्बन दे दिया।

अकबर चाचू ने मुश्किल से लम्बे चुम्बन नन्ही बेटी को नीचे रखा ही था कि तभी मैं पसीने से भीगी चाचू चाचू पुकारती हुई अकबर 

चाचू के से चिपकने उनकी ओर दौड़ पड़ी। 

"नेहा मेरी बिटिया, कितने दिनों बाद दिखी है तू," कहते हुए चाचू ने मेरा पसीने से लथपथ शरीर अपनी बाँहों में भर कर उठा 

लिया। मेरी गुदाज़ बाहें चाचू के गले का हर बन गयीं। चाचू को बिना शक मेरी गीली काँखों से पसीने की सुगंध आ रही होगी। 

"चाचू हम भी आप को कितने दिनों के बाद मिल रहे हैं। आपने अपनी भतीजी को मिस नहीं किया ?" मैंने इठला कर चाचू के होंठो 

लिया। 

"अरे नेहा बेटा हमने कितनी बार रवि, सुशी और अक्कू को बोला की नेहा बेटी को इस तरफ भेजो लिए पर आपके कॉलेज की 

पढ़ाई रस्ते में आ जाती थी। पर अब आपको देख कर बहुत सुकून मिला है। "अकबर चाचू देख कर मुझे अपनी योजना की 

सफलता के लिए और भी दृढ़ निश्चय कर लिया। 

"चलिए तो अब जब मैं आ ही गयीं हूँ तो अब आप तैयार हो जाइये अपनी भतीजी के लिए। यह अब आपसे चिपकी रहेगी। " मैंने 

अपनी गदराई झांगें चाचू की कमर के दोनों ओर डाल कर उनकी चौड़ी कमर को जकड़ने का प्रयास किया। अकबर चाचू छह फुट 

से कुछ इंच ऊँचे बहुत भारी भरकम शरीर के मालिक हैं। उनकी तोंद भी चाचू से काम नहीं है पर वो उनके मर्दानगी में और भी 

इजाफा कर देती है। 

मेरे शरीर को सँभालने के लिए चाचू को अपने हांथों को मेरी झांगों के नीचे करना पड़ गया। मेरे उरोज़ इस हलचल में उनके सीने 

और चेहरे पर रगड़ मार गए। आखिर में चाचू के हाथ मेरे गोल गोल फुले चुत्तडों पर पहुँच गए। 

" नेहा बेटा जब अपने बच्चे हमसे चिपकना चाहे तो हम अल्लाह का शुक्र अदा करते थकेंगे नहीं। किसी के लिए इस से बड़ी क्या 

चीज़ नसीब हो सकती है। " इस बार चाचू ने मेरे मुस्कराते चूमा तो मैंने जम कर अपने होंठ उनके होंठों से लगा दिए। मैंने कुछ देर 

बाद हलके जीभ की नोक चाचू के होंठो दी। ऐसे की जैसे गलती से जीभ लग गयी हो। 

चाचू के मर्दाने मज़बूत हांथो की पकड़ मेरी नितिम्बों सख्त लगी। मैंने उनके होंठो को और भी कस कर चूमा और फिर शरमाते हुए 

अलग गयी। 

"मैं भी कितनी बुद्धू हूँ चाचू। आप अभी अभी काम से आएं हैं और थके भी होंगे। और यह आपकी पागल भतीजी आसे लिपट 

चिपक गयी। चलिए आप नहा कर तैयार हो जाइए। खाना करीबन तैयार ही है। " मैंने एक बार फिर चाचू के होंठ चुम कर उनकी 

गोड से उतर गयी। 

"नेहा बिटिया आपके आने से घर में रौनक और भी बढ़ गयी। मैं जल्दी से कर कपडे बदल कर आता हूँ। " चाचू के विशाल शरीर 

करतीं रहीम जब तक वो अपने गलियारे में नहीं पहुँच गए।

जीजू ने आँख मार कर शानू और मुझे बधाई दी, "भाई आप दोनों कर दिया। मैं तो कायल आपकी तरतीब का। " मैं मुस्कराई और धीमे 

बोलने इशारा करते हुए मुड़ गयी। 

मैंने हलके क़दमों से चाचू के कमरे की ओर चल दी। मैंने खुले दरवाज़े से चाचू को कपडे उतारते हुए देखा। जैसे ही सिर्फ कच्छा पहने 

चाचू बिस्तर पे बैठे अपने मौजे उतरने के लिए मैं धड़धड़ाती कमरे में दाखिल हो गयी। मैंने ऐसा ज़ाहिर किया जैसे चाचू को सिर्फ कच्छे में 

देखना रोज़मर्रा की बात हो। 

मैं दोनों टाँगे चाचू की झांगों के ऊपर डाल कर उनकी गॉड में बैठ गयी। उनके झांगों के बीच में सोये अजगर का गांड नीचे मचलने लगा। 

मैंने दोनों बाहें चाचू की गर्दन डाल कर कहा, "चाचू, हमें आपको सुशी बुआ का बहुत ज़रूरी पैगाम देना है आपको। उन्होंने हमें जगह किया 

है की हम ना नहीं सुनेंगें। "

