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Adultery नेहा का परिवार : लेखिका सीमा Completed!
#32
Update 28

अकबर चाचू का घर शहर से बाहर था। दो घंटों में ड्राइवर ने उनके विशाल भवन के सामने गाड़ी रोक दी। शानू बाहर

ही मेरा इंतज़ार कर रही थी।

शानू का शरीर पहले से भी और भर गया था। उसके गदराया शरीर मेरी तरह ही उस से कई साल बड़ी लड़कियों को

शोभा दे सकने दे सकने के लायक था। हम दोनों को देख कर कई लोग हमें हमारी वास्तविक उम्र से कई साल बड़ा

समझते थे। शानू मेरे से ग्यारह महीने छोटी थी। मैं तब किशोरावस्था के दो साल पूरे कर चुकी थी। शानू तब दुसरे साल के

प्रारम्भ में थी। मैंने दसवीं पूरी कर ली थी और शानू ने दसवीं में प्रवेश किया था।

हम दोनों दौड़ कर एक दुसरे से लिपट गए और बिना वजह के दोनों रूआँसे हो गए।

शानू और मैं जल्दी से शानू के कमरे की ओर दौड़ पड़े। घर के नौकरों और ड्राइवर ने सामान संभल लिया।

"शानू सब लोग कहाँ हैं ?" मैंने शानू को अपने से अभी तक जकड़ रखा था।

"अब्बु अभी काम पर हैं. मैंने उन्हें फोन नहीं किया। शाम को उन्हें सरप्राइज़ देंगें। नसीम आपा की दोस्त की मम्मी बीमार हैं

सो उनकों न चाहते हुए भी शहर जाना पड़ा। आदिल भैया टेनिस से वापस आने वालें हैं। "

"अरे अभी भी तू आदिल भैया को अभी भी भैया कहती है। अब तो वो जीजू हैं। मेरे भी और तेरे भी। अरे अब तो तू और मैं

उनकी आधी घरवाली हैं। उनका हम दोनों पर पहला हक़ है और वो जब चाहें उस हक़ से हमें अपना सकते हैं ," मैंने शानू

के गुलाबी होंठों को चुम कर उसे ताना दिया।

"नेहा मैं क्या करूँ ? मेरे मुंह से इतने सालों की आदत की वजह से भैया ही निकल पाता है, " शानू ने भी मुझे चूमा और

फिर खिलखिला के हँसते हुए बोली , "तुझे तो मैं बता सकतीं हूँ कि नसीम आपा भी जब भैया ….. मेरा मतलब है जीजू

जब उनकी जम कर चुदाई करतें हैं तो वो भी भूल जातीं हैं कि आदिल भैया उनके खाविंद हैं और 'भैया और ज़ोर से

चोदो, भैया चोदो मुझे ' चीख पड़ती हैं। "

"खैर अब मैं आ गयीं हूँ। तुझे जीजू का पूरा ख्याल कैसे रखतें हैं सीखा कर जाऊंगीं ," मैंने शानू ने भरी उभरे नितिम्बों

को कस कर दबाया।

"तू तो ऐसे कह रही है जैसे तुझे सब पता है ," शानू ने जवाब में मेरे भरे पूरे नितिम्बों को मसल दिया।

मैंने भेद भरी मुस्कान कायल कर दिया और उसे सारी कहानी विस्तार से सुना दी। मैंने उस से कुछ भी नहीं छुपाया।

शानू भौचक्की रह गयी और फिर मुझे लिपट गयी और हम दोनों खुशी से रो पड़े।

शानू सुबक कर बोली, " हाय रब्बा रवि और सुरेश चाचू ने तुझे बिलकुल भी नहीं बक्शा ? उनके मोटे लण्डों ने तेरी चूत

या गाड़ फाड़ दी होती तो क्या होता ?"

"मेरी प्यारी शानू यह ही तो सम्भोग का आनंद है । बड़े मामा और सुरेश चाचू के हाथी जैसे लंड लेने में मेरी तो जान ही

निकल गयी। पर जितना भी दर्द हुआ और मैं जितना भी बिबिलायी पर जितना आनंद उनके लंड को अपने भीतर लेने में

आता है उसके आगे वो दर्द कुछ भी नहीं है। नम्रता चाची जैसे कहतीं हैं कि जब तक लड़की के चूत या गांड मरवाते समय

चीख ने निकले तो लंड की इज़्ज़त खतरे में है। " मैंने शानू के फड़कते नथुनों को चूम कर उसे कस कर जकड लिया।

जब हम दोनों शांत हुए तो मैं बोली , "जीजू कब आने वाले हैं ?"

