04-01-2019, 06:20 AM
आकाश का पूरा लण्ड मेरी चूत की दीवारों को फैलाता हुआ अंदर घुस गया। मेरे मुँह से मजे और दर्द की वजह से हल्की चीख निकल गई ‘ओह्ह... और मैं अपने चूतड़ उठा-उठाकर आकाश के लण्ड पे ऊपर-नीचे होने लगी। आकाश भी नीचे से धक्के लगाने लगा। मेरी साँसें फूलने लगी, मैं झड़ने के बिल्कुल करीब थी। मैं अब अपने चूतड़ बहुत ऊपर लण्ड के टोपे तक उठाकर फिर से नीचे कर रही थी।
मेरे सारे बदन से पशीना बह रहा था और मेरी आँखें मजे से बंद हो गई थी। मैंने कभी ख्वाब में भी नहीं सोचा था की चुदाई में इतना मजा भी आता है। मैं अपनी चुदाई की चरम सीमा पर पहुँच गई और काँपते हुए ‘अह्ह... ओहह..' करते हुए झड़ने लगी। कुछ देर तक झड़ने के बाद मैं आकाश के ऊपर ढेर हो गई।
आकाश ने मुझे चूमते हुए अपने साइड में सुला दिया और सोनाली को पकड़कर उल्टा कर दिया और उसकी चूत में लण्ड घुसा दिया। आकाश कुछ देर तक सोनाली आँटी की चूत मारने के बाद अपने लण्ड पर ढेर सारा थूक । लगाकर आँटी की गाण्ड पर रख दिया और इससे पहले की आँटी कुछ समझ पाती आकाश का आधा लण्ड उसकी गाण्ड को चीरता हुआ अंदर घुस गया।
आँटी के मुँह से एक हल्की चीख निकल गई- “ओईई... मर गई अचानक ही घुसा दिया..”
मेरा मुँह खुला का खुला रह गया। मैं सोच रही थी आकाश का इतना मोटा और बड़ा लण्ड इसकी गाण्ड में कैसे घुस गया। आकाश कुछ देर तक आधे लण्ड से धक्के लगता रहा और अचानक उसने अपना लण्ड पीछे खींचकर पूरा अंदर कर दिया।
आँटी के मुँह से चीख निकल गई- “ओहह... फट गई...”
मगर आकाश झड़ने के बिल्कुल करीब था, वो आँटी की चीखों की परवाह ना करते हुए जोर से उसकी गाण्ड मारने लगा और हाँफता हुआ उसकी गाण्ड में झड़ गया, और झड़ने के बाद बेड पर ढेर हो गया। कुछ देर बाद आकाश वहाँ से चला गया।
आँटी दरवाजा बंद करने के बाद मेरे पास आई और मुझे चूमते हुए कहा- “धन्नो तुम तो बिल्कुल छुपी रुस्तम निकली, अपनी आँटी को छुपकर चुदते हुए देखती रही। मैंने तुम्हें उसी दिन खिड़की के पास देख लिया था मगर तुम्हें कह नहीं पाई और तुम सबके खाने में नीद की दवा मिलाने लगी। मगर कल मैं तुम्हें चलते हुआ देखकर समझ गई की तुमने अपना कुँवारापन गॅवा दिया है। इसीलिए आज मैंने खाने में दवा नहीं मिलाई और बिंदिया और करुणा के दूध में दवा मिला दी, और तुम्हें मैंने जानबूझ कर हमारा खेल देखने का मौका दिया। मैं चाहती थी की तुम भी मेरी तरह अपनी जवानी का पूरा मजा लो। वैसे तुमने किसके साथ अपनी पहली चुदाई की?”
मैं बुत बनकर अब तक उसकी बातें सुन रही थी।
मैंने अपना मुँह खोलते हुए बताया- “वो मेरे कालेज में पढ़ता है, उसका नाम कृष्णा है मगर उसका लण्ड आकाश जितना बड़ा नहीं है, मुझे खास मजा नहीं आया था...”
आँटी ने हँसते हुए कहा- “ऐसे लण्ड सभी के नहीं होते, जैसा आकाश का है। खुशनशीब औरतों को ही ऐसा लण्ड मिलता है। तुम दोनों उस दिन जिस लड़के के साथ आई थी जिसका नाम रोहन है उसका क्या चक्कर है?”
मैंने आँटी को बता दिया- “रोहन बिंदिया से प्यार करता है और वो बहुत ही शरीफ और सुलझा हुआ लड़का है। बिंदिया भी उसे पसंद करती है...”
आँटी ने मेरी बात सुनने के बाद कहा- “दिखने में भी वो स्मार्ट है चलो दोनों की शादी करवा देंगे...”
मैंने आँटी से कहा- “मुझे नींद आ रही है मैं अपने कमरे में जाऊँ?”