चाचू मुस्करा कर बोले, "भाई ऐसा क्या पैगाम भेजा है सुशी भाभी ने। हम क्या कभी अपनी बीतय को ना कहेंगे ? "

"चाचू सुशी बुआ तैयार कर के भेजा ही की हम आपका ख्याल उसी तरह रखें जैसा यदि वो यहाँ होतीं तो रखतीं। " मैंने चाचू के गाल पर 

अपना गाल रगड़ते हुए कहा। 

चाचू हक्केबक्के रह गए। वो कुछ देर हकलाते हुए कुछ भी नहीं बोल पाये। 

"अरे नेहा बेटी सुशी भाभी का दिमाग हिल गया है। क्या भला ऐसी बातें बच्चों से कभी की जाती है। " चाचू शर्म से लाल हो गए और मुझे 

वो प्यारे लगने लगे। 

"कछु आप वायदा कर चुके है ना नहीं कहने का। और बच्ची नहीं रही। बड़े मामा, सुरेश चाचू ने मुझे बहुत कुछ सीखा दिया है। फिर 

आपकी भी तो ज़िम्मेदारी है की आप अपने बच्चियों को सब तरह से सीखा कर दुनिया के लिए तैयार कर दें। " मैंने चाचू के होंठों को छुम 

लिया। 

"नेहा बेटी क्या वाकई रवि और सुरेश ने तुम्हारी ….. आरर ……… मेरा मतलब है तुम्हारे साथ मर्द-औरत वाले काम किये हैं?" चाचू अभी 

भी शर्मा रहे थे । 

चाचू ने सुशी बुआ का लम्बा बहुत विस्तार से स्पष्ट और बयानी खत पड़ा तो उनकी मर्दानगी उठाने लगी। मैंने भी अपनी गांड हिला हिला 

कर उनके लंड को मसलने लगी। खत खत्म करते करते चाचू जुम्बिश मारने लगा। 

"नेहा बिटिया आपके साथ तो सम्भोग करने का मौका तो खुदाई तोहफे जैसा होगा। पर क्या आप खुद चाहतीं है या सिर्फ सुशी भाभी के 

कहने पर .... " चाचू ने खत बिस्तर पर रखते धीरे से पूछा। मैंने उनके लफ़्ज़ों को बीच में ही टोक कर अपने होंठों से इनके होंठ बंद कर 

दिए। कुछ देर में ही मेरी जीभ उनके होंठों को लिए खोलने के लिए बेचैन हो गयी, "चाचू क्या हमारे होंठ आपके सवाल का जवाब नहीं दे 

रहें हैं?" मैंने अपने होंठों को चाचू सटा कर फुसफुआया। 

अचानक जैसे चाचू के सारे संशय, हिचक दूर हो गये. उन्होंने मुझे बाँहों में कर मेरे होंठों को चूसने लगे। उनकी जीभ लपक मेरे मुंह में में 

घुस गयी। 

अकबर चाचू के जीभ मेरे मुंह के हर कोने और मोड़ का स्वाद चखने लगी। चाचू के गीले चुम्बन में इतना कामुकता का भावावेश था कि मेरी 

साँसे तेज़ हो गयी। मैंने भी चाचू की जीभ से अपनी जीभ बीड़ा दी। चाचू के हाथ मेरे गुदाज़ लगे। मेरे मुंह में उनका मीठा थूक भर गया 

और मैंने उसे सटक कर अपनी मीठी लार से उनका मुंह भर दिया। मेरी चूत में खुलबुली मचलने लगी। मुझे लगा कि यदि मैंने चाचू थीम 

किया तो मेरा खुद का सयंत्रण ख़त्म हो जायेगा।

अचानक चाचू ने लपक कर मेरी ब्रा को ऊपर कर मेरे गड्कते उरोज़ों को मुक्त कर दिया। जब तक मैं कुछ बोल पति उन्होंने एक को अपने 

बड़े मज़बूत हाथ से मसलने के साथ साथ दुसरे के चुचूक को अपने गीले गर्म मुंह में ले कर चूसने लगे। मेरी हालत बाद से बदतर हो चली। 

मेरी चूत में रति रास की गंगा बहने लगी।

"चाचू अभी नहीं। नीचे जीजू और शानू कहने पर हमारा इन्तिज़ार कर रहें होंगें। कहने के बाद मैं आपके कमरे में आ जाऊँगी। साडी रात 

मसलना आप मुझे। बिलकुल उफ़ नहीं करूंगी। जो मन चाहे आप वो कीजियेगा मेरे साथ। देखिएगा मैं एक कदम भी पीछे हटूँ तो।" मैंने 

चाचू के बालों में उँगलियाँ फिराते हुए उन्हें मनाया। 

"नेहा बेटा तुम और शानू तो जुड़वां बहनों की तरह हो। शानू तुम्हे अकेला नहीं छोड़ेगी। यही थोड़ा सा मौका है।" आकबर चाचू की आदिम 

भूख देख कर मेरा मन भी हुआ की सब भूल कर उनकी क्षुदा मिटा दूँ। पर मुझे पूरे तरतीब का ख्याल भी तो रखना था। 