शानू ने लाल गीली आँखों से मुस्करा कर कहा , "शायद आने वालें ही होंगें। "

"तो फिर तैयार हो जा, " मैं उसके उभरते उरोज़ों को मसल कर कहा , " आज तेरी चूत का उद्घाटन होने वाला है जीजू के

लंड से। "

"हाय नेहा नसीन आपा ख़ूबसूरत हैं और भ........ आईय़ा …… जीजू इतने हैंडसम हैं मैं तो बच्ची जैसी दिखती होंगी

उनको । तू उनको तो बड़ी आसानी से फंसा सकती है ," शानू के दिल की पुकार उसके बेचैन आंदोलित मस्तिष्क के

ऊपर काबू पाना चाह रही थी।

"अच्छा अब बकवास बंद कर और जल्दी से कपडे बदल ले। आज तेरी चूत का उद्घाटन जीजू के लंड से ज़रूर होगा। तू

चाहे या न चाहे। ," मैंने शानू को खींच कर बिस्तर से उतारा।
शानू और मैंने तंग टी शर्ट और छोटे शॉर्ट्स पहन लिए। हालांकि शानू और मैं किशोरावस्था के द्वार से एक और दो साल

ही दूर थे पर उस समय किसी ऋषि का मन भी डाँवाँडोल हो जाता।

जब आदिल भैया मेरा मतलब जीजू दाखिल हुए तो मेरी भी सांस रुक गयी। जीजू उस समय बाईस साल के थे और छह

फुट से ऊंचे गोरे सुंदर और बहुत मांसल हो गए थे। भैया पसीने से नहाये हुए थे हुए थे। मुझे देख कर उनकी खुशी रुक

नहीं पा रही थी। मैं दौड़ कर उनकी बाँहों में समा गयी।

"आदिल भैया, आदिल भैया ," मैं खुद शानू को दी हुई सलाह को भूल गयी।

जीजू ने मुझे अपनी बाँहों में भर कर हवा में उठा लिया, "ऊफ़ मुझसे गलती हो गयी। अब तो आप मेरे जीजू हैं, " मैंने

इठला कर आदिल भैया को चुम लिया।

"नेहा अब तुम शानू को समझाओ ना ," आदिल भैया ने मुझे कस कर भींचा और खुद फिर से मेरे होंठों को चूम लिया।

जैसे ही आदिल भैया ने मुझे नीचे रखा मैंने शानू को उनकी तरफ धकेला , "जीजू अब चलिए अपनी दूसरी साली को भी

किस कीजिये। "

आदिल भैया ने शर्माती शानू को बाँहों कर और बोले, "एक बार तो जीजू बोल दो शानु। "

"जीजू ," शानू ने शरमाते हुए फुसफुसाया। और दुसरे ही क्षण आदिल भैया के होंठ शानू के होंठों से चिपक गए।

आदिल भैया ने हांफती हुई कमसिन शानू को नीचे उतारा और बोले , "मैं जल्दी से नहा कर तैयार होता हूँ फिर बाहर खाने

चलते हैं। "

"जीजू अब आपकी दो दो सालियां है। नहाने में मदद की ज़रुरत हो तो हमें बुला लीजियेगा ," मैंने इतराते हुए कहा।

आदिल भैया की आँखों ने सच बोल दिया और उन्होंने ने हम दोनों को घूर कर देखा, "सच में शायद मुझे मदद की

ज़रुरत पड़ ही जाये। "

शानू और मैं शर्म से लाल हो गए। मैंने भैया को अपने कमरे की ओर जाता देखा।

"शानू की बच्ची यह ही मौका है ," मैंने शानू को जगाया। वो बेचारी आदिल भैया को लाचार प्यार भरी निगाहों से दूर जाते

हुए घूर रही थी।

हम दोनों ने पांच मिनट इंतज़ार किया और फिर धीमे क़दमों से आदिल भैया के कमरे में घुस गए। भैया के कपड़े पलंग पर

बिखरे थे और कमरे से संलग्न स्नानगृह से स्नान के फौवारे आवाज़ साफ़ सुनाई पड़ रही थी। हम दोनों का ध्यान बिस्तर

पर पड़ी तौलिया की तरफ गया और दोनों ने मुस्करा कर विजय की पताका फेहरा दी।
मैंने बेसब्री से शानू को फुसफुसाई, " चल अब जल्दी से कपडे उतार। यही मौका है जीजू को फ़साने का। "

शानू की कुछ क्षणों की झिझक देख कर मैंने उसकी टी शर्ट खींच कर उतार दी। शानू अपने शॉर्ट्स खुद ही खोलने लगी, "हाय नेहा मेरा दिल

लग रहा है कि जैसे फट पड़ेगा।"

मैंने शानू के होंठों पे उंगली रख उसे शांत रहने का निर्देश दिया और जल्दी से सरे कपड़े उतार कर शानू की तरह निवस्त्र गयी।

"शानू जैसे मैं सुझाऊं वैसे ही करना ," शानू को निर्देश देते हुए मैं शांत क़दमों से स्नानगृह ओर अग्रसर हो गयी। शानू धीमे धीमे चल रही थी,