आँटी ने मुश्कुराते हुए मेरे होंठों पे एक किस कर दी और मुझे गुडनाइट कहा। मैं अपने कमरे में आकर सो गई। दूसरे दिन सनडे था मैं बहुत देर तक सोती रही। जब मैं उठी और फ्रेश होकर अपने कमरे से निकली तो मैं हैरान रह गई। रोहन वहाँ बैठा हुआ चाय पी रहा था।
मेरे सारे बदन से पशीना बह रहा था और मेरी आँखें मजे से बंद हो गई थी। मैंने कभी ख्वाब में भी नहीं सोचा था की चुदाई में इतना मजा भी आता है। मैं अपनी चुदाई की चरम सीमा पर पहुँच गई और काँपते हुए ‘अह्ह... ओहह..' करते हुए झड़ने लगी। कुछ देर तक झड़ने के बाद मैं आकाश के ऊपर ढेर हो गई।
आकाश ने मुझे चूमते हुए अपने साइड में सुला दिया और सोनाली को पकड़कर उल्टा कर दिया और उसकी चूत में लण्ड घुसा दिया। आकाश कुछ देर तक सोनाली आँटी की चूत मारने के बाद अपने लण्ड पर ढेर सारा थूक । लगाकर आँटी की गाण्ड पर रख दिया और इससे पहले की आँटी कुछ समझ पाती आकाश का आधा लण्ड उसकी गाण्ड को चीरता हुआ अंदर घुस गया।
आँटी के मुँह से एक हल्की चीख निकल गई- “ओईई... मर गई अचानक ही घुसा दिया..”
मेरा मुँह खुला का खुला रह गया। मैं सोच रही थी आकाश का इतना मोटा और बड़ा लण्ड इसकी गाण्ड में कैसे घुस गया। आकाश कुछ देर तक आधे लण्ड से धक्के लगता रहा और अचानक उसने अपना लण्ड पीछे खींचकर पूरा अंदर कर दिया।
आँटी के मुँह से चीख निकल गई- “ओहह... फट गई...”
मगर आकाश झड़ने के बिल्कुल करीब था, वो आँटी की चीखों की परवाह ना करते हुए जोर से उसकी गाण्ड मारने लगा और हाँफता हुआ उसकी गाण्ड में झड़ गया, और झड़ने के बाद बेड पर ढेर हो गया। कुछ देर बाद आकाश वहाँ से चला गया।
आँटी दरवाजा बंद करने के बाद मेरे पास आई और मुझे चूमते हुए कहा- “धन्नो तुम तो बिल्कुल छुपी रुस्तम निकली, अपनी आँटी को छुपकर चुदते हुए देखती रही। मैंने तुम्हें उसी दिन खिड़की के पास देख लिया था मगर तुम्हें कह नहीं पाई और तुम सबके खाने में नीद की दवा मिलाने लगी। मगर कल मैं तुम्हें चलते हुआ देखकर समझ गई की तुमने अपना कुँवारापन गॅवा दिया है। इसीलिए आज मैंने खाने में दवा नहीं मिलाई और बिंदिया और करुणा के दूध में दवा मिला दी, और तुम्हें मैंने जानबूझ कर हमारा खेल देखने का मौका दिया। मैं चाहती थी की तुम भी मेरी तरह अपनी जवानी का पूरा मजा लो। वैसे तुमने किसके साथ अपनी पहली चुदाई की?”
मैं बुत बनकर अब तक उसकी बातें सुन रही थी।
मैंने अपना मुँह खोलते हुए बताया- “वो मेरे कालेज में पढ़ता है, उसका नाम कृष्णा है मगर उसका लण्ड आकाश जितना बड़ा नहीं है, मुझे खास मजा नहीं आया था...”
आँटी ने हँसते हुए कहा- “ऐसे लण्ड सभी के नहीं होते, जैसा आकाश का है। खुशनशीब औरतों को ही ऐसा लण्ड मिलता है। तुम दोनों उस दिन जिस लड़के के साथ आई थी जिसका नाम रोहन है उसका क्या चक्कर है?”
मैंने आँटी को बता दिया- “रोहन बिंदिया से प्यार करता है और वो बहुत ही शरीफ और सुलझा हुआ लड़का है। बिंदिया भी उसे पसंद करती है...”
आँटी ने मेरी बात सुनने के बाद कहा- “दिखने में भी वो स्मार्ट है चलो दोनों की शादी करवा देंगे...”
मैंने आँटी से कहा- “मुझे नींद आ रही है मैं अपने कमरे में जाऊँ?”
आँटी ने मुश्कुराते हुए मेरे होंठों पे एक किस कर दी और मुझे गुडनाइट कहा। मैं अपने कमरे में आकर सो गई। दूसरे दिन सनडे था मैं बहुत देर तक सोती रही। जब मैं उठी और फ्रेश होकर अपने कमरे से निकली तो मैं हैरान रह गई। रोहन वहाँ बैठा हुआ चाय पी रहा था।