04-01-2019, 06:18 AM
आकाश ने मजे से आँटी को पकड़कर उसकी चूचियों को काटने लगा। आँटी के मुँह से चीखें निकलने लगी ‘ओहह... ओईई...'
मैं जोश में आकर अपने मुँह को खोलकर आकाश का लण्ड अपने मुँह में लेने लगी, मगर उसका लण्ड इतना मोटा था की मेरे पूरा मुँह खोलने पर भी उसका सुपाड़ा ही मुँह में ले सकी। मैं अपने हाथ बढ़ाकर उसके लण्ड को आगे-पीछे करते हुए सहलाने लगी और सुपाड़ा चूसने लगी। मेरा मुँह उसका लण्ड चूसते हुए दुखने लगा। मैं । उसका लण्ड अपने मुँह से निकालकर अपनी जीभ से उसे चाटने लगी।
सोनाली आँटी ने आकाश से कहा- “तुम्हारा लण्ड इतना मोटा है की इसके मुँह में नहीं आ रहा तो यह इसके चूत की क्या हालत करेगा?”
आकाश ने मेरे बाल पकड़कर अपने ऊपर खींच लिया और मेरी चूचियों को अपने हाथों से मसलता हुआ मेरे होंठों को चूमने लगा। उसका मोटा लण्ड मुझे अपनी चूत के ऊपर महसूस हो रहा था। कुछ देर तक वो मेरे होंठों को चूसने के बाद मुझे बेड पर सीधा लेटा दिया और बेड से उतरकर ड्रेसिंग टेबल से एक वैसेलीन उठा लाया। उसने वैसेलीन को अपनी उंगली पे लगाकर उसे मेरी चूत में डाल दिया और उसे दाएं बाएं घुमाते हुए मेरी चूत को चिकना करने लगा। मेरे मुँह से उत्तेजना के मारे सिसकियां निकल रही थी। उसने अपने लण्ड को भी वैसेलीन से चिकना किया और मेरी टाँगों को उठाकर घुटनों तक मोड़ दिया और एक तकिया मेरे चूतड़ों के नीचे रख दिया। मेरी चूत अब बिल्कुल ऊपर उठी हुई थी।
आकाश अपने लण्ड को पकड़कर मेरी चूत पे रगड़ने लगा और उसे मेरी चूत पर किसी इंडे की तरह मारने लगा। मजे और डर की लहर मेरे सारे शरीर में दौड़ रही थी। मेरी चूत बिल्कुल गीली हो चुकी थी और उसमें से पानी। की कुछ बूंदे निकल रही थीं। आकाश ने अपना लण्ड मेरी चूत के छेद पर रखते हुए अपने पूरे वजन और ताकत के साथ मुझपर दबाव दिया। उसके लण्ड का टोपा मेरी चूत की दोनों दीवारों को फैलाता हुआ अंदर घुस गया।
मेरे मुँह से एक जोर की चीख निकल गई- “ओईईई.. ओहह... तुम्हारा लण्ड बहुत मोटा है मेरी चूत फट जाएगी... मैं इसे पूरा नहीं झेल पाऊँगी प्लीज... इसे निकालो...” कहकर मैं झटपटाने लगी। मुझे ऐसे महसूस हो रहा था जैसे मेरी चूत की दोनों दीवारों को किसी ने पकड़कर आपस में से अलग कर दिया हो।
आकाश वैसे ही अपना वजन मुझपर रखे पड़ा रहा। सोनाली आँटी मेरे पास आई और मुझे किस करने लगी। मैं अपना दर्द भुलाकर फिर से गरम होने लगी। आकाश मुझे रिलैक्स होते हुए देखकर अपना दबाव बढ़ाते हुए अपना लण्ड अंदर करने की कोशिश करने लगा। मेरी चूत सिर्फ एक बार चुदी थी वो भी कृष्णा के छोटे लण्ड से, इसीलिए वो अभी तक कसी हुई थी। आकाश ने अपने लण्ड के टोपे को थोड़ा बाहर करते हुए एक जोर का धक्का लगाया। उसका लण्ड मेरी चूत की दीवारों को फैलाता हुआ आधा अंदर घुस गया।
मेरी तो सारी जान ही निकल गई। मेरे मुँह से जोर की चीखें निकलने लगी- “ओईई माँ... ओहह. मर गई.. बचाओ...” मैं ऐसे तड़पने लगी जैसे मछली पानी के बाहर तड़पती है।
मैं जोश में आकर अपने मुँह को खोलकर आकाश का लण्ड अपने मुँह में लेने लगी, मगर उसका लण्ड इतना मोटा था की मेरे पूरा मुँह खोलने पर भी उसका सुपाड़ा ही मुँह में ले सकी। मैं अपने हाथ बढ़ाकर उसके लण्ड को आगे-पीछे करते हुए सहलाने लगी और सुपाड़ा चूसने लगी। मेरा मुँह उसका लण्ड चूसते हुए दुखने लगा। मैं । उसका लण्ड अपने मुँह से निकालकर अपनी जीभ से उसे चाटने लगी।
सोनाली आँटी ने आकाश से कहा- “तुम्हारा लण्ड इतना मोटा है की इसके मुँह में नहीं आ रहा तो यह इसके चूत की क्या हालत करेगा?”