मैंने अधीरता से उसका हाथ पकड़ कर अपने पीछे खींचने लगी।

आदिल भैया का पुष्ट मांसल शरीर पानी से भीग और भी सुहाना लग रहा था। उनकी बड़ी बड़ी मांस-पेशियां उनकी हर गतिविधि मनमोहक रूप से

आंदोलित हो रहीं थी। उनका लम्बा मोटा वृहत लंड तब शिथिल था। पर उसके शिथिल अवस्था में भी इतना लम्बा,मोटा और भारीपन था कि

उसके तन्नाये होने पर भैया का लंड घोड़े जैसा महाकाय हो जाने का अहसास शीघ्र आसानी से दर्शित हो रहा था ।

"जीजू अरे आप इतनी मेहनत क्यों कर रहें हैं। आपकी दो दो सालियां क्या मर गयीं हैं ? " मैंने जल्दी से बोली क्योंकि मैं भैया के आश्चर्य को

छितराने के लिए उत्सुक थी। भैया मेरे उल्हाने को सुन कर अपनी दोनों छोटी बहनों को नंगा देख कर जिस अचम्भे में पड़ गए थे उस से शीघ्र ही

उभर गए।

"छोटी साली साहिबा, आपने हमें कोई इशारा तो किया था पर जब आप दोनों नहीं आये। इसीलिये हमें लगा की खुद ही अपनी मदद नहीं की तो

सारी ज़िंदगी इंतज़ार में निकल जाएगी। " भैया भी कम नहीं थे।

"क्या जीजू, क्या हम दोनों को नहीं पता की आपको अपनी नुन्नी धोने के लिए मदद की ज़रुरत पड़ती है। यहाँ ना तो शब्बो बूई हैं और ना ही

नसीम आपा हैं। फिर आपकी नन्ही सी चुन्मुनिया को कौन साफ़ करेगा ? " मैंने लपक कर भैया के हाथ से साबुन छीन कर उनके लुभावने

मांसल शरीर के ऊपर झाग बनाने लगी।

शानू की आँखे भैया के विकराल लंड को देख कर फटी की फटी ही रह गयीं। भैया का लंड अभी मुश्किल से खड़ा होना प्रारम्भ भी नहीं हुआ था।

भैया भी कम नहीं थे। उन्होंने मुझे तेज़ी से बहते फव्वारे के नीचे खींच कर पूरे तरह से गीला कर दिया। मेरे कंचन जैसे भरे पूरे अविकसित शरीर

पर पानी की लहरें मेरे गदराये घुमावों को उभारते हुए मेरी मांसल झांगों लहरती हुईं फर्श पर मचलने लगीं।

भैया ने लपक कर नसीम आपा का चन्दन महक से भरपूर सुगन्धित साबुन मेरे शरीर पर शरीर पर सहलाने लगे , "साली जी हमें भी तो आपकी

सेवा करने का मौका दीजिये। "

"अरे जीजू आपको कौन रोक रहा है। चाहे सेवा कीजिये या लूट लीजिये आपकी मर्ज़ी है ," मैंने इठला कर भैया को खुला निमंत्रण दिया , " नहीं

रे शानू ?" मैंने शानू को भी खींचने किया।

"हाँ ठीक है नेहा ," शानू ने कांपती आवाज़ में कहा।

"भाई हमें नहीं लगता हमारी दूसरी साली का मन आप से इत्तेफ़ाक़ कर रहा है ," आदिल भैया ने शानू को चिढ़ाया। बेचारी आँखे एकटक उनके

हिलते लंड को घूर रहीं थीं। भैया को शानू की तड़पन अच्छे से समझ आ रही थी।

मेरे हाथ भैया की भारी भरकम मांसल जांघों के बीच मस्त हाथी की मोटी सूंड जैसे हिलते डुलते लंड के ऊपर पहुँच गए। मैंने उनका मोटे सेब

जैसा विशाल सुपाड़ा अपने दोनों हाथों में भर कर उसे साबुन के झागों से ढकने लगी। आखिर भैया की 'मुनिया' को साफ़ करने ही तो हम दोनों

आये थे।

भैया के सुपाड़े के ऊपर बड़े मामा के लंड की तरह त्वचा नहीं थी।

भैया साबुन लगाने के उपक्रम के बहाने मेरे बड़े स्तनों को सहलाने लगे।

आदिल भैया का लंड बहुत तेज़ी से तनतनाने लगा। भैया ने मेरे स्तनों को साबुन के झागों से ढक दिया। शानू मेरे और जीजू बनाम भैया के बीच

होती मादक भौच्चकेपन से एकटक घूर रही थी। मैं यह ही तो चाहती थी।

आदिल भैया के हाथों ने मेरे दिन ब दिन बड़े होते गदराये मोटे उरोज़ों को कस मसलना प्रारम्भ दिया। मेरे अधखुले मुंह से सिसकारी उबल उठी। 


मेरे नाज़ुक दोनों हाथ बड़ी मुश्किल बड़ी मुश्किल से आदिल भैया के तन्नाये हुए विकराल लंड के घेरे को नाप पा रहे थे। उनका हाथ भर लम्बा बोतल

जैसा मोटा लंड मेरे दोनों हाथों को और भी नन्हेपन का आभास दे रहा था। मैंने सारी शर्म ताक पर रख कर आगे झुक कर भैया को विशाल सुपाड़ा मुंह

में ले लिया। शानू पहले से ही फटी आँखें भी खुल गयीं।

आदिल ने मेरे दोनों चुचूकों को कर निर्दयता से मड़ोड़ कर खींचा और मेरी सिसकारी से उत्साहित हो कर मेरे स्तनों का मर्दन और भी ज़ोरों से करने

लगे।

"नेहा ऐसे ही ……… मेरा लंड चूसो ………," आदिल भैया भी सिसक उठे।

मैंने उनका सुपाड़ा और उनके भीमकाय लंड की एक और इंच मुंह में बड़ी मुश्किल से समाते हुए उनके गोरे मोटे लंड की उपासना में सलंग्न हो गयी।
घुसल खाने में मानव से भी पुरातन सम्भोग के पहले का नृत्य का शुभारम्भ हो गया।

ना जाने कितनी देर बाद मैंने आदिल भैया के मेरी लार से सने चमकते लंड को आज़ाद किया। मेरी जलती आँखें भैया के वासना के डोरों से लाल

आँखों से उलझ गयीं।

शानू आँखे फाड़ फाड़ कर अपने भैया और अब जीजू और मेरे बीच में सम्भोग की पूर्वक्रिया के अश्लील दृशय के प्रभाव में ज़ोर ज़ोर से सांसे भर रही थी
आदिल भैया ने अपनी सम्मोहक बहिन और साली उसकी गहरी साँसों से के ऊपर नीचे होते उन्नत वक्षस्थल के मनमोहक दृश्य के प्रभाव में आ कर मेरे

घुंघराले बालों में उंगलियां डाल कर मेरे सर को जकड़ लिया और अपने विशाल मांसल कूल्हों को हचक हचक कर आगे पीछे कर अपने मूसल लंड से

मेरे मुंह की निर्मम चुदाई करने लगे. मेरी आँखों से आंसू बह चले। जीजू का लंड हर धक्के से मेरे हलक के पीछे की दीवार पर ठोकड़ मार रहा था। मेरी

घुटी घुटी उबकाई सामान 'गों-गों 'की आवाज़ें विशाल स्नानगृह में गूँज उठीं।

मेरा मुंह जीजू के भीमकाय लंड की विशाल परिधि के ऊपर पूरा खुला हुआ था। मेरे मुंह के दोनों कोने मानों चिरने वाले थे। आदिल भैया, …

नहीं..नहीं…, आदिल जीजू के महा लंड बड़े मामा और सुरेश चाचू लंड से तक्कड़ ले रहा था। मेरे मुंह के चिरते कोनों से मेरी लार बह चली। आदिल

जीजू ने बेदर्दी से मेरे मुंह की चुदाई करके मेरे चूत को रति-रस से भर दिया।

बड़े मामा ने मुझे अपरिपक्व उम्र में ही सीखा दिया था कि कोई भी लड़की या स्त्री अपने पुरुष के प्यार भरे हावीपन को सहर्ष स्वीकार कर लेती है।

आखिर प्रेम में एक दुसरे के ऊपर अपने को न्यौछावर करना ही तो प्रेम की घोषणा है।

पंद्रह मिनट जीजू के महाकाय लंड को अपने गीले रिस्ते मुंह-चोदन का आनंद दे कर मैंने अपना दुखता मुंह उनके थूक से सने गीले लंड से उठा लिया ,

"जीजू अब आप मुड़ जाइये। "

मेरे शब्दों का तात्पर्य आदिल भैया जल्दी से समझ गए। उन्होंने अपने दोनों बलशाली मांस पेशियों से भरी बाज़ुओं को स्नानगृह की संगमरमर से ढकीं

दीवारों पे रख कर अपने मतवाले मांसल विशाल नितिम्बों को पीछे उभार कर निहर गए।

"शानू चल अब भैया ….. मेरा मतलब है जीजू का लंड चूस," मैंने हाँफ़ती हुई आवाज़ में शानू को प्रोत्साहित किया। शानू की सांस भी मेरे निरंकुश

आदिल भैया के लंड -चूषण के प्रभाव से भारी हो चलीं थीं।

शानू ने झिझकते हुए घुटनों के बल बैठ कर अपने कांपते नन्हे हाथों से अपने आदिल भैया और जीजू का लंड संभाल लिया, जो अब तनतना कर और

भी बड़ा और मोटा लग रहा था। मैंने शानू के शर्म से लाल गालों को देख कर अपनी पहली सम्भोग-शिक्षा के स्म्रित्यों के मीठे संवेदन को याद कर अपने

गदराये शरीर में दौड़ती सनसनी को महसूस किया।

शानू तो मेरे से भी एक साल छोटी थी तब। मैं तो किशोरावस्था के पहले दो सालों में बिलकुल नासमझ थी। यह तो मामाजी का प्रताप था कि

किशोरावस्था के तीसरे साल में उन्होंने मुझे सम्भोग और रति क्रिया के अनेक आनन्दों से न केवल परिचित करवा दिया था बल्कि उस वर्जित और निषिद्ध रसों के कई सोपान भी चढ़ा दिए थे।
शानू ने कांपते और शरमाते हुए अपने जीजू के विकराल लंड के सुपाड़े को अपने मुंह में भर लिया। आदिल भैया के लंड का सुपाड़ा कोई ऐसे वैसे

सामान्य लंड का सुपाड़ा तो था नहीं। आदिल भैया के भीमकाय लंड का मोटा लाल सेब के सामान बड़ा सुपाड़ा बड़ी मुश्किल से कमसिन नाबालिग शानू

के मुंह में समां पाया।

मैंने आदिल भैया की सिसकारी सुन कर एक मीठी मुस्कान से सजे अपने मुंह को उनके बालिष्ठ नितिम्बों की और झुका दिया। अपने हाथों से उनके दोनों

मर्दाने मांसल विशाल चूतड़ों को चौड़ा कर उनकी गुदा के तंग सिलवटदार भूरे मानों पलक झपझपाते छिद्र के ऊपर टिका दिया। पहले मैंने उनके

बलशाली बालों से भरे नितिम्बों को प्यार से चूमा फिर उनके बीच की दरार में छुपे गुदा द्वार को अपने होंठो से चुम लिया।आदिल भैया के मुंह से निकली

सिसकारी ने मुझे और शानू को और भी उत्तेजित कर दिया।

अब आगे शानू अपने आदिल भैया उर्फ़ जीजू के फिर से लोहे के स्तम्भ जैसे तन्नाये लंड को नदीदेपन से चूस रही थी। और मैं पीछे बैठी आदिल भैया के

गुदा छिद्र को अपने जीभ की नोक से कुरेदने लग गयी थी। आदिल भैया के आनंद का अंदाज़ उनके मचलते चूतड़ों और उनकी अविरत सिस्कारियों से

लग रहा था।

मैंने दिल लगा कर आदिल भैया के तंग मांसल मलाशय के द्वार को अपनी झीभ से कुरेद और चाट कर अंत में पराजित कर दिया। आदिल भैया की

सुहानी गांड के छेद ने आखिर में हार मान ली और धीरे धीरे वो ढीला होते हुए खुल गया। मैंने चहक कर अपनी गोल घुमाई हुई जीभ की नोक को उनकी

गुदा में घुसा दिया। 


शानू अब अपने जीजू के लंड को दिल लगा कर चूस रही थी और मैं अपनी जीभ से आदिल भैया की गांड मार रही थी। स्नानघर में दो

अपरिपक्व कन्याओं के प्यार के आलोक में दमकते आदिल भैया की सिस्कारियां गूँज उठी।

आखिर में मर्द ही जल्दी मचाते हैं। आदिल भैया ने सिसकते हुए पुकार लगाई , "अब मुझे अपना लंड चूत में डालना है। नेहा अब

रुका नहीं जा रहा। "

मैंने उनके भूरे गांड के द्वार को आखिरी चुम्बन से शोभित कर चिढ़ाया , " यह आपकी कुंवारी छोटी साली तो अपनी चूत आपके हाथी

जैसे लंड से अभी तो नहीं मरवाएगी। पर यदि आप वायदा करे कि आज के दिन के सूरज के डूबने से पहले आप शानू की चूत के

कौमार्य को विच्छेद कर उसकी चूत को फाड़ डालेंगे तो आपकी बड़ी साली की चूत और गांड आपकी सेवा में हाज़िर है। "

शानू ने अचक कर अपने जीजू बनाम आदिल भैया के थूक से लिसे लंड को मुक्त कर जल्दी से बगल में खड़ी हो गयी ," नेहा, पहले मैं

देखूंगी कि तुम कैसे आदिल भैया ओह सॉरी .... जीजू के मोटे लंड को कैसे झेलती हो फिर ही मैं मुत्मुइन हो पाऊँगी। हाय अल्लाह

जीजू का लंड तो मेरे हाथ से भी बड़ा और मोटा है। "

आदिल भैया ने अचम्भे से शानू की बात को अनसुना कर कहा ,"नेहा तुम अपनी गांड भी मरवाओगी ?"

"हाय मेरे राम आदिल भैया तो क्या आपने…… अभी तक नसीम आपा ने अपनी गांड नहीं सौंपी आपको ?" मैंने उनके थरथराते हुए

दानवीय लंड को सहलाया अपने दोनों हांथों से। मेरे जीवन में अभी तक कोई भी लंड मेरे एक हाथ में नहीं समा सकता था। मेरी नन्ही उम्र

में सारे लंड विकराल और दानवीय आकार के थे।
"नहीं, नेहा। नसीम ने अपनी गांड को एक खास मौके के लिए कुंवारी छोड़ रखा है। यदि तुम अपनी गांड मुझे मारने दो तो मैं वायदा

करता हूँ कि तुम्हारी छोटी बहिन और मेरी छोटी साली की चूत की आज तौबा मचा दूंगा। " आदिल भैया ने मेरे मोटे भारी पर अल्प-

विकसित उरोज़ों को कस कर मसल दिया।

मैंने सिसकारते हुए उलहाना दिया, "आदिल भैय.……… जीजू यह तो मेरा सौभाग्य होगा कि मेरी गांड आपके लंड के लिए पहली गांड

होगी। पर यदि आप मेरी छोटी बहिन के कुंवारेपन का मर्दन करने का वायदा करें तो मेरी गांड आपके लंड की गुलाम हो जाएगी। "

"नेहा हमारा वायदा आपके हाथ में है ," आदिल भैया ने अपने लंड को मेरे हाथों के बीच हचक कर हिलाया।

"देख शानू आज तेरी चूत की तौबा होने वाली है। गौर से देखना कैसे जीजू का हाथ भर का लंड तेरी चूत फाड़ेगा।" मैंने शानू के

फड़कती चूचियों को बेदर्दी से मसल दिया।

"इसका मतलब है कि मेरी चूत के मसले में मेरी कोई भी राय नहीं है ," शानू वैसे तो इतरा रही थी पर उसकी आँखों में आदिल भैया

के लंड की प्यास साफ़ ज़ाहिर हो रही थी।

मैंने आदिल भैया की तरह अपने हाथों को दीवार पर जमा कर अपनी दोनों टाँगें चौड़ा कर आगे घोड़ी की तरह झुक गयी।

आदिल भैया ने अपने विकराल तनतनाते लंड को बड़ी मुश्किल से आसमान की ओर से आगे की तरफ झुकाया, "छोटी साली साहिबा

गौर से देखिएगा। नेहा की चुदाई के बाद आपकी चूत की बारी है। "

शानू आदिल भैया के लंड की विशालता से मेरे बारे में शायद घबरा रही थी ," आदिल भैया मेरे प्यारे जीजू प्लीज़ आराम से नेहा की

चूत मारिएगा। प्लीज़ उसको दर्द नहीं कीजिएगा। "

मैं लगभग हंस दी थी पर हंसी दबा कर मैंने ज़ोर से कहा ," अरे शानू जब तक मर्द का लंड लड़की की चीख न निकल दे तो किस काम

का। आदिल भैया आपको कोई रोक टोक नहीं है। आज अपनी छोटी साली को दिखा दीजिये कैसे आपने हमारी नसीम आपा की चूत

को पहली बार मारते हुए उनकी हालत ख़राब कर दी होगी। "

आदिल भैया भी मेरे बात समझ गए ," शानू रानी अब आप देखना कैसे लड़की की चूत को खुदा ने ऐसा बनाया है कि वो कैसा भी

छोटा, मोटा पतला और लम्बा लंड हो उसे अपने अंदर ले लेती है।"

"जीजू अब आप अपने घोड़ी बनी साली की चूत का भी तो ख्याल रखिये। " मैंने अपने भरे हुए गुदराज़ चूतड़ मटकाये।

आदिल भैया ने अपने मोटे सेब सामान सुपाड़े को मेरी चूत की दरार पे रगड़ा। मेरे रेशम जैसी झांटे मेरे रति रस से भीगी चूत के भगोष्ठों

पे चुपक गयीं थीं। 


आदिल भैया के विकराल लंड के सुपाड़े ने मेरी भाग-शिश्न को रगड़ कर मेरी कामांगनी को और भी प्रज्ज्वलित कर दिया। आदिल भैया के

महालंड के दानवीय आकार के सुपाड़े ने मेरी कमसिन योनिमार्ग के द्वार को ढूंढ लिया और उसे आने वाले आनंद के प्रलोभ से फुसला कर उसके

द्वार के पर्दों को चौड़ा कर खोल दिया। अब मेरी चूत आदिल भैया के विशाल भीमकाय लंड के रहमोकर्मों पर थी।

आदिल भैया ने मेरी नीची कमर को अपने बड़े मर्दाने हाथों से भींच कर मुझे जकड लिया और एक गहरी सांस भर कर अपनी चौड़ी मांसल

बलशाली कमर और नितिम्बों के बल से उपजी शक्ति से अपने लंड को मेरी चूत में एक झटके में ही जड़ तक डालने का इरादा बना लिया।

मेरी चीख न चाहते हुए भी स्नानघर में गूँज उठी। आदिल भैया अपनी छोटी साली शानू को अपने लंड की मर्दाग्नी से प्रभावित करने में कोई भी

कसर नहीं छोड़ने वाले थे।

जब तक मेरी पहली चीख शांत हो पाती आदिल भैया ने एक और जानलेवा प्रहार से अपने लंड की कुछ और इंचे मेरी चूत में घुसेड़ दीं। मेरी

उबलती चीखों और शानू की आखें-फाड़ फ़िक्र को नज़रअंदाज़ कर आदिल भैया ने तीन और चार चूत के चिथड़े उड़ाने में सक्षम धक्कों से अपना

विशाल लंड जड़ तक मेरी फड़कती चूत में दाखिल कर दिया।

"हाय जीजू, क्या आपने अपनी बड़ी साली की चूत को फाड़ डालने के इरादा बना लिया है? अपने हाथी जैसे लंड को थोड़ा काबू में कीजिये।

ये आपकी नन्ही साली की चूत है, नसीम आपा की चूत नहीं। " मैंने सुबकते हुए आदिल भैया को उलहाना दिया।

"साली साहिबा अभी तो आप अपने छोटी बहिन को चूत की सही तरीके से चुदाई के गुर समझा रहीं थीं अब आप अपने जीजू के लंड लेने में

इतना इतरा रहीं हैं। " आदिल भैया ने मेरे दोनों हिलते चूचियों को कस कर उमेठा और मसल दिया।

"हाय जीजू मैं इतरा नहीं रहीं हूँ। आखिर मैं आपको रोक थोड़े रहीं हूँ। मैं तो आपके हाथी जैसे लंड की ताकत का इज़हार कर रहीं हूँ ," जब

तक मैं पूरी बात बोल पाऊँ आदिल भैया ने अपना वृहत लंड सुपाड़े तक निकल कर एक विघ्वंसक धक्के से एक बार फिर मेरी कमसिन तंग रेशम

जैसी चिकनी चूत में जड़ तक घुसेड़ दिया।

मैं न चाहते हुए भी वासनामय दर्द से सुबक उठी, "हाय जीजू। …बड़ा मोटा लंड है आपका … आज तो आप मेरी चूत फाड़ कर ही मानेंगें। "
आदिल भैया ने शानू के लाल मुंह और भौचक्की आँखों से वासना की फुहार को भांप कर ज़ोर से बोले , " छोटी साली जी देख लो कैसे आपकी

चूत में मेरा लंड जाएगा। अपनी चूत को मेरे लंड के लिए तैयार कर लीजिये। "

"जीजू अब तो मैं क्या कर सकती हूँ ? यदि आप ने नेहा की गांड भी मार ली तो मुझे अपनी चूत को आपके लंड के ऊपर कुर्बान करना ही

पड़ेगा ," शानू ने कांपती हुई आवाज़ में फुसफुसाते हुए हुए अपने जीजू से टक्कड़ लेने की कोशिश की।

मेरे शरीर में बिजली सी कौंध रही थी। आदिल भैया का भीमकाय लंड मेरी चूत तो अविश्विसनाय आकार में फैला कर मुझे दर्द और आनंद के

मीठे मिश्रण से बेताब कर रहा था।

"जीजू अब आप इस साली की चूत का ख्याल कीजिये। इसकी चूत अब आपके लंड के ऊपर न्यौछावर है। पहले उसकी प्यास बुझा

दीजिये फिर दूसरी साली की बारी लगाइएगा। " मेरी पुकार सुन कर आदिल भैया ने मेरी गोल कमर को जकड़ के अपने मूसल लंड को

गोल-गोल मेरी चूत में घुमा कर सुपाड़े तक बाहर खींच कर दो अस्थि-पंजर हिला देने वाले धक्कों से मेरी पिघलती चूत को फिर से भर

दिया।

स्नानघर में बड़ी पुरातन सम्भोग के मीठे स्वरों का संगीत एक बार फिर से गूँज उठा। उस में मेरी वासना से लिप्त सुब्काइयां , कराहटें , और

हल्की चीखें उस संगीत के स्वरों को और भी रोचक और आनंदमय बना रहीं थी।

"जीजू …….. जीजू ….. मेरी चूत मारिये। अपना पूरा लंड मेरी चूत में दाल दीजिये। फाड़ डालिये इस निगोड़ी को ," मैं अब आदिल भैया

के लंड के हर प्रहार से सर से पैर तक कांप रही थी।

आदिल भैया का लंड मेरी चूत में अब इंजन के पिस्टन की तरह पूरे क्षमता और तेज़ी से अंदर बाहर आ जा रहा था। मेरे रति रस से लिसड़े

उनके विकराल लंड को अब मेरी चूत को बेदर्दी से मारने में और भी आसानी हो गयी थी।

आदिल भैया कभी पूरे लंड से लम्बे ताकतवर धक्कों से मेरी चूत मारते तो कभी सिर्फ कुछ इंचों से बिजली सामान रफ़्तार से मेरी चूत की

तौबा बुला देते थे।

"जीजू मुझे चोदिये उउन्न्न्न्न्न …… उम्म्म्म्म्म्म मैं अब आने वाली हूँ ....... आअन्न्न्ह्ह्ह चोदिये मुझे आआआआअ……..,” मैं सुबक उठी