कुछ सोच कर मैं बोली ,"चाचू , अब नहीं, शानू मेरे से चिपकी रहेगी। जीजू ने उसकी सील तोड़ दी है। आज रात को उसे जीजू से सारी 

रात चुदवाने के ख्याल के अलावा कोई और ख्याल नहीं आयेगा दिमाग में।"

चाचू थोड़ा सा झिझके फिर खुल कर हंस दिए , "आखिर नन्ही साली आ ही गयी अपने जीजू के नीचे। "

" चाचू आप नहाइयेगा नहीं, मुझे सुगंध बहुत अच्छी लग रही है। रात में जब आप मुझे चोद कर पस्त कर देंगे तब इकट्ठे नहाएंगे।

मैंने शानू और जीजू को चाचू के साथ हुए वार्तालाप का ब्यौरा खुलासे रूप में दे दिया। शानू पहले तो शर्म से लाल हो गयी पर फिर 

कहीं से हिम्मत जुटा कर चौड़ी हो कर बोली ,"अब्बू की खुशी के लिए मैं शर्म और लिहाज को थोकड़ मार सकती हूँ। "

खाने की मेज़ पर मैं चाचू के नज़दीक बैठी और जीजू और शानू दूसरी दुसरे के साथ बैठे थे। मेरा एक हाथ मेज़पोश के नीचे चाचू की 

जांघ को सहला रहा था। 

जैसा हमने सोचा था उसी तरह बातचीत धीरे धीरे थोड़ी सी अश्लीलता की ओर बाद चली। मैंने मौका देख कर चाचू से पूछा ,"चाचू 

आप बताइये क्या जीजू साली को कुछ छिपाने की ज़रुरत होती है? "

"अरे नहीं नेहा बिटिया। जीजू यदि साली को अकेला छोड़ दे तो बड़े शर्म के बात है। आदिल बेटा क्या तुम्हारी सालियां तुम्हारे काबू में 

नहीं हैं? " चाचू ने हंस कर आदिल को छेड़ा। 

"मामू, अब तो काबू में हैं। नेहा का कमल है यह सब। "आदिल भैया ने भी हंस कर तीर फेंका। 

"चाचू आज शानू जीजू ने टांका भिड़ा ही लिया। पता नहीं इस नादाँ लड़की ने जीजू को इतना इन्तिज़ार क्यों करवाया?"मैंने चहक कर 

कहा। 

"चलो देर आयद दुरुस्त आयद। साली को यदि जीजू नहीं पकड़ेगा तो और कौन पकड़ेगा ?" अपनी बेटी के शर्म से लाल मुंह को 

चिड़ा कर और भी लाल कर दिया। 

"शानू तूने जीजू से आज रात का इंतिज़ाम तय कर लिया। " मैंने मौका देख कर वार्तालाप को और भी सम्भोग संसर्ग के नज़दीक ले 

आयी। 

"नेहा आप हमारे और जीजू के बीच में जो भी इंतिज़ाम है उसे हमारे ऊपर छोड़ दें ," शानू शर्म से लाल हुई पड़ी थी। 

चाचू खुल कर हँसे ,"भाई शानू बेटा की बात सुन कर हमें अपनी साली के याद आ गयी। छोटी साली शहाना भी शानू के जैसी थी। बड़ी 

मुश्किल और देर से हाथ आयी।"

"अब्बू पूरी बात बताइये न। "शानू ने भी मौका को दोनों हाथों में लपक लिया। 

"अरे बेटा पुरानी बातें हैं। तुम्हे ऊबना नहीं चाहता। यदि तुम्हे ऊबने से नींद आ गयी तो आदिल मुझे माफ़ नहीं करेगा। " चाचू अब बिना 

झिझक शानू को चिड़ा रहे थे। 

"अब्बू आप जीजू को नहीं जानते। वो जागने की कोई परवाह नहीं करेंगे। उनके पास जगाने के लिए बड़ा भारी औज़ार है। "शानू ने झट 

से कह तो दिया फिर शर्म से लाल हो गयी। 

"चाचू बताइएं ना आपने पहले पहल कब शहाना मौसी को फंसाया ?" मैंने भी शानू के साथ कांटा फेंका। 

"चलो बता ही देंते हैं।" चाचू ने कहा। 

"मामू खुल कर पूरा ब्यौरा दीजियगा। कोई सम्पादित या सेंसर्ड कहानी नहीं सुननी हमें। क्यों शानू, नेहा ?" मैं तो जीजू की कला पर 

निहाल हो गयी। 

"अब्बू मैं बच्ची नहीं हूँ। आप खुल कहानी सुनाएँ। मुझे अब सब समझ में आता है। " शानू ने भी चाचू को उकसाया। 

"अरे भाई अब बच्चे सब जानते हैं तो क्या छुपाना ? " चाचू ने बिलकुल ज़ाहिर नहीं होने दिया कि मेरा लंड को उनके पजामे के ऊपर से 

सहला रहा था।

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RE: नेहा का परिवार : लेखिका सीमा do not comment till posting complete story - by thepirate18 - 21-07-2019, 01:50 AM



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