आकाश ने मेरे बाल पकड़कर अपने ऊपर खींच लिया और मेरी चूचियों को अपने हाथों से मसलता हुआ मेरे होंठों को चूमने लगा। उसका मोटा लण्ड मुझे अपनी चूत के ऊपर महसूस हो रहा था। कुछ देर तक वो मेरे होंठों को चूसने के बाद मुझे बेड पर सीधा लेटा दिया और बेड से उतरकर ड्रेसिंग टेबल से एक वैसेलीन उठा लाया। उसने वैसेलीन को अपनी उंगली पे लगाकर उसे मेरी चूत में डाल दिया और उसे दाएं बाएं घुमाते हुए मेरी चूत को चिकना करने लगा। मेरे मुँह से उत्तेजना के मारे सिसकियां निकल रही थी। उसने अपने लण्ड को भी वैसेलीन से चिकना किया और मेरी टाँगों को उठाकर घुटनों तक मोड़ दिया और एक तकिया मेरे चूतड़ों के नीचे रख दिया। मेरी चूत अब बिल्कुल ऊपर उठी हुई थी।
आकाश अपने लण्ड को पकड़कर मेरी चूत पे रगड़ने लगा और उसे मेरी चूत पर किसी इंडे की तरह मारने लगा। मजे और डर की लहर मेरे सारे शरीर में दौड़ रही थी। मेरी चूत बिल्कुल गीली हो चुकी थी और उसमें से पानी। की कुछ बूंदे निकल रही थीं। आकाश ने अपना लण्ड मेरी चूत के छेद पर रखते हुए अपने पूरे वजन और ताकत के साथ मुझपर दबाव दिया। उसके लण्ड का टोपा मेरी चूत की दोनों दीवारों को फैलाता हुआ अंदर घुस गया।
मेरे मुँह से एक जोर की चीख निकल गई- “ओईईई.. ओहह... तुम्हारा लण्ड बहुत मोटा है मेरी चूत फट जाएगी... मैं इसे पूरा नहीं झेल पाऊँगी प्लीज... इसे निकालो...” कहकर मैं झटपटाने लगी। मुझे ऐसे महसूस हो रहा था जैसे मेरी चूत की दोनों दीवारों को किसी ने पकड़कर आपस में से अलग कर दिया हो।
आकाश वैसे ही अपना वजन मुझपर रखे पड़ा रहा। सोनाली आँटी मेरे पास आई और मुझे किस करने लगी। मैं अपना दर्द भुलाकर फिर से गरम होने लगी। आकाश मुझे रिलैक्स होते हुए देखकर अपना दबाव बढ़ाते हुए अपना लण्ड अंदर करने की कोशिश करने लगा। मेरी चूत सिर्फ एक बार चुदी थी वो भी कृष्णा के छोटे लण्ड से, इसीलिए वो अभी तक कसी हुई थी। आकाश ने अपने लण्ड के टोपे को थोड़ा बाहर करते हुए एक जोर का धक्का लगाया। उसका लण्ड मेरी चूत की दीवारों को फैलाता हुआ आधा अंदर घुस गया।
मेरी तो सारी जान ही निकल गई। मेरे मुँह से जोर की चीखें निकलने लगी- “ओईई माँ... ओहह. मर गई.. बचाओ...” मैं ऐसे तड़पने लगी जैसे मछली पानी के बाहर तड़पती है।