अपने पहले रति-निष्पति से। मुझे पता था कि ये उस चुदाई का मेरा अकेला चार्म-आनंद नहीं होगा।

आदिल भैया के लंड ने अब और भी रफ़्तार पकड़ ली। स्नानघर में सम्भोग की अश्लील 'पचक पचक' के संगीत ने मेरी चूत के बिना

हिचक की चुदाई की घोषणा कर दी।

आदिल भैया के विशाल स्पॉत जैसे कठोड लंड का हर प्रहार मेरे शरीर को हिला कर रोमांचित कर रहा था। मेरे खुले मुंह से उबलती

सिस्कारियां उन्हें और भी उत्तेजित कर रहीं थीं। आदिल भैया ने कसमसा के अपने लंड के पीछे और भी ताकत लगनी शुरू कर दी। उनका

दैत्य-लंड मेरी चूत को फैलाते हुए जब बहुत अंदर तक जाता और मेरे गर्भाशय को बेदर्दी से धक्का मार के उसे और भी अंदर धकेल देता तो

मेरी कराहट में मीठा दर्द भी शामिल हो जाता। उस दर्द से मेरे शरीर में अजीब से विकृत इच्छा जग गयी और मैं आदिल भैया के लंड से उपजे

वासना भरे दर्द की प्रतीक्षा कर रही थी।

आदिल भैया ने मेरी चूत को हचक हचक भीमकाय लंड से बेदर्दी से मर्दन करते हुए मेरे दोनों उरोज़ों को इतनी ज़ोर से मसलते कि मैं आशय

अवस्था में कराह उठती ," आदिल भैया ……जीजू हाआआय उउन्न्न्न्न्ग्ग्ग्ग्ग आआअन्न्न्न्ह्ह्ह्ह चोदो मुझे। जी.……जूऊऊ मेरी चूत फिर से

झड़ने वाली है। "

आदिल भैया ने अपने लंड के रफ़्तार में और भी इजाफा कर मेरी चूत के लतमर्दन अपनी पूरी क्षमता से करने लगे।

मैं अब लगभग लगातार झड़ रही थी। आदिल भैया का लंड मेरी चूत को रेलगाड़ी के इंजन की रफ़्तार से चोद रहा था। न जाने कितनी देर

बाद आदिल भैया ने गुर्रा कर कहा ,"नेहा अब मैं आपकी चूत में आने वाला हूँ। "

कोई भी लड़की जब उसकी चूत चोदने वाले के मुंह से यह शब्द सुनती है तो उसकी वासना और भी प्रज्ज्वलित हो उठती है।

मैं भी कामानन्द के जवार से जलते हुए सुबकी, "हाँ आदिल भैया मेरे जीजू भर दीजिये मेरी चूत अपने वीर्य से। मैं फिर से झड़ रहीं हूँ।

आआआह्ह्ह्ह्ह हाय माआआं भैयाआआआ .......... उउन्न्न्न्न्न। "

मैं अपने चर्म-आनंद के अतिरेक से कपकपा रही थी। आदिल भैया ने अपना विकराल लंड कई बार बेदर्दी से मेरी चूत में धूंस से मेरी दोनों

चूचियों को वहशियों की तरह मड़ोड़ दिया। उन्होंने अपने लंड को जड़ तक मेरी चूत में डाल दिया। उनके लंड का विस्फोट मानों मेरी चूत

को जला रहा था। आदिल भैया के जनन-क्षम वीर्य की गरम बौछार ने मेरे अविकसित गर्भाशय को नहला दिया।

न जाने कितनी बार उनके लंड ने अपने उर्वर वीर्य की फुहार से मेरी चूत को भर दिया।

मैं अब हाँफते हुए अपनी साँसों को काबू में करने का प्रयास कर रही थी। आदिल भैया ने मेरी भीगे कमर को प्यार से चूमा। उनकी साँसें भी

भारी हो चली थीं।

उनका लंड अभी भी मेरी चूत फड़फड़ा रहा था। यदि उनका लंड थोड़ा सा भी ढीला हुआ तो मुझे अहसास नहीं हुआ।

हम दोनों कुछ देर तक एक दुसरे से लिपटे वैसे ही खड़े रहे।

तब हम शानू की भरी साँसों को सुन कर वापस ज़मीं पर आ गए। 


"जीजू आपने तो नेहा की जान ही निकाल दी होती। कैसी बेदर्दी से आपने उसकी चूत मारी ," शानू ने मेरी फ़िक्र का इज़हार किया

अपने उल्हाने से।

"शानू ऐसी चुदाई तो बड़ी खुशनसीबी से मिलती है। तुझे तो खुश होना चाहिए कि तुझे जीजू जैसा मुस्टंड लंड घर में ही मिल गया।

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RE: नेहा का परिवार : लेखिका सीमा do not comment till posting complete story - by thepirate18 - 20-07-2019, 04:34 PM